भाई साहब, रोज़ सौ दो सौ लोग मेरे साइबर कैफ़े में फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल खुलवाने आते हैं । फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल ? कौन लोग ? स्मार्ट फ़ोन वाले ? नहीं । साधारण साधारण लोग जिनके पास दो से पाँच हज़ार तक के फ़ोन होते हैं । फ़ेसबुक का एक प्रोफ़ाइल खोलने का दस रुपया लेते हैं ।
जल्दी में हुई इस बातचीत को लेकर देर तक सोचता रहा । साइबर कैफ़े वाले ने बताया कि वो ज़िले में कांग्रेस का कार्यकर्ता है । जबकि उसी की पार्टी सोशल मीडिया के इस्तमाल में पिछड़ गई । नरेद्र मोदी ने अपने प्रचार के रूप में सोशल मीडिया के इस प्रसार का सबसे पहले इस्तमाल कर लिया । तो राजनीति के अलावा अर्थशास्त्र भी दिमाग़ में घूम रहा था । मोबाइल फ़ोन पर फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल खोलकर कोई दिन में दो हज़ार रुपये से लेकर महीने में पचास हज़ार तक कमा सकता है ! लगता है हिन्दुस्तान ने बिज़नेस करने के संस्कार सीख लिये हैं । लोग तरह तरह के प्रयास कर रहे है । काश कि मेरे पास वक्त होता कि मैं उसके कैफे पर जाकर खुद देख आता लेकिन मोतिहारी स्टेशन पर सप्तक्रांति के आने का समय नज़दीक़ आता जा रहा था । उसने जल्दी में एक और बात बताई कि वो ज़िले के कई प्रमुख लोगों का प्रोफ़ाइल मेंटेन करता है । जानकर रोमांचित हुआ कि गूगल फ़ेसबुक और ट्विटर कमाई का ज़रिया बन रहे हैं । वैसे मुझे ट्विटर पर फोलो करने वाले कुछ लोग गाँव के भी मिले । जो गाँव में रहते हैं और कुछ शहर में । गांव के एक सुनसान से रास्ते पर बोलेरे से एक नौजवान उतरा था।उतरते ही हाथ मिलाया और ई मेल आईडी मांगा। मुझे लगा कि बंदा दिल्ली में रहता है । उसने बताया कि गाँव में ही रहता है मगर रात में फ़ेसबुक करता है । गाँव में भी कुछ युवा लोग मिले जो अपने मोबाइल से इंटरनेट का इस्तमाल जानते हैं । इन युवाओं का गाँव और शहरों के बीच आना जाना लगा रहता है । दिल्ली में रहने वाले कुछ युवाओं ने मिलकर मायअरेराज डाँट काम नाम की साइट बना ली है । ये लड़के कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए काम करना चाहते हैं ।
मैं किसी स्वर्ण युग की तस्वीर नहीं खींच रहा बल्कि अपने गाँव में देख रहा था कि वहाँ क्या क्या हो रहा है । इसमें बिहार में आए राजनीतिक बदलाव की भूमिका देखी जा सकती है बल्कि एक सीमा तक ही । यह बदलाव किसी सरकार की प्रत्यक्ष भूमिका से संभव नहीं हुआ है । लोग नीतीश को श्रेय तो देते हैं मगर इस आर्थिक बदलाव में किसी एक सरकार की भूमिका नहीं है । मेरे गाँव में बिजली के खम्भे हैं मगर आज तक बिजली नहीं आई । स्कूल और पंचायत भवन की इमारत साधारण ही है । प्राथमिक अस्पताल की बात न करूँ तो वही ठीक रहेगा । मैं अपने ही गाँव को मेगास्थनीज़ या फाहियान की तरह देखता हुआ दर्ज करना चाहता था । महँगाई की सर्वदलीय हकीकत से हटकर ।
गाँव में बहुत कुछ बदला है । बाहर मज़दूरी करने वाले और अच्छी नौकरी करने वालों के भेजे गए सीमित पैसे से गाँव की अपनी अर्थव्यवस्था में तरलता आई है । इस तरलता से उपभोग का स्वरूप बदला है और तरह तरह के धंधों का विस्तार हुआ है । छठ के मौक़े पर अतिरिक्त क्रयशक्ति का प्रदर्शन हो सकता है लेकिन इसके बावजूद गाँव में दो दो सलून देखकर हैरान हो गया । नाई से सामाजिक पारंपरिक रिश्ता समाप्त हो चुका है । वो घर आकर बाल नहीं बनाता बल्कि आपको सलून में जाना होगा । छठ के दिन तो नज़ारा देखने लायक था,अतिरिक्त कुर्सियाँ लगी थीं और लोग अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे । सलून में नंबर लगा रहे थे । सलून में इतनी भीड़ तो दिल्ली में नहीं दिखती है । वो भी सिर्फ दाढ़ी बनाने को लिए ।
मैं इस लेख को सूची बनाने की तरह लिख रहा हूँ । आप इसे संपूर्ण तस्वीर मानने की जगह इस तरह से देखिये कि क्या क्या हो रहा है । गाँव के भीतर मुर्ग़ा और मीट की दुकान हैरान करने वाली थी । दिल्ली की तरह का स्टैंड बन गया है और बकरा टाँग दिया गया है । पहले ऐसा नहीं था । साइकिल पर मीट या मछली बेचने वाला फेरी लगाता था या लोग नदी से मछली मार कर लौट रहे मछुआरे से ख़रीद रहे थे । छठ के सुबह वाले दिन मछली खाने की होड़ लग जाती है । लोग घाट से लौटते ही मछली ख़रीदने लौटते हैं । मेरे घर के लोग भी गाड़ी लेकर गए और दो घंटे बाद लौटे तो ख़ाली हाथ । मछली नहीं मिली । मेरे लिए यह सूचना किसी सदमे से कम नहीं थी । क्या भीड़ थी या इतनी जल्दी बिक गई पूछने पर जवाब मिला कि थोड़ी सी मछली थी वो भी जल्दी ख़त्म हो गई । एक सज्जन में बताया कि पहले मल्लाह जाति के लोग छठ समाप्ति की सुबह मछली मार कर रखते थे कि अधिक दाम में मछली बिकेगी । लेकिन अब मल्लाहों के पास पैसा आ गया है इसलिए वे भी छठ करने लगे हैं । छठ के आयोजन में काफी पैसा लगता है । तो सज्जन बता रहे थे कि मल्लाह भी दो तीन दिन के बाद ही मछली मारेंगे । इस बदलाव को छठ की बढ़ती लोकप्रियता के संदर्भ में भी देखा जा सकता है ।
विषयांतर हो रहा है लेकिन वक्त आ गया है कि छठ का आर्थिक सामाजिक अध्ययन किया जाए । लोगों के कपड़े, दौरे में प्रसाद और सामग्रियों की गुणवत्ता और मात्रा तक का अध्ययन । शारदा सिन्हा के गीतों की जगह घटिया गाने बज रहे थे । छठ की सामूहिकता भी गुटबाज़ी को कारण टूटती नज़र आई । कई घाट बन गए हैं । एक विशालकाय घाट पर साथ गए सज्जन ने बताया कि ये एरिया हरिजनों का है । मैं चौंक गया । छठ में ? उसने तड़ से एक बच्चे का नाम पूछ लिया जो अपने घर की व्रती माँ या भाभी के लिए घाट की सफ़ाई कर रहा था । लड़के ने अपना नाम बताया इक़बाल पासवान । इक़बाल और पासवान ? इस पर भी चौंक सकते हैं । सज्जन अपने इस लैब टेस्ट से काफी ख़ुश नज़र आए और कहा कि ज़रूर लिखियेगा ।
ख़ैर, मेरे गाँव की सीमा पर कुछ दुकानें जगमग हो गईं हैं । कई सालों तक हमने वहाँ सिर्फ चाय और पकौड़ी की एक दुकान देखी है । लोगों के पास पैसे भी नहीं होते थे दुकान पर पैसे ख़र्च करने को । आज वहाँ दो दो मिठाई की दुकानें हैं । दुकान में कई तरह के ताज़ा आइटम बन रहे हैं जो लगे हाथ बिक गए । चीनी मिठाई खाने वाले कम रह गए हैं । अब मेहमान के आने पर चाय के साथ दो तीन आइटम मिठाई भी पेश किया जा रहा है । तीन चार साल पहले तक आपको छह सात किमी दूर चलकर जाना पड़ता था मिठाई के लिए । यहाँ एक ठेला वाला भी आता है जो किसी शहर में लगने वाले अंडे के ठेले की तरह है । यह ठेलावाला दिन में ही मटन फ्राई ( तास मटन) तलने लगता है । लोग पव्वा को साथ चखना चखते हुए चट कर जाते हैं । शराब की लत के शिकार कई नौजवान दिख जाते हैं ।
इसी जगह पर दो चमकदार जनरल स्टोर्स भी दिखा, इसके अलावा दो तीन औसत किस्म के भी जनरल स्टोर भी । गाँव में बाज़ार का ये आलम । एक स्टोर में देखा कि मैगी,फ़ेयर एंड लवली, तरह तरह के बिस्कुट,तेल, शैम्पू, कापी किताब अनेक चीज़ें । गाँव के सीमान्त पर बिजली होने पर दुकान में फ्रिज भी था । जिसमें कोक, पेप्सी स्प्राइट की बोतलें नज़र आईं । दुकानदार ने बताया कि लोग खूब पी रहे हैं । दुकान में दो या तीन फोटोकोपियर मशीनें भी दिखीं । जैसी हम घरों में रखते हैं । दुकानदार ने बताया कि लोग फ़ेयर एंड लवली चाव से लगा रहे हैं । माँ ने किसी बुज़ुर्ग महिला का क़िस्सा बताया कि तीन चार ट्यूब लगा है गोरा होने के लिए । नहीं हुईं गोरी । मैगी बच्चे खूब खा रहे हैं । लोगों को दतवन करते नहीं देखा । बबूल बिक रहा है क्योंकि यह बोलने में आसान है । महिलाएँ मिट्टी या साबुन की जगह शैम्पू के पाउच खूब लगा रही हैं ।
