अरविंद केजरीवाल के उदय से और आम आदमी पार्टी के लोक सभा चुनाव में उतरने के एलान से अवधारणात्मक गणित में एफ नया फ़ैक्टर आ गया है । दिल्ली से संचालित मीडिया स्पेस में मोदी के बराबर अरविंद को जगह मिलने लगी है । बीजेपी हो सकता है कि अपना ध्यान क्षेत्रीय मीडिया स्पेस पर लगाये लेकिन अरविंद वहाँ भी पहुँच सकते हैं । इसलिए दोनों के लिए इस वक्त नया मीडिया स्पेस तलाशने से कोई फायदा नहीं है । स्पेस के लिहाज़ से अवधारणात्मक गणित बनाने का मंच राष्ट्रीय मीडिया ही है । अख़बारों के ज़िला संस्करण अवधारणा बनाने के सशक्त उपकरण नहीं हैं । वे भी राष्ट्रीय मीडिया के विस्तार हैं । उनकी भूमिका से इंकार नहीं कर रहा लेकिन ज़िला संस्करण भी भाषणों से राष्ट्रीय तत्वों का ही चयन करता है ।
विषयांतर करने की बुरी आदत है क्योंकि जिस वक्त जो बात दिमाग़ में आती है मैं उसी वक्त उसी जगह लिखता हूँ । क्रमश: लिखने का प्रयास नहीं करता । तो क्या आम आदमी पार्टी मोदी को चुनौती देगी । इसका सरल जवाब है । चुनौती तो देगी मगर दे नहीं पायेगी । कारण यह है कि अवधारणात्मक गणित में मोदी काफी आगे निकल चुके हैं । आप दिल्ली की तरह हर जगह कांग्रेस का ही विकल्प बनेगी । वह यूपी में सिर्फ मोदी से नहीं लड़ पायेगी । उसे अखिलेश यादव और मायावती से भी लड़ना होगा । दिल्ली में एक ही टारगेट था । आप को मिलने वाला हर वोट मोदी की जीत को पक्का करेगा ।दिल्ली के नतीजे यही बताते हैं । दिल्ली में बीजेपी भले नहीं जीत पाई मगर वो हारने से इसलिए बच गई क्योंकि मोदी ने बचा लिया । वर्ना आम आदमी पार्टी के सामने कांग्रेस की तरह बीजेपी भी पंद्रह बीस सीटों वाली बन कर रह जाती । दिल्ली के उदाहरण से बीजेपी को बौखलाना नहीं चाहिए । आप भले ही मोदी को निशाना बनाएगी क्योंकि पहले के लेख में भी कह चुका हूँ कि अवधारणात्मक ज़मीन पर मोदी ही नंबर वन हैं । वहाँ आप दूसरे या तीसरे नंबर के मनमोहन सिंह या कांग्रेस को टारगेट कर उसे लाभ नहीं मिलेगा । लेकिन क्या बीजेपी को भी आप को नम्बर वन टारगेट समझना चाहिए ? क्या बीजेपी आप को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम उठा सकेगी ? जीत के प्रति आश्वस्त होने के बावजूद ।
यह सही है कि आप की कामयाबी ने राजनीतिक चर्चा को बदल दिया है । यह भी सही है कि आप की टीम तीन सौ ज़िलों में मौजूद है । लेकिन वे तीन सौ ज़िले दिल्ली नहीं हैं । उनमें से कई ज़िले ज़रूर हो सकते हैं । कई शहर हो सकते हैं । दिल्ली में ही आप के लिए देश भर से वोलिंटियर काम करने आ गए थे । क्या आप यही रणनीति हर जगह पर दोहरा पाएगी ? इंडियन एक्सप्रेस में योगेंद्र यादव का इंटरव्यू दिलचस्प है । आख़िरी में योगेंद्र ने कहा है कि काश हम चुनाव आयोग सो कह पाते कि लोक सभा चुनाव एक साल को लिए टाल दीजिये ।
हाँ यह ज़रूर है कि आप ने अवधारणात्मक ज़मीन पर की जाने वाली गणित में मोदी का खेल बिगाड़ दिया है । मोदी पर अरविंद का हमला ज़्यादा आक्रामक और विश्वसनीय सा लगेगा । कांग्रेस आज दिल्ली में एंटी करप्शन यात्रा कर रही है । किसी चैनल पर यह फ़्लैश देखा है । यह महज़ नौटंकी है । आप की तरह रंग बदल कर कांग्रेस बीजेपी आप नहीं हो सकती । इससे लाभ आप को ही मिलेगा । लेकिन कांग्रेस से ज़्यादा फायदा बीजेपी को मिल सकता है । कांग्रेस जितना भ्रष्टाचार के विरोध को लेकर मुखर होगी आप की डुप्लीकेट लगेगी । इससे उसका वोटर आप में बँटेगा और कई शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की तरफ़ जायेगा । तो जैसा मैं कह रहा था कि अवधारणात्मक गणित में अरविंद को नंबर तो मिलेंगे क्योंकि जानकार दिल्ली की तरह छह सीटें देने की ग़लती दोबारा नहीं करेंगे । आप को इस बार ज़्यादा सीटें देंगे । जिसके कारण अरविंद मोदी की दावेदारी को अपने सवालों से अवधारणात्मक चुनौती देने लगेंगे । कुमार विश्वास का यह बयान तुकबंदी नहीं है कि अगर मोदी वैचारिक रूप से वंशवाद के इतने ही ख़िलाफ़ हैं तो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ क्यों नहीं लड़ते । यह चुनौती कांग्रेस या लेफ़्ट की तरफ़ से नहीं आ सकता । मोदी भले ही चुप हो जाएँ मगर पब्लिक को तर्क के लिए ही सही एक नया मसाला तो मिल ही गया ।
