आशा है तुम जहाँ कहीं भी होगी सफ़र में होगी । आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है । तुम कब से मेरी ज़िंदगी का हिस्सा हो मगर कभी तुमसे बात नहीं की । पता है लोग तुमसे नफ़रत करने लगे हैं । नफ़रत करने वाले वे लोग नहीं हैं जो सड़क पर रहते हैं बल्कि वे लोग हैं जो कभी कभार सड़क पर उतरते हैं मगर कितनी बार कोई उतरे उसे लेकर भ्रमित और क्रोधित हैं ।
धूमिल की एक कविता की किताब का नाम ही है संसद से सड़क तक । दो चार दिनों से अख़बारों और टीवी में कई बयान आ रहे हैं जिनमें सड़क को ग़ैर वाजिब और ग़ैर लोकतांत्रिक जगह के रूप में बताया जा रहा है । लोगों को आपत्ति है कि कोई बार बार सड़क पर उतर आता है । सरकार सड़क पर आ गई है । तुम जानती ही होगी कि सड़क पर आने का एक मतलब यह भी होता है कि किसी का घर बार सब चला गया है । वो बेघर और बेकार हो गया है । कई अंग्रेज़ी अख़बारों में तुम्हें स्ट्रीट लिखा जा रहा है । इस भाव से कि स्ट्रीट होना किसी जाति या वर्ग व्यवस्था में सबसे नीचले और अपमानित पायदान पर होना है । क्या राजनीति में भी सड़क पर आना हमेशा से ऐसा ही रहा है या आजकल हो रहा है ।
सड़क, तुम्हें याद है न कि इससे पहले तुम्हारे सीने पर कितने नेता कितने दल और कितने आंदोलन उतरते रहे हैं । ख़ुद को पहले से ज़्यादा लोकतांत्रिक होने के लिए दफ़्तर घर छोड़ सड़क पर आते रहे हैं । सड़क पर उतरना ही एक बेहतर व्यवस्था के लिए व्यवस्था से बाहर आना होता है ताकि एक नये यात्री की नई ऊर्जा के साथ लौटा जा सके । सड़क तुम न होती तो क्या ये व्यवस्था निरंकुश न हो गई होती । पिछले दो दिनों में सड़क पर आने का मक़सद और हासिल के लिए तुम्हें ख़त नहीं लिख रहा हूँ । यह एक अलग विषय है । जो राजनीतिक दल अपनी क़िस्मत का हर फ़ैसला बेहतर करने के लिए सड़क पर उतरते रहे वही कह रहे हैं कि हर फ़ैसला सड़क पर नहीं हो सकता । क्या सड़क ने कभी सरकार नहीं चलाई । महँगाई के विरोध में रेल रोक देने या ट्रैफ़िक जाम कर देने से कब महँगाई कम हुई है । हर वक्त इस देश में कहीं न कहीं कोई तुम्हारा सहारा लेकर राजनीति चमकाता रहता है । तुम तो यह सब देखती ही आ रही हो ।
प्यारी सड़क, तुम्हें कमतर बताने वाले ये कौन लोग हैं । उनकी ज़ात क्या है । कौन हैं जिन्हें किसी के बार बार सड़क पर उतर आने को लेकर तकलीफ़ हो रही है । क्या वे कभी सड़क पर नहीं उतरे । लेकिन सड़क पर उतरना अमर्यादित कब से हो गया । कब से ग़ैर लोकतांत्रिक हो गया । सत्ता की हर राजनीति का रास्ता सड़क से ही जाता है । तो फिर कोई सड़क पर रहता है तो उसमें तुम्हारा क्या दोष । रहने वाले का क्या दोष । दोष तो उसकी सोच में निकाला जाना चाहिए न । तुम्हें लोग क्यों अनादरित कर रहे हैं । तुम तो जानती ही होगी कि कितने नेता तुम पर उतरे और पानी के फ़व्वारे से भीग कर नेता बन गये । संघर्ष कहाँ होता है कोई बताता ही नहीं । संघर्ष कमरे में होता है या सड़क पर । क्या तुम पर उतरना उस विराट का नाटकीय या वास्तविक साक्षात्कार नहीं है जिसकी कल्पना में नेता सोने की कुर्सी देखते हैं ।
प्यारी सड़क समझ नहीं आता लोग तुमसे क्या चाहते हैं । तुमसे क्यों किसी को घिन आ रही है । तुमने तो किसी को रोका नहीं उतरने से फिर ये बौखलाहट क्यों । तुम तो अपने रास्ते चलने वाली हो लेकिन कोई तुम पर आकर भटक गया तो इसमें तुम्हारा क्या क़सूर । तुमसे लोगों को क्यों नफ़रत हो रही है ख़ासकर उन लोगों को जो सड़क पर उतरना नहीं चाहते या नहीं जानते । तुम इन तमाम मूर्खों को माफ़ कर देना । कोई नेता मिले तो कहना यार बहुत हो गया कुर्सी कमरा अब ज़रा सड़क पर तो उतरो । सड़क पर उतरना सीखना होता है । सड़क पर उतरना नकारा होना नहीं होता है ।
तुम्हारा सहयात्री,
रवीश कुमार
49 comments:
यह भी पूछ लीजिये कि नेताओं का आपके ऊपर भरी सर्दी में सोना आपको कैसा लगा?