बच्चे चिप्स खा रहे हैं और जन्मदिन मन रहे हैं । ब्रिटानिया का केक जो कभी स्पेशल आइटम हुआ करता था अब जनरल हो चुका है । अरेराज में गिफ़्ट सेंटर भी खुल गया है । अरेराज हमारे इलाक़े का तहसील है और सौ दो सौ से ज़्यादा दुकानें हैं यहाँ । यह बाज़ार भी पूरी तरह से अतीत को छोड़ चुका है ।
हमने गाँवों के भीतर बाज़ार की इस सरकार के बारे में राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के नतीजों के संदर्भ पढ़ा तो था मगर यह नहीं सोचा था कि तस्वीर इतनी बदल जाएगी । ये और बात है िक आप गाँव के लोगों से पूछेंगे तो वे यही कहेंगे कि कुछ नहीं बदला है । पैसा नहीं हैं । अगर कुछ नहीं बदला तो साढ़े छह हज़ार की आबादी वाले पंचायत में बीस बोलेरो, स्कार्पियो कहाँ से आ गईं हैं । ठेकेदारी के पैसे से ? ये गाड़ियाँ हर पाँच मिनट में आती जाती दिख जाती हैं । एक पूर्व मुखिया ने अंदाज़ के आधार पर कहा कि बीस बोलेरो और एक हज़ार बाइक तो होगा ही । पहले एक आदमी के पास बाइक होती थी ।
बाहर का पैसा गाँव को नचा रहा है । ट्रैक्टर पर राईस मशीन लेकर व्यापारी आता है और दरवाज़े पर ही धान कूट कर चला जाता है । अब धान कूटवाने के लिए बहुत श्रम की ज़रूरत नहीं है । कोई सरकार चाहे तो हर पंचायत को राइस मशीन देकर वोट लूट सकती है क्योंकि गाँव में अब मज़दूर बचे नहीं । लोगों के कपड़े बदल गए हैं । जीन्स गाँव गाँव में घुस गया है । अरेराज मेन मार्केट पड़ता है । वहाँ मैंने देखा कि कम से कम दस पंद्रह जीन्स सेंटर और कार्नर खुल गए हैं । कारोलबाग का माल खूब खप रहा है । गाँव के लोग भी जीन्स में अड़स अड़स कर चलने लगे हैं । अब अरेराज के कपड़ों की दुकानों का नाम वस्त्रालय नहीं रहा ।
अब आइये गाँव में । रौशन नाम के दर्ज़ी को मैं सालों से देख रहा हूँ । इस बार रौशन के घर के बाहर बड़ा सा सोलर पैनल देखा तो पूछने लगा । रौशन ने बारह हज़ार का सोलर पैनल लगाया है जिससे वो पाँच छह बल्ब जलाता है । उसने मांग के अनुकूल उत्पादकता बढ़ा ली है । साथ में उसकी पत्नी ने बिस्कुट और पान की दुकान खोल ली है । कई अन्य जगहों पर भी दुकानदारी के धंधे में औरतों को बेझिझक काम करते देखा और लड़कियों के स्कूल कोचिंग जाते हुए । लेकिन रौशन का अपने धंधे में निवेश कुछ नई कहानी तो कहता ही है जो आपको सच्चर की रिपोर्ट में नहीं मिलेगा । इस शांति काल ने मुस्लिम समाज को भी नए किस्म का आत्मविश्वास दिया है ।
मास्टर ह्रदय कुमार गाँव में कोचिंग चलाते हैं । ढाई सौ बच्चों पढ़ रहे हैं । प्रतिस्पर्धा के लिए अतिरिक्त पढ़ाई की चाह गाँव में पनप गई है । इसका नतीजा दस साल बाद दिखेगा । ह्रदय कुमार ने बताया सब जाति के बच्चे पढ़ रहे हैं । लोग पैसे ख़र्च कर रहे हैं । उनके साथ घूमते हुए महसूस हुआ कि हर बच्चा प्रणाम सर कहने की परंपरा आज भी ढो रहा है । आख़िर उसके ज्ञान का अंतिम ज़रिया मास्टर साहब ही तो हैं । मास्टर ने बताया कि वे नियमित प्राइम टाइम देखते हैं । सोलर पावर से या जनरेटर जला कर अब ठीक से याद नहीं है । ख़ैर ।
कोई समय जड़ नहीं हो सकता । कुछ न कुछ बदलता ही है । लोगों ने बिजली का इंतज़ार छोड़ दिया है । हालाँकि जहाँ बिजली है वहाँ लोगों ने बताया कि छह से दस घंटे की बिजली मिल जाती है । बिजली को कारण भी कई तरह के बदलाव आ रहे हैं जो मीडिया में दर्ज नहीं किये जा रहे हैं । फिर भी एल ई डी लाइट ने मिट्टी तेल वाले लालटेन को प्राय समाप्त कर दिया है । एवरेडी का एल ई डी वाला लालटेन नुमा टार्च लोकप्रिय है । सोलर से चलने वाले कई तरह के डिजी लाइट गाँवों में दिखेंगे । गाँव के लोगों ने अपने आप सौर ऊर्जा की ताक़त समझ ली है । शहरों से ज़्यादा गाँव के लोग सोलर ब्रांड के बारे में जानते हैं । टाटा का अच्छा है भारत का नहीं । एक ने कहा ।
मास्टर ह्रदय कुमार ने एक और मुस्लिम लड़के से मिलाया जो सोलर पैनल से मोबाइल फ़ोन की बैटरी चार्ज कर कमाता है । दुकान में वो अन्य चीज़ें भी रखता है और नाटक वग़ैरह में कामेडी भी करता है ।
गांव या पंचायत के अब सत्तर फ़ीसदी घर पक्के हो गए हैं । इस सत्तर फ़ीसदी पक्के मकानों में आधे से ज़्यादा अभी अभी बने लगते हैं । जिनकी दीवारों पर सीमेंट नहीं लगा है । रंग रोगन नहीं हुआ है । ऐसे घर पिछड़ी और दलित जातियों के ज़्यादा हैं ।
एक सज्जन ने बताया कि अब लोग पंजाब नहीं गुजरात कमाने जाता है । वहाँ राज मिस्त्री को सात सौ रुपये दिन के मिलते हैं । इसी तरह से गाँवों में पैसे आ रहे हैं । जो पैसे आते हैं वे खर्चे के होते हैं । गुजरात से कमाकर आने वाला मालामाल मज़दूर नरेंद्र मोदी के ब्रांड एंबेसडर हैं । मोदी ने इन्हें तारीफ़ करने के तर्क और शैली दोनों थमा दिये है । गाँव से लेकर मोतिहारी और ट्रेन में जिससे भी मिला सबने नरेंद्र मोदी की बात की । खूब बात की । इसमें कई जाति और तबके के लोग थे । बल्कि कुछ चिन्हित कांग्रेसी परिवारों में भी गया तो वहाँ भी लोगों ने नरेंद्र मोदी के बारे में ही पूछा । ट्रेन में जब इन बातों की सूची बना रहा था लिखने के लिए तो ध्यान आया कि किसी ने भी राहुल गांधी के बारे में एक लाइन नहीं पूछा । एक आदमी ने नहीं पूछा कि सोनिया क्या करेंगी या राहुल क्या कर रहे हैं । गाँव गाँव में मोदी के पोस्टर हैं । नीतीश कुमार के भी नहीं । अगर आप झंडा बैनर को एक पैमाना माने तो लगता ही नहीं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं । नीतीश को मोदी से सीखना होगा कि कैसे प्रचार किया जाता है । भले इतिहास सीखने की ज़रूरत न पड़े । राहुल गांधी के भी पोस्टर नहीं दिखे । दूर दूर घूमा । कई लोगों से मिला तब भी ।
बिहार बदल रहा है । इसमें मनोवैज्ञानिक और ढाँचागत योगदान राज्य सरकार का ही है लेकिन बिहार को दस साल और शांति के मिल गए तो यह राज्य अपना रास्ता खुद बना लेगा । ज़मीन पर जो राजनीति बदल रही है उसे देख कर कैसे न लिखें । नरेंद्र मोदी शहर तक सीमित नहीं हैं । वे पसर चुके हैं । कांग्रेस में वो नज़रिया नहीं है कि महँगाई के इस दौर में गाँवों की इन तस्वीरों को कैसे पेश करे ।
मोदी ने खाली स्लेट पर अपना नाम सबसे ऊपर और सबसे पहले लिख दिया है ।
नोट- इस लेख में तस्वीरें नहीं लगी हैं । वक्त मिलते ही लगाऊँगा । दूसरा इसमें बदलाव भी कर सकता हूँ । तीसरा कि ये पूरे बिहार की तस्वीर नहीं है । तीन चार दिनों में जो देखा सुना उतना ही लिखा है ।
121 comments:
मोदी अपने आप मे एक मुद्दा हैं पर सबसे अच्छा है...................... लोग पव्वा को साथ चखना चखते हुए चट कर जाते हैं
Apne desh k gaon ki tarrakki ke bare me aapne jis khubi se varnan kiya he. Achha laga aapke gaon ko shabdo me dekh kat.
