फिर वही भूली कहानी है क्या
फिर मैरी आँख में पानी है क्या
फिर मुझे उसने बुलाया क्यों है
फिर कोई बात सुनानी है क्या
ज़िन्दगी हो गयी सुनते सुनते
हम को यह मौत भी आनी है क्या
आज फिर मुसकुरा के देखा है
आज फिर आग लगानी है क्या
मुझ क्यों देख रहे हो ऐसे
मैरी तस्वीर बनानी है क्या
रोज़ क्यों गिर रही है उसकी पतंग
उस को दीवार गिरानी है क्या
6 comments:
बहुत बेहतरीन गजल के माध्यम से भावों को अभिव्यक्ति दी है.
बेमिसाल ग़ज़ल
अच्छी गज़ल
बेहतरीन।
रवीश जी वक्त मिले तो आईएगा जरूर।
http://atulshrivastavaa.blogspot.com/ पर रमन सिंह के हम्माम में नेता पत्रकार सब नंगे...!
बेहतरीन, उड़ती पंतगें दीवार गिराने की ताकत रखती हैं।
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