:) nice analysis ... some one was saying yesterday to me that in our country politics of Chair is like ki politician apni maa ko bhi pehnchane se mana kar de is Kursi k chakkar mein :P
इसमें कोई मतभेद नहीं है।
इसमें कोई मतभेद नहीं है।
Mujhe nahi lagta ki log sadak se ghrina karte hain.
Log unlogo se ghrina karte hain jo baat baat me sadak par utar aya karte hain...Sadak bahut hi gambheer manch hai jiska upyog bahut jyada emergency padne par hi karna chahiye....sadak ka durupyog hi alochna ka vishay hai....
The person attempting to travel two "roads" at once will get nowhere.
Arvind kejriwal ek hi saath do sadak me chalane ki koshish kar rahe hain.(Aam Chunav + Delhi)ye bhi alochna ka kaaran ho sakkta hai.
Ravish, I must say I prefer reading the prose you write over the poetry you tweet. Also, I noticed that your public identity @ravishndtv is private (restricted access) and your private identity (this blog) is very much public - how ironic is that!!
"कोई नेता मिले तो कहना यार बहुत हो गया कुर्सी कमरा अब ज़रा सड़क पर तो उतरो । सड़क पर उतरना सीखना होता है । सड़क पर उतरना नकारा होना नहीं होता है । "
अंबानी बहुत बड़ी हस्ती है. मीडिया उसकी गुलाम, पुलिस उसकी दरबान, सरकार उसकी फरमाबदार. वह एक नहीं दर्जनों देश खरीद सकता है . लेकिन बदनसीबी से बस एक चीज नहीं खरीद सकता - सोशल मीडिया . टूट पड़िए कि सचाई दफ़न न होने पाए....
मुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अखबार हर तरफ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता। अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।" बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।
phir se wahi personal vichar, prabhawit vichar
यह जरूर है कि तुम्हारे पास रायफल है लेकिन --मैं मुसकराता हूँ और अपनी जेब से एक कोरा पन्ना निकालता हूँ
'' मेरा मोर्चा है। यह कागज जिस पर मैं तुम -जैसों को तो क्या , अपने और अपनों को भी माफ़ करना नहीं जानता ! ''
(अपना मोर्चा -काशीनाथ सिंह )
Sadak pe utrana aacha hai.. Sadak pe utar kar CM se PM 2014 banana assan ho sakta hai.. per Sadak pe utar kr dosro ko bevkoof banana asaan lag raha hai.... Kahi aisa na ki 2014 jeet ne k liye sab Sadak pe aa jaye.. Sadak aachi jab uska use sahi cheez k liye hota hai.. Jaisa JP jee ya Gandhi jee ne kiya.. jab Sadak ka use apna future banane k liye ho.. sawal uthe ge.. bahut uthe ge.. aur jawab bi ussi ko Dena hoga jo Sadak pe aaya hai..
सड़क से संसद तक .... सब गोलमाल है !
सड़क पर सरकार .. संसद में सरकार सब कुछ 'जनहित' का काम है जी ! धूमिल के शब्दों में '' वे सब के सब तिजोरियों के गुलाम है … .''
