कंबल दान करें























यह तस्वीर दिल्ली के आईआईटी से सटे फ्लाईओवर के नीचे की है। दिल्ली के खंभों में ग़रीबों के दान के लिए सस्ते कंबलों के विज्ञापन खूब दिखते हैं। लगता है कि शहर में अभी भी हैं जो सर्दी में कामचलाऊ कंबल दान कर रहे हैं। यह भी पता चलता है कि दान के बहाने कामचलाऊ कंबलों का भी अपना एक कारोबार है। दान करम भी तो कारोबार ही है। लेकिन इस भागते शहर में कोई ठहर कर कंबल दान करता होगा, बोर्ड देख कर ही बड़ी राहत महसूस हुई।

8 comments:

Unknown said...

दान करम भी तो कारोबार ही है।….. इन पंक्तियो के लेखक ने कभी दान नही किया ऐसा लगता है। .... दान मुख्यतः दो कारणो से किया जाता है । धार्मिक पुण्य की दृष्टी से ब्राहमणो को दान तथा करुणावश गरीब दुखियारो को दान। ब्राहमणो को दान देने का कारण यह है की वे लोग धर्म परम्परा का निर्वहण करते है, तथा धार्मिक परम्पराओ के निरंतरता मे उनका काफी योगदान होता है। एक व्यक्ति पीडा मे हो तो पीडा पुरे समाज मे हर व्यक्ति मे सम्प्रेषित होती है तथा संवेदनशील व्यक्ति उस पीडा को दुर कर संतोष महसुस करता है, यह दुसरे प्रकार के दान का कारण है। दोनो प्रकार के दान का महत्व है। कारोबार वाली बात हजम नही होती।

Unknown said...

....... ब्राहमण की दृस्ती से दान उसी व्यक्ति को देना चाहिए जो शास्त्रो का अध्ययन करता हो एवम समाज मे धर्म की उन्नती मे सहायक बनता हो। दुखियारे की दृष्टी से जो दुखी है उसे राहत पहुंचानी चाहिए।

रश्मि प्रभा... said...

इस आड़ में जो भी हो,कुछेक को कम्बल मिल जाएँ,
यही बहुत है........

महेंद्र मिश्र.... said...

ये बोर्ड लगा है कम्बल का बेचने के उद्देश्य से यह व्यवसायिक रूप से लगाया गया है परन्तु मुझे यह देखकर खुशी होती है कि मेरे शहर में ऐसे भी दानदाता है जो कड़कती ठण्ड में गरीबो को कम्बल ढूंढ कर वितरित करते है . दान वास्तव में सुपात्र को यथासंभव देना चाहिए चाहे वह कोई भी हो .

रंजन (Ranjan) said...

ऐसा विज्ञापन अखबारों में भी देखा है..

Suresh Gupta said...

अभी कुछ दिन पहले पार्क में एक सज्जन बता रहे थे कि लोग अकसर कनाट प्लेस हनुमान मन्दिर में ग़रीबों को कम्बल बांटते हैं. कुछ को छोड़ कर यह गरीब लोग इन कम्बलों को बेच देते हैं और फ़िर वही कम्बल कोई और दान कर जाता है. अच्छा धन्धा है यह.

सागर मंथन... said...

गुस्ताखी माफ़ महादेव जी लेकिन धर्म और दान के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले भले ही आप न हो लेकिन ऐसे लोगो की कमी भी नही है... और रही बार किसे दान करना चाहिए और किसे नही तो इसका फ़ैसला दान करने वालो पर छोड़ दे तो बेहतर है...

Unknown said...

sahi baat hai lekin rahat mahsus karne wali mere khyal se nai.....kyunki amiro ke dharmik chohlo aur page 3 ke samaz sewa jaisa sab kuch hai saste aur kamchalau kambal batna