संघ का सरदार कौन

सार्वजनिक मुद्दों की एक ख़ास बात होती है । इनके गुप्त और ज़ाहिर पहलु और तथ्य इतने होते हैं कि आप राय रखते समय सबसे नहीं गुज़र रहे होते हैं । कुछ न कुछ छूट जाता है । कुछ लोग उन तथ्यों को ला लाकर संतुलन की दावेदारी करते रहते हैं तब भी कई तरह से सोचना रह जाता है । नेता का कमाल यही है कि वो ऐसे ही मुद्दों को उछाले ताकि वो सही ग़लत से ऊपर उठकर लोगों की चर्चा में बना रहे । 

सरदार पटेल पर हो रही बहस में यही हो रहा है । हर कोई मूलत कांग्रेस और बीजेपी की विरासत के बीच मोदी की नई दावेदारी में उलझा हुआ है । इसी बहस को मैंने शुरूआत में सरदार को कुर्मी समाज के नायक के रूप में पेश कर नीतीश को चुनौती देने की नज़र से देखा था । गुजरात के पटेल और बिहार के पटेल दोनोंं सरनेम एक तो हैं मगर सरदार कुर्मी नहीं थे । इसके बावजूद नीतीश ने लालू से अलग होकर कुर्मी रैली की थी तब उस पोस्टर में सरदार पटेल भी मौजूद थे । यू ट्यूब पर कई वीडियों हैं जो पटेल जयंती के मौक़े पर अलग अलग कुर्मी समाज की सभाओं की रिकार्डिंग हैं । सरदार पटेल की जयंती पर कुर्मी समाज की सभा ? तो मैंने इसी लिहाज़ से देखा कि नरेंद्र सरदार को किसान बनाकर बिहार में नीतीश और यूपी में बेनी प्रसाद वर्मा की दावेदारी को धक्का मारेंगे । 


इसी ब्लाग पर मैंने यह भी लिखा है कि मोदी ने सरदार की प्रतिमा बनाकर आडवाणी की पटेल कहे जाने की विरासत को समाप्त कर दिया । आडवाणी जो खुद लौह पुरुष के विशेषण व्यंजन से आह्लादित होते रहे उन्होंने भी कभी सरदार की विरासत को इस स्केल पर ले जाने के बारे में नहीं सोचा था । मोदी कांग्रेस से उपेक्षा का वाजिब हिसाब मांग रहे हैं मगर इसमें एक सवाल आडवाणी जी से भी है कि आप सरदार बनकर भी सरदार को भूल गए । बीजेपी के किस नेता ने आडवाणी को लौह पुरुष नहीं पुकारा होगा । एक झटके में और वो भी बहुत आसानी से मोदी ने दुनिया को बता दिया कि सरदार पटेल को याद करने वाले वे पहले हैं । जबकि हक़ीक़त यह है कि बीजेपी में हमेशा नेहरू और पटेल रहे हैं । अटल बिहारी वाजपेयी की तुलना नेहरू से होती रही जबकि आडवाणी की सरदार पटेल से । मोदी ने एक प्रतिमा से अटल के नेहरू होने और आडवाणी के पटेल होने की दावेदारी पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया या कहें तो दोनों को बेदख़ल कर दिया । अटल जी ने भी कभी नेहरू की विरासत को चुनौती नहीं दी जिस तरह से मोदी ने दी है । इसी ब्लाग पर अपने एक लेख में मैंने लिखा था कि गोवा में प्रचार अभियान समिति का चेयरमैन चुनें जाने के चंद दिनों में मोदी पटेल की प्रतिमा की बात करेंगे । मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं थी मगर हुआ यही । लिखने से पहले एक पत्रकार से पूछा था तो यही कहा कि तीन साल से बात ही कर रहे हैं पटेल की प्रतिमा की मगर होगा कुछ नहीं । मगर गोवा से अहमदाबाद आते ही अगले एक दो दिनों में मोदी ने पटेल की प्रतिमा बनाने की घोषणा की थी । वे नक़ली सरदार आडवाणी को परास्त कर लौटे थे । दिल्ली में बीजेपी के प्रथम लौह पुरुष कोप भवन में रो रहे थे और अहमदाबाद में मोदी असली सरदार की बात करना शुरू कर चुके थे । अब बीजेपी में लौह पुरुष के दावेदार आडवाणी नहीं मोदी हैं । मोदी स्लेट पर लिखी हर पुरानी बात को मिटा रहे हैं । अपनी बात लिखने के लिए । 