और जनाब ''भूखे आदमी का सबसे बड़ा तर्क रोटी है… '' सड़क से ही संसद का मार्ग तय होता है। हाँ , करीरिएस्ट राजनीति
में , मनोनयन पॉलिटिक्स में संसद से सड़क का रास्ता जाता है।
जीवन भर सुरक्षित नौकरी करिये … पैकेज पर ध्यान दीजिये और रिटायरमेंट में संसद का सुख भोगिये। यह प्रतिभा का कमाल होता
है।
हमारे प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह 2 टर्म प्रधानमंत्री बन गए। वे सचमुच के ईमानदार हैं। पर , ईमानदारी पैसा , रूपया , आर्थिक
भ्रष्टाचार का मामला नहीं है ! प्रोफ़ेसर , रिज़र्व बैंक के गवर्नर , योजना आयोग.... जीवन भर ''सेफ '' चलिए और औचक बिना
लड़े भिड़े , लाठी खाये , संघर्ष किये देश के वित्तमंत्री बन जाइये। यही नहीं जो आडवाणी और प्रणब को नहीं मिल पाया(प्रणब दा को अंत में दे दिया गया !) वह पद मिल जाए तो सब नसीबे का मामला है न ! का करियेगा सड़क पर तप कर .... ? बिना तपे -तपाये भी सब कुछ पा सकते हैं !
जैसे किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी का वाईस चांसलर नियुक्त किया जाता है मैनेजमेंट द्वारा , वैसे ही यह देश भी एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी
की तरह है। पीएम भी वैसे ही नियुक्त कर दिया जाता है।
''आम जगह'' भी किसी आशुतोष को संघर्ष नहीं करना पड़ेगा , अचानक सांसदी मिल सकता है , चुनाव लड़कर ही ! पर , जो शुरू से सड़क पर है वह सड़क पर ही रह जायेगा !
Mauka mile to journali sadak (written by raza abdi, repoter bbc) zaroor padhiyega ravish ji.. Sadak to sashwat gai...samay k bhanti bs hum hi guzar rahe hai
ravish ji,
pehli baar hindi mein likhne ki koshish kar rahi hun.
aapki sadak se baatein sunte sunte kaafi sochmen pad gayi.
pehle paragraph ke baad, esalaga ki jindagime 'sangharsh' ko sambodhit kar rahehein.
sadak ka upmaan lekar. sangharsh hi rasta hai jispe chalte chalte hum sub
kuch na kuch mukam pe pahunche hain. par sangharsh ko kam maine rakte,
bade mukam ko to dhoondte hain.
hum to neta nahin, par kuch din se apni barah saal ki corporate kaam se resign karne
ki soch rahi thi. dost kehte ki bewkoofi hai aur ghar mein baukalahat hai. is baat pe beichaini thi.
aticle pad kar laga ki, such me sadak chaap din to bhool hi gayi. phir se seekhna padega.
sadak se samwaad shuru karna hai.
shukriya.
क्या कहें,केजरीवाल की सोच और भाषा सिर्फ उन्ही को समझ आ सकेगी, जो पूर्वाग्रह, मोदी, राहुल से आगे निकलकर एक बार भी इस गले हुए कथित लोकतंत्र के भ्रम से आगे निकल सके ..रवीश जी, आप को साधुवाद..इस सार्थक लेख के लिए
kya sir....wah wah wah wah wah
Sir aap jaise imaandar aur intelligent journalist iss tarah ka observation kar sakta hai.
व्यंग् अच्छा है।
aapke andaz me...kya baat hai!
kal ka prime time b bahut achha tha. aaj subah meri mother in law ka ranchi se phone aaya, unhone news ppr me aapka article padhne k baad mujhe phone kiya tha.....bahut khush thin....
sach me aapko padhke aisa lagta hai... ek achha din gujra ho jaise..........
kya ravish jee..likha to acha hai per looks more of AAP perspective..
lagta hai aapki kalam main syahi AAP kee ho gayee hai...
kald ebate bhi dekha aapka.. sayad yahi laga..
kahin aap next asutosh to nahi ho rahe ?
request you to be more neutral..
