इसलिए कि बीजेपी ने मोदी के रूप में अपना उम्मीदवार सबसे पहले उतार दिया था । मोदी को भाव न देने के चक्कर में कांग्रेस ने कहना शुरू कर दिया था कि हम पार्टी के रूप में चुनाव लड़ते हैं । तब कांग्रेसी डरते थे कि राहुल गांधी का नाम लेंगे तो मोदी से सीधा मुक़ाबला होगा और इससे बचना चाहिए । मगर चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जो गत हुई उससे पार्टी ने अपनी लाइन बदल दी । नतीजों के दिन ही सोनिया गांधी ने कह दिया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री का उम्मीदवार देंगे । इसीलिए सत्रह जनवरी को कांग्रेस जयपुर की तरह बैठक करने वाली है । जिस तरह से राहुल सक्रिय हुए हैं उससे तय लगता है कि राहुल गांधी उम्मीदवार होंगे ।
तो दो उम्मीदवार तय हैं । राहुल नहीं भी हों तब भी कांग्रेस किसी का नाम तो तय ही करेगी । आज जब नरेंद्र मोदी का ब्लाग आया तो तुरंत सूचना फ़्लैश होने लगी कि राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस करेंगे । मोदी और उनके समर्थकों ने राहुल पर चुप रहने या मीडिया से बात न करने का आरोप लगाया था । तब अंग्रेज़ी के कई बड़े पत्रकारों ने भी अख़बारों में लिखा था कि राहुल सोनिया मीडिया से बात क्यों करते हैं । मोदी जब से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार हुए हैं मीडिया के किसी हिस्से से बात नहीं की है । चंद विदेशी एजेंसियों को ज़रूर इंटरव्यू दिया है मगर बहस के लिए सबको ललकारने वाले मोदी ने कभी इंटरव्यू नहीं दिया या प्रेस कांफ्रेंस नहीं किया । िबहार धमाके के बाद ज़रूर मीडिया के कैमरे के सामने आए मगर सवाल जवाब का मौक़ा नहीं दिया । सद्भावना यात्रा के दौरान मोदी ने ज़रूर बस में इंटरव्यू दिया था । राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस करने लगे हैं । राहुल के आलोचकों की जीत हुई है । उधर अदालत ने गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका को साबित करने के लिए कोई सबूत न मिलने की एस आई टी रिपोर्ट पर मुहर लगा कर मोदी को बड़ा राजनीतिक बल प्रदान किया है । इससे मोदी को अपने नाम के कारण गठबंधन बनाने में हो रही दिक़्क़तें भी दूर हो जायेंगी । वैसे इस फ़ैसले से पहले ही चंद्राबाबू नायडू, जगमोहन रेड्डी चौटाला येदियुरप्पा ( अलग से) मिलने लगे थे । जयललिता तो है हीं । मगर अन्ना द्रमुक ने भी प्रस्ताव पास किया है कि अगला प्रधानमंत्री तमिलनाड से हो । मगर यह महज़ एक औपचारिकता लगती है । जयललिता अपनी कुर्सी छोड़ कर अस्थिर सरकार का नेतृत्व नहीं करेंगी ।
राहुल लगातार खुद को बदल रहे हैं । मोदी बहुत आगे निकल चुके हैं । फिर भी मधु कौड़ा और लालू से समझौता लोकपाल के बहाने राहुल भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कैसे खड़े होते दिख सकते हैं । फिर भी वे आदर्श घोटाले के बारे में महाराष्ट्र सीएम के सामने कह रहे हैं कि मेरी राय है कि रिपोर्ट को रिजेक्ट करने के फ़ैसले पर विचार किया जाए । मेरी राय ? जो भी हो प्रेस कांफ्रेंस से लग रहा है कि ये वो राहुल नहीं हैं । पहले से ज़्यादा स्पष्ट और मुखर हैं । ख़ुद को ऐसे राजनीतिक अंतर्विरोधों के हवाले करने लगे हैं जिसके कारण मीडिया से भागा करते थे । जिस तरह से वे मीडिया के सवालों का सामना कर रहे हैं जल्दी ही उन्हें मँजा हुआ नेता बनाने लगेगा । तो राहुल तैयार हो गए हैं । मोदी तैयार है ही । मैंने खुद कई लेखों में राहुल को कच्चा कहा है । यह वे खुद साबित कर देते हैं जब उस दिन प्रेस कांफ्रेंस कर गुजरात दंगों पर कुछ नहीं बोलते हैं जब मोदी कैमरे पर आये बिना ब्लाग पर विस्तार से लिखते हैं कि कैसे उन्होंने आरोपों की पीड़ा झेली है तब जब वे खुद आहत हैं । रविशंकर प्रसाद ने भ्रष्टाचार पर राहुल के बयान को दोहरापन बताया है ।