इसीलिए नरेंद्र मोदी के लिए आसान नहीं होगा कि वे आप को नज़रअंदाज़ करें । आप के खाते में गए लोग कांग्रेस और बीजेपी स़े निकले हुए हैं । मोदी ने शुरू से ही पहली बार मतदाता बने युवाओं को ज़्यादा टारगेट किया है और उनमें अपनी पकड़ ज़रूर बनाई है । मोदी ने उन्हें इसलिए टारगेट किया कि ये नए लोग हैं । इनकी निष्ठाएँ नईं हैं । यो बीजेपी की कमज़ोरियों से कम वास्ता रखते हैं । इसलिए नेतृत्व की मज़बूत दावेदारी को फिर से उभारा गया जिसे दो दो बार आडवाणी जी सामने लाकर कमज़ोर मनमोहन से हार गए । मोदी ने इस पिटे हुए फ़ार्मूले को युवाओं के बीच ले जाकर लोकप्रिय बना दिया । अब अरविंद के आने से पहली बार मतदाता बने युवाओं के बीच मोदी और अरविंद में ज़बरदस्त प्रतिस्पर्धा होने जा रही है । पार्टियों की निगाह में यह पहली बार मतदाता ज़्यादातर शहरी और पब्लिक स्कूल वाला है । इनके बीच से एक वोटर का भी मोदी से अरविंद की ओर जाना नुक़सान तो होगा ही । फिर भी यह बात अवधारणात्मक स्तर पर ही ज़्यादा प्रबल लगती है । वास्तविक गणित के धरातल पर कमज़ोर ।
अगर टीवी और सोशल मीडिया को यह श्रेय दिया जा रहा है कि आप इनकी पैदाइश है तो यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी काल्पनिक मीडिया के असर के कारण बीजेपी में मोदी की दावेदारी प्रखर हुई थी । मोदी की टीम ने भी इसे काफी प्रचारित किया था कि टीवी वालों को टीआरपी आती है इसलिए मोदी को दिखाते हैं क्योंकि मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं । इस तरह की बातें बीजेपी के कई नेताओं ने डिबेट शो में कहीं हैं । वे यह भूल गए कि टीवी को सनसनी, स्पीड न्यूज़ और क्रिकेट से भी टीआरपी मिलती है । अरविंद के कारण भी मिल रही होगी ! इसलिए अब इस चरण पर आकर आप मीडिया के प्रभाव( विवादास्पद) को ख़ारिज नहीं कर सकते ।
ज़ाहिर है मोदी आगे हैं । उनके पास संगठन है । आप के पास वोलिंटियर की ताक़त तो है मगर हर जगह समान सघनता नहीं है । लेकिन जिस तरह से कई जगहों पर लोग आप की तरफ़ देख रहे हैं ,बीजेपी आगे होते हुए भी इस नए फ़ैक्टर को अनदेखा नहीं कर सकती हैं । शहरीकरण के प्रसार को मोदी की कामयाबी से जोड़ा जा रहा था । इसमें एक और दावेदार आ गया है जो नया और आकर्षक है । दिल्ली की सात सीटों के अलावा आस पास की कुछ सीटों पर आप की मौजूदगी दस बीस तो हो ही जाती है । आगरा, कानपुर, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, पुणे, फ़रीदाबाद, गुड़गाँव, भिवानी, बंगलुरू जैसी सीटें । क्या बीजेपी ऐसी पंद्रह सीटों को अनदेखा करने का जोखिम उठा सकती है ? हाँ अगर गडकरी अरविंद पर हमला करते हैं तो ज़रूर फ़ायदा आप को होगा । देखते हैं नरेंद्र मोदी कब तक आप या अरविंद को नज़रअंदाज़ करते हैं । मोदी के लिए मिशन 272 के लिए एक एक सीट ज़रूरी है । पहले तो उन्हें वाजपेयी के 186 सीटों का रिकार्ड तोड़ना है फिर मनमोहन सिंह से बड़ा नेता (२००९ के अनुसार) बनने के लिए 206 से ज़्यादा सीटें लानी हैं । इसलिए वास्तविक गणित का वक्त आने से पहले अवधारणात्मक गणित की कापी पर काट पीट और बढ़ जाएगी ।
47 comments:
good one..aapne do baar ye blog post kar dia hai..please check
यह नहीं भूलना चाहिए कि मोदी आज जिस कांग्रेस विरोधी लहर पर सवार हैं उसका जन्म इंडिया अगेंस्ट करप्सन के आंदोलन की वजह से हुआ है. और यह भी याद रखने की चीज है कि वह आंदोलन कुछ ही दिनों में पूरे देश में फ़ैल गया था. भाजपा और मोदी ने उस लहर को क्रिएट नहीं किया है बस मौकापरस्ती दिखाते हुए उसकी सवारी की है. लोगों को अगर लगा कि आप वाले सरकार बना भी सकते हैं तो वे ही लोगों की पहली पसंद होंगे। अगर मोदी फेनोमिना एक साल में राष्ट्रव्यापी हो सकता है तो आप का भी आधा काम ही बचा है. :)
Kuch bhi ho mukabla dilchsp hoga nmo ab app ko ignor nahi kar sakty
Kuch bhi ho mukabla dilchsp hoga nmo ab app ko ignor nahi kar sakty
Ravishji, इतना लिख पाने के लिए क्षेत्र में सक्रिय अनुभव जरुरी है. पिछले कई दिनों से मोदीवाले मेरे मित्र मुझे केजरीवाला होने का आरोप लगा रहे हैं जबकि मैं उन्हें सिर्फ सचेत कर रहा हूँ. कोई सुनने को तैयार नहीं। सब मुझे ही अब B टीम का प्रवक्ता बनाने पर तुले हैं. आपका ये पोस्ट मैंने आपकी बिना इजाजत के उन सब मोदीवालों को भेजा है क्योंकि आपने वो सब लिखा है जो मैंने कभी तो सोचा है. @akhilesh1
Bhai Gumnam.Aise Blog do baar nah so bar post karne se vi utni hi baar padhne ka dil karta hai.