परिवर्तन की राह कठिन जरूर है मगर जो हिम्मत करते ह उन्की हमेशा जेीत हुइ है.
परिवर्तन की राह कठिन जरूर है मगर जो हिम्मत करते ह उन्की हमेशा जेीत हुइ है.
Smjh nahi aa raha sir
kya AAP glat rasty par hai?
Satya yeh hai ki Delhi me pichle do saal ka result vismaykari hai. Traditional politics ya kahe Rajneethi kee dhara bilkul badal gayee hai vaise hee jaise 1934 ke Earthquake ke baad Bihar me "Kosi" kee. Is dhara ka vilay kis sagar me hona hai kise ko nahi maloom.Bechari Sadak bhi usee me se ek hai.
Ravish babu aap bhi sathiya gaye hain aap bhi dubey aur profsr sabh ki taraf jaa rahe hain pahle aapke shows ko dekhta tha bahut achha lagta tha bt AAP jaise log aap ho gaye to nafrat ho gaye hai.Ye nautnkibaaz hain sab....ssab hakikat samne aa jayegi dheeraj rakhi ..kahi dhobi ke k.... wali naa naa ho jaye aaplogo ki maaf kijiyega..agar bura kaha to...bt it seems to be....hosiyar raha asutosh ke sath jaldi me naa raha sab kaam gadbada jayiii babua...
ravishji kal ka amney samney Bahut hi Accra raha Auron ke discussion se bilkul alag aur Saaf Bahut khoob
ek aur baat... kayi din se Dr. Kirti Kale ji ke geet "jab bhi man ki mala pheri" ka kya asli matlab soch kya hai rahi thi.
I get goose bumps listening to this. After reading your article I understand this poem better.
http://www.youtube.com/watch?v=xdx8Jjesmkk
रविश जी, उन्हें दुःख इस बात पे नहीं है कि कोई सियासतदां सड़क पे कैसे उतर सकता है? यह नाटक तो सभी कुर्सी मिलने से पहले करते ही रहते हैं. यह भी बात सही है कि उनकी आलोचना में नाटक नहीं,सच्चाई है. प्रतिनिधि लोकतंत्र - जहाँ प्रतिनिधित्व बहुत अधिक है लेकिन लोकतंत्र बहुत कम - वहां ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है कि चलो जबतक सत्ता में नहीं हो तबतक सड़क पे उतरना तो ठीक है लेकिन अब क्यूँ नाटक कर रहे हो -सत्ता का मज़ा लो .आखिर कहाँ तक हम तुम्हारी नक़ल करेंगे.कही तो सत्ता का आनंद स्पेस रहने दो. जहाँ पुरे विश्व में लोकतंत्र चौराहे (सड़क) पे खड़ा है वहां रास्ता भी यहीं से निकलेगा. हाँ , कभी-कभ छायावाद से उतारकर कबीर की भाषा में भी लिखा कीजिये.
हर मंज़िल तक पहुँचने के लिए सड़क एक ज़रिया है.... यहाँ सड़क एक रास्ता, एक राह है मंज़िल तक जाने के लिए।
"मंज़िल मिल ही जाएगी, भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं "
हमें सड़क से बहुत प्यार है....
मोदी का "माइ आईडिया ऑफ़ इंडिया " देखा आपके चैनल पे , मुझे लगा जो भी लोग बैठे थे ,बस कमियां निकलने के लिए ही बैठे थे ,
क्या भाषण दिया था उस दिन मोदी ने,
ऐसा भासन किसी ने पहले नहीं दिया ,खासकर किसी रैली या अधिवेशन में , में आज के दौर के संबंध में कह रहा हूँ .
कांग्रेस के आदमी ने बोला की सॉफ्टवेर में इंडिया वर्ल्ड चैंपियन है ,इसलिए हमारे सिस्टम हैक हो जाते हैं ,हमने आज तक एक भी ब्र्वोसेर नहीं बनाया , एक बात की तो तारीफ़ करिए की मोदी हमेशा कुछ अलग करते हैं ,उनका आईडिया उल्टा लग सकता है ,पर बिलकुल अलग करना ,
जैसे उन्होंने पानी के ऊपर सोलर पैनल लगाने का किया है ,ताकि पानी की भाप न बने और ,किसानो के लिए मदद हो सके .