Apne desh k gaon ki tarrakki ke bare me aapne jis khubi se varnan kiya he. Achha laga aapke gaon ko shabdo me dekh kat.
me apka 1 prashansak hoon apke program HUM LOG ka hissa banana chahta hoon... kripya karke muje bataye ye kase smabhav ha .. apke jawab ka intzzar rahega ..
dhanyavad.....
रवीश जी आपकी बातें सच्चाई से काफ़ी नज़दीक हैं. मैं छपरा हाजीपुर के बन रहे फोर लेनिंग प्रॉजेक्ट मे काम कर रहा हूँ. इन दोनो शहरों के बीच पड़ने वाले जीतने भी बाज़ार हैं वो काफ़ी उन्नत हो गए हैं एक मार्केट शीतलपूर हैं जहाँ दो दुकाने रेडीमेड कपड़ों की हैं, मे बाहर बीस डिज़ाइनर शर्ट तंगी हैं जिनकी कीमत ५०० से उपर ही होगी. हाजीपुर जहाँ मैं रह रहा हूँ लाइट के हाल बहूत ठीक है लाइट १८-२० घंटे तक आ रही है. आपके बिहार मैं दारू और नॉनवेज सुबाहिए से मिलना चालू हो जाता है. लाइन होटेल पर लोग सुबह ९ बजे से ही पीना सुरू कर देते हैं मछली के साथ . बिहार बदला है इसमे कोई शक नही. लेकिन एजुकेशन का स्तर बहूत खराब है. यहाँ कोचैंग एक उद्योग बन गया . जिसको देखो वही भगा ज़रा हैसुबह से शाम tin की शीट के नीचे ज्ञान bat रहा है. अंत मे आज नारायानी मे पाँच डुबकी मारी है और सोनपुर हरिहारनाथ का मेला घूमकर लौटा हूँ लगभग १० किमी चलने के बाद. हाथी, घोड़े और गाय के बाज़ार का मुआयना करके. मैने बचपन मे सोनपुर के मेले पर कहानी पढ़ी थी (U P board)आज साक्षात दर्शन कर लिए. मेले मैं भीड़ कम थी. पटना बम बिस्फोटों के कारण, aisa log bata rahe the.
क्रिकेट से सचिन के रिटायरमेंट के साथ ही लगता है हम सब के चहेते एंकर रवीश कुमार ने भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से रिटायरमेंट ले लिया है और अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट डी-एक्टिवेट कर लिए हैं. भारत रत्न का एक और दावेदार तैयार है. जाते-जाते अपना नम्बर तो दे देते हमारे जैसे फैन को. कभी दिल्ली आते तो किसी सड़क पर मिलते। अब ब्लॉग पढ़ते हैं.
is post ka intjar hi ker rahi thi.mujhe bhi champaran gaye kafi din ho gaye .itna changes aa gaya janker achha laga.bihar ke logo me jagrukta aa jaye solar energy aadi ke bare me to kaiya kahne .ye to gujrat ka effect hai.soler energy per sarkar ki kaiya bhumika hai ek PT is per karenge to achha rahta.
साल में दो-तीन बार गाँव जाता हूँ सो बहुत बारीकी से चीजों को नहीं देखता लेकिन इस बार जिस चीज पर ध्यान गया वो है बिजली। मेरे गाँव में बिजली बहुत पहले से है लेकिन पिछले कुछ महीनो से आश्चर्यजनक रूप से सुधार आया है और 15-16 घंटे बिजली आ रही है. श्रेय नितीश को देने में कोई हिचक नहीं लेकिन गाँव में इसपर किसी का ध्यान नहीं और चर्चा में केवल और केवल मोदी ही हैं. एडिटर इन चीफ ऑफ़ बिहार देखते ही देखते कैसे पिछड़ गए ये शोध का विषय है. बिजली के कारण जीवनशैली में अन्य चीजों के साथ ही सबसे प्रमुख चीज है, डी टी एच. टी वी के कारण गाँव में लोगों के बिस्तर पर जाने का समय आगे खिसक गया है. कुछ घरों में इंडक्शन चूल्हा भी आ गया है. चाइनीज जनरेटर भी देखा जो पी डी एस के सस्ते केरोसीन से चलता है और घंटे में केवल आधा लीटर तेल पीता है. गाँव के एक लड़के ने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़कर CFL बल्ब की असेंबलिंग और पूरे जिले में सप्लाई का काम शुरू कर दिया है.
Gaon badal rhe hai,isiliye bharat pragati kr rha hai. Rhi bat Modi ki to wo choice ni hai,majboori hai kyoki congress pr ab log bharosa ni krna chahte aur BJP ke alawa dusri koi rashtriya star ki party ni hai.
Gao me aarthik pragti to ho rhi pr iske sath hi sath samaj me uch-neech wali khai bi bdh rhi hai. Is pr research ki jaroorat hai.
last 5 महीनों मैं काफी जाना हुआ मेरे गाँव...नानी चल बसे-मुझे दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करनेवाला इन्सान मुझे अब कभी नहीं मिलेगा। उनके जाने के बाद गाँव अचानक सूना,नया और पराया भी लग गया।
तस्वीरें ले ली उन सभी जगहों की जहाँ school के वेकेशन बीते है,college से वक़्त नीकाल के पहुँचने का temptetion थी जो जगह-नानी का घर।वह नहीं देख पाती।तब नानी की बातें याद आ जाती है--
मुझे जरा भी अच्छा न लगता अगर गाँव मैं कुछ बदले तो-तब वह कहतीं-सब नया नया कितना अच्छा होता है-घर,गाँव,मकान,रास्ते,बीज्नीस(बिज़नस),चमक...फिर मुझे पूछतीं बुढ़िया मैं हूँ या तू ?!! :)
फिर life की फिल्सूफी सिखा दी-कहा-अपने(लोग) बदल जाए तो भी ख़ुशी और आँख मैं चमक होनी चाहिए,उनको मन चाहा वक़्त मिला सोच के और हम ने यह भी देख लिया सोच के,उतना भगवान का दुखों का उधार घटा अपने सर से !!
कितने समझदार थे पहले के लोग?समय से परे अंतर-मन से जुड़े हुए-है न?
शहर से गई हुई शिक्षा,रहन-सहन,ओछी सोच और स्वार्थी प्राथमिकताएँ....उनकी निर्दोषता छीन लेती है ऐसा मुझे लगता था ravishji लेकिन
जब उनकी परेशानियाँ और पॉलिटिक्स :) जी गाँव के लोग ज्यदा प्रपंची होते है + अन्ध्श्रधा से जूझने की मेहनत देखी तब लगा की-सही में इनको बचने के लिए ही सही सही आर्थिक नीतिओं की ज़रूरत है। तभी गाँव समय से कदम मिला सकेंगें।
हाँ कल जो नहीं थे वे आज जरुर है। अगर इसको बदलाव कहना हो तो।
atleast i m not happy with the speed-its slow.
