ध्यानचंद के लिए कोई नहीं !
मुझे लगा था कि नेता मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिये जाने की मांग ज़ोर शोर से करेंगे । यहाँ तो सब अपने अपने नेताओं को देने की मांग में लग गए । अजीब हालत है राजनीति की । जिसे मिला है कम से कम उसकी तो खुशी मना लेते । जैसे बच्चे करते हैं न । पप्पू को दिया तो बब्लू को भी दो । जब लोग सचिन और ध्यानचंद को देने की मांग कर रहे थे उसके लिए नियम बदलने की चर्चा हो रही थी तभी क्यों नहीं कहा कि सचिन ध्यानचंद को छोड़ो पहले अटल बिहारी वाजपेयी को दो, कर्पूरी ठाकुर को दो लोहिया को दो । हद है । मुझे लगा था कि ये ध्यानचंद के लिए कम से कम नक़ली आँसू तो बहायेंगे । मगर ये तो दो मिनट में भूल कर अपने नेताओं का जाप करने लगे । लगता है कहने कोसिए बेचैन हैं मगर कह नहीं पा रहे हैं कि सचिन को क्यों दिया । हमें क्यों नहीं । कोई विवेचना के लिए तैयार भी है कि वाजपेयी को क्यों मिलना चाहिए । कर्पूरी ठाकुर को क्यों मिलना चाहिए । कांशीराम को क्यों नहीं मिलना चाहिए ? कम से कम लोगों को पता तो चले कि इन्होंने ऐसा क्या किया था । और तो और एक और नया धंधा शुरू हो गया है कि पहले किसको दिया का । पटेल को बाद में दिया सचिन को जल्दी दिया । हर भारत रत्न के साथ यही कहानी है । लोकपाल को दे दीजिये वही तय करेगा किसे मिलना चाहिए । पहले लोकपाल बना तो दीजिये ।
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22 comments:
हाहा ! जय लोकपाल की ! वैसे मेरे पास एक और प्रश्न है (फालतू ही सही ).. ये भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, आदि आदि ये उपाधियां सरकार क्यों बांटती है। क्या इसमें सामंती या उपनिवेशिक सोच नहीं झलकती ? और इसके चुनाव का तरीका तो पूरा साहेब ( वो वाले नहीं ) की मनमर्ज़ी पर होता है। जब चुनने का कोई तरीका ही नहीं है, तो चुनाव पर तार्किक बहस कैसे हो? फिर तो सब गाएँगे ही न, अपना अपना - राग दरबारी। ( ऐसा देखने में पर और सामंती लगता है ये सब )। ये बहस का विषय है, और मेरी बात अधूरी लग सकती है, पर ये भी सोचें की हासिल क्या होता है इस सबसे? सिवाए लोगों कि हाय हाय के ? जो काम कर रहा है, वो तो करता ही रहेगा। हाँ ,ज़यादा लोगों को मालूम पड़ जाता है। पर, फिर जिसको जानने कि इक्षा है वो भी जान ही लेगा। इनके "विभूषित" होने का इंतज़ार तो करेगा नहीं। और किसी को ये ग़लतफहमी है कि नाम के आगे सर, पद्म विभूषण, आदि लगाने से "श्री श्री १००८" टाइप रुतबा आ जाता है, तो ज़रा बादशाह ज़फर का टाइटल पढ़ ले। टाइटल में दो चार क़सीदे और गढ़े होते तो, अंग्रेज़ों कि मज़ाल थी तो उनको बंदी बनाते। ख़ैर, ये बेतुकी दलील है, पर मुझे कौन सा टाइटल मिल रहा। इसलिए जी भर के गरिया लो यहीं। हे हे !
(वैसे अटल बिहारी को अंचल बिहारी लिख दिए हैं। ठीक कर लीजिएगा )
Ravish bhai,
Aapka yeh post acha laga. bhai sahab yeh bhulna or yad karna bhi apne apne matlab par adharit hota hai.Ab sochiye Bharat Ratn, Rajniti or Vartman chunavi mahol me kya ham hamare Desh k kuch pramukh sahitykaron ka chale jana bhi mahi bul gaye. kahin kisi ko koi fark nahi para. Kyoki aaj ka har aadmi sirf apne or apno me vyast hai.Rajendra Yadav, k.p.saxena or Harikrishn Devsare jase logon ne apne lekhan ke madhyam se jis samaj ko ek disha dene ka prayas kiya. Usi samaj ke ham bhi sadasya hain, khas kar ham jase bahut sare eise log jinhone in logon ki lekhni ko padh padh kar lekhni ki a,b,c sikhi. Pata nahi log itni raftaar me kyon hain. sirf itni si soch bach gayi hai ki sabkuch bhulo sirf apne swarth koyad rakho. kya ye mahan log Bharat ratn to choriye yad karne ke kabil bhi nahi the.hamen inhen yad nahi karna chahiye...kam se kam ham apni bat to kar hi sakte hain. Hamare sath bhi eisa hi hoga shayad...