गुजरात में उनके प्रोजेक्ट्स देखिये आप उनको चाहे कितनी भी गाली दीजिये ,इनोवेशन देखिये .
जो आदमी इनोवेटिव होता है ,जो दुनिया जो अविसमरनिये कार्य करता है !
मुझे आपके इस शो को देखके बहुत निराशा हुई ,जिस भासन पे हर एक media चैनल को 3,4 दिन बात करना था,वो ये कहकर की ये नहीं हो सकता ,ये पुराना है ,ये हो रहा है कहकर नज़र अंदाज़ कर रहा है ,
केजरीवाल इतने बड़े हो गए की इस विषय पर चर्चा ही नहीं हुई , IBN7 , आज तक को देखिये किस तरह से AAP का प्रचार कर रहा है ,हद्द है , राजदीप जैसे लोग पत्रकार कैसे हैं ,
मुझे प्रसून वाजपयी ठीक लगते थे ,पर उन्होंने भी हद्द कर दी .
आशुतोष के AAP में जाने से media का दर्द सामने आ गया ,बेचारे जब भी बोलते हैं तो उनके निशाने पे हमेशा मोदी ,गुजरात दंगा ,बाबु बोखारिया ,मुसलमान रहते हैं .
किस दिन एक निष्पक्ष समाचार सुनूंगा !
अगर आप IBN7 हिंदी और इंग्लिश ,NDTV इंग्लिश देखते हैं ,तो आपकी आत्मा रो जाती है ,ऐसा लगता है हिन्दू होना पाप है ,पूरा इतिहास की धज्जियाँ उदा देते हैं ,कम्युनिस्ट लोगों की बातों से खूब सहमत रहते हैं ये चैनल |
कमल चिरोन को आपने अपने चैनल पर बुलाया था ,उनका twitter अकाउंट देखिएगा ,और फिर मुझे बताना की क्या ऐसा आदमी देश को अपनी निष्पक्ष राय दे सकता है |
JNU के सारे लोग कम्युनिस्ट एवं अनीश्वरवादी होते हैं | लिखना बहुत कुछ है ,पर आप नहीं समझोगे ,दिल का दर्द , आप मेरा कमेंट पड़ते भी हो या नहीं इसपर भी शक है |
सर इस media जितना गन्दा कुछ नहीं है इस देश में . गारा ये चाहता तो आज देश यहाँ न होता , दोनों योगदान हैं ,पर मेरी नज़र में मेरे भारत के इतिहास को खतम करने में ,बदलने में इसका खूब योगदान है |
एक इतिहासकार के साथ दोस्ती कर लो ,उसको अपने चैनल पर बुलाओ , वो बोलते हैं की ये देश न हिन्दुओं का था ,न किसी और का ,ये किसी का नहीं था ,इस देश में बहार से लोग आये हैं ,हिन्दू भी बाहरी हैं , ये कथा पुराण एक कल्पना है ,इससे हिन्दुओं का कुछ लेना देना नहीं है | सचाई तो यह है ,की ये देश कभी हिन्दुओं का ही था ,फिर बाहरी सक्तिओं ने ,इसको दूसरों का बना दिया ,दूसरों का बानने का गम नहीं ,गम इस बात का है की इस देश की हस्ती ही मिटा दी , क्या ये टीवी के इतिहासकार बताएँगे की ये देश किन लोगों का सनातन निवास था !
कम्युनिस्ट और left विचारधारा वाले right विंग को हमेशा गाली ही देते हैं , और तुम कम्युनिस्ट और left विचारधारा वाले लोग , इश्वरहीनता को ही अपनी ताकत मानते हो ,हम इश्वर के अधीन खुद को मानते हैं |
बोलना और लिखना नहीं आता ,
दिल में था लिखा दिया , मजाक मत उड़ाइएगा |
हम भी टूटा फूटा media को समजते हैं , हमारी विचारधारा के लोग भी इस देश में ही रहते हैं , टीवी में पैदा नहीं हुए थे ,न ही किसी कम्युनिस्ट या left,सेंट्रल के घर में |
…dekhiye ravish ji "Afeem" ka asar "AKS" ki tippani me…!!!