अब इस स्थिति में संभव नहीं लगता कि आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के बिना उतरेगी । राहुल और मोदी पर कौन हमला करेगा और किस हैसियत से । दिल्ली चुनाव में अरविंद ने शीला दीक्षित को प्रथम निशाने पर रखा था । बीजेपी पर भी हमला होता था मगर सीधा हमला कांग्रेस पर होता था । मोदी आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते थे मगर नाम लेकर नहीं । अरविंद का तो नाम भी नहीं लिया है । मगर क्या लोकसभा में आप इसी रणनीति पर चल पायेगी । तकनीकी रूप से मनमोहन सिंह की सरकार प्रथम निशाने पर होगी लेकिन राजनीतिक रूप से इस लड़ाई में नरेंद्र मोदी पहले नंबर पर आ चुके हैं । क्या आप नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करेगी । आप के तेवर से लगता है कि कांग्रेस से समर्थन लेकर अपराधबोध से ग्रसित है । इसलिए पहला एलान राहुल गांधी के ख़िलाफ़ कुमार विश्वास को उतारने का किया । गुजरात में आम आदमी पार्टी के सक्रिय होने की ख़बरें तो आ रही हैं लेकिन क्या लोकसभा चुनाव में अरविंद शीला के ख़िलाफ़ लड़ने का मास्टर स्ट्रोक दोहरा पायेंगे । क्या वे नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे । गांधीनगर या बनारस से । मोदी पर उनका सीधा हमला मुस्लिम मतदाताओं के बीच स्पष्ट दावेदार बनायेगा । दिल्ली में जिसकी कमीं के कारण आम आदमी पार्टी को मुसलमानों के वोट तो बहुत मिलें मगर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीत सका । वर्ना कांग्रेस की आठ सीट में से पाँच आप के पास होती । देखते हैं अरविंद केजरीवाल गुजरात दंगों पर मोदी के ब्लाग को लेकर चुप रह जाते हैं या बोलते हैं । क्या मोदी अरविंद का नाम लेकर हमला करेंगे ? जैसा वो राहुल को शहज़ादे बताकर करते हैं । मोदी चुप हैं मगर जेटली ने फ़ेसबुक के स्टेटस के ज़रिये आम आदमी पार्टी पर खूब हमला किया है । दिल्ली बीजेपी ने तो चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी और अरविंद को विरोधी नम्बर वन घोषित कर दिया है । टकराव की पृष्ठभूमि तैयार है मगर आमना सामना नहीं हो रहा है ।
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा की रणनीतियों पर विचार करने के लिए दो सदस्यों की कमेटी बनाई है । देखते हैं क्या नतीजा निकलता है । लेकिन देश भर में फैले आप के वोलिंटियर में जुनून पैदा करने के लिए भी ज़रूरी होगा कि अरविंद केजरीवाल को आप प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पेश करे । तो तीन तीन दावेदार होंगे इस बार प्रधानमंत्री के । राहुल और मोदी दोनों के पास अण्णा ढाल है । अरविंद और मोदी का आमना सामना दिलचस्प होगा अगर हुआ तो । यह भी देखेंगे कि नाम लेकर पहला वार कौन करता है । मोदी या अरविंद । रही बात ये कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा तो जैसा कि मैंने शुरू में कहा राजनीति क़यासों का खेल है ।
18 comments:
pahle kejriwal ko delhi main agniparikcha deni hogi.tab aam chunav main chunoti de payenge.