मुझे लगा था कि ये ध्यानचंद के लिए कम से कम नक़ली आँसू तो बहायेंगे । :D :D
Par dhyanchand ko to ab nahi mil sakata kyuki Jivan parany ke bad bharat ratna dena ab allow nahi hai ( as i know )
रविश जी पहले तो मे आपको बताना चाहता हु की मे आपका बहुत बड़ा फेन हु ,आपकी पत्रकारिता नो-१ है ,लेकिन अपने जिस मनीष कुमार को आज बुलाया था वो बीजेपी और मोदी समर्थक है ,
दूसरा आपका फेसबुक पर एक पेज आपकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से है की वो पेज पिछले २ साल से अपडेट भी नही हुआ फिर भी उसके ४० हजार लाइक है
आप फेसबुक पर अये
https://www.facebook.com/pages/Ravish-Kumar-on-NDTV/174053199226?fref=ts
https://www.facebook.com/manish.media?fref=ts
manish kumar ka page jo apney aap ko anna samrhak kehta hai
आप ब्लॉगपोस्ट पर उतना ही लम्बा कमेंट करते है, हैं ना !! :P
ye pasand aayega aapko, na padhaa ho to plz padhiyega
http://www.openthemagazine.com/article/nation/modi-media-and-money
राव को रत्न मिला तो लोग उनको और उनके काम को जाने| रत्न , उपाधियां ऐसे लोगों को हीं मिलनी चाहिए जो अच्छा काम करते हैं पर गुमनाम हैं| इससे उनको प्रोत्साहन मिलेगा और युवा प्रेरित होंगे|
फ़िल्म स्टार, क्रिकेटर्स और राजनेताओं के लिए रत्न की कोई खास उपयोगिता नहीं है| लोग वैसे भी उन्हें जानते हीं हैं| रत्न मिल जाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला| उनके विरोधी उनके समर्थक भी नहीं बनने वाले| जो अच्छे राजनेता हैं वो खुद में हीं रत्न है|
बाकी रत्न तो घुस और चमचई का हीं एक रूप है|
KOI MANE , AAP MANE NA MAANEIN ...SACHIN KO MILA BHARAT RATN ..BAJAR , MEDIA AUR MEDIA DWARA SRIJIT JANMAT KE KARAN SOCH-SAMJHEE RANNITI KE KARAN DIYA GAYA HAI ! BHARAT RATN NAHI HUAA ..PATAKHA HO GYA ..?
DHYANCHAND KO NAHI DE RAHO HO ..KYOKI WAH AB NAHI HAIN . JAB WE KHELATE THE TO PAISA AUR BAJAR TATHA MEDIA KAA BAYAR BHI NAHI THAA .
SABKO DE DENA CHAHIYE YE KAHIN JYADA DESERVING HAIN . ..SUNIL GAVASAKAR , KAPILDEV , MAHENDRA SINGH DHONI AUR SOUARV GANGULY !
VISHWANATH ANAND , P T USHA , MILKHA SINGH , BAICHUNG BHOOTIAA , PAES NE KYA BIGADA HAI !
RAM MANOHAR LOHIYA , KARPOORI THAKUR , KANSHIRAM , JAGJEEVAN RAM
, DR. RAMVILAS SHARMA , DR NAMWAR SINGH KISI RATN SE KAM HAIN .
BHARAT RATN KO KHTMA KAR DENA CHAHIYE ! ITANE RATN HAIN ...KISKO KISKO DENGE ?
PRABHASH JOSHI , RAJENDRA MATHUR , AGEYA , RAJENDRA YADAV INHE KYOAN NAHI ?
भारत रत्न ही नहीं दुनिया के समस्त सम्मान -पुरस्कार के साथ वाद -विवाद का गहरा सम्बन्ध रहा रहा है । नोबेल पुरस्कार …खासकर साहित्य और शांति को लेकर ज्यादा विवाद रहा है ! गांधी बाबा को नोबेल नहीं मिला । जिसको लेकर नोबेल फॉउण्डेशन गाहे -बगाहे अफ़सोस व्यक्त करता रहा है !
