एक कमरा हो सपनों का











मुज़फ़्फ़रनगर के मालेरी गांव गया था। वहां एक दलित परिवार की बेटी मोनिका से मिलना था। मोनिका के पिता ट्रक से सामान उतारने की मज़दूरी करते हैं। एक कमरे में छह वयस्कों का परिवार रहता है। मगर कमरे की सजावट बता रही थी कि अपने घर को सुन्दर रखने की जिज्ञासा कितना कलात्मक बना देती है। दस बाई दस फुट के इस कमरे की सजावट देखने लायक थी। हर कोना साफ। एक छोटा सा पंखा लटका था उसे भी पुरानी साड़ी से लपेट दिया गया था। कमरे की छत खराब थी। इसलिए उसे छुपाने के लिए पुरानी साड़ी का इस्तमाल किया गया है। जैसे शामियाने में करते हैं। छत की सुन्दरता देखने लायक रही। अंबेडकर,करीना,कृष्णा और कैटरीना सबकी तस्वीर थी। घड़ी भी है। टीवी और डीवीडी प्लेयर भी। मोनिका कहती है कि वो और उसके भाई चाहते हैं कि घर हमेशा साफ-सुथरा रहे। हालांकि गांव में व्यापक स्तर पर गंदगी का राज हो गया है। इसका कारण यह है कि गांव-गांव में पक्के मकान बिना योजना के बनने लगे हैं। नाली के पानी की निकासी का सार्वजनिक इंतज़ाम नहीं है। प्लास्टिक के टेट्रापैक औऱ गुटका के पाउच से कचरे का ढेर जमा हो रहा है।

14 comments:

vandana gupta said...

बेहद खूबसूरती से संवारा गया है…………काबिल-ए-तारीफ़ है।

विजय प्रकाश सिंह said...

वाह मोनिका | बेटी हो तो ऐसी |

विजय प्रकाश सिंह said...
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संगीता पुरी said...

प्रशंसनीय !!

डॉ टी एस दराल said...

बहुत खूब । ज़ज्बा हो तो ऐसा ।

Shalini kaushik said...

west u p me aisee kalatmakta aapko dekhne par milti hi rahegi.west up hariyali ka,prakertik sunderta ka kshtra hai.purane makano me mehnat kar sunderta layi jati hai aur monika ki bhi aise kam me achhi mahnet lagi hogi.is kam ke liye monika to badhai ki patra hain hi sath hi ravish ji aap bhi sunderta ke parkhi hone ke karan prashansa ke patra hain nahi to adhikansh to is mehnat ko garibi aur pichhdepan se jod dete hain.

bhuwnehwar vatayayan said...

is kamre ke khawab ke pankh per kabhi sochiye.

sanjeev dubey said...

यह घर कुछ कहता है

कुमार राधारमण said...

मानव जाति के प्रारम्भ से ही,पुरुष शिकार या खेती के प्रयोजन से बाहर रहते और महिलाएं घर में। महिलाएं प्रायः गर्भवती रहती थीं। स्वाभाविक ही,आसपास को साफ-सुथरा रखना उनकी ज़रूरत थी। वह ज़रूरत जीन में ऐसी समाई कि अब किसी मोनिका को कुछ सिखाने की ज़रूरत न रही।

Lalit Kuchalia said...

ravesh ji bahut hi achhe yatra rahi hogi aapki saf safyi bhi rakhan ach

Lalit Kuchalia said...
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MANISH UNIYAL said...

10 saal pahle kuch aisa he ghar tha hamara.kamra ek tha magar khushiyaan hazaaron thi.bahuch kuch aisa tha us ghar me jiske liye bade ghar me jagah nahi ho paati.

MANISH UNIYAL said...

is ghar me bahut kuch aisa hoga jiske liye bade ghar me bhi jagah nahi ho sakti.

Life Mantra said...

Ye Pahale Bhi Dekha Hai .
Aur Agar Me Galat Nahi to ye scene aapki ek report ka hissa rahe hai...........