Taajjub hai aap ko post me sirf yahi dikha ki do baar post ho gaya.
Arvind->Bhiwani->Siwani par us chhetra ki ek loko-ukti yaad aa gayee."HUM SIWANI KE BANS (BAMBOO) HAIN TOOT BHALE JAYE JHOOK NAHI SAKTE"
Bhai Gumnam.Aise Blog do baar nah so bar post karne se vi utni hi baar padhne ka dil karta hai.
Taajjub hai aap ko post me sirf yahi dikha ki do baar post ho gaya.
लगातार तीन ब्लॉग मिल गए। आपके ब्लॉग की आदत सी हो गई है। राहुल को जगाने और मोदी को समझाने के लिए आप की तरह खरी - खरी कहने वालों की सख्त जरुरत है। शुभकामनाये।
अभी प्याज से कितने छिलके उतरेंगे? अभी कितने और लोग नंगे होंगे.? वोटों की भूख ना जाने किस किसको, किस किसके तलवे चाटने को मजबूर करेगी? अभी आप का यह नारियल भले ही सख्त दिख रहा हो, जिस दिन चटकेगा उस दिन मुलायम नारियल असली रूप में आयेगा. में कभी से कह रहा हूँ, इतना उतावले होकर झाड़ू मत पकड़ो, अगर पकड़ो तो अपने दिल दिमाग की गलतफहमी साफ करना, दिल की सुनो और दिमाग से काम लो. एक चुनाव तो आपने खराब कर दिये, पर कोई बात नहीं जल्दी अवसर मिलेगा. दिमाग से काम लेना, कोई दिक्कत आये अन्ना के पूर्व सहयोगी राजू परुलेकर का आज का ट्वीट जरूर पढ लेना. अगर यह ट्वीट गलत है और मात्र दुष्प्रचार है तो कसम है आप वालों उस पर मानहानि का मुकदमा जरूर करना, अगर सही है ...........? टीवी चनालों पर चल रही यह खबर .
सटीक आकलन किया भाई साहब !
रवीश भाई, एक बात और वो AAP के कारण कुछ लोगो का राजनीति मे रूचि, ये ऐसे लोग है जो पहले राजनीति से नफरत करते थे, कार्यकर्ता बनना तो दूर, वोट भी नहीं देते थे। जैसा मैं याद कर रहा हूँ दिल्ली मैं NOTA सबसे कम था। अगर अर्थशास्त्र कि भाषा मे बोले तो ये पुराने बाज़ार से ही हिस्सा नहीं ले रहे बल्कि नए बाज़ार भी बना रहे है। ये प्रजातंत्र के लिए बहुत सही संकेत है।
पुलिस वाले को 1 करोड़ का मुआवजा देगी AAP, आपके चैनल NDTV पर सुनी है ये खबर |
666लीटर पानी मुफ्त दिया जाएगा , बिजली के दाम 50% घटा दिए जायेंगे, आपको क्या लगता है ,ये वादा पूर्ती है ?