भैया अबूझ जी, किसी के जज़्बात का माखौल मत उडाईये. AKS जी के दर्द को समझिये.पता नहीं मोदी जी कितने दिनों से मीडिया के limelight में नहीं हैं. इमोशनल अटैचमेंट भी कोई चीज है. मेरी सहानभूति AKS जी के साथ है.मुखे उम्मीद है कि रविश जी आपके पीड़ा को जरूर समझेगें. आखिर उनके अन्दर भी भावना है और दूसरों की भावनाओं का कद्र भी करते हैं.
Sach puchho to mai ye blog page bas inki comment k liye hi padhta hun.mast hai sir.
hum bhi sadak per the, ho sake to twitter pe unblock ker dena hujur.. darbar mein aayen hai @monsun14
Sir Aapse ummid n thi ki is sadak ke sahare aap Arvind ko defend krne ki kosis karenge,Ho sakta h syad aap kuch or bhi khna chahte ho jo syad mai samajh n paa rha..bt itna to muje pta ki ek C.M Dharne pr aakar agar ye khe ki Sare police wale apni wardi utar kr mere Saath aa jao Commisner kya krta h mai dekh lunga Ye to loktantrik nhi..Aap jaise log Ise bhi loktantrik kisi n kisi tarah se dhra hi denge sir..Wase muje bataiyega jarur ki kya h ye??.Apne ek program me aap prakash jee ko kh rhe the ki Anarchy or fasist me antar hota h..khair aap to history ke jankar h jaisa ki yogendre yadav jee ne kha Aap hi bataiye ki kya h ye loktantrik,Anarchy ya Fasist..Sir Aap Hamesa khte h aap tatash h..ek bar jra Soch kr Acche se dekhiyega ki yhi chiz kisi or ne ki hoti kya reporting krte aaplog.Mamta jee ne kiya tha tb maine kbhi nhi suna ki Aapne ise sahi kha ho..Sir agar koi C.M ye khe Aadha Samjhota kya hota h Koi adha Rape krwana chahta h kya??....Dang rh gya mai..agar Adha kuch nhi hota phir ye Dhrna khtam kyu??Ye wahi Arvind h yakin nhi hota jinke liye kbhi twitter pr dusro se bhid jaya krta tha..:(
app ke das ek blogs jo maine padhi hain,unme se ye sabse umda hain.
sahitayik lay aur vedna ka sateek mishran mujh jaise agyani ko bhi thoda bahut samajh me aata hain.
vedna sadak ki hain ya kuch aur ki ,yeh alag mudda hain.
masla iss ka nahin ki sadak par kya ho rahan hai par kis liye ho raha hain. ham jaise agyaniko ki samajh se pare tha "mudda".
Khair itna maloom hain ki sadak par utarne wale tayyari karke aur masla le ke utarte hain anyatha aap ne to nateeja dekh hi liya.
Baki aapki bhasa shaili ke to hum sab kayal hain hi,ab aap ka dard bhi bakhoob jhalak rahan hain aapki lekhni mein.
http://hillpost.in/2014/01/kejriwals-delhi-dharna-this-is-not-anarchy-mr-home-minister-this-is-revolution/97741/
aksar yahi dekha gaya hai ki sadak se hi us desh ki sahi pragati ka pata chalta hai par ravish ji apne is sadka ka yeh bhi pahlu samjha diya ki is desh ki rajneeti ka bhi samndh bhi is sadak se hai.aur jitni sadak khali rahti ek viksit desh ki .par hamare desh me sadak bhari rahne ke baad bhi rajneeti khali hai
thanku ravish ji
I am giving sympathy to AKS.
My own thought Media is not doing any side for congress,app or some one else. Reality is BJP is not doing anything without MODI Ji, and currently MODi ji is busy in kite flying.
Tikam
में समाज सकता हूँ .की दो विशेष लोगों ने टीकम टेलर और अभूज जी ने ही मुझे विशेष smypathy क्यं दी है ,
खैर मुझे मोदी समार्थक मत कहिये ,हाँ मोदी को पसंद जरुर करता हूँ ,पर अँधा समर्थक नहीं हूँ .
