बस सच समझ लेना

मेरी उन तमाम झूठों को
जब तुम इक दिन पकड़ लेना
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना
इन्हीं झूठों के सहारे अक्सर मैं
कुछ घंटे देर और रूका रहा
कुछ बातें और करता रहा
कुछ नज़रें और फेरता रहा
बीच रास्ते से लौट आता रहा
सुना है कोई मशीन पकड़ लेगी
उन तमाम खूबसूरत झूठों को
जिनका इस्तमाल करता रहा मैं
प्रेम के तमाम पलों में
किसी अकाट्य सच की तरह
झूठ को बदनाम करने की तमाम साज़िशों के ख़िलाफ़
मैं खड़ा होना चाहता हूं
सच के पीछे तराई से उतर कर किसी गौतम की तरह
गया से लेकर कुशीनगर तक नहीं भटकना चाहता
सारनाथ के स्तूपों में बैठकर मैं
गेरूआ वस्त्रों से लैस सच का धर्म नहीं बनाना चाहता
तुम्हारे साथ झूठ का जीवन जीने की ज़ीद
किसी भागते समय में एक ठहरा पल बनाती है
वहीं तो हम अपने प्रेम का एक संसार रचते हैं
झूठ की दीवारों को ऊंची कर
अपना एक छोटा सा घर-बार बना लेते हैं
झूठ के पकड़े जाने के तमाम डरो से
आज़ाद होकर मैं एलान करता हूं
जब भी कोई मशीन पकड़ ले
मेरी उन तमाम झूठों को
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना

25 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वाह, अच्छी गुजारिश की है आपने , जब सब कुछ झूट पर ही टिका है तो उनके पास और कोई चारा भी नहीं रहेगा इसके सिवा की इसे सच समझ ले ! बहुत खूब !

अनिल कान्त said...

वाह जी वाह

Ranjan said...

Lagata hai - SACH ka SAMANAA ho gaya :)

रंजन (Ranjan) said...

पुरी दुनिया सच मय हो गई लगता है..

विवेक सिंह said...

ठीक है,

झूठ पर पैर गढ़ाये रहिये ,

सब सच समझा जाएगा,

हमने कह दिया है,

वैसे कविता अच्छी बन पड़ी है, पड़ी रहेगी !

Mithilesh dubey said...

accha ji pakde jane pe hee sach batoge. sundar

शशांक शुक्ला said...

यार झूठ पर हो दुनिया चलने दो तभी टिके रहेंगे नही तो सब नंगे हो जायेंगे वो भी तो ठीक न होगा

पारुल "पुखराज" said...

कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना

बढिया - संगदिल गुजारिश

JC said...

गौतम समान सत्य का बोध हो गया?! बधाई हो!

परम सत्य निराकार है और जगत मिथ्या, परमेश्वर द्वारा रचित 'माया' - एक अनंत फिल्म जिसमें आत्माएं अलग-अलग रूप धर लीला कर रहीं हैं :) योगी यह नहीं जान पाए निराकार ब्रह्म अपना इतिहास क्यूं देख रहा है...

prabhat gopal said...

झूठ के पकड़े जाने के तमाम डरो से
आज़ाद होकर मैं एलान करता हूं
जब भी कोई मशीन पकड़ ले
मेरी उन तमाम झूठों को
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना

sahi kaha

Syed Asad Hasan said...

excellent sir..bahut tarah ke jhuth istemal karta hai insaan zindigi mein..kuch jhuth sach se acche hote hain...bas aatma mein jhuth nahi utarna chaiye.

RAJNISH PARIHAR said...

sach likha aapne....

Aadarsh Rathore said...

बस सच समझ लेना.....................

Sanjay Grover said...

samajh gayaa.

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

झूठ भी कभी-कभी बड़ा सच्चा होता है

Science Bloggers Association said...

काश, सच को समझना और समझाना इतना आसान होता।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रज़िया "राज़" said...

मज़ेदार पोस्ट। वाह।रविशजी॥

एक पुराना सा म्यूजियम said...

सस्ता शेर छोड़ कर अच्छी कविता ! \अच्छी cheejon में कुछ नहीं रखा है
वैसे अच्छा लगा

सुशीला पुरी said...

रवीश जी ! झूठ को सच कैसे समझ लूँ ???काश तुमने बोला होता सच झूठ का हल्ला करके ......

Manish Jha said...

सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के मशीनो से के पैसा खूब आएगा अगर साब सच बताओगे . तो फिर तवाही से क्या डरना जिन्दगी ऐश से बिताओगे ...

मधुकर राजपूत said...

डरावने सच से पर्दे उघाड़ने और घरेलू जिंदगी बिगाड़ने वाला प्रोग्राम है सच का सामना। सही कहा है आपने। एक काम करो रवीश कोई जुगाड़ बिठाकर प्रोग्राम के पहले एक स्टिंग का या मोंटाज बनाकर इस कविता को ऑनस्क्रीन करा दो, प्रोग्राम के पार्टिसिपेंट के लिए संबल मंत्र हो जाएगा और इतनी भावुक अपील से बेचारी या बेचारे का घर बिगड़ने से बचा जाएगा।

Unknown said...

bahot acchi kavita sach mein dil ko chu gai.....

JC said...

रवीश जी, राज कपूर की एक फिल्म 'जागते रहो' में हिन्दू मान्यता पर आधारित स्व. मुकेश द्वारा गाया एक गाना 'सच-झूठ' पर था - कुछ इस तरह, "जिंदगी ख्वाब है/ ख्वाब में झूठ क्या?/ और भला सच है क्या?..."

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

wah bahut hi pyara thought..wasie bhi aapke joothon ko unhone sach hi maana hoga.. BTW aap NDTV mein hai kya?

RKS said...

Ravish ji, fantastic views.

I had heard a dialog on similar lines in a movie, i can not recall the movie name right now but can put that dialog here -

"it is not that we don't know the truth, its only that we keep getting better at lying."