नहीं ये अभिलाषा पूर्ती है , ये मौकापरस्ती है , की जनता को सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब दिखती है , अगर उसकी जेब पे बोज़ नहीं पड़ेगा तो उसको देश की वित्तीय हालत से कोई लेना देना नहीं है , वो तो बटन दबा देगी AAP को |
अरविन्द ने कहा था ,हम वाडे पूरे करेंगे ,पर वो वाडे सिस्टम को ठीक करके करेंगे , लेकिन हम देख सकते हैं , की सिस्टम की बात चोर दूर छोड़ दी गई है , सरकारी पैसे का इस्तेमाल करके वाडे पूरे किये जा रहे हैं ,ताकि अगला इलेक्शन हुआ दिल्ली में तो लोगों को लगे करके तो दिखा दिया एन लोगों ने ,साथ ही साथ media वाले खूब तारीफ़ करेंगे अरविन्द ने कर दिखाया ,ये देश में भी कर देगा | लोक सभा का रास्ता पक्का |
अभय दुबे जी ने आपके चैनल पर सही कहा था ,ये पार्टी कहीं पर भी जीत सकती है , और जीतेगी क्यं नहीं , जब आपके दामन पर कोई दाग न हो ,आप वाडे कैसे भी करके पूरे कर दे , और आपकी पार्टी की विचारधारा सर्वमान्य हो , तो आपको कोई भी वोट करेगा ही , जो राष्ट्रीय पार्टी हैं , उकनी साक गिर चुकी है ,लोग सोच रहे हैं ,अरविन्द आया तो सारा भ्रष्टाचार एक दम से ख़तम हो जाएगा ,
लेकिन सर अगर ऐसा होता तो , जय प्रकाश नारायण , लाला बहादुर शास्त्री जैसे लोग कम नहीं थे |
AAP लोगों में ये भरना चाहती है की हम हर चीज़ का इलाज़ हैं | पर अगर एक व्यक्ति ही सब कुछ कर लेता ,तो अनेक महापुरुषों की ज्ज़रुरत नहीं पड़ती |
AAP का साथ देने कम्युनिस्ट पार्टी,छोटे छोटे दल सब ने तीसरे मोर्चे के लिए हाथ बड़ा दिया है | क्या AAP सिर्फ कांग्रेस और भाजपा को भ्रष्ट मानती है , और बाकी लोगों को पाक साफ़ ?
media वाले पूछते हैं ,की मोदी की विज़न क्या है , आज के फैसले से में पूछता हूँ आप का विज़न क्या है , सर सच्चाई तो ये है ,की किसी का कोई विज़न नहीं है , सब कुछ अनुभव है ,अगर अरविन्द को है तो मोदी को भी | अरविन्द आई ऐ अस अफसर रहे हैं ,इसलिए उनको सिस्टम समाज आता है ,उनको अगर सब कुछ आता तो योगेन्द्र यादव ,प्रशांत भूषन की ज़रूरत नहीं पड़ती |
अरविन्द अगर चाहते हैं , की आई ऐ अस अफसर AAP को ज्वाइन करें ,पर वो तो पहले से होता आ रहा है ,हर पार्टी में हैं , एक से एक पड़े लिखे लोग , रही बात इमानदारी की तो वो तो निजी हालत पर निर्भर करता है , अरविन्द जी आप तो ईमान दर हैं ,पर सब की इमानदारी की गारंटी आप क्यं ले रहे हो |
AAP के कहने का मतलब क्या है , PM एक आईएस ऑफिसर को होना चाहिए ?
नहीं सर समझदार,बुलंद हौसले वाला,नेता,फैसले करने वाला ,दबंग,नम्र व्यक्ति चाहे वो आईएस ऑफिसर न हो वो भी PM हो सकता है |
AAP का अपने अलावा दुसरे हर आदमी को भ्रष्ट समझना गलत है , क्या पता एक ईमानदार व्यक्ति जिसको आपके सिद्धांतों से परहेज़ हो वेह भी इमानदार हो ,वो दूसरी पार्टी में भी हो सकते हैं , दोनों में हैं , कांग्रेस भाजपा दोनों में |
AAP अपनी अहेत्व्कानक्षा चोर दीजिये अरविन्द जी , एक काम तो सही से करिए ,कुछ तो टाइम लीजिये ,या PM की जल्दी है , अमेरिका में भी प्रेसिडेंट सेना के व्यक्ति से लेकर एक लैंप में पड़ने वाला व्यक्ति रहा है , 47 साल उम्र है आपकी कुछ तो सब्र करिए ,आपका भी नंबर आएगा , कृपया कर किसी दल का साथ मत दीजियेगा ,आपसे रिक्वेस्ट है |
कहीं आप ऐसा ही समर्थन लोक सभा में भी ले लें कांग्रेस से ,या फिर तीसरे मोर्चे से ,फिर न कहियेगा की लोग फलां फलां कहते हैं |
AAP का मकसद मोदी को रोकना है ,बस और कुछ नहीं | यही media के बॉस चाहते हैं , कांग्रेस और कम्युनिस्ट विचारधारा वाले लोग भी,
कितना डरते हैं लोग , की भारत के 65 MP ओबामा को चिट्टी लिख के बोलते हैं की वीसा मत दो ,कम्युनिस्ट विचारधारा के लोग ,विदेशी यूनिवर्सिटी पर विचारधारा का दवाब डालते हैं ,और बजती करने का कोई मौका नहीं छोड़ते |
ये डर,बौखलाहट नहीं तो क्या है ?