मैंने मोदी से जादा बात , विचारधारा पर की थी ,और खासकर , media के टॉप मालिकों के ऊपर , टाइम्स ऑफ़ इंडिया अगर अखबार बेचता है तो अश्लीलता भी खूब बेचता है , ऐसे लोगों को बेटी बचाओ का मतलब कैसे पता हो सकता है , कम से कम आप "हिन्दू अखबार" से सीखिए की समाचार किस सादगी से पेश करना चाहिए |
और जो लोग इतिहास के बहुत बड़े ज्ञाता हैं ,वो अपने अध्यापकों से पड़ते रहें ,और नंबर लेते रहें ,मुझे नंबर नहीं चाहिए ,आपको तो चाहिए ही |
" क्या ये बात सच नहीं है ,की हिन्दुओं की पूजा पद्धति का मजाक उड़कर ,अंको अन्धविश्वासी बताकर उनका अपमान किया जाता है ,अगर ये दुसरे किसी समुदाय का हो तो कत्ले आम हो जाता है , खिअर इसमें गलती खुद हिन्दू लोगों की है ,जो कभी भी हिन्दू धर्म का मर्म नहीं जान पाए ,बस पंडित बनकर श्लोक पढ दिए , कभी भी परंपरा से नहीं जुड़े |
आज हिन्दू होने का मतलब वो नहीं रहा जो पहले के समय था,पहले वैदिक विधि का पालन होता था,अब टिका लगा दो तो अध्यापक बोलता है
" के भाई घाना पुजारी बनान लाग रा है "
ये बात अगर किसी टोपी वाले से बोली होती ,तो उसको ससपेंड कर दिया होता |
गर्व से हिन्दू बोलो मत ,गर्व से जियो ,
जब हिन्दुओं को ही शर्म आती है वैदिक वेश भूषा में ,तो बाकी तो आपका मजाक उड़ायेंगे ही !
में तो कहता हूँ मुसलमानों से हिन्दू सीखे किस तरह भगवान् को याद रखना चाहिए ,
बुद्धा से सीखें , जैन से सीखें " अहिंसा परमो धर्मा " .
जब तक आप खुद को इज्ज़त नहीं डोज,आपका मजाक ही उड़ता रहेगा ,आपको अपनी तहज़ीब को ,संस्कृति को खुद ही दिल से अपनाना होगा ,ज़बरजस्ती कोई चीज़ नहीं अपने जाती ,
जब आप सनातन धरम के बारे में जानोगे तो आप खुद उसकी तरफ उन्मुख हो जायेंगे |
जब हिन्दू खुद ही मॉस भक्षण कर रहा हो ,खुद ही गाय काट रहा हो तो क्या उपदेश दे सकता है , पहले खुद को उपदेश देना चाहिए |
मुझे हमेशा लगता है ,जब भी बोलने की कोशिश करता हूँ ,
" अगर में कहूँ में हिन्दू हूँ ,तो लोग मुझे सम्प्रदाइक कहते हैं " , क्या में हिन्दू होने से सम्प्रदाइक हो जाता हूँ |
जब दिल्ली में जामा मस्जिद के इलाके में जाता हूँ,तो एक अजीब सी बेचैनी आ जाती है ,दर लगता है ,शायद मुसलमानों को भी हिन्दू इलाके में ऐसा ही लगता होगा,पर जो फर्क है ,जो जिसने जिया है वो समज सकता है|
एक वर्ग का दुनिया में इतिहास रहा है की किस तरह से उसने सिर्फ अपनी चलाई है ,और पूरी दुनिया को बन्दूक की नौक पर परिवर्तित किया है, मुझे भी लगता है |
दिल में प्यार होना चाहिए जुबान पर नहीं ,
जब तक दिल में प्यार नहीं होगा ,तब तक आप बन्दूक ही चलाते रहेंगे |
आज मैंने सिखा " राष्ट्रवाद " क्या है |
राष्ट्रवाद की लहर 1857 से पहले कभी नहीं दिखी,आज भी मराठी ,बिहारी को दुश्मन मानता है,गड्वाली सिर्फ गड्वाली से ही दोस्ती करता है ,क्यं ? क्यंकि सामने देश तो बना लिया ,पर अभी राष्ट्र बन रहे हैं .. work under process ..
