पता नहीं क्यों इस बार अच्छा नहीं लगा। जब भी किसी ने कहा कि लक्ष्मी आई है तो मन उदास हो गया। समझने की कोशिश कर रहा था कि क्यों कहा जा रहा है? बेटी आई है। लक्ष्मी कैसे आ गई? क्या ये सात्वंना में कहा जा रहा है? बेटा आता है तो क्या कहा जाता है? बेटा लक्ष्मी है या बेटी लक्ष्मी है। किसी के नीयत पर शक कैसे कर लूं। क्या पता कोई सचमुच उसी ईमानदारी से बधाई दे रहा हो। मेरी नन्ही सी जान का स्वागत कर रहा हो। चलिए कोई नहीं लक्ष्मी आई है। जैसे ही किसी वाक्य के बीच से चलिये सुनाई देता फोन पर कान ठिठक जाते। दो दो लक्ष्मी हो गई। क्या किसी ने ताना दिया? उसे मेरे बारे में मालूम नहीं। अभी भी कॉलर पकड़ने में दो मिनट नहीं लेता। शायद इसी वजह से कई लोगों ने कुछ नहीं कहा। मगर कुछ था जो मोबाइल के उस पार से आ रही आवाज़ों में खटक रहा था। वो वही कह रहे थे जो मेरे डर से नहीं कहना चाह रहे थे। लक्ष्मी आई है।
दरअसल जो भाषा हमें विरासत में मिलती है वो कई पीढ़ियों की सोच से बनी होती है। जिसमें हम इतना सहज हो जाते हैं कि लगता ही नहीं कि कुछ ग़लत है। कई बार यही सहजता नीयत ठीक होने के बाद भी वो चूक करा देती है जो शायद हम नहीं करना चाहते हो। उसी भाषा की संरचना में हम नहीं चाहते हुए भी जातिवादी सोच को व्यक्त कर देते हैं, नहीं चाहते हुए हम और भी कुछ कह देते हैं। एक ऐसे समाज में जहां लड़कियों को इसलिए नहीं आने दिया जाता है कि दहेज कहां से देंगे, उसे वारिस कैसे बना देंगे,उस समाज में लड़कियों का स्वागत लक्ष्मी कह कर किया जा रहा है। कितना अजीब है। दूसरी बेटी के आने से जो भावनात्मक और पारिवारिक समृद्धि हुई है वो मौद्रिक समृद्धि से कहीं ज्यादा है। बल्कि महंगे अस्पताल का बिल चुकाने के बाद लक्ष्मी तो चली ही गई। फ्री में नहीं आई है। दरअसल खूब समझता हूं बेटियों को दुर्गा और लक्ष्मी कहना। ये उसी पुरुषवादी सोच की देन है जो सीधे तंज नहीं करना चाहती तो इन दो देवियों के नाम पर करती है। दुर्गा और लक्ष्मी होंगी अपनी जगह मगर मेरी बेटियां इन दोनों का रूप न ही बनें तो अच्छा । कितना दरिद्र है ये समाज। बेटियों को बराबरी देने का स्वांग रच रहा है लेकिन उनके स्वागत की कोई स्वतंत्र शब्दावली भी नहीं है।
संतान का बंटवारा हमने समाज और संपत्ति से किया है। उसी के तहत हम लिंग के आधार पर इस बंटवारे को आगे बढ़ाते रहते हैं। मुझे मालूम है कि बेटियां अब हर तरह से वारिस हैं। तब भी वारिस हैं जब पिता के पास बेटे हैं और तब भी वारिस हैं जब पिता के पास बेटा नहीं है। मुझे यह भी मालूम है कि समाज की सच्चाई नहीं बदली है। मैं ऐसे चिरकुट लोगों की सोच पर मीलों लिख सकता हूं। लक्ष्मी कहना सामंती सोच है। फिलहाल वो मेरी बच्ची है। प्यारी सी। जिसे देख कर ही ऐसी खुशी मिलती है जितनी लक्ष्मी और दुर्गा की मूर्ति को देखकर कभी नहीं मिली होगी। वो आई है तो मेरी बेटी बनकर। मिथकों से उतर कर मिथकों में नहीं आई है। हमने कभी उसकी नाक, उसकी आंख, कान का मिलान दुर्गा लक्ष्मी से नहीं किया। बल्कि ललाट मिलाया बुआ से, कान मिलाया नानी से, नाक मिलाया पापा से, आंखें उसकी अम्मा से,हाथ मिलाया दीदी से। लक्ष्मी से तो कुछ नहीं मिला। फिर क्यों लक्ष्मी आने की बधाई। बेटी हुई है उसे सीधे बधाई दीजिए। दायें बायें मत कीजिए। मेरी बेटी राज करने नहीं आई है। जीने आई है।
( ये मैं उसके लिए गाता रहता हूं। खुद लिखा हूं।)
दूर गगन से आई हो
चांद चमन से आई हो
किस दुनिया से आई हो
किस दुनिया में आई हो
जिस दुनिया में आई हो
एक छोटी सी दीदी है
एक प्यारी सी मम्मी है
एक अखड़ूं से पापा हैं
ये छोटी सी दुनिया है
तुम छोटी सी मुनिया हो
तुम छोटी सी गुड़िया हो
हम खेल रहे हैं तुमसे खूब
तुम झेल रही हो हमको खूब
दूर गगन से आई हो...