मोदी ने इस तीर से एक काम और किया । बहुत दावे से तो नहीं लिख रहा मगर मन में बात है तो लिख रहा हूँ । असहमतियाँ हो सकती हैं । मुझे लगता है कि मोदी ने बीजेपी के भीतर सरदार पटेल की दावेदारी को फिर से उभार कर संघ को भी लपेटे में ला दिया है । इस पूरे विवाद में ज़्यादा बड़े सवाल संघ को लेकर ही खड़े हो रहे हैं । भले ही संघ की तरफ़ से गुरुमूर्ति और हमारे मित्र राकेश सिन्हा बचाव कर रहे हैं मगर क्या इस वक्त आर एस एस के संविधान और करतूत के बचाव की नौबत आनी चाहिए थी । मोदी ने संघ को भी धकियाया है । हर तरफ़ सरदार पटेल की वो चिट्टी ही छप रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि संघ ने सांप्रदायिक ज़हर फैलाया था जिसने आख़िरकार गांधी की जान ले सी । निशाने पर संघ है । कांग्रेस भी पटेल के बहाने संघ पर ही हमला कर रही है । बड़ी चालाकी से संघ का वो इतिहास व्यापक स्तर पर सार्वजनिक हो रहा है जिससे संघ बहुत दूर निकल आने की ख़ुमारी में होगा । संघ भले ही सरदार की तारीफ़ के भी पत्र निकाल रहा है मगर सरदार के ये पत्र भी तो बाहर आ रहे हैं कि कि वे संघ को लेकर कितने नाराज़ थे । गोपाल कृष्ण गांधी ,राजमोहन गांधी ने आसानी से बता दिया कि पटेल न तो हिन्दुत्ववादी थे और न इस्लाम विरोधी । उन्होंने कभी नेहरू का अपमान नहीं किया और हमेशा नेहरू को अपना नेता माना । आख़िर उस सरदार को बाग़ी कैसे मान सकते हैं जिन्होंने बीमारी के कारण दिल्ली छोड़ते वक्त एन वी गाडगिल का हाथ पकड़ कर वचन माँगा था कि लगता नहीं कि मेरी ज़िंदगी अब बची है इसलिए तुम मेरे बाद जवाहर का हाथ नहीं छोड़ोगे । 

आप इस पूरी बहस के स्केल को देखिये आर एस एस की भूमिका को लेकर कितने सवाल खड़े हो रहे हैं । मोदी ने कांग्रेस पर हमला किया मगर संघ का बचाव नहीं किया । बल्कि यह सवाल भी फ़िज़ा में घुम गया कि मोदी ने हेडगेवार,सावरकर, गोलवलकर, श्याम प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और कम से कम बीजेपी के इतिहास के अब तक के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के बारे में क्यों नहीं सोचा । ज़रूर इसके सौ जवाब होंगे लेकिन मोदी ने इनको छोड़ा तो सही । मायावती ने जब मोदी से पहले महापुरुषों की प्रतिमा पार्क के बारे में सोचा तो वे किसी एक के बारे में तय नहीं कर पाईं । इसलिए सबको शामिल किया । मोदी ने एक को चुना । मोदी अपने रास्ते निकल पड़े हैं । संघ को लेकर जितनी कहानी बनानी हो बना लीजिये । संघ मोदी के साथ है और अब रहना ही होगा । मगर मोदी तो पटेल के साथ हैं ।