जब तक इस देश में राष्ट्रवाद का उफान नहीं होगा,तब तक हिन्दू मुसलमान से,मुसलमान हिन्दू से , मणिपुरी ,गुजराती से डरता रहेगा ,एक नफरत की आग सुलगती रहेगी ..
मोदी आ जाएँ का अकबर ,जब तक ये देश एक धागे में नहीं होगा ,एक दुसरे के लिए नहीं होगा ,ये देश आगे नहीं बड सकता |
आज देश को राष्ट्रवाद चाहिए ,
कांग्रेस का पूरा नाम पढिये " Indian नेशनल Congress " ,उसका जन्म ही जब हुआ ,जब एक राष्ट्रवादी लहर ने लोगों को छुआ ,पर अभी बहुत दूर हैं |
दूरी घटाते रहिये , साथ चलते रहिये |
" वन्दे मातरम् " , हैप्पी रिपब्लिक डे "
जो मुझे लगता है
Ravish ji TV se hi jan paya tha ki aap itihas ke student rahe hain parantu aap itihas se ke kum darshan avam sahity ke vidyarthi jyada hain tabhi aap ne ak nirjeev sadak ko apna sahyatri banaya aur us per hote karm avam kuarm kee vyakhya anubhti sahit apne shabdo main ki. is main abhi aap ko aur gahri main jana hoga. sadak ke dard ko aur samajhna hoga, sadak kyon aur kaise banti hai, ise bhi samjhna hoga. sadak manjilo par pahunchne ky liye hoti hai, na ki bar bar manjil par pahunch ne se pahle he "U" turn lekar vahin baith jane ke liye hai.
सर ये जरुर देखिये प्लीज राहुल गाँधी रीमिक्स http://www.youtube.com/watch?v=tj5j8AbyYIQ
सर ये जरुर देखिएगा प्लीज ...राहुल गाँधी रीमिक्स http://www.youtube.com/watch?v=tj5j8AbyYIQ
आदर्णीय रवीश जी,
पहली बार आपसे कुछ कहने का मन हुआ सो कह रहा हूँ| कुछ समय से आपके लेख पढ़ रहा हूँ, और आपको चैनल पे भी फॉलो कर रहा हूँ। आपकी सादगी और पेशे के प्रति आदर को प्रणाम करता हूँ। आशा करता हूँ आप ऐसे ही रहें |
- मृदुल
मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ, पर माफ कीजियेगा, आजकल आप थोड़े पक्षपाती लग रहे हैं.
बढिया है... लेकिन अन्तिम सत्य ये भी नही है। जैसे कहे "वह पढ रहा है" प्रथम द्र्ष्टा अच्छा लगता है, लेकिन क्या पढ रहा है, ये भी एक मुख्य तथ्य है ना....
Sir aapne to sab ki ..... hai, bahut hi umda kisam ka lekh hai.
Aapne jo sadak ko charitarth kiya hai woh atulneey hai... wakai mein ye neta log ye baat bhool jate hain hain ki unhone hi sabse jyada vidroh kiye hain aur almost har neta bade bade vidroh karke itne upar tak pahuncha hai ..lekin aaj jab AAP ke neta vidroh karte hai to woh anarchist ho jate hain.. BJP har saal kitni baar bharat bandh karti hai ..sivsena bajrang dal sanskriti ke naam pe kitni tod phod karwate hain ..hai iska koi hisaab....BJP ko log yun hi gunda party nahi kahte hain..
Aapne jo sadak ko charitarth kiya hai woh atulneey hai... wakai mein ye neta log ye baat bhool jate hain hain ki unhone hi sabse jyada vidroh kiye hain aur almost har neta bade bade vidroh karke itne upar tak pahuncha hai ..lekin aaj jab AAP ke neta vidroh karte hai to woh anarchist ho jate hain.. BJP har saal kitni baar bharat bandh karti hai ..sivsena bajrang dal sanskriti ke naam pe kitni tod phod karwate hain ..hai iska koi hisaab....BJP ko log yun hi gunda party nahi kahte hain..
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