कयासों के माहौल में मैं भी एक कयास लगा ही लेता हूँ...अगला प्रधानमंत्री, राहुल, मोदी और एके में से नहीं होगा...फिर से गुजराल, देवेगौडा, मनमोहन टाइप का कोई खुशनसीब सबकी मजबूरियों का ताज पहनकर बैठ जायेगा ।
सारे दलों को अब प्रधानमंत्री भी अपने ही प्रदेश, जात और संप्रदाय से चाहिए जैसे मनमोहन ने सरदारों को चाँद लाकर दे दिया हो ।
"aam aadmi" should be the pm
aaj delhi ki daud m bhale hi Narendra Modi ji hi aage najar aa rahe ho lekin desh ka yuva or desh ki janta kisi Arvind kejrival ko hi apna neta chunnna chayegi.
pahle kejriwal sahab ko delhi main kam kerna chahiye or jaisa abhi lagta hai NAMO ke chance jyada hain or ager vo ate hain or kuch kharab kam hota hai to kejriwal g tab tak delhi main apni kabiliyat proof karein or unki galat nitiyon ka virodh kerein ager hoti hain to sirf hala kerne se baat nahi banegi loksabha main 272 chahiye aaj tak bjp to pahunch nahi payi....kejriwal sahab ko mere khya se to loksabha nahi ladna chahiye verna vo kuch seat delhi jaise saheron main jeet sakte hain or bs kamm kharab kereinge or kuch nahi.
ये तो इम्पोर्टेन्ट कोच्चन पूछ लिया आपने। मुझे लगता है, सब निर्भर रहेगा कि आप पार्टी लोक सभा को कितना सीरियसली लेने के मूड में है । क्योंकि इनके आधे से ज़यादा 'टॉप लीडरशिप' तो दिल्ली की सरकारी भूमिका में व्यस्त रहेगी। समय कम हैं उनके पास (दिल्ली में ही करीब १ साल लगा था मोबिलाइजेशन करने के लिए )। पर यदि, कम से कम कुछ चुनिदा जगहों/शहरों में ही सही, अगर ये थोड़ी भी चुनती दे पाए, तो बहुत ही शानदार रहेगा। पार्टी और राजनीती दोनों के लिए । सारा राजनैतिक ज्ञान उल्टा पुल्टा हो जायेगा।
वैसे मेरी एक मुफ्त राय ये भी है, कि आप ज़रूर लोक सभा में खुद को आज़माए पर उसे दिल्ली पर ख़ासा ध्यान देना चाहिए। खासतौर से जब हर कोई चाह रहा है कि ये जल्दी से जल्दी फ़ैल हो जाएँ। दिल्ली की परफॉरमेंस पर उसके अखिल भारतीय विस्तार पर बड़ा असर रहेगा।
एक और बात। अभी तक आप पार्टी की प्रोग्रेस बहुत ही रोचक रही है। दो पहाड़ जैसी पार्टियों को एक चूहा नुमा छोटी सी पार्टी खोदने पर तुली है। लोगों को कई तरह की उम्मीदें हैं। पर जेपी का हाल भी सबको याद है। देखते हैं । समाजशास्त्रियों को फिर से कैंपस जाने की ज़रुरत आन पड़ी है । अरविन्द को भी चाहिए कि इस बात का ध्यान रहे कि कहीं वे खुद या कोई और उनकी पार्टी का नागपुर/गाँधी;यादव परिवार साबित न होने पाए ।
koi bhi ho modi ka muqabla sirf AAP hi kar sakti hai...Congress to bas din gin rahi hai
Sabse pahle aapko dhanywad. Agla pradhan mantri to lagata hai ki Arvind hi hoga. mera to vichar hai ki aap pradhanmantri ek achchhe ummidwar siddha honge. main koi atisayokti men nahi kah raha hun. sach men yahi sachcha loktantra hoga.
कांग्रेस का उचित और वास्तविक विकल्प बीजेपी ही है क्योकि बाकि सब खुद आप पार्टी भी कांग्रेस के गोद में जा चुकी है। यदि वास्तव में लोग देश में बदलाव चाहते है तो मोदी को मौका देना चाहिए।
well delhiwallas got AK, now nation needs MODI which is not likely to happen because of AAP and the nation will be left to rot for more 5 years.
Most likely there will be gunda raj of Mulayam, Mayawati, CPI backed up by Congress (to keep modi at bay) in 2014. GO HELL WITH AAP.
"Desh me sab chunav alag alag lado, phir delhi mein aakar ek ho jao" ---: Atalji
Congress ka AK ko samarthan ke peeche main reason hai NAMO ko rokne ka. Kyonki NAMO ko rokne ka madda to usme hai nahi to kyo nahi doosre ke kandhe par bandook chalayee jai.Lekin mera dar dusra hai kahin yeh 'Chaubey ke Chabbe banne ke chakkar me Dubey' banne jaisa na ho jai.