52 comments:
ravish sir
meri bhi do betiyan hai. aapka blog padkar flashback mein chala gaya... aisa hi hota hai beti aaney par.... kyon hota hai? aankhein nam ho gayee hain...
बहुत अछे. Betiya ghar ka noor hoti hai. meri badi bahan hai.
क्या कहा जाए... बढि़या लिख दिए हैं इस बार...
bas kahiye sahi jagah chot kari hai ekdum. 'chaliye' shabd jahan laga samajhiye kuch gadbad hai
मेरी भी दो भतीजियाँ हैं और पिछले दिसंबर में जुड़वां भगिनियां भी हुई हैं. जब दूसरी भतीजी होने वाली थी तब तो खुद डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी थी लेकिन मेरी मां ने साफ़ इनकार कर दिया था और आज दोनों भतीजियों के साथ लड़के की कमी महसूस नहीं होती. थोड़ी परेशानी हुई है एक-दो रक्षाबंधन के दिन, उसके बाद से दोनों एक दुसरे के हाथों में राखी बांधती हैं. बहन के घर भी जुड़वां बहनों को सहर्ष स्वीकार किया गया, यदि कोई निराशा हुई भी हो उसके ससुराल में तो आजतक हमपर प्रकट नहीं हुई है. वैसे लक्ष्मी वाली बात तो मेरे घर में चरितार्थ हुई है, बड़ी भतीजी के जन्म के तुरंत बाद से ही घर से आर्थिक कठिनाइयाँ दूर हो गई हैं. हमारा संयुक्त परिवार चल रहा है इसमें भी उनका बड़ा योगदान है.
जहन्नुम में जाने दीजिए लक्ष्मी कहकर उसकी वक्रोक्ति करनेवालों को. सही है न वो दौलत लेकर नहीं खुशियां लेकर आयी है, मैं तो देखता हूं न तरसते हैं ऐसी खुशी के लिए. मैं तो न तो किसी का बाप बना हूं न किसी का जीवनसाथी लेकिन आपकी खुशी देखकर लगता है कि हम अकेलेपन को कितनी भी आजादी कह लें, कितना बड़ा हिस्सा जिंदगी से छूट रहा है.
हम सबकी इस नन्हीं जान को बहुत प्यार.
sahi kaha aapne wo durga ,laxmi nahi aapki beti hai.what a paradox...samaj betiyon ko durga , laxmi kehne mein peeche nahi rehta lekin unhi ladkiyon ko azad insaano ki tarah jeene bhi nahi deta..
बात समझने कि है यहाँ इंसान हर बात के दो मतलब निकाल बैठता है ...बचपन में हमसे कुछ कहा जाता था तो हम उस बात का वही मतलब समझते थे जो होता था पर ...अब बड़े हो गए है बंद अल्फाजो में बातें करना सीख गए है ...मीडिया में रहने वालो को तो पता ही होगा कि यहाँ दो मूहिया बातों से काम चलता है .....पता चलता है कि सामने वाला आपको लाली पाप दिखा रहा है और आपकी बजा रहा है ...और आप मूह ताक के बजवा रहे है ...कर भी क्या सकते है मन ही माँ यही सोचते है कि ...आज तेरा दिन है बजा ले कल मेरा भी दिन आयेगा तब मैं भी बजाऊंगा ...:सर मैं आपको सही मायने वाली लक्ष्मी आने कि मुबारकबाद देता हूँ इसका एक ही मायना है चार मत निकालिएगा :)
badhai..gudiya ke aagman ki...
Badhayee ho beti ki bachey ka ghar mein ana hi bahut hai
वाह वाह रवीश जी, आप कह गए . . .
हम तो हमेशा यही कहते हैं, पर सामने वाला कभी कभी बुरा मान जाता है..
