यह तस्वीर पटना के सोना मेडिकल की है। बेली रोड पर यह दुकान सालों से मौजूद है। दवा की दुकानदारी में भी मोलभाव होती है। ठीक ठीक अंदाज़ा नहीं था। इस बोर्ड को देख कर लगता है कि जो खरीद नहीं पाते होंगे वो कितनी कोशिश करते होंगे कि कुछ तो कम हो जाएं। मगर बोर्ड में एक चालाकी लगती है। इसमें किसी ग़रीब की तरफ इशारा नहीं लगता बल्कि किसी अमीर के बहाने किसी ग़रीब को खरीदारी का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
7 comments:
मेरी मम्मी का एक दवा पटना में सिर्फ सोना मेडिकल में ही मिलता है.. अब ऐसा क्यों, यह मुझे पता नहीं.. वैसे वो दवा महंगी है मगर बहुत ज्यादा नहीं..
लगता है बहुत फुरसत में हैं आजकल.. तभी तो एक के बाद एक पोस्ट ठेलते जा रहे हैं.. :)
acha laga.
प्रतिष्टित को तो बिना कहे डिस्काउंट दे देते होंगे यह मेडिकल वाले .
धीरू जी की बात गौर करने लायक है जी.
मोल भाव एक अप्रिय आदत है...लेकिन सिर्फ़ दूकानदार के लिए|:)
शायद प्रतिष्ठित को ही नहीं,बड़ी मात्रा में हर महीने दवा खरीदने वाले अपने नियमित ग्राहकों को कई केमिस्ट डिस्काउंट देते ही हैं। एक को तो मैं जानती हूँ,सब तो नहीं देते। स्वाभाविक है कि मैं डिस्काउंट देने वाले से ही खरीदना पसंद करती हूँ।
घुघूती बासूती
पर टीवी का विग्यापन कहता है ्मोल भाव करें...यों नहीं करू?
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