आज का HumLog प्रभावी प्रयत्न रहा--तिन बड़ी पार्टियों के local representatives वो भी चुनावों के ठीक थोड़े दीनों पहले :) फिर भी काफी अच्छी चर्चा नए नवेलों से :)
आप का प्रकाश झा वाला आरक्षण वाला टॉक शो याद आ गया :)
गाँव बदल रहे हैं ।
मेरे गाँव में बिजली तो बरसों से है लेकिन चाउमीन का ठेला नयी चीज थी ।
ऊँची जाति के लोगों के घर तो पहले से ही पक्के के हैं लेकिन दूसरी जाति के लोगों के घर भी अब पक्के के हैं । ऊँची जाति के लोगों ने मोटरसाइकिल के बाद कारें खरीदी हैं तो दूसरी जातियों के पास भी अब मोटरसाइकिल हैं जिसे वे खूब चमका कर रखते हैं ।
गाँव के तालाब में अब सभी जातियों के लोग उसी घाट पर नहाते हैं । शुरू में जो कुड़बुडाहट थी वह अब मद्धम हो चुकी है ।
मोदी की चर्चा ज्यादा है लेकिन लोग उन्हें भी अभी तौल ही रहे हैं...वो भी अभी एक आप्शन ही हैं ।
Kya khoob likha hai sir @ravishkrNDTV
देख कर प्रसन्नता हुई की ग्रामीण इलाके भी आधुनिक अर्थव्यवस्था के दायरे में आ रहे हैं...जब तक लोगों की पर्चेसिंग पावर नहीं बढ़ेगी, तब तक गरीबी उन्मूलन एक सपना ही रहेगा|
सर जी
मैं तो उस निर्वाचन क्षेत्र का निवासी हूँ जहां का राहुल बाबा प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन हमारे यहा के लोग तो जब हम जाते हैं तो सिर्फ येही मुद्दा होता है की मोदी कैसा है। मोदी इस बार आ जाएगा या नहीं। राहुल बाबा के बारे में तो सिर्फ येही पूछा जाता है की भय्या कब ब्याह कर रहे है।
बात विकास की हो तो जब से हमारा गाँव लोहिया ग्राम घोषित हुआ है तब से पूरे गाँव का समग्र विकास हुआ है अन्यथा तो राहुल बाबा ने तो कुछ भी नहीं किया। उनसे मिलने जाओ तो उनके सचिव साब बाहर से ही अर्ज़ी लेकर टकरा देते हैं। बाबा के पास बस येही एक जवाब होता है की लोकल सरकारे कोई भी काम नहीं करने देती हैं। बेचारे गरीब किसानो की ज़मीन तो ज़बरदस्ती cisf रेल्वे के लिए कब्ज़ियाते है जिनसे हमे कोई भी लाभ नहीं हैं। सालो पहले HAL आया था मुंशीगंज में। एक भी लोकल आदमी नहीं है उसमे। आम आदमी में येही एक विचार रहता हैं की राहुल बाबा पिकनिक मनाने अपने दोस्तो के साथ आते है अमेठी। उन्हे अमेठी से कोई मतलब नहीं है।
Bahut Sundar Ravish ji,
Aapko NDTV par regular dekhta hun, aapke bevak juvani aur harfanmaula comments ka to kayal tha hi, aapke najariye ka bhi ho gaya. Bihar ki chhoti lekin jitni satik tasweer aapne utari hai, Gagar me saagar jaisa hai...
Sankalan prkashit ho, iska intjar hai...
Dhanyavad
Subh-kamnayen
Dr Kamakhya Kumar
Associate Professor
School of Yoga and Health
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya
Haridwar
गांवों मे अब beautiparlour अौर gym जैसी जगहे भी खुलनी शुरु हो गयी हैंभठ्ठी तो थी ही।किशोर अब खेतों पर नही जाते,कोचिग जाते हैं।भौतिक सन्साधन भले उपलब्ध हो पर लोगों का स्वभाव अब भी गवॅई ही है
Ravish Jee, Main barso se apne gaon to nahi gaya, par ghar ke anya sadaysa se jaisa suna hai, mere gaon aur aaspaas ke aur gaion isi tarah badal rahe hai.
Is blog ke liye dhanyawad.
Bahut khoob Ravish ji.. Aapka ye lekh bahut pasand aaya.. Gaanv ki yaad dila gayi...
गांवों में अब काफ़ी बदलाव आ रहे हैं, पहले वाले गाँव नहीं रह गए। अनावश्यक चीजें आवश्यकता बन गई है। मोबाईल एवं इंटरनेट क्रांति ने गांवों तक पकड़ बना ली है। सांझ को युवा मोबाईल धरे तालाब के किनारे मिल जाएगें, फ़ेसबुक फ़ेसबुक खेलते हुए। इसी का फ़ायदा मोदी ने भरपूर उठाया है।
mera gav bhi aisa hi h
lakin sochta hu...ye pragati dheemi nhi h....sayad bhut dheemi
apne gao me gande pani me chath mana k aa gaye... wo nhi nazar aaya ki sushan babu nitish kuch n kr paye...jara gande pani me chat k bare me mean chat kaise badbu wale pani me manayi wo bhi to bataye ??? ye aap bhi ek aakh se dekhte hai
सुन्दर...सच्ची और अच्छी.
बिहार के विकास में भी गुजरात का हाथ है
मुझे लगता है कि दुसरे प्रदेशों की प्रगति बिहार up में परकोलेट हो रही है...
News channel wale hakikat diyange us din desh me modiji hi raaj kreinge or chor log bhag jayege jo desh ko bech rahe hai...
शानदार प्रस्तुति ...
रविस भाई कुछो कह लेकिन केतना साल के बाद तोहरा मुँह से ई सच्चाई सुनके तोहरा पर अपना मोतीहारी और गोबिनदगंज पर नाज होत बा।
अब हमनी शान से सिना तान के कह सतत बावी की NDTV वाला रविस भाई हमनी के मोतीहारी जीतवार पुर गोबिनदगंज के हई सन
रविस भाई तोहरा ई शनदार प्रस्तुति ला बहुत बहुत धनयबाद।
आगीला बार घर अईब त मोतीहारी कुमार कमपलेस आवासीय होटल पर जरुर से अइह।
रविस भाई tweter परिवार
पंकज कुमार भोजपुरीया के नाम से मिलब
सत्य कहाँ हैं लेकिन कार्ल मार्स का कथन कि:-सत्य ही परिवर्तन है और परिवर्तन ही सत्य है..........
दिख नही रहा हैं क्यो?
रविश जी,
आपका यह लेख बहुत कुछ याद दिला दिया, वाकई समय बहुत तेजी से बदला है, हमलोग अब दिल्ली में आकर अपने बदलते सांस्कृतिक परिवेश को भूल जाते हैं. आपके लेख में एक बात छुट सी गयी है है, छठ के समय सप्त क्रांति में टिकट की मारामारी, कृपया अपने लेख और अपने कवरेज से सरकार और रेल विभाग का ध्यान आकृष्ट कीजिय, छठ के समय टिकट मिलना बहुत मुश्किल होता है.
साभार,
नवीन कुमार
जेएनयू, नई दिल्ली
रविस भाई तोहरा के बहुत बहुत धनयबाद ई शानदार प्रस्तुति ला
हमरा मोतीहारी गोबिनदगंज जीतवार पुर के लाल रबीस भाई ई शानदार लेख पर धनयबाद।
विनय कुमार उपाध्याय जी के मोतीहारी मे
कांग्रेसी साइबर कैफे के बारे मे लेख नीक लागल
रविश जी, अकसर आपके पत्रकार बंधु यह कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी को गांव तक पहुँच बनानी होगी।लेकिन हकीकत इसके उलट है वो गांव तक कब के पहुंच गए हैं २४ घंटे बिजली की चर्चा के चलते। ग्रामीण इलाकों में मोदी को पहुंचाने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही लोग बराबर काम कर रहे हैं,बस इरादों में अंतर है। मैं खुद राजस्थान के ग्रामीण इलाके से हूँ और आसाम के ठेठ ग्रामीण इलाके में रहता -घूमता हूँ।
बहत अच्छा लगा बिहार के गाव की बातें करते हुए..गुजरात के गाव भी कुछ हद तक बिहार के जेसे ही है,फर्क इतना है के यहाँ बिजली की कोई दिक्कत नहीं..............आप का ब्लोग्ग आप के प्राइम टाइम की तरह ही सच्चा था..........आप को नए साल की बधाई
bahut achchha lga apne bihar ki new story sun kar
महोदय, जानकर खुशी हुई की आप भी हमारी तरह बिहार की खालिस मिटटी के बने हैं. आपने हमारी भावनाओं को जुबान दी है. नेता जितना मोदी के विरोध में बोलते हैं, मोदी उतना ही लोगों के दिल में बसते जाते हैं. नितीश राज में लोगों से पूछिये तो पता चलता है कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार कितना बढ़ गया है. बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता. भ्रष्टाचार -रिश्वतखोरी की कोई जिक्र ही नहीं करता. यह बिहार में जीवन का स्वीकृत नियम हो गया है. लोग गर्व से अपनी या अपने रिश्तेदारों के उपरी आमदनी का जिक्र करते हैं. जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र से लेकर डीजल अनुदान या कोई भी सरकारी योजना का लाभ लेने हेतु चढ़ावा तो चढ़ाना ही परता है. गांवों में संपन्नता बढ़ी है, अपने गाँव में कोई भुखमरी का शिकार नजर नहीं आता. पर सरकारी शिक्षा व्यवस्था बेहाल है. विद्यालय भोजनालय में तब्दील हो चुके हैं. सरकारी शिक्षको में अधिकांश का स्तर निहायत निम्न है. कुछ गंभीर प्रयास की जरूरत है. नितीश जी ने बेशक अच्छा काम किया है, परन्तु उसका श्रेय अकेले नितिश जी को नहीं, वरन उनकी सरकार को जाता है जिसमे बी जे पी भी सम्मिलित थी. बिहार के लोगों ने बी जे पी और जे डी यू को सम्मिलित जनादेश दिया था. नीतीशजी ने अपने तुच्छ अहंकार की पुष्टि हेतु उस जनादेश की ऐसी तैसी कर दी.उनकी धर्म निरपेक्षता की हम आदर करते है,पर जब किश्तवार के दंगो पर उनकी चुप्पी हमें चुभती है, उनके दोमुहेपन को दर्शाती है.हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई हैं, उन्हें बराबरी का व्यव्हार दीजिये. किसी को फेवर क्यूँ! दंगे होते हैं तो जो भी दोषी हैं उनसे सख्ती से पेश आइये. किसी खास संप्रदाय या वर्ग का होने से नियम/ कानून के पालन में फर्क नहीं पड़ना नहीं चाहिए. किसी वर्ग को संतुष्ट करने के लिए तथ्यों को तो ड़ -म ड़ो ड़ कर पेश करना हमें उनकी ईमानदारी पे शक करने का अवसर देती है. हमें डर है उनकी वोटों के लिए किसी खास वर्ग को संतुष्ट करने की नीति बिहार में जंगल राज की वापसी का सबब न बन जाये.