सर IBN,NDTV इंग्लिश को देख के हर कोई पता लगा लेता है , और वैसे भी अब आप लोगों की धुलाई के लिए बहुत से अनजान लोग आप media वालों पर निगरानी रखते हैं , news लांड्री की मधु तेहरान ने नहुत अच काम किया है , mediacrooks.com ने भी ,
देश की राजनेति कैसे चलती है ,खूब समाज आ गया है , अब लोग media की बातों पर यकीन न करके सोशल media और अलग अलग जगह से कन्फर्म करते हैं |
खुशी है की आपकी पत्रकारिता अभी भी अची और स्वाच है , पर में आपको भी शक की नज़र से देखने से नहीं चूकता ,क्या करें सर टाइम ही कुछ ऐसा आ गया है , देखना पड़ता है,इमानदारी सब के दिल में होती है,पर परिस्थिति पर एक बुरा व्यक्ति जो हमारे अन्दर रहता है ,वह जग जाता है |
अच्छा लिखते हैं सर, इतना भी शक न कीजिये हम पर , फेन हैं हम आपके | मुस्कुराते रहिये इसी तरह |
हरे कृष्ण |
सब्सिडी दे कर किया को क्या किआ ,ये तो कोई भी कर सकता है , शीला भी कर सकती थी , पर वो जानती थी ,की 5 साल की सरकार पर बोझ आ जाएगा ,कोई फायेदा नहीं है |
Achha likhte hain sir g,aur achhi soch v hai apki
डील काँग्रेस और आप
पार्टी मे हुई या काँग्रेस और
अन्ना पार्टी में ???
जिस तरह से संसद मे लोकपाल पास
होने पर राजनीतिक पार्टियों ने और
अन्ना ने खुशी मनायी , शक होता है
अब की बार वो होगा जो आज तक नहीं हुआ
अब की बार वो होगा जो आज तक नहीं हुआ
Arvind Kejriwal beshak ek kabil aur imandaar insaan hain magar pure rashtra ki baagdor unke haath mein dena abhi sahi nahi lagta. Modi ne ek model ko 'Tried and Tested' ki shreni mein already daal diya hai aur ab achanak usse chhod kar AK ko chun lena saidhdhantic taur par sahi nahi lagta. AK ki team bhi choti hai aur maane ya na maane, humein abhi to unke rashtriya aur antar-rashtriya muddon par vichar bhi nahi pata. Mana ki kaam to beaurocrats hi karte hain magar wo kaam karte to wahi hain na jiski unhe ijaazat milti hai, aur ijaazat milti hai planning ke hisaab se. To planning kya hai AK ki, yeh nahi pata humein. Humein nahi pata ki AK Open ya semi-open economy mein vishwas karte hain ya closed, unka China ka humein kharab maal ke liye dumping ground bana dena ke baare mein kya soch hai, America ki parwah kiye bina agar nuclear power bannne ki zarurat pade to wo kya karenge, Pakistan ke terrorism ko kaise handle karenge? Aur aise kai sawal hain jinka humein pata hona chaiye.
रवीश भाई,
आप ने आज वह बात छेड़ ही दी, जिस की उमीद मैं किसी मजे हुए पञकार से कर रहा था. हालांकि पिछले कई दिनों से समाचार जगत में यह बात टहल रही थी.
देखा जाए तो इस में न तो कोई हैरानी की बात है, न कोई बुराई.
न ही आपका गणित गलत है, न ही दूबे जी के कथन को काटा जा सकता है.
मेरे खयाल से अरविंद की तुलना ऐसे सथापित पाटी के नेताओं से करनी ही नहीं चाहिए.
बलिक मैं तो कहूंगा अरविंद वतृमान संदभँ में राजनीति कर ही नहीं रहे, वे समाज सुधार या वयापक अथों में कहें तो देश सुधार का प्रयास माञ कर रहे हैं. सफल होंगे, ऐसा लगता है.
पर रवीश भाई, अरविंद के मामले में कोई कयास लगा पाना मुशि्कल ही नहीं, नामुमकिन है. उनकी आज तक की कार्यशैली से कम से कम मुझे तो ऐसा ही लगता है.
हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि यदि आज की तारीख में देश के किसी भी नेता को कोई टक्कर दे सकता है, तो वह है, अरविंद केजरीवाल. क्योंकि उन के पास गुमान नहीं, ईमान है.
लोक सभा का गणित भी बैठेगा, बल्कि जबर्दस्त बैठेगा. हर कयास से सर्वथा अलग और अदभुत.
समय भी है और गणित भी रहेगा. हमें परिणाम की प्रतीक्छा करनी होगी. सकारात्मक सोच रखता हूं, इसलिए सोचता यही हूं कि जो भी होगा अच्छा ही होगा. आप का धन्यवाद.
Ravish Ji, I logged into Twitter after a long time and found that you are not using it anymore. If this is true, please suggest a mode where we can be in touch with you regarding prime time and humlog.
Thanks.
Ashutosh Wadhwa
आदरणीय सर , बहुत बढ़िया व टॉप का ब्लॉग आपका है , सर कल ३१-१२-२०१३ को आपके ब्लॉग का लिंक मै अपने ब्लॉग पोस्ट पे दे रहा हूँ , कृपया पधारने की कृपा करें , धन्यवाद
I.A.S.I.H top 2013 ( टॉप १० हिंदी ब्लोगेर्स , हिंदी सोंग्स , टॉप वालपेपर्स , टॉप १० फ्री pc softwares वेबसाइट लिंक्स ) और ?
Ravish, In the blog you have mentioned about AAP getting seats in Bengaluru. I am from Blore, hence presenting some facts.
