अमरीकी मीडिया का फुटनोट्स- इंडिया का इतिहास

जिस वक्त टीवी चैनलों पर परमाणु करार की ख़बरें खुद ही ऐतिहासिक ऐलान करती हूईं छलक रही थीं, अमरीकी मीडिया प्रमुख सीएनएन पर अफगानिस्तान पर अच्छी रिपोर्ट आ रही थी। नीचे कुछ स्क्राल चल रहे थे। एशिया की तरफ से एक ही खबर थी कि ज़रदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए। बीबीसी का भी यही हाल था। उसके बाद भारतीय समय के अनुसार साढ़े पांच बजे सीएनएन और बीबीसी की खबरें शुरू हुईं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने की खबर पहली हेडलाइन थी लेकिन भारत में इतिहास बना उसकी चर्चा तक नहीं।

इतिहास अब तत्काल बनने लगा है। यही हाल रहा तो कुछ दिनों बाद इतिहासकार की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। कोई कह देगा कि आप २०५० में परमाणु करार को ऐतिहासिक बता रहे हैं वो तो उसी दिन टीवी चैनलों ने ऐतिहासिक बता कर फ्लैश कर दिया था। चलिये भागिये यहां से। इतिहास लिखने आए हैं।

ठीक है कि हर मुल्क अपने नज़रिये से अपना इतिहास तय करता है। करना भी चाहिए। मगर इतिहास का पैमाना नहीं बदल सकता। अगर बदलेगा तो वर्तमान किसे कहेंगे। भविष्य को क्या कहेंगे। सीएनएन और बीबीसी के लिए न्यूक्लियर डील जैसी हाई प्रोफाइल खबर बड़ी खबर क्यों नहीं है खासकर जब एनएसजी में अमरीका, चीन और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं। किसने और किस आधार पर तय किया है कि यह डील ऐतिहासिक है। ऐतिहासिक होना अजीब हो गया है। ब्रेकिंग न्यूज़ में जो फ्लैश नहीं होगा वो इतिहास नहीं बनेगा। अच्छा हुआ शाहजहां ताजमहल बना कर कब के चले गए। आज बनाते तो उनके ठेकेदारों का नाम हो जाता। बेचारे शाहजहां को प्रेसकांफ्रेस कर ख़बर ब्रेक करनी पड़ती कि इसे मुगल सल्तनत ने बनवाया है, ताज कंस्ट्रक्शन कंपनी ने नहीं और यह इमारत ऐतिहासिक है।

4 comments:

रंजन (Ranjan) said...

"बेचारे शाहजहां को प्रेसकांफ्रेस कर ख़बर ब्रेक करनी पड़ती कि इसे मुगल सल्तनत ने बनवाया है"

मुझे तो ये पसंद आया.


रंजन
aadityaranjan.blogspot.com

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.


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निवेदन

आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.

ऐसा ही सब चाहते हैं.

कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.

हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.

-समीर लाल
-उड़न तश्तरी

कुमार आलोक said...

चार महिने पहले संसद के सामने प्रदर्शन करते हुये समाजवादी पार्टी के ग्लैमरस नेता अमर सिंह ने कहा था कि अगर डील हुआ तो हम अमेरिका के रहमोकरम पर जीने को विवश हो जायेंगे। खैर पार्टी का गठबंधन हो गया कांग्रेस से ..अभी तीन दिन पहले यानि एनएसजी से क्लियरेंस मिलने के ठिक एक दिन पहले मुलायम सिंह कन्फूयुजीया गये ..बुश के लेटर के सार्वजनिक होने के बाद ..उन्होने कहा हमें देखना होगा हम कन्फ्यूज हो गये है ..लेकिन जैसे ही क्लियरेंस की खबर वियेना से आइ ..अमर बाबू ने इसे त्वरित ऐतेहासिक करार दिया ..सचमुच ऐतेहासिक है ये डील ?

Dr. Nazar Mahmood said...

waqai ab itihaaas banana asaan ho gaya hai aur is ke liye itihaaaskar nahi patrkaar hona zaroori ho gaya hai.
its good keep it up ravish bhai