खूबसूरत और कुछ खड़ी भाषा मे आपने सीधी बात कह दी। जीवन की बगिया मे नया फ़ूल खिलने की बहुत सारी बधाईया आपको भाभी जी को और नया नया प्रमोशन पाई दीदी को।
Ravish Ji, Namskaar
sach kahaa aapne, durga lakshmi to purushwaadi soch ki hi den hai, ladkiyon ko ek jhootha aadarsh pradaan kar unki wastavik mulya ko unki pahchaan ko jhuthlaane ka ek prayaas.
Aabhaar sweekarein,
Fani Raj
हाहाहा बहुत खूब... पहले तो बहुत सारी बधाई...। हमारी एक साथी है, उन्होंने कहा था - 'मेरे घर खुशी आई है...'
हकीकत में इन तमगों से अब मुक्ति का समय आ गया है, बेटी होने की सहानुभूति को माइल्ड ढंग से व्यक्त करने की भौंडी कोशिश।
Upar wala v iss Samaaj me rahne waale logo me sirf Himmatwaalo ko hi Beti deta hai.
ढेर सारी बधाईयां। फिर भी न जाने लोग क्यूं कहते हैं, कि बेटियों को प्यार नहीं मिलता, जन्म नहीं मिलता। पिछले कई सालों से मेरे जान पहचान के लोगों के घर बेटियां आई, सब बेहद खुश हैं।
हम भी कहते हैं, लक्ष्मी आई है, जैसा सुनते आ रहे हैं वैसा ही, परंतु अब आपकी बात सुनकर लगता है कि अब कहेंगे "बेटी आई है", बधाई आपको ।
सीधी-सादी बात करने के लिए धन्यवाद रवीश जी ......बहुत कम सब्द सीधी दिल की गहराइयों से सुन पाता हूँ .... आपकी बेटी, सिर्फ आपकी बेटी हो कर जिए .......आपको बधाई ......और बेटी को नए जीवन की शुभकामनायें..........
बहुत खूब
baki sab thik hai sahab par aisa likhne wale papa akhdu nahi ho sakte kabhi nahi.
baki sab thik hai sahab par aisa likhne wale papa akhdu nahi ho sakte kabhi nahi.
Maine Jab se ye khushkabari suni thi ,tab se soch rahi thi ki aap kya feel kar rahe honge ya log kya bol rahe honge...such me..bahut achchha laga yeh padhkar..
"yat ishwaram karoti,Shobhnam karoti" :)
Maine Jab se ye khushkabari suni thi ,tab se soch rahi thi ki aap kya feel kar rahe honge ya log kya bol rahe honge...such me..bahut achchha laga yeh padhkar..
"yat ishwaram karoti,Shobhnam karoti" :)
तकदीर वाले हैं जिन्हें ये नेमत हासिल हुई है ................बेटियां नेमत हैं ;बेटियां दुआएं हैं .............
फलकथन में,ज्योतिषी लड़कों को अक्सर बताते अथवा कुंडली में लिखते हैं कि विवाह के बाद भाग्योदय,पदोन्नति आदि होगी। हम अक्सर,जीवन में ऐसी स्थितियों से रूबरू भी होते हैं। बेटी इस अर्थ में तो लक्ष्मी है ही।
और देखिए,जो दहेज का कारोबार करते हैं,वे भी बेटी के विवाह के लिए शुरू से धन जुटाते ही रहते हैं। भले धन चला जाए,पर बेटी की पैदाईश से वह आना शुरु तो हुआ था ही!
भाई साहब को इस खुशी के मौके पर बहुत बहुत बधाई।
हम किसी की भाषा पर गौर करना तब शुरू कर देते जब सकारात्मक या नकारात्मक पूर्वाग्रह रखे होते हैं. जिनके प्रति आपके सकारात्मक सोच है उसने भी इसी उपमा का प्रयोग किया होगा ये स्वागत तब आहत नहीं किये होंगे . दुर्गा या लक्ष्मी जिसके लिए पूज्य है ,आराध्य है उसने अगर ये उपमा दी है
तो आपके नौनिहाल का बहुत बड़ा सम्मान और स्वागत किया है . नवजात शिशु की माँ, मौसी,दादी ,
चाची , बुआ भी कुछ इसी तरह की उपमा दी होगी या देगी . आप भी खेल- खेल में कुछ अजीब सा उपमा दे देंगे .
मेरे लिए दुर्गा केवल द में छोटी उ की मात्रा और ग में आ की मात्रा उसके ऊपर रेफ नहीं है !