मोदी के विरोधियों की एक दिक्क्त ये है कि वे उन्हें पुराने चश्मे से देखते हैं । जबकि मोदी एक तीर से कई निशाने लगाते हैं । जो नेता बिहार जाकर खुद को द्वारकाधीश कृष्ण का नुमाइंदा बताकर यादवों का रक्षक घोषित कर सकता है और लालू की तारीफ़ कर सकता है वो सरदार पटेल के बहाने सिर्फ कांग्रेस पर ही बोल रहा है ऐसा नहीं हो सकता । मोदी इस बहाने संघ और आडवाणी पर भी बोल रहे हैं । फ़र्क इतना है कि मोदी नहीं बोल रहे हैं उनकी जगह लोग बोल रहे हैं और संघ अपना बचाव कर रहा है । मोदी की यही बात राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले मेरे जैसे लोगों को कई तरह से सोचने पर मजबूर करती है । मोदी लगातार खुद को बहस को केंद्र में रख रहे हैं । एक बहस छेड़ते हैं और इससे पहले कि वो पूरी हो मोदी दूसरी बहस पर जंप कर जाते हैं । नीतीश ने जब उनके इतिहास बोध को ललकारा तो तेज़ी से पटेल पर शिफ़्ट हो गए और उल्टा वे कांग्रेस के इतिहास बोध से भिड़ गए । यह बहस भी पूरी होती तब तक वो लता मंगेशकर के पास जा चुके थे । उनकी हर बात पहले से तय है । सबकुछ उनके हिसाब से हो रहा है । बाकी लोग बाद में हरकत में आ रहे हैं । जब इतनी योजना और संसाधन से कोई लड़ रहा है तो उनके विरोधी सिर्फ लाचार नज़र नहीं आ सकते । यह भी सही है कि विरोधी भी धीरे धीरे उनकी रणनीति समझने लगे हैं । इसलिए वे मोदी को तुरंत पकड़ते हैं । नीतीश ने दो दिन के भीतर पकड़ा तो कांग्रेस ने उनके प्रतिमा शिलान्यास से पहले अहमदाबाद पहुँच कर सरदार को सेकुलर बता आई तो मोदी के बिहार जाने से पहले यह सवाल उठा दिया गया कि जो अहमदाबाद के नरोदा पाटिया के दंगा पीड़ितों से आज तक मिलने नहीं गया वो बिहार में हेलिकॉप्टर से उड़ उड़कर अपनी पार्टी के शहीद कार्यकर्ताओं से मिल रहा है । मुक़ाबला दिलचस्प हो रहा है । जो जीतेगा वही सिकंदर । फिर किसे पड़ेगा कि सिकंदर गंगा तक आया था या नहीं । 

32 comments:

State of hearT n minD said...

great piece of writing sir... raat ke 01.06 am per is blog ko padane ka anand hi kuch aur hai...

nptHeer said...

नेता अगर चर्चा मैं रहता है या नहीं-इस से पब्लिक मेमरी पर कैसे असर पड़ता है?की जिस से सत्यासत्य के पहेलुओं की चर्चा छोड़ तत्कालीन प्राप्य तत्यों की जानकारी पर ही लोग अपनी राय बनाने लग जाए?बात कुछ हजम नहीं हुई :) क्यूंकि ऐसा होता तो-"मैं गुजरात की बहु हूँ" कह के वोट मांगने आई इंदिरा गांधी की जगह लोगों ने मोरारजी देसाई को न चुन होता!and एस!ravishji तीसरे मोर्चे का सब से कठिन और लम्बा अस्तित्व भी गुजरात ने गुजराती ने दिया(मोरारजी देसाई) जब की सब से योग्य तब चौधरी चरणसिंह थे !?

कहनेका मतलब--आप गुजरात आये तब भी और नारायण दादा दिल्ली आये तब भी आप ने उनसे 'गाँधी कथा' नहीं सुनी:-\ (लगता तो ऐसा ही है)
pls go through it
तो आप को गुजरातिओं के चयन(नरेन्द्र मोदी) पर या नेहरु की नीतियों पर भी कोई confusion नहीं रहेगा--even मोदी क्या करेंगे नहीं just अभी क्या सोच रहे होंगे वह भी पता चल जाएगा क्यूंकि आप भारत के ओह ओके इंडिया के भी :) well wisher हो :)

आप के ही एक शो मैं अभय दुबेजी ने यह बात mention भी की थी-की गुजरात मैं मोदी की popularity का रहस्य यह भी है की वे संघ व कांग्रेस दोनों की गतिविधिओं को काबू मैं रख पाए है

रही बात सरदार पटेल की--मणि बा को फटे कपड़ों को चिथड़ों से सी सी कर पहनते हुए कौन से गुजराती ने नहीं देखा?तब के इन्ही कांग्रेस के दिग