Ravish bhai
lagta hai aap bahut din bad gawn gaye the.
sacha m ab ajib lagta hai Areraj market m koi vastralay nhi hai
balki waha to ab bike ka shoeroom bhi khul gaya hai.
Aap ke gawn k karib ek Bhawani pur gawn hai
jisme na kam se kam 1200 dukane khul gayi.
es bar chhat me gaya tha to sune ki gawn ki bajar ki ek jamin makan sahit 32 lakh m bika hai(Bhawani pur bank)
Akhir etna Rupya gawn m aata kaha se,
ya sirf mahangayi saharo tak simit hai
Ravish ji,thanx 4 the real presentation of current political situation of bihar and india..i am from a rural village of Madhubani dist. Of bihar.here too only MODI JI is on every one mind..either you love him or you have him,but you cant ignor him :) :)
रविश जी , मेरा नाम karan raj singh है और मैं haryana का रहने वाला हूँ , तक़रीबन हर रोज आप को ndtv पर बहस का संचालन करते देखता हूँ , कई बार पता नहीं क्यों लगता है की आप के समेत पूरी media मोदी जी के विरुद्ध है परन्तु फिर भी ये लगता है की आप सभी मीडिया वाले भी 2014 में इलेक्शन के दोरान अपना वोट मोदी जी को ही देंगे क्योंके आप लोग भी तो साधारण हिंदुस्तानियो की तरह महंगाई , भ्रष्टाचार , बेरोजगारी सरीखी समस्याओं से पीड़ित हैं । आप ने अपने ब्लॉग में मोदी जी का जिक्र किया अच्छा लगा , आप या बाकी मीडिया वाले बहस वाली दुकानदारी का संचालन करते समय चाहे मोदी जी की कितनी भी टांगे खींचे पर ये तो आप मीडिया वालों को मानना ही पडेगा की ये देश अब वंशवाद , घोटालों ,अत्याचारों , अहंकार , महंगाई जैसे विषयों पर कांग्रेस पार्टी और उसकी सहयोगीयों से छुटकारा चाहता है , मोदी जी इस देश के हर प्रान्त हर वर्ग हर जाति (हर धरम नहीं कहुगा क्योंकि हम सब को मालूम है एक धरम उनके विरुद्ध है ) के लिए एक उम्मीद की किरण बन कर प्रज्वलित हुए हैं वाहेगुरु उनको लम्बी आयु दें
रविश जी , मेरा नाम karan raj singh है और मैं haryana का रहने वाला हूँ , तक़रीबन हर रोज आप को ndtv पर बहस का संचालन करते देखता हूँ , कई बार पता नहीं क्यों लगता है की आप के समेत पूरी media मोदी जी के विरुद्ध है परन्तु फिर भी ये लगता है की आप सभी मीडिया वाले भी 2014 में इलेक्शन के दोरान अपना वोट मोदी जी को ही देंगे क्योंके आप लोग भी तो साधारण हिंदुस्तानियो की तरह महंगाई , भ्रष्टाचार , बेरोजगारी सरीखी समस्याओं से पीड़ित हैं । आप ने अपने ब्लॉग में मोदी जी का जिक्र किया अच्छा लगा , आप या बाकी मीडिया वाले बहस वाली दुकानदारी का संचालन करते समय चाहे मोदी जी की कितनी भी टांगे खींचे पर ये तो आप मीडिया वालों को मानना ही पडेगा की ये देश अब वंशवाद , घोटालों ,अत्याचारों , अहंकार , महंगाई जैसे विषयों पर कांग्रेस पार्टी और उसकी सहयोगीयों से छुटकारा चाहता है , मोदी जी इस देश के हर प्रान्त हर वर्ग हर जाति (हर धरम नहीं कहुगा क्योंकि हम सब को मालूम है एक धरम उनके विरुद्ध है ) के लिए एक उम्मीद की किरण बन कर प्रज्वलित हुए हैं वाहेगुरु उनको लम्बी आयु दें
Sahi bat hai mein bhi gaon gaya to sab log modi ki hi bat karte hai mein haran ho gaya ki anpadh log bhi modi ko jante hai,hotel,train,shop,saloon,ya kahi bhi 8-10 log khade hai to sirf ek hi bat modi aayega ya nahi.
रविस भाई तोहरा के बहुत बहुत धनयबाद ई शानदार प्रस्तुति ला
ME GUJRAT SURAT SE HU LEKIN BAHOT HI ACHHA LAGA BIHAR KE BARE ME SUNAKAR AUR AB MODIJI NAHI RUKNE VALE HUM KO TO PTA HI HAI KE GUJRAT ME KYA HAI LEKIN AGAR PURA DESH JAB GUJRAT BANEGA TO HUME BAHOT HI KHUSHI MILEGI OR RAVISH JI APKI REPORTING ME HAMESHA HI DEKHATA OR PADHTA HU JITNA MODIJI JALVA HAI UTNA HI APKA BHI MEDIYA ME HAI SIR \
बेहद सजीव चित्रण किया है आपने गाँव का .. मेरा भी गाँव आपके गाँव के जैसा ही है, वैसी ही दुकाने जिनके नाम अब वस्त्रालय नहीं रह गए, स्कार्पियो और सफारी गाड़ियाँ और तरह तरह की मिठाइयाँ, और नरेन्द्र मोदी .. ... सच में मेरा भी गाँव आपके गाँव जैसा ही है, भले हो बिहार में ना होकर उत्तर प्रदेश में हो, पर पिछले महीने जब मै गाँव गया तो एकदम वैसा ही पाया जैसा आपने लिखा है.
hum log gandhi parivar ko dhekhte _2 oob chuke hen kya sirf vahi desh chalana jante hen aur unhone koi jyada badlav bhi nanhi la paye hen jo badlav hue hen vo swabhavik hen parivartan hota hai . ab ki baar to sirf modi ko lana h uska koi viklap nanhi hai agar wo bhi fail ho jata h to majboori kanam gandhi to hai hi lekin es bar onlyMODI
mujhe bahut acha laga jankar ravish bhai hum to Ranchi me rahte hai aur hum sitamarhi ke aur humare kuch restedar areraj me hai lakin jab chath ki puja hoti hai hum kahi bhi rahte hai hum apne goun ko bahut miss karte us time hume bihari hone ka garve hota hai
Ravish ji wakayi mai gaaon bahut badal rahe hain, mai uttrakhand mai rehta hun aur pahaadi gaaon ki badalti tasveeron ko dekh raha hun..internet ne wakayi door-daraaz ke shetron mai reh rahe logon ko bhi aapas mai joda hai...aur aapki modi ji waali baat maine bhi mehsoos kari..jahan jaata hun ,,jiss se bhi milta hun sab modi ki tarafdaari karte hue milte hain...hairaan hun ki yeh kaisee aandhi chal rahi hai modi ji ke naam ki..2014 ke chunaav bahut aascharyjanak parinaam lekar aayenge...
रवीश जी,
कमोबेश पुरे बिहार की यही तस्वीर होगी, और जिस आर्थिक मॉडल पर देश चल रहा है मोदी उसकी परिणीति हैं. तीन बातों पर प्रतिक्रिया चाहूँगा:
१. लालू जी के बारे में क्या चल रहा है?