भारत में साहित्य अकादमी , फ़िल्म फेयर , दादा साहब फाल्के और नागरिक सम्मानों की जो दशा -दिशा है …वह इस कारण है कि भारत में संस्कृति नहीं , संस्कृतियां हैं । जाति , समुदाय , धर्म , वाद , क्षेत्र , भाषा .... की विविधताएं हैं ।
जाहिर सी बात है.... महानों की लाइन लगी है । वैचारिक दृष्टि से एक 'पंथ ' के लिए जो बुर्जुआ है , दूसरे के लिए वह 'सर्वहारा ' है ! कोई राष्ट्रवादी है तो कोई राष्ट्र निरपेक्ष है !
एक के लिए अंधविश्वास है तो दूसरे के लिए आस्था ।
ऐसे भी भारत महान में दलित , आदिवासी , अल्पसंख्यक और स्त्रियों के प्रति जिस तरह का झोल -झाल है , अन्याय है , पॉलिटिकली करेक्ट होने की चाल है , उसमे कर्पूरी ठाकुर , कांशी राम , जगजीवन राम .... कहां के रत्न हैं ? आज मीडिया और बाजार के दबाव में कोई पार्टी , पत्रकार , नेता .... सचिन को लेकर सवाल नहीं उठा सकता ! सवाल उठाने वाला शिवानंद तिवारी हो जाता है ।
यह ध्यान रखिये भले ही गावस्कर , कपिल , धनराज सहित सभी लोग सचिन के लेकर गौरवान्वित हो रहे हों .... एक टीस भी होगी , कसक भी होगी ! जिस दौर mein सुनील गावस्कर और कपिल ने क्रिकेट khelaa वह भी चरम क्षण था ! १०,000 रन और ४३२ विकेट कठिन था ।
कपिल ने वेस्ट इंडीज के पताका दौर में विश्व कप साकार किया । अगर रिकार्ड्स , लोकप्रियता पैसा ही भारत रत्न का पैमाना हो तो अनेक दावेदार हैं ।
आखिर , पी गोपीचंद , अभिनव बिंद्रा ने क्या बिगाड़ा है किसी का ?
तो मेरी गुजारिश है कि रत्नों के असंख्यक दौर में १०-२0 फील्ड से रत्न चुनिए , थोक के भाव से dijiye samman या इसे खत्म कर दीजिये !
मेरा यह कमेंट इस पोस्ट को लेकर नहीं है बल्कि आम आदमी पार्टी के साथ जो आपका लव अफेयर चल रहा है उसको लेकर है
एक पोल सर्वे के आधार पर आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर कि पार्टी बन गयी जबकि अभी तक इसने एक पार्षद का चुनाव भी नहीं जीता है पर मीडिया कवरेज ऐसा कि पूछिए मत.. और कभी कोई मुश्किल सवाल भी पूछा कीजिये कि नीतिगत भ्रष्टाचार का क्या जो वैश्वीकरण के नाम पर चल रहा है। ।और इन्होने अब तक कौन सा आर्थिक मॉडल दिया है देश को। ..
भारत रत्न हो या पद्म अवार्ड्स-इनकें -ve awards भी होने चाहिए :)विदेशों की तरह अगर उपाधि(awards)देते है तो यह बात भी बनती है-
है न?बाकी कोई बादशाह का राज है जो पब्लिक के पैसे west किये जाए :-/ ?
well-उपरोक्त विचार मेरा अपना है जिसकी कोई परीक्षा नहीं है:)
वैसे परीक्षा आप की हो या बाप की :)अगर CM दे रहे हो तो आप का क्या जाता है?(अब पता चला बकरियाँ क्यूँ चराई जा रही थी-exam fobia) :) :-p
बैसे राजीब गाँधी को भी क्यों मिला ..? सुभाषचंद्र को तो उसके बाद दिया गया लेकिन उनकी फॅमिली ने लिया ही नही ...राजीव ने क्या किया ऐसा जो उन्हें मिला ...मर जाना ही भारत रत्न की उपाधि के लिये काफी है ? तब तो रोजाना हमारे बहादुर सरहद पर शहीद हो रहे है ..
pehle mein bhi khush hua jab sachin ko bharat ratan k liye announce kia...but after that i read an article in Hindu...fir mujhe smjh aya ki yahan bhi politics ghusi hui hai wo bhi jamaano se :-( ...
Jahan inko rajneetik faida milega wahan ye Bharat ratna aur mooortiyan banwane lagenge.
Dhyan chand ko bhi milega par shayd lok sabha chunao ke pehle wo inka turuk ka ikka hoga.Aur Modi ji ne to pehle se hi Sardar Vallabbhai Patel ji ke liye "Statue" banwa di hai.
netayon ki netagiri....
इस पोस्ट में आपकी मानसिक संकीर्णताझलकती है
अच्छा लेख लेकिन भारत रत्न जैसे किसी भी उपाधि के अस्तित्व पर एक सार्थक बहस जरूर होनी चाहिए।।।
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