Currently Blore has a large IT population from various states which might provide a significant amount of funding for AAP's campaign but most of these people are not on the voter list and even if they are, they rarely vote. Their responsibility ends at writing cheques - online money transfer to be precise.
Of the 28 Lok Sabha seats in Karnataka, Blore has only 4 (North, Central, South and Rural). One can straight away rule out AAP in Blore Rural. South is BJP strong hold with a large loyal middle class voting for BJP since 1991, who idolise Modi. For the other 2 seats, even though it appears that AAP has made its presence felt, will it have any chance if Congress fields honest candidates like Nandan Nilekani.
Whether AAP still has a chance in Blore, only time will tell.
kuch comments to apke blog se bhi jyada lamben hain.mudde ki baat ye ki APP se dono dalon me dar to paida hua hain anyatha yeh to Janta ki izzat bakhoobi karte hain.nahi malum mujhe ki AAP ka prayog kitna safal hoga kintu yeh nischit aur akatya hain ki hum jaise Batakh trast hain. vyavastha me astha kam hain ,vikalp ko kojenge heen.
Khair agar AAP ne 25 LS seats bhi jeet liye to badlav to ayega heen.
yeh yug to krantiyon ka nahin lagta,han lekin parivartan ki meethi bayaren chal padi hain
sir mere personal opinion hai ki abhi philhaal to AAP se narendra modi ko darne ki jarurat nahi hai.delhi me mamla dusra tha yahan BJP kamjor thi,ye to sabhi maante hain warna BJP piche chunav me bhi haari thi congress se, aur us waqt bhi logon ka congress ke prati gussa tha
ab sawaal ye hai ki arvind kahan-kahan safal ho sakte hain-mere hisaab se wahan to jarur safal honge jahan logon ke pass koi bhi wikalp naa bacha ho.
itni jaldi pure desh ki rajneeti ko badalna aasan nahi hoga aur yogendra yadav ji ne thik kaha ki agar loksabha chunav ek saal baad hote aur isi tarah AAP ka vishwaas logon me kaayam rehta to jarur rajnitik majra 100% abhi se alag hota
plus rajneeti me aane ke baad sab log har party ko lagbhag ek hi nazar se dekhte hain ,AAP ko sabse pehle is chavi ko logon ke aakhon se haatana hai aur apne sangathan ko aur majboot karne ki jarurat hai.
sir mere personal opinion hai ki abhi philhaal to AAP se narendra modi ko darne ki jarurat nahi hai.delhi me mamla dusra tha yahan BJP kamjor thi,ye to sabhi maante hain warna BJP piche chunav me bhi haari thi congress se, aur us waqt bhi logon ka congress ke prati gussa tha
ab sawaal ye hai ki arvind kahan-kahan safal ho sakte hain-mere hisaab se wahan to jarur safal honge jahan logon ke pass koi bhi wikalp naa bacha ho.
itni jaldi pure desh ki rajneeti ko badalna aasan nahi hoga aur yogendra yadav ji ne thik kaha ki agar loksabha chunav ek saal baad hote aur isi tarah AAP ka vishwaas logon me kaayam rehta to jarur rajnitik majra 100% abhi se alag hota
plus rajneeti me aane ke baad sab log har party ko lagbhag ek hi nazar se dekhte hain ,AAP ko sabse pehle is chavi ko logon ke aakhon se haatana hai aur apne sangathan ko aur majboot karne ki jarurat hai.
गजब.
गजब.
Sir,
Modi banam Arvind,
Main to ye soch kar hi khush hoon ki 8/12/2013 se pahle kya kisi ne sapne mein bhi socha tha ki aisa ho sakta hai. Modi ji ko jo samarthan yuva logon se mil raha hai wo us aandolan ki wajah se hai jise Arvind Kejriwal ne Anna ji ke saath khada kiya tha. Kyunki Anna ji rajniti mein nahin aana chahte the isliye wo saare samarthak (yuva aur janta) jo us aandolan ki wajah se congress ko sabak sikhana chahte the wo koi aur vikalp na hone ke karan Modi ji taraf dekhne lage. Lekin ab stithiyan badal chuki hain. Agar AAP 300 seats per LS mein lade aur 50 ka aankda paar kar le to... Ek aakhiri baat ab Mulayam Singh, Mamta Banarjee, Naveen patnayak, Mayawati, Nitish Kumar jaisi ksetriya partiyon ke wo samarthak jo LS mein congress ko vote karte the securasism ke kathit samarthak hone ke karan wo bhi ab AAP ki taraf dekhenge aur iska sabse bada nuksaan Mulayam Singh ko hoga aur shayad unka career daavn per na lag jaaye.
रवीश जी को प्रणाम।
आप बहुत अच्छा लिखते हैं कहने की आवश्यक्ता नहीं। पर मेरा मानना है कि aap उन 1.12%सीटों पर भी बेअसर रहने वाली है। बशर्ते पार्टी B, aap या aap के नेताओं पर आरोपों से बचती है।
तर्क साफ है पार्टी c ने नमो को जितना घेरने की कोशिश की वो उतने ही सबल हुए। ये बात तो आज नेताजी भी मान गए। आप कुछ भी कहे मानते तो आपभी हैं।
प्रिय रवीश भाई,
नया वर्ष आ गया पर आपका कोई नया ब्लाग नहीं, और कोई माध्यम है
नहीं, मजबूरन इसी ब्लाग पर...
