महाराष्ट्र के जलगांव में वकालत। १९६२ में विधायक। राज्य में कई बार मंत्री। कालेज में टेबिल टेनिस की चैंपियन, महाराष्ट्र कांग्रेस की पहली महिला कांग्रेस अध्यक्ष, राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल। जाति से कुनबी मराठा। विवाह सीकर के शेखावट से। भारत वर्ष की पहली महिला राष्ट्रपति अगर चुन ली गईं तो। जिसकी संभावना अधिक है।
मज़ाक है गठबंधन की मजबूरी और प्रथम महिला होने के नाम पर ऐसे महान उम्मीदवार का चयन। राजनेताओं ने राजनेता उम्मीदवार चुनने के लिए कितना वक्त बर्बाद किया। गैर राजनीतिक कलाम के विकल्प के रूप में राजनीतिक प्रतिभा का यह सुंदर उदाहरण है। नेता सिर्फ सत्ता का खेल खेलता है और इस खेल के लिए उसे सिर्फ मोहरे की ज़रूरत होती है। हमारे देश में महिला के नाम पर प्रतिभा पाटिल बचीं थीं। उनका चुना जाना सिर्फ किसी ज्योतिष को समझ आ सकता है। जो ग्रहों की चाल देखकर किसी की ज़िंदगी में राजयोग आने का एलान करता है।
भारत में महिलाओं ने कई मुकाम हासिल कर लिए हैं। भारत के आज़ाद होने के बाद और आज़ाद होने से बहुत पहले ही। लेकिन प्रथम होने के इस लिम्का और गिनीज बुकीय रिकार्ड के दौर में ऐसी उम्मीदवार पेश की जाएगी, इसी की
उम्मीद थी।हमारी राजनीति प्रतिभा को नहीं ढूंढती। वह नाम की प्रतिभा में यकीन करती है।कब आपने प्रतिभा पाटिल की राजनीतिक चतुराई की मिसाल महाराष्ट्र या देश की राजनीति में देखी हो। मैं प्रतिभा पाटिल जी का मान मर्दन नहीं कर रहा। पुरुष विकल्प के रूप में शिवराज पाटिल भी इसी श्रेणी के थे। वो भी रबर स्टांप ही थे। साईं बाबा और गांधी परिवार की कृपा से उनका जीवन चलता आया है। अच्छा हुआ नहीं चुने गए। सुशील कुमार शिंदे व्यक्तिगत ज़िंदगी में गरीबी से सत्ता के शिखर पर पहुंचने के उदाहरण हैं मगर दलित होने के नाम पर कलंक। महाराष्ट्र के बाहर देश का एक भी दलित खुद को इस नाम से नहीं जोड़ता होगा। प्रणब मुखर्जी भले ही कांग्रेस का कामकाज देखते हों और इंदिरा राजीव दौर के रबर स्टांप नेता के रूप में अहमियत रखते हों। लेकिन इनकी उम्मीदवारी पर भी देश को कितना गर्व होता, कहना मुश्किल है। इसीलिए जिन नामों को खारिज किया गया है उन पर सोचें तो हमारे राजनीतिक दल व्यावहारिक और दूरदर्शी साथ ही पेशेवर भी नज़र आते हैं। लेकिन प्रतिभा पाटिल? हमारे देश में वाकई इस पद के लिए लायक उम्मीदवार नहीं बचे हैं।
चलिए स्वागत करते हैं। हमने राष्ट्रपति के नाम पर पहले भी कई प्रतिभाओं का स्वागत किया है। देश में मध्यमार्गी मनमोहनों और प्रतिभाओं को ही मौके मिलते रहेंगे। प्रतिभा जी आपने राजनीति में क्या किया है आप जानती होंगी। शुक्र है कि आप राजा भैया या पप्पू यादव की तरह नहीं है। निरपराध जीवन आपकी पूंजी रही होगी। गांधी परिवार के आशीर्वाद और विश्वास से आपको इतिहास में अमर होने का मौका मिला है। इतिहास आपको याद रखेगा और हम भी विरोध के लेख के बाद भी इस सवाल का जवाब तो देंगे ही कि भारत की पहली महिला राष्ट्रपति का नाम क्या है? प्रतिभा पाटिल।
10 comments:
प्रतिभा पाटिल किसी और से बेहतर हो या ना हो लेकिन शिवराज पाटिल या सुशील कुमार शिंदे से बेहतर जरूर हैं।