Ravish jee pura media arvind ko pradhanmantri banane pe laga aap jaise logo pe mujhe tarash aaata hai...abhi arvind ko apni imandari ko proof karne dijiye hadbadi mme sab gadbad ho jayega naaa ghar ke rahenge naa ghat ke isliye abhi aap tamasha dekhiye chup chap baith kar..i was fan of ur shows n ur channel bt aab aapkaa likha hua padhne ka bhi man nahi karta bahut onesided vichar hain aap ke..Baap se takrana asan nahi....bache ko samay dijiye
भारत में प्रधानमंत्री की घोषणा चुनाव से पहेले सफल नहीं होनेवाला है | क्योंकि हर जिल्ला का अलग अलग समश्या रहती है और जिल्ला में जो भी पार्टी का नेता काम करता है उसीके सपक्ष्य में मतदान होता है और होना भी चाहिए|क्या जरुरी है की मोदी या राहुल ही देश के प्रधानमंत्री होंगे | अगर पार्टियों को प्रधानमंत्री पद चाहिए तो अच्छे उम्मीदवार को उतारे और जिन पार्टीयों के पास ज्यादा सख्यां हो उसका प्रधानमंत्री बने तो देश को अच्छा नेता मिल ही जाएगा |
"पॉलिटिक्स क्यासों का खेल है" (पासों का या पत्तों का नहीं!और यह क्यास नीकालनेवाले + पॉलिटिशियनस + खिलाड़ी सब अलग अलग भी हो सकतें है या नहीं भी) :)
यहाँ अगर तीनों पॉलिटिशियन,क्यास गुरु:),और खिलाड़ी सभी एक है तो लोग कम हो जातें है और अमल झडपी जो की AAP लगती है
और
अगर लोग ज्यादा है तो अमल में आलस या शिथिलीकरण दिखेगा ही
अब बात आती है झड़प(मुठभेड़) की या कहलों मतों की
तो
100 करोड़ लोग destination है
सभी की सभी LS सीटें destination है
तो पहुँच के हिसाब से बीजेपी और अनुभव:) के हिसाब से कांग्रेस को रख के regional राजनीती में regional parties को बिना स्वीकारें नहीं चल सकते
बस मेरी pin यहीं अटकती है:)
experties upon making unions-is the solution--i guess
फिर भी Ranjitji कोई भी "क्ष्त्रप" प्रधानमन्त्री बनता कहाँ दिख रहा है?and i don't think now any party will dare to race with "lambi race ka GOWDA" :-)
so my guess is my all time favourite
MODI :-) sorry ravish(ji):) i told what i thought :)
अगर 'आप' लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर लड़ती है तो मामला 'मोदी' बनाम 'केजरीवाल' हो सकता है । केजरीवाल, कांग्रेस समर्थित तीसरे मोर्चे के प्रधानमंत्री हो सकते है । राहुल दूर-दूर तक नज़र नही आते । हांलाकि यह दूर की कौड़ी है पर जैसा आपने कहा - राजनीति कयासों का खेल है ।
sab log aam admi party ko rahul ya modi ke vikalp ke taur par dekh rahe hain, lekin aam aadmi ne jis party ko puri tarah aprasangik bana diya uske baare me koi kuchh nahin keh raha hai.
agar aap gaur karen to dekhenge ki aam.. ka manifesto to abhi tak vaampanthiyon ka hua karta hai. vo jholachhap politics, door to door campaigning, jan-sabha, gram-sabha ye to vampanthiyon ki reedh hai. darasal AAM ne abhi vaampanthiyon ki jagah li hai.
vaampanthi shashan me ab dilli ko dekhte hain ki ye kolkata hota hai ya nahin.
Mujhe lagta hai ki AAP Loksabha election mein sirf participate hi karna chahti hai, kyunki taiyaari ke liye time kam hai. Ye bilkul waise hi hai jaise kabhi kabhi hum exams mein teen papers to poori taiyaari se dtdt the aur baaki papers mein sirf appear ho jaate the experiance lene ke liye. Isliye shayad AAP bhi apne PM candidate per vichaar mein samay barbad nahin karegi.
mera pm to bhai NAMO he Hai.
Ab aap ka kaun hai ye to aap he jane..jai ho
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