फिर भी आपके रुख भापते हुए मुझे पता नहीं क्यों आज डर लग रहा है दुर्गा या लक्ष्मी संबोधन से .
मैं बिना दाए-बाएं किये आपको हार्दिक बधाई देता हूँ . और नवजात को बहुत सारी हार्दिक शुभकामनाएं !
" हर ख़ुशी हो वहां तू जहाँ भी रहे !"
दूर गगन से आई हो
चांद चमन से आई हो
किस दुनिया से आई हो
किस दुनिया में आई हो
जिस दुनिया में आई हो
एक छोटी सी दीदी है
एक प्यारी सी मम्मी है
एक अखड़ूं से पापा हैं
man ko choo gayee ye panktiyan...badhai
Congrats Ravish ji.
badhai ho bitiya aayi hai
ravish ji many many congratulations!!!!!!!!!! bahut achha likha hai apne...
Bahut sundar lekh...padh kar chehre par muskan aayi..ek khushi ki to dusri is samaj k soch aur dikhave ke liye...khair apko 2-2 betiyon ke pita honi ki bahut-bahut badhiayan!!! :)
Bahut sundar lekh...padh kar chehre par muskan aayi..ek khushi ki to dusri is samaj k soch aur dikhave ke liye...khair apko 2-2 betiyon ke pita honi ki bahut-bahut badhiayan!!! :)
ravish sir, reality dikha di apne toh.. bas trp ki daud mei kuch piche reh gye
Beti ki paidaise par apko dher saree badhaee. Doosre bacche main beti kee chah thi lekin prabbu ne judwan putra bhej diye.
Beti ki paidaise par apko dher saree badhaee. Doosre bacche main beti kee chah thi lekin prabbu ne judwan putra bhej diye.
bahut bahut badhayee........
sach me padh kar aankhe nam ho gayi..........
heartiest congratulations......
Mubarak ho Sir :)
बधाई हो सर.
बधाई हो सर.
रवीश जी,खुशखबरी सुनी,एक खूबसूरीत जीवन की,बधाई हो।
मेरी भी दो बेटियां हैं और इन्होंने मेरे जीवन को वो सारी नेमतें दी हैं कि ईश्वर का धन्यवाद करते मैं थकता नहीं ।-bhrashtindia.blogspot.com
very good. nice article
rabish ji badhai
mare bhi beti h. aapki behtareen tukbandi apne beti ko sunane k liye print kar raha hu.
thanks
rabish ji badhai
mare bhi beti h. aapki behtareen tukbandi apne beti ko sunane k liye print kar raha hu.
thanks
कालर पकडने के डर से झूठ नही बोलूंगा. अगर जल्दी हि हमने सिस्टम को नही बद्ला तो आगे आने वाला वक्त लड्कियों के लिये बहुत खतरनाक होगा, और सिस्टम को बद्लने के लिये भयंकर बलिदान देने होंगे वैसे ऐक आसान घटिया रास्ता भी है जो मध्यकाल में अपनाया जाने लगा था.
बहरहाल बेटियां जब बडी हो तो उन्हे कविताओं के साथ-२ ये भी सुनाना के तमाम तरहा की विसंगतियों और दुर्भावनाओं के बावजूद समाज में कुछ ऐसे भी गुमनाम चेहरे थे जिन्होने उनकी आन, बान, और शान के लिये अभूतपूर्व और अन्जाने बलिदान दिये है, ऐसा इसलिये सुनाना कि सैक्स रेशो के साथ-२ सामाजिक-मानसिक रेशो भी स्वस्थ बना रहे........ऐसा इसलिये भी सुनाना ताकि वो समझ सके कि finantial index से भी कहीं ज्यादा बढ कर खुशियों का इंडेक्स होता है.......
I was blessed with a baby girl last yr. Reading the article brought back the memories. You gave words to our feelings.
Best Wishes.
सोच रहा था की आप न्यूज़ चैनल में तो दिखते ही हो शायद लिखते भी होगे। अचानक से नेट पर देखा तो ब्लॉग पर खाटी देहाती भाषा दिखी। शक सही था। आप ही मिले। बधाई हो- देर से ही सही। शायद जून की बात होगी। कोई बात नहीं। देर आने वाले ही दुरुस्त आते है। लक्ष्मी आई है- पढ़कर कई दिनों से खाटी हिन्दी नहीं पढ़ी सुनी थी। गुदगुदी हुई तो अच्छा लगा। सुक्रिया।
आंखे नम हो गयी , यह वास्तविकता है ।
I same faced on birth of my second daughter. I salute you ravish ji.. i too felt same when i was told that i got lakshmi for second time.
bahot sundar likha hai...
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