आपको सपरिवार नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.
ईश्वर आपको शक्ति दे, दीर्घायु करे.
धन्यवाद.
रवीश जी, Aapke tark kafi hadd tak theek lagte hain... Congress ke samne log Modi aur sirf Modi ko hi vikalp mante the. Lekin Arvind aur AAP ki lokpriyata jis tezi ke saath bad rahi hai uske aage Modi tik nahi payenge. Modi mein logo ki aastha hai lekin woh aastha tezi se badal rahi hai. Arvind ko Delhi ka charge de ke Congress ne bahut badi galti ki hai ya kah sakte hain ki ye Congress ka masterstroke hai BJP ko rokne ke liye bhale hi is chaal se congress ki safai ho jaye. Arvind Delhi mein ghanti bajayenge aur uski goonj poore desh mein sunai degi. Arvind ki sarkar Delhi ko jitni tezi se badlegi utni hi teji se Modi ke floating supporters Arvind ki taraf aakarshit honge aur use apnayenge. Modi apne 15 saal ke shashan ke example dega aur Arvind apne 6 mahine ke shashan ki baat bhi nahi karega fir bhi logon ke kaanon mein uske kaam ki goonj din raat hoti rahegi. Yakeen maniye, aaj ke is Internet Facebook aur twitter ke yug mein logo ki mantayen bhi usi tezi ke saath badalti hai jis tezi se patzad ke baad jungle mein aag lagti hai... halanki mein perceptional maths ki baat kar raha hoon..lekin isko haquequat banne mein koi 3-4 mahine se jyada ka waqt nahi lagega... Delhi mein Modi ke alawa BJP ko is baat ka bhi fayda mil gaya ki kafi logon ko AAP pe yakin nahi tha ki woh jeet jayenge..lekin is baar log woh galti nahi karenge..aur han Delhi mein jis tarah se Arvind tawadtod kaam kar rahe hai aur har din breaking news ban rahe hain mujhe aisa lagta hai ki Lok sabha mein BJP aur Congress dono ki Delhi se safai pakki hai...aap agar AAP ko join kar lete hain to ek seat aur bad jayegi..
I liked your comments very much on TV and on blog.Keep writing but also highlight shortcoming of AAP party to improve this party.
After such a long time now we have Arvind as a leader not politician and we want he should be polished with the time to take right decision with correct timing.
modiraaj to aana hi hai ...aam admi party ke aane se ye huaa hai ki ab chunaw modi banam kejriwal hota dikh raha hai...ab to samay hi batayega..
mere blog par bhi aayie ..aapka swagat hai..
http://iwillrocknow.blogspot.in/
रवीश दा
अब जब मोदी बनाम अरविन्द वाली बात आ ही गयी है तो एक १० मिनट का कार्यक्रम इस पर भी रख दीजिये कि मोदी ने अपने कितने चुनावी वायदे पूरे किये।
एक तो मैं ही बता देता हूँ, दस लाख घर बनवाने का वायदा किया था, कितने बनाये पता नहीं।
जरा इस कि भी पड़ताल हो जाए।
जनता हूँ कि मोदी ब्रिगेड आप को बहुत गरियागी, पर इसकी चिंता न आप को है न आप के कदरदानों को।
ap log kuch bhi bolo ...ab desh badlega....
The great poet Muktibodh says in a poem "aap is politics kya hai partner". it is for the longest comment above in hindi.
fascists see all other views as irrelevant but his / her own. in one of ravish's program abt 3 months back i heard one person saying, "today patriotism is voting for aaaaaaaa aaaa", can anything get more fascist than this !
Ravish ji.