सत्ता मे बैठे कुछ जनाधार हीन नेता जो पिछले तीन तीन लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी देश के भाग्य विधाता है। प्रतिभा पाटिल उन मे से नही है। प्रतिभा पाटिल ने आजतक कोई चुनाव हारा नही है।
मुझे नही मालूम कि वे कितनी अच्छी राष्ट्रपति हो पायेंगी। लेकिन दौड़ मे शामिल अन्य उम्मीदवारो से बेहतर प्रतित होती है।
प्रतिभा पाटिल कैसी राष्ट्रपति होंगी ये तो नहीं मालूम, लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए जैसा ड्रामा यूपीए और लेफ्ट के बीच चला है वो लोगों को जरुर अखरेगा। राष्ट्रपति पद के लिए शिवराज पाटिल और प्रणब मुखर्जी को शायद ही कोई पसंद करता हो लेकिन अब तक सभी बड़े मुद्दों पर यूपीए और लेफ्ट के बीच सहमति का नाटक अब लोगों को सचमुच उबाने लगा है।
नहीं दस मिनट पहले तक नहीं जानते थे। अब भी जानते हैं कि ये राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। इस गणतंत्र को हो क्या रहा है ? पहले एक कठपुतली प्रधानमंत्री और अब राष्ट्रपति भी।
महिला विरोधी, (महा)राष्ट्र विरोधी, संघी, जो कहना हो कह लें पर एक नामालूम शख्स को राष्ट्रपति देखने की तुलना में मैं तो शेखावत जी को ही राष्ट्रपति बनते देखना चाहूँगा।
Pratibhaji ko hum-aap jaane ya na jaane-kya farq padta hai.soniyaji unhe jaanti hain, mayawati bhi shayad unhe jaanti rahi hon. Faisla unhe karna tha, kar diya. Hamare desh me rajniti ke naam par ab tak jo kuch hota raha hai, yah bhi usse koi itar udaharan nahi hai.
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि अपने मुल्क के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को हम राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री मानने से ही इनकार कर दें।
बदलाव की कोशिश अहम है। जब पंचायत राज में महिलाओं को आरक्षण दिया गया तो प्रधानपति नाम का नया जीव पैदा हो गया। लोगों ने इसका मजाक उडाना शुरू कर दिया। पर अब वहीं महिलाएं बदलाव की कडी बन गयी हैं। ठीक है, प्रतिभा पाटिल को हम नहीं जानते। जान जायेंगे। कलाम को कितने लोग जानते थे। मिसाइल मैन के अतिरिक्त। आम लोगों की बात करेंगे तो हो सकता कइयों को आज भी कलाम के बारे में पता न हो। इस फैसले का स्वागत इस आधार पर होना चाहिए कि हमारे देश की प्रथम नागरिक एक महिला होने जा रही है। प्रधानमंत्री तो पहले ही हो चुकी है। जहां तक मेरी जानकारी है, दुनिया भर में लोकतंत्र का बाजा बजाने वाले अमरीका को आज तक यह गौरव हासिल नहीं हुआ है। बेशक इनसे बेहतर महिलाएं हैं लेकिन लोकतंत्र में हमेशा जो हमारी नजर में सर्वश्रेष्ठ हो वही आगे आये, यह कई बार मुमकिन नहीं होता। तो स्वागत कीजिये प्रतिभा पाटिल का।
Aap k lekhan me ek aam bhartiya ki dard hai. eise Mouko per Indira Gandhi ki yaad aati hai . Congress k logoun Apni anteraatma ki Awaaz suno.
अभी ताजमहल पर आपकी स्पेशल रिपोर्ट देखी मैनें!
बहुत ही बढ़िया!!
आपका ई-मेल पता मालूम न होने के कारण यह यहां लिखना पड़ रहा है!
रवीश जी, ताज पर आपकी स्टोरी काफी अच्छी बन पड़ी। बधाई।
रामकुमार शर्मा, आगरा
रवीश जी क्या आपका ई-मेल पता उपलब्ध हो सकता है?
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