रवीश जी माफ़ करना.. ऐसा बिहारवाद की आप इन महोदय को "बिहार का लक्ष्मण " कह गये..... क्या लक्ष्मण ने किसी नेता की चमचागिरी में कभी कार्टून बनाये हें... मगर इन महोदय ने ढेरों बनाये हें... लालू की चमचागिरी में. लक्ष्मण एक बड़ा नाम है भारतीय कार्टून जगत का.. आप को कोई हक नही लक्ष्मण की प्रतिष्ठा को इस तरह आघात पहुंचाने का...thanx
बहुत ही अच्छे और मधूर लेख प्रस्तुत करते हैं आप, दिल की गहराई से बहुत बहुत धन्यवाद। खूब लिखें और लिखते रहें, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं, और हम ईश्वर से आपकी सफलता के लिए प्रार्थना करते है।
कार्टून अच्छे हैं....चर्चायें भी अच्छी ही चल रही हैं....किसी हद तक अपनी अपनी समझ के हिसाब से लक्षमण माना जा रहा है....नहीं माना जा रहा है....पर एक बात है, भले ही मुंबई में रह रहा हूँ, इसी बहाने आंचलिकता का खूब लूत्फ उठा रहा हूँ...अच्छा लग रहा है।
चंद्रभूषण जी मत्यास इन्फ़्रस्त्रक्चर को हैदराबाद शहर के मेट्रो निर्माण के ठेके के पीछे आई टी जगत के इस नटवर लाल का रसूख और सब का मिला जुला गोरख धंधा ही रहा होगा , अब यह संदेह पुख्ता होता जा रहा है. आपने श्री ई श्रीधरन द्वारा इस सम्बन्ध में दर्ज अप्पत्ति का उल्लेख कर पुरे प्रकरण को एक सही सन्दर्भ दिया है.शीर्ष पर गठजोड़ बहुत मजबूत है . नटवर लालों की पुरी मंडली भाल जेल कैसे जा सकती है. इस पुरे प्रकरण का दुर्भाग्य पूर्ण पहलू यह है की भारत के नौजवान आई टी प्रोफ़ेस्सिओनल्स और अन्य सम्मानित कंपनियों की इज्जत में बट्टा लगाने का डर है. इस गोरखधंधे का हर पहलू उजागर होना बाकी है. रोचक लेख और जानकारी के लिए बधाई सादर
रविशजी अगर कार्टून की सफलता का पैमाना अगर यह मन जाया कि अपने सुंदर रेखाकृति से ज़माने के मर्म को ,लोगों कि अनकही बातों को भी जुबान दे देना ,और वो भी हास्य रस की चासनी में डुबो कर ,तो वो कार्टूनिस्ट किसी भी विशेषण का हकदार है. आर के लक्ष्मण महान कार्टूनिस्ट हैं ,भला इससे ऐतराज किसे होगा .पर अपना पवन भी उभरता सितारा है.और हिन्दी को मगही की चासनी में डुबो कर चुटीले संबाद लिखता है.कुछ भी कहें उस माटी के लोगों को अपार आनंद दे रहा है. पवन के कार्टून देते रहने के लिए बधाई. सादर
मन की जो बातें हजार शब्द भी मिल कर नही कह पातें .....उन बातों को एक कार्टून के जरिये कितनी बेहतरीन तरीके से कह जाते हैं कार्टूनिष्ट..... ....जबरदस्त देसी कार्टून....
rv jee ee balwant(thakre)!!! KA BOL RAHA HAI. EN LOGO KI BIHAR KE KISI BI ADMI KI BADAI SAHAN NAHI HOTI..laxmanva t bada hai hi apna pawano bhi bahut bada hai sale balwant thanx
बलवंतजी पवन को बिहार का आर के लक्शमन कहा गया था । इससे तो आर के लक्शमन की प्रतिष्ठा बढती ही है । इसमें प्रांतवाद और बिहारवाद कहां से गढ लिया । चमचागिरी हर कोइ कर रहा है ..इसके बाबजूद पवन के कार्टून आम जनता की आवाज के रुप में काम कर रही है । जब पाठक वर्ग पवन के कार्टून को पसंद कर रहे है तो हम और आप जज बनने के लिये क्यूं आतुर है ।
रवीश,अभी पढ़ी रिक्शेवाली कविता।मुझे तो बहुत अच्छी लगी।मुझे लगता है,आपको अपनी कविताओं को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिये।कुछ लोग तो सिर्फ़ अपनी भंगिमा बना-बनाकर कवि हो गये।बहरहाल.. आफ़रीन कृष्ण्मोहन
16 comments:
रवीश जी माफ़ करना..
ऐसा बिहारवाद की आप इन महोदय को
"बिहार का लक्ष्मण "
कह गये..... क्या लक्ष्मण ने किसी नेता की चमचागिरी में
कभी कार्टून बनाये हें...