Pahle to mai saaf kar dena chahta hun ki modi ji aur kejriwal ji dono insan .modi ji ko bahut mooka mila hain.kaam bhi achcha kiyen hain.arvind ji ko first time mooka mila hai inko bhi janta pahchan legi.phir dil aur dimag jo kahega janta wahi karegi."jai hind"
रवीशजी, क्रिकेट हो या राजनीति Timing बहुत इंपॉर्टेंट होती है। आपके ब्लॉग मे आपने जिस गणित की चर्चा की है उसका सही आकलन अभी नहीं किंतु थोड़े समय बाद ही हो पायेगा| दिल्ली की राजनीति मे अरविंद केजरीवाल को जो जगह मिली उसका अध्ययन यहीं बताता है की ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों मे उनकी स्वीकारिता ज्यादा रही| अब केजरीवाल के हाथों मे दिल्ली की सत्ता है तो उनकी आगे की कामयाबी बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगी की उनकी कामकाज कैसा रहता है| उन्हे थोड़े समय मे ही कुछ ऐसा कर दिखाना होगा जो आज तक कभी नहीं हुआ है क्योंकि अब उनके पास इल्ज़ाम लगाने या चोर कहने के लिये कोई नहीं है| केजरीवाल के सामने बहुत बड़ी चुनौती ये है की उनके पास समय काम है और काम ज्यादा| थोड़े समय मे उन्हे ये दिखाना है की वो एक इमानदार और कुशल नेतृत्व करने मे सक्षम है | Media बहुत नजदीक से उनके काम की समीक्षा करेगी और यहीं समीक्षा शहरी मतदाताओ के रुझान को प्रभावित करेगा| अगर मीडीया उन्हे सर आँखों पे बिठा सकती है तो कल ज़मीन पर भी गिरा सकती है जो AAP की इमेज के लिये बहुत हानिकारक होगा| लोकसभा के चुनाव मे मोदी पे हमला करना या BJP पे हमला करना लाभदायक नहीं होगा क्योंकि सेंटर मे BJP की सरकार 10 सालों से नहीं है और मोदी का गुजरात डेवेलपमेंट मॉडेल वैसे भी चर्चा मे रहा है| इसके साथ साथ लोकसभा के चुनाव मे वे सिर्फ corruption को लेकर नहीं जा सकते हैं क्योंकि मनमोहन सरकार की जो आलोचना है वो corruption के साथ साथ गलत आर्थिक नीति, विदेश नीति आदि बहुत सारे मुद्दों पर हो रही हैं| इन मुद्दों पे AAP की रणनीति क्या है किसी को नहीं पता है| आगे का सफर AAP के लिये इतना आसान नहीं होगा| एक और बात जो AAP के लिये चिंता का कारण हो सकता है की बहुत ज्यादा हाइ प्रोफाइल लोगों के जुड़ने के कारण कहीं आम आदमी इस से दूरी ना महसूस करने लगे| अभी हाल मे ही हमने देखन की कई कंपनी के CEO आदि AAP से जुड़ रहे हैं और ये लेटेस्ट फॅशन बनता जा रहा है| कहीं ऐसा ना हो की इस AAP की तेज़ प्रवाह मे ये सारे कारण बाँध का रूप धारण कर ले और AAP की प्रवाह खतम हो जाये।
कुछ तो है जो गलत है।
किसी राजनेता की तथ्योँ पर आलोचना करना आपको पाकिस्तानी कैसे बना देता है?
क्युँ आप देशद्रोही तक करार दे दिए जाते है जब आप किसी राजनेता की धर्मनिर्पेक्षता की समिक्षा करते है।
आपको प्रतिद्वँदी पार्टी के एजेटं या दलाल जैसी उपाधियो से सुशोभित किया जाता है क्युँकि आप एक राजनेता की प्रशाशनिक क्षमता पर सवाल उठाते है।
प्रश्न तो ये उठता है कि क्या हमारी सहनशीनता और शालीनता का स्तर इतना गिर चुका हैँ, अगर हाँ तो ये गलत है और अगर नहीँ तो फिर निश्चित ही हमारे अदंर इस राजनेता को लेकर एक अपराधबोध व डर है जिसको हम इस तरह की भाषा के उपयोग से सही बनाने का असफल प्रयास करते है।
क्युँकि अन्धभक्ति कोई इनसान नही करता मित्रो, वो गुण ईश्वर ने सिर्फ गाय बैल और भेड जैसे प्राणियो को दिया है।
Well said
सच है Newton बाबा ऐसे ही नहीं कह गए "An object either is at rest or moves at a constant velocity, unless acted upon by an external force." याद है वो समय जब लड़की को स्कूल पढ़ने भेजना भी गलत समझा जाता था..2 कक्षा तक पढ़ ली.. और नही जी.. 5 तक तो बहुत हो गया जी..अपना नाम लिखना आ गया बहुत हो गया... 10...12...कॉलेज ...अरे क्या कलेक्टर बनाना है इसको.. चुला चौका ही तो करना है.. मुझे याद है 18 - 20 साल पहले एक औरत के लिए नौकरी पर निकलना ही उसके लिए कितनी बड़ी humiliation कि प्रक्रिया होती थी...लेकिन क्या हुआ.. समाज बदला कि नहीं.. यह हमारे समाज का यूनिवर्सल truth है कि जब भी किसी नयी प्रक्रिया कि शुरआत होती है. किसी अच्छे काम कि शुरआत होती है.. उसका बहुत परिहास होता है.. मजाक उड़ाया जाता है.. हम उस व्यक्ति या प्रक्रिया का मजाक बिना किसी खास परेशानी के उड़ा सकते है, जो इस गंदे सिस्टम (जिसमे कि अभी और जंग लगने कि जगह भी नहीं बची है) को ठीक करने कि बात कह रहा है... हमारी पहली कोशिश यही रहेगी कि हम उस व्यक्ति को भी हमारे जैसा गन्दा साबित कर दे.. क्योंकि हम अच्छे नहीं हो सकते... अगर हमारे समाज के इन orthodox लोगों का बस चलता तो हम आज भी अपने माँ-बहनों को विधवा होने पर "सती" के नाम पर जला रहे होते...मेरी इतनी औकात नहीं.. लेकिन शायद आने वाला कल बता सके मैं सही हूँ या नहीं...
Sudhansuji ek dam correct kaha,
Gujarat ki avadasha ki bhi bat honi chahiye
Baki bina security Aravidji ka Hal sayad haren padya jesha na ho.
Aap ka blog padh k motivation milta hai . Mere office me hindi bolne pe log yese react karte hain jaise ki Banaras k ghat pe ek videsh Hindi bol raha ho.....
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