२. रास्ता बनाने की बात से आपका क्या अभिप्राय है? क्या आप गुजरात और महाराष्ट्र की तरह बिहार में बड़े उद्योग लगते देख रहे हैं या पुणे और बंगलौर की तरह सॉफ्टवयेर बूम? मेरा अपना अनुमान है कि बिहार छोटे स्तर का गुडगांव बनेगा जहां ज़मीन बेच कर अस्थाई खुशहाली आयेगी और फिर एक पूरी पीढ़ी के पास न कमाने के लिए न उड़ाने के लिए कुछ बचेगा।
३. पूरा बिहार अगर उठ कर गुजरात जायेगा तो मोदी या उनके सिपाहसलारों को राज ठाकरे बनने में देर नहीं लगेगी।
मोटी बात यह कि नव उदारवाद का २० साल पहले लगाया गया पेड़ अब जड़ पकड़ चुका है. बिना इसको काटे समतामूलक और स्थिर विकास नहीं हो सकता। जो लोग इस भ्रम में आज भी हैं, उनको 'बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाएं' कहने की ज़रुरत है. काश की प्रगतिशील और वामपंथी दल इस बात को समझ सकते।
रौशन किशोर
roshan.jnu@gmail.com
कोई घर सूरज से रोशन
कंही चन्दा की चांदनी है
कंही दीप जले राहों में
खुद से ही रोशन उनकी दुनियां है
नमो के जीने का अलग तरीका है
सबसे जुदा मोदीजी का सलीखा है !
कंही बसंत बहारे है
कंही रिमझिम बरसते फुव्वारे है
कंही नदियाँ झरने सहारे है
कंही सागर के किनारे है
बरसा के बूंदे पसीने की
बाग़ लगाना सीखा है
नमो के जीने का अलग तरीका है
सबसे जुदा मोदीजी का सलीखा है !
कुछ बनने का नहीं
कुछ करने का उनका सपना है
जाति धर्म पंथ से परे
हर भारतीय उनका अपना है
कुछ सूरज से जलना सीखा है
कुछ चाँद से चमकना सीखा है
नमो के जीने का अलग तरीका है
सबसे जुदा मोदीजी का सलीखा है !
कोई सोचे ग्लास आधा खाली है
कोई सोचे गिलास आधा भरा है
मगर नमो की सोच कुछ अलग
आधी हवा और आधे पानी से गिलास पूरा भरा है
आशाओं से ओतप्रोत
विकास के मार्ग पे टिका है
नमो के जीने का अलग तरीका है
सबसे जुदा मोदीजी का सलीखा है !
Ravish ji,
Bahut hi sunder tarike se apne Bihar ke samajik tane bane ko dekha,samjha,jana or hum sabko samjhaya hai...
mai bhi Bihari hoon or janta hoon aap jo mahsus kiye wo sat-pratisat satya hai...
Bihar me Jatiwad ki lahar aab samapat ho chuki hai...samanti mansikta/sampradaikta jaise sabad aab hume aache nahi lagte...
hum sab aab shanti or vikas chahte hain...
nitish ji se kafi ummiden thi par wo or unke mantrigan ahankaar me dub chuke hain...
mai kisi party vishesh ka samarthak nahi hoon....par jo desh ki or samaj ki baat vikash ke sath karega uska samarthan karunga...
aapko is shandaar blog ke liye dhanyawaad...:)
बहुत उम्दा ...
ek ek tathya ko kaafi bareki se likha hai aapne ................
Dear,actually you have posted a very good piece. you will surely experience differently if you visit this state immediately after visiting Mr. Nitish Kumar's well,
देर आयत दुरुस्त आयत ! इस हिम्मत के लिए आपको दाद देना चाहूँगा ! आपके प्राइम टाइम में पैनेलिस्ट की बकवाश सुन-सुन कर कोफ़्त होनें लगती है ? कि कोई तो धरातल की बात करे सब हवा-हवाई बातें करतें हैं किन्तु छठ मैय्या की कृपा कहिये या गाँव की यादें आखिर आपनें अपनें मिटटी की हकीक़त को अपनी आँखों से देख लिया ! कम से कम टकलू महराज की गाड़ी जब भी ट्रैक से उतरे आप उस तस्वीर को जरुर दिखाना जो आपकी आँखों नें क्लिक किया है ! शुभकामनाओं सहित ! उमेश सिंह
ravish Jee ,blog padh k laga ki aap mere Gaon k bare me likh rahe hai . tasvir ek si hi hai sayad pure rajya me . main madhubani jile ka rahne bala hu. Jin cheejon ka aapne yaha jikra kiya wo chijen pure bihar k liye sach jaan padti hai . Dhanyabaad
Ravish ji....... Live TV debate mai bhi isi tarah se modi ji ki achhaiyo par imandari se prakash daliye to pure desh ki janta ka bhala hoga or har ganv isi tarah se vikas ki rah chalega
Dear Ravishji ,
always a good experience to watching you on TV in NDTV.. The way you described the development and socio economic changes in society. more or less it is very identical in country side in every state. hope you will come some new and more good shining experience.
Arun Kumar Singh
बदलाव बेहतर है। लोगों तक पैसा पहुंचा है।
लेकिन लालू प्रसाद कहां गए, उनका भी एकाध प्रतिशत वोटवा होगा न :)
रविश भाई,
नमस्कार।
बिहार में सकारात्मक परिवर्तन को कोई नकार नहीं सकता।आपके गाँव की तस्वीर सम्पूर्ण बिहार का प्रतिनिधित्व करती हैं,किन्तु समूचे भारतवर्ष के साथ अपना प्यारा बिहार भी संक्रमण काल से गुज़र रहा है।आइए,हमसब मिलकर कुछ ऐसा करें कि िफर एकबार मेगस्थनीज़ ,फाह्यान,ह्वेनसांग को यहाँ आना पड़े। िफर छठ,दिवाली,होली अपने मूलस्वरुप में मनाई जाए।विकास होलेकिन मूल्यों का क्षय नहीं होना चाहिए ।मेरी आशंका है कि कुछ ही साल बाद हमारे गाँवों में सोहर,होरी,िववाह गीत जैसे तमाम परम्पराएँ िवलुप्त हो जाएँगी ।
हमें सोचना होगा और कुछ करना होगा़।
आपका,
दीपक आनन्द,भा़ ़प्र से
निदेशक ,पंचायती राज
िबहार
hi.. ravish sir. apko ndtv par mai regular dekhta hu. apki baat karne ka andaaz aur bhasha shaili mujhe achhi lagti hai. aaj ke jamane ke sabhi samajik muddo par aap jis tarah se batate hai man me santosh prakat hota hai.....khair up bihar ke gaon ki baat karu to bhale hi aap ko lage ki waha tarakki ho rahi hai aur log khushhal jindgi ki taraf badh rahe hai lekin hakikat me aap aadmi pareshan hai. gaon me paisa hai to hai lekin sirf un logo ke paas jo kisi na kisi tarah kisi rajnitik party me, sarkari naukari me, ya kuch bade logo k sampark me hai. aam aadmi lachar hai. education ke naam pe apko saikdo-hazaro coaching wale jarur mil jaenge par education ki wo quality nahi milegi kyunki... moti kamai karne ke liye coaching owner gaon ke padhe likhe berojgaro ko chunav karte hai aur mahaj unhe mahaj 2000- 2500 ki salary di jati hai. berojgari ka alam ye hai ki. B.A M.A. kiye huye adhed umar ke berojgaar apko hajaro me mil jaenge jo apko har gali chaurahe par mil jaenge jo sirf sarkari bharti ki aas me apna pura jeevan barbaad kar dete hai. aise hi hamare gaon me ek M.A. PAAS ladka jiski umar takriban 30 saal hogi aur do bachhe bhi hai jab unse poochha ki ab aap kya karenge to usne bade hi mayusi aur ummid bhare swar me kaha ki M.A. se to sirf coching se 2000 p.m mil raha hai rha hai soch raha hu computer diploma kar lu usse mujhe kahi 6-8k ki naukari mail jaegi.wahi usi ladke ke pita is ummid me jee rahe hai shayad use ek din use achhi naukari mil jaegi aur unke kandho se parivar ka bojh halka hoga.. leki hakikat me aisa kuchh nahi hone wala.. UP me apko har student ke hath laptop to dikhega par uske deta-pack ka kharch uthane ke paise nahi hai. RAVISH JI, mujhe in sab bato me tarakki nahi dikhti.. aur khaskar tab jab mai anya rajyo ke logo se up-bihar ke logo ki aur waha ke halat ki tulna karta hu. bharat jis tarah aage badh raha hai aaj ke hisab se UP-BIHAR PAHLE KI APEKSHA AUR BHI PEECHHE ho gye hai. samajik vishamta aur badh gyi hai. in 2 rajyo ki politics dino din itni gandi aur nangi hoti ja rahi hai..pata nhi ye kaha jakar rukegi.rahi baat modi ki to ab bas unhi se ummid hai. kahne ke liye aur bhi bahut kuch hai par samay jyada nhi hone ki wajah se baat itni hi bhadaas nikal paya hu...dhanyavaad.. ravish ji.
NDTV ke ravish kumar aur is sajiv lekh ke Ravish kumar me jamin aasman ka fark paaya. Shayd TV par aane wale Ravish ke saath naukari ki majboori ho par Ye lekh to Ravish kumar ne dil se likha hai. Achcha laga gaon ke mitti ki sondhi khusboo se barkarar
Ravish ji
Mein har roz aapka programme dekhta , aapke baat karne ke andaz ko bhi pasand karta hoon , par aapka congress prem dekh kar dukh hota hai
aap sachai se munh mod kar MODI ke khilaaf bolte hain
Mein har roz travel karta hoon 8 States mere under, har train mein ek hi charcha hai , Ab ki Bar MODI ko vote denge, you should also understand reality and expose Congress tooth n nail Regards
बहुत ही अच्छा लगा की छठ में आप घर (गाँव) आते हैं...आया करें.....बिहार आप जैसे लोगों का इन्तेजार करती रहती है.....
बहुत ही अच्छा लगा की छठ में आप घर (गाँव) आते हैं...आया करें.....बिहार आप जैसे लोगों से गर्वान्वित है....
रवीश जी,
आपकी यह पहली पोस्ट है जिसे मैंने पढ़ा है. आदतन पिछले कुछ समय से आपका NDTV के साथ IBN CNN , India News, ABP etc. चैनल बंद कर रक्खा है क्यों कि मुझे आप लोग कांग्रेस के मीडिया मैनजर्स से ज्यादा नहीं दिखते थे, लेकिन हाँ मेरी बहिन ने मुझसे आपका नाम लिया और कहा कभी कभी इनको भी सुन लिया करो. हिम्मत नहीं हुयी आपके चैनल को देखने कि लेकिन हाँ किसी दोस्त ने आपके ब्लॉग का जीकर किया और पढ़ने चला आया. बहुत अच्छा लिखा है आपने. मै लखनऊ शहर का हूँ , और मेरा वास्ता गांव से भी कम पड़ता है और हाँ बिहार के हाल अपने मित्रो से कुछ समय से मिल रहे है. गांव वाकई बदल चुके है, सब अपनी परिस्थिति और काल के अनुसार. सब बुध्जीवी अपनी अपनी परकल्पना को सजायेंगे कि क्यों ऐसा हुआ , उससे मुझे मतलब नहीं है . मतलब सिर्फ इस बात से है कि जो लोग , दिल्ली या यह कह लीजिये शहर मानसिकता के है वो लोग, जो उसी ज़िन्दगी में जी रहे है जो उनके मुताखिब उनके आराम को न छेड़े, ऐसा ही होता आ रहा है ऐसा ही होगा , उनके लिए वाकई बुरी खबर है. गांव में शांत आयी क्रांति का आप सबको बिलकुल भी आईडिया नहीं रहा. वास्तिवकता में मुझे भी इसका गुमान नहीं था. मै कोंग्रेस का विरोध करने लगा हुँ , लेकिन मुझे मोदी प्रधान मत्री बन पाएंगे बिलकुल संशय था. क्यों कि मुझे अच्छी तरह मालूम था कि जब तक ग्रामीण अंचल से मोदी के वोट नहीं पड़ेगा तब तक असम्भव होगा. मै भी जैसा टी वि और अखबारो को सुनता और देखता रहा और आम आदमी कि तरह विश्वनीय मानते हुए अपनी धारणा पर अडिग रहा. मुझे सकता तब आया जब मै एक यात्रा के दौरान चाय और ढाबे मै खाने के लिए रुका और वहा के मौहौल को सुना और देखा तो मुझे पहली बार अपनी मानसिकता पर शर्मिंदगी हुई. वहा सब लोग , सब लोग का मतलब ९०% मान लीजिये, केवल मोदी कि बात कर रहे थे!!!!!!!!!!!!! न जाति थी, न धर्म था न छेत्रवाद था! सब एक आशा कि बात कर रहे थे. एक उम्मीद की. और मॉफ कीजियेगा, राहुल , सोनिए जी और कांग्रेस को वो भद्दी गलिया पड़ रही थी की मेरा साथ की महिलाओ , जो और किसी अवसर पर मुझे डांटती की कहाँ गाड़ी रोक दी मैंने सिर्फ मुस्करा कर रह गयी. मोदी गांव मै है इसमें मुझे बिलकुल भी संदेह नहीं है. यह सिर्फ दिल्ली और ऐ सी कमरो मै बैठे लोगो को इसका अनुमान नहीं है, जड़ से कट गए है ऐसे लोग.
Ravish Ji,
Namaskar,
Main bhi usi din train me travel kar rha tha Third AC me, pata chala ki aap first AC me hain. But wahan bhi mudda yahi tha ki log ek kushal prashashak chahte hain. Everyone is fadeup with congress government and leadership.
Ravish Ji,
Namaskar,
Main bhi usi din train me travel kar rha tha Third AC me, pata chala ki aap first AC me hain. But wahan bhi mudda yahi tha ki log ek kushal prashashak chahte hain. Everyone is fadeup with congress government and leadership.
Ravish Ji,
Namaskar,
Main bhi usi din train me travel kar rha tha Third AC me, pata chala ki aap first AC me hain. But wahan bhi mudda yahi tha ki log ek kushal prashashak chahte hain. Everyone is fadeup with congress government and leadership.
kaas digvijay ye blog pare
Ravish Ji AAp ka TV Debate ka programme dekh kar bahut achchha lagta hai aap sabhi netao ki dho dalte hai.Aap ka shubham : Ashwani Sikka
Well Said Ravish ji
But i hope you will not step back for what you written over here..
True Journalism !!! True Indian !!!
you are awesome Ravish ji I sometime listen you debate Really you raise good points & issues in your debate.Aap sabhi neta jan ki achchhi khabar lete hai.Keep it up
Your Shubham
Ashwani sikka
Modi ji apne aap me ek toofan hai jo Congress ki lutia tab dubo denge.Congress ki chandal chokri jitni bhi koshish kar le Modi ji ko janta ke dilo se door nahi kar payegi.Is baar to sir NamoNamo
Raveesh ji aapka prime time jarur dekhta hun. Aur aap ko pata hai ki modi ka jaado teji se badh raha hai aur wo jaadu Bihar me shayad sabse jyada mukhar hai.
Ravish you are a true reporter otherwise NDTV is not accepting MODI means development. I am proper from Haryana, completed study in MP, visited UP,Rajsthan and delhi because of my relatives right now working in Gujarat from last 4 years. I can feel the difference and always say to my Gujarati friends Gujarat is far ahead of these states.
Even when i visited my village every one asking about Modi and Gujarat. In Harayana BJP don't have base yet every one asking about MODI.
even in Gujarat i worked in all area like Rajkot, Ahamdbad, Anand, Baroda now in Godhara i observed every one is happy and in Gujarat social safety is like heaven.
I belong to a congress family. my all relatives are congressy but after Gujarat experience i changed my opinion about MODI and BJP.
ravish ji, mai Rahul pandey from Bettiah ap ghar gaye the ye hame pata chal gaya tha.......pahle log bata rahe the ........ ek Request hai ap s ki ap Modi k against m na bole because ek yahi hai jo desh ki Develop kar sakta hai.........lakin jab ap in s against m bolte hai to lagta hai ki ap k jaise log jo ki j.p. narayan ki dherte s jude hai ....sanch nahi bol rahe hai
jai ho modi
Raveesh jee mai aap ka bahut bara fan hu aur aap ko v mai bata du ki aap v narendra modi se kam popular nahi ho mujhe pehle pata nahi tha k aap bihar se ho lekin aap ki hindi bolne ki saili Sun kar jarur lagta tha aab takin ho gaya aur garb v ,aab mai aap ke lekh ke bare me bolta hu ki aap ne jo kuch likha hai wo sacchai hai aur is tasbir ko mai kafi najdik ses samajh paya hu kyo ki mai v bihar k bhagalpur se rahne bala hu aur mai v kafi dino bad is bar chath puja me apne gaun gaya tha news channel pe pichle kai salo se Sun raha tha k bihar me bikas hua hai maine socha hamare gaun me v kuch hua hoga dekh kar khusi hogi lekin hui nahi aaj v waise ka waisa hi hai aur apne 10din k kimti chutti me ayse ayse ghatnao ko dekha aur socha ki mujhe ye sochne pe majbur kar diya ki neta log primetime me aap k sath bare bare vasan marte hain jab k hakikat se wo avi kafi dur hain mai v likhu agar in 10 dino ki ghatnao ko to aap se lambi lekh ho jaye gi batana to chahunga agar aap janna chaho to aakhir me meri aap se bat karne ki kafi iccha hai agar aap sakcham ho to karna maja aa jaye ga no hai9804220653 .haa Jo kuch v dekha aur socha hamne in 10 dino me bas laga ki in k liye v kuch hona chahiye kam se kam unhe pata chalna chahiye Jo bare bare vasan marte hain tv pe baith kar narendra modi se kuch ummid hai ye mai v manta hu logo me aant me aap ki tarah haste haste primetime ko khatam karte samay jaise bida lete ho mai v leta hu ye bolte hua k aamay Ho to ak bar bat karlena
Raveesh jee mai aap ka bahut bara fan hu aur aap ko v mai bata du ki aap v narendra modi se kam popular nahi ho mujhe pehle pata nahi tha k aap bihar se ho lekin aap ki hindi bolne ki saili Sun kar jarur lagta tha aab takin ho gaya aur garb v ,aab mai aap ke lekh ke bare me bolta hu ki aap ne jo kuch likha hai wo sacchai hai aur is tasbir ko mai kafi najdik ses samajh paya hu kyo ki mai v bihar k bhagalpur se rahne bala hu aur mai v kafi dino bad is bar chath puja me apne gaun gaya tha news channel pe pichle kai salo se Sun raha tha k bihar me bikas hua hai maine socha hamare gaun me v kuch hua hoga dekh kar khusi hogi lekin hui nahi aaj v waise ka waisa hi hai aur apne 10din k kimti chutti me ayse ayse ghatnao ko dekha aur socha ki mujhe ye sochne pe majbur kar diya ki neta log primetime me aap k sath bare bare vasan marte hain jab k hakikat se wo avi kafi dur hain mai v likhu agar in 10 dino ki ghatnao ko to aap se lambi lekh ho jaye gi batana to chahunga agar aap janna chaho to aakhir me meri aap se bat karne ki kafi iccha hai agar aap sakcham ho to karna maja aa jaye ga no hai9804220653 .haa Jo kuch v dekha aur socha hamne in 10 dino me bas laga ki in k liye v kuch hona chahiye kam se kam unhe pata chalna chahiye Jo bare bare vasan marte hain tv pe baith kar narendra modi se kuch ummid hai ye mai v manta hu logo me aant me aap ki tarah haste haste primetime ko khatam karte samay jaise bida lete ho mai v leta hu ye bolte hua k aamay Ho to ak bar bat karlena
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Dear Ravish Kumar,
Greeting ! i am Rajen from Melbourne, This is first time i am fan of journalist and it is you Mr.Ravish. I really impressed with the way you present News and your spontaneous intellectual argument. Further, i really appreciate you HINDI and your Voice Command which is just superb to watch and listen.
Now importantly, your news content is really classic Indian. However, i really feel every now and then that your NDTV is very bias and pro-congress ( Which is understandable) but Anti-Modi which is not just right at all. Even in your show; i have seen you were argued and perused on Anti-Modi. Well let me clear that i m not belongs to and politics party at all.
Dear Sir, i am requesting you to please write same article on your news TV. and at least respect the guy who come from Tea Stall to CM and now India waiting for him to become PM.
Please If possible i really wanted to meet you or talk with you if any chance.
All The very best
Warm Regards
Rajen
Modi is now not only NARENDRA MODI it became an ideology...Acquiring which is a hope of accomplishment...
Ravish ji
Isliye aap, aap hain... ye nazar, ye bebaaki aur dil ki awaaz per aksharon ka utarna..
Sabke bus ki baat nahi. Qasba nirantar padhti hun... aaj is post per sadhuvad diye bina nahi rah sakti...
Aap aise hi rahen, kyuki, aap bus aap hain.
Ravish ji
Isliye aap, aap hain... ye nazar, ye bebaaki aur dil ki awaaz per aksharon ka utarna..
Sabke bus ki baat nahi. Qasba nirantar padhti hun... aaj is post per sadhuvad diye bina nahi rah sakti...
Aap aise hi rahen, kyuki, aap bus aap hain.
bahut thik likha aapne ravish ji, par agar modi ki soch parwan chadhe to tasveer or thik ho jayegi.
jan jan ki yahi pukar narendra modi abki baar.
ये पढकर बहुत अच्छा लगा रविश जी । जो बात आपने बताई है इस से लगता है की मोदी हिन्दुस्तान के मानक बनकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर के आयेंगे । वाकई में हमारा देश तरक्की की राह पकड़ लेगा । धन्यवाद
जय हिन्द ।
Ravishji,
Very good blog! aap likhate rahiye or bolte rahiye!!
you are one of the very sensitive media representatives.. Ravish ka report.. good program
Chalte rahiye
log modi ko sayad bharat ka super hero samjhte h or sahar tak hi nahi gaon m bhi kio ki koi bhi chenel congress ki hakkikat nahi batata ya to wo darte h ya koi bhi karan ho sakta h but agar modi ne apne aap ko agar hindu bola to halla mach jata or ek baat ki congress sirf ek parivaar bankar rah gayi h aazadi dilwai to nehru privaar ne koi bhi kaam kia to nehru gandhi privaar na or kisi rashtiye neta ka kahi naam nahi h but aaj yuva padh chuka h inki hakkikat kia h or inse alag shoch rahe h or sayad thik bhi h
ravish ji laga ki mai apane gaon me ghoomker aa gaya . aagey ki kahani ki pratisha me
aapke gaon mein roshani hone lagi hai..
desh ki haalat par duniya rone lagi hai..
kuch toh baat hai in badalti hawaon mein jo..
har jagah par modi ki baat hone lagi hai..
Yuvaon ko ab baat samajh aane lagi hai...
rajnetaon ko bhi saaza di jaane lagi hai..
kuch toh naya hua hai gujarat mein jo..
sarkar ke kaam ki taaref ki jaane lagi hai...
Written by: SSN and trust me I am just a comman Modi fan and not a party worker :-)
i admire u as a reporter.(here, i guess reporter is a person who reports only fact without any mashala) but when it comes to anchoring. sorry, to say Mr. Ravish - but u just cant hide ur anti-Modi instinct. u may have ur own understanding and affection for some1 but as a journalist-anchor , it is expected to be unbiased and neutral but u just cant remain. i can give several instances where u have been critical to some1 and on the other hand very soft on other on the same issue.
well written.
Ravish Bhai mai usi gaon ka niwasi hu jaha ke aap hai. jis vyakti ne mujhe phone pe ye suchna diya ki aap gaon aaye hai uski khushi ko mai yaha varnan nahi kar sakta hu. Usko aise lag raha tha ki gaon ka hi koi insaan aaj wapas aakar sari samasyawo ko suljhane aa gya hai.
aapne gaon me electricity ke liye jo pahal kiye hai usko jald se jald pura karwaiye aur ek problem pe shayad aap mahsus nahi kiye ya apki kalam se chhut gya wo mobile tower ka aabhav
Regards Bikesh Pandey
Guraha Areraj
thoroughly enjoyed this blog entry. Love the 'as you see it' style without any interpretation or embellishment. Fact as it is
बड़ी अच्छी तस्वीर पेश की अपने गांव की ..
Nice.!
main v aapse jude rahna chahta hoon add me sir ...
It reminds the development in my village also. It seems all the rural areas have developed in the same way.
अच्छी प्रस्तुति है, सिक्षा के स्तर को छोड़ बाकी चीज़ो में तो काफी बदलाव आया है , खास तौर से धार्मिक भावनावो को लेकर , अब नए तबके इनसे जुड़ गए है , और ......मित्रों, साहुकारो के हांथों में देश कि सत्ता सौपने के लिए हम काफी उत्साही हैं इस उम्मीद से कि भारत देश कही "वर्ल्ड ट्रेड कंट्री" बन जाये ।
बिहार के लोग विकास के मामले में कुछ ज़यादा तेजी में है, तभी तो नितीश का विकास पसंद नहीं आ रहा है उन्हें गुजरात जैसा विकाश तुरंत चाहिए पहले सतुआ पे संतुस्ट थे, अब हलुआ पराठा नहीं सीधे बिरयानी कि आकांछा है, या कुछ और मोदी के द्वारा हासिल करना चाहतें हैं .....
रवीशभाई! मैं ने बिहार नहीं देखा। लेकिन यहाँ कोटा में पहले केवल कारखानों में काम कर रहे मजदूरों के बीच बिहार के गाँव देखते थे लेकिन कुछ बरसों से कोचिंग में पढ़ने आए ढेर सारे बच्चों के बीच बिहार ज्यादा करीब से दिखाई देता है।
bahut hi achha.
Bahut badhiya vivran ... ekdum se aapka gaon mere aankhon ke aage se gujar raha tha ...
CHATH PUJA pe main bhi yahi feel karta hun............
बहुत बढियां विवरण। जैसा की कई लोगों ने लिखा है,पूरा गाँव आँखों के सामने आ गया। आपकी लिखने की शैली,हमें पढने पर मजबूर कर चुकी है।शायद जल्द लिखने पर भी करे,ऐसा हुआ तो सर्वप्रथम श्रेय आपको।
प्रणाम (सर नहीं कहेंगे,काहें की एक ठो ब्लॉग इसपर भी चस्पा है आपके पेज पर),बाकी जो है सो तो हैयय है।
बढिया है
बढिया है
bahut hi umda..padhkar aisa laga ki apne gaon me hoon
NICE
nice
Bahut khoobsoorti se aapke blogs likhe Gaye hain , simple language, local touch in writing still a good reading material .....
इस लेख में तस्वीरें नहीं लगी हैं । वक्त मिलते ही लगाऊँगा ।?
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