मगर इन महोदय ने ढेरों बनाये हें... लालू की चमचागिरी में.
लक्ष्मण एक बड़ा नाम है
भारतीय कार्टून जगत का.. आप को कोई हक नही
लक्ष्मण की प्रतिष्ठा को इस तरह आघात पहुंचाने का...thanx
regards
BALWANT PRASAD
बहुत ही अच्छे और मधूर लेख प्रस्तुत करते हैं आप, दिल की गहराई से बहुत बहुत धन्यवाद। खूब लिखें और लिखते रहें, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं, और हम ईश्वर से आपकी सफलता के लिए प्रार्थना करते है।
कार्टून अच्छे हैं....चर्चायें भी अच्छी ही चल रही हैं....किसी हद तक अपनी अपनी समझ के हिसाब से लक्षमण माना जा रहा है....नहीं माना जा रहा है....पर एक बात है, भले ही मुंबई में रह रहा हूँ, इसी बहाने आंचलिकता का खूब लूत्फ उठा रहा हूँ...अच्छा लग रहा है।
अच्छे कार्टून हैं, धन्यवाद.
अच्छे कार्टून !
ब्लॉगिंग की दुनिया मै आपका स्वागत है .
चंद्रभूषण जी
मत्यास इन्फ़्रस्त्रक्चर को हैदराबाद शहर के मेट्रो निर्माण के ठेके के पीछे आई टी जगत के इस नटवर लाल का रसूख और सब का मिला जुला गोरख धंधा ही रहा होगा , अब यह संदेह पुख्ता होता जा रहा है.
आपने श्री ई श्रीधरन द्वारा इस सम्बन्ध में दर्ज अप्पत्ति का उल्लेख कर पुरे प्रकरण को एक सही सन्दर्भ दिया है.शीर्ष पर गठजोड़ बहुत मजबूत है . नटवर लालों की पुरी मंडली भाल जेल कैसे जा सकती है.
इस पुरे प्रकरण का दुर्भाग्य पूर्ण पहलू यह है की भारत के नौजवान आई टी प्रोफ़ेस्सिओनल्स और अन्य सम्मानित कंपनियों की इज्जत में बट्टा लगाने का डर है.
इस गोरखधंधे का हर पहलू उजागर होना बाकी है.
रोचक लेख और जानकारी के लिए बधाई
सादर
रविशजी
अगर कार्टून की सफलता का पैमाना अगर यह मन जाया कि अपने सुंदर रेखाकृति से ज़माने के मर्म को ,लोगों कि अनकही बातों को भी जुबान दे देना ,और वो भी हास्य रस की चासनी में डुबो कर ,तो वो कार्टूनिस्ट किसी भी विशेषण का हकदार है. आर के लक्ष्मण महान कार्टूनिस्ट हैं ,भला इससे ऐतराज किसे होगा .पर अपना पवन भी उभरता सितारा है.और हिन्दी को मगही की चासनी में डुबो कर चुटीले संबाद लिखता है.कुछ भी कहें उस माटी के लोगों को अपार आनंद दे रहा है. पवन के कार्टून देते रहने के लिए बधाई.
सादर
रविश जी
सत्यम से सम्बंधित टिपण्णी गलती से आपके ब्लॉग पर पोस्ट कर दिया इसे डिलीट कर देन
सादर
मन की जो बातें हजार शब्द भी मिल कर नही कह पातें .....उन बातों को एक कार्टून के जरिये कितनी बेहतरीन तरीके से कह जाते हैं कार्टूनिष्ट.....
....जबरदस्त देसी कार्टून....
rv jee ee balwant(thakre)!!! KA BOL RAHA HAI. EN LOGO KI BIHAR KE KISI BI ADMI KI BADAI SAHAN NAHI HOTI..laxmanva t bada hai hi apna pawano bhi bahut bada hai sale balwant thanx
बलवंतजी पवन को बिहार का आर के लक्शमन कहा गया था । इससे तो आर के लक्शमन की प्रतिष्ठा बढती ही है । इसमें प्रांतवाद और बिहारवाद कहां से गढ लिया । चमचागिरी हर कोइ कर रहा है ..इसके बाबजूद पवन के कार्टून आम जनता की आवाज के रुप में काम कर रही है । जब पाठक वर्ग पवन के कार्टून को पसंद कर रहे है तो हम और आप जज बनने के लिये क्यूं आतुर है ।
itne acche vicharo ke liye dhanyavad
itne acche vicharo ke liye dhanyavad
bahut acche vichar hai sir
रवीश,अभी पढ़ी रिक्शेवाली कविता।मुझे तो बहुत अच्छी लगी।मुझे लगता है,आपको अपनी कविताओं को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिये।कुछ लोग तो सिर्फ़ अपनी भंगिमा बना-बनाकर कवि हो गये।बहरहाल..
आफ़रीन
कृष्ण्मोहन
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