चिड़िया चिड़िया चिड़िया

चिड़िया चिड़िया चिड़िया
उड़ उड़ के आई चिड़िया
घूर घूर के देखे गुड़िया
कहाँ से आई चिड़िया
पंखों से उड़ती चिड़िया
बिस्तर पे रोती गुड़िया
चिड़िया चिड़िया चिड़िया
इधर से उड़ के आई
उधर से उड़ के आई
पंख हैं कि पुड़िया
सोचे है मेरी गुड़िया
हंसती है मेरी गुड़िया
उड़ती है देखो चिड़िया
आसमां की रानी है
बादल इनकी नानी है
चंदा इसका मामा है
सूरज इसका चाचा है
तारों की है सहेलियां
बतियाये सारी रतिया
चिड़िया चिड़िया चिड़िया
(बस गुनगुनाने लगा उसे मनाने के लिए तो हिन्दी साहित्य में भूल वश योगदान हो गया। मेरी चंद्रावती,रामदुलारी,प्रेमदुलारी,भगवती,केसरपति,चंद्रकला,सुमनलता इन तुकबंदियों को सुनकर झूमती रही। तभी मुझे अहसास हुआ कि यह कोई सामान्य रचना नहीं है। इसे तुरंत साझा किया जाना चाहिए। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आलोचक भी इसे सराहेंगे। नहीं सराह सकते तो अपने घर का पता दे दें..आकर समझाता हूं।)

28 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बिटिया को गुनगुना कर सुनाने से और भी रसीली हो जायेगी यह रचना।

Surendra Singh said...

घर का पता दे सकता हूं पर विश्वास हैं आप घर पर नहीं आयेंगे

Pradumna said...

आप तो हर दिन घर मेँ आते है।

nptHeer said...

Pahle chandravati,ramdulari,premdulari,bhagvati,kesarvati,chandrakala,sumanlata etc etc se to written 'saraahna' le lo aap :p :p yahan par written opinion dena padta hai-sirf jhumne se nahin chalta-i hope u know sirf jhumnewale log kahan paaye jaate hai :p :p well it seems you are spending time with new born daughter :) simple :)

केवल राम said...

पता तो हम भी दे दते ...लेकिन आप आयेंगे यह संदेह है ...लेकिन कविता ....अच्छी है ..दरअसल कस्बों में ऐसी ही कवितायेँ बनती हैं ...!

Sandeep Baghotia said...

nice poem but bhai ye suraj yo iskaa bhaiya tha ab chacha kaise?just joking

Unknown said...

aise hi gungunate rahiyee hum logon ka fayada hi ho raha hai....

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

इतनी प्यारी,
सबसे न्यारी।
कोमल दिलो पर फुदकती सी कविता!!
समझ आ गई साहब!!
पता देना और पंगा लेना?

पधारें यह रहा पता……
निरामिष: शाकाहार संकल्प और पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण दिवस पर विशेष)

Manoj Uniyal Rishikesh said...

Bahut khoob. Jaha na pahuche ravi waha pahuche kavi Ravish. Manoj Uniyal Rishikesh

Unknown said...

ravsih ji, der se magar bahut bahut badhai hoo, shayad isi liye aap NDTV par nazar nahin aa rahe hai

Prakash said...
This comment has been removed by the author.
anjali said...

koi samjhe na smjhe aapki nanhi chidiya ko papa ki kavitaye jarur samjh rahi hogi...

sadique zaman said...

kavita me masumiat mann ko bha gai

sadique zaman said...

kavita me masumiat mann ko bha gai

rahul said...

you'r so spontaneous!!!!

Akhilesh Jain said...

रवीशजी, कल Prime Time में आपका कथन सत्य था "FCI, काम का न काज का, दुश्मन अनाज का"

sukhdev goswami said...

aapki kavita bahut achhi hai..
Par dukh ki baat ye hai ki jis chidiya ki baat aap kar rhe hain..wo ajkal nazar nhi aati..

Unknown said...

भवन संख्या- A-36, G-8, basement, kailash colony, GK-1, फैसला आपका, द्वार खुले हैं सदैव...हाहाहा

सिद्धार्थ प्रताप सिंह said...

सर जी मै अपनी एक कविता का लिंक दे रहा हूँ पढ़िए शायद आपकी बात को ये बखूबी समझा दे लोंगो को....
http://urvaani.blogspot.in/2012/05/blog-post_220.html

फ़िरदौस ख़ान said...

क्या बात है...रवीश जी...
यह रचना पढ़कर अपना बचपन याद आ गया...और आंगन में फुदकती-चहकती चिड़ियें भी...

फ़िरदौस ख़ान said...

क्या बात है...रवीश जी...
यह रचना पढ़कर अपना बचपन याद आ गया...और आंगन में फुदकती-चहकती चिड़ियें भी...

फ़िरदौस ख़ान said...

क्या बात है...रवीश जी...
यह रचना पढ़कर अपना बचपन याद आ गया...और आंगन में फुदकती-चहकती चिड़ियें भी...

Arun Pandey said...

That's very nice .. I busy but loving it. Again and again i will read ..

Arun Pandey said...

Good sir!! I have bit time so i have'nt read your all blog , but chiriya wali is very fantastic & show that u will be good poet in future ... Plz write about IT Professionals also .. The Computer Yug

sana said...

मेरे सिंग दाँत पंजे डैने
दब जाते हैं
सौ फुट भीतर
स्वत


जब तुम न सना
लहरा कर झूल जाती हो

मुझसे लगकर



तब सहसा मेरी धमनियों में

बजता है संगीत

और बहता है

प्रीत


राग अनुराग के
इस क्रम से तुम
अनभिज्ञ
मुझे बचाए रखती हो

Anjan Singh said...

रवीश सर, आपकी ये कविता अपनी भतीजी को सुनाया... आप यकीं नहीं करेंगे उसके चेहरे पे जो खिलखिलाहट आई, वैसी खिलखिलाहट मैं पहली बार देख रहा था. उसे देख ह्रदय के अंतरतम से आपको धन्यवाद...

Anjan Singh said...

रवीश सर, आपकी ये कविता अपनी भतीजी को सुनाया... आप यकीं नहीं करेंगे उसके चेहरे पे जो खिलखिलाहट आई, वैसी खिलखिलाहट मैं पहली बार देख रहा था. उसे देख ह्रदय के अंतरतम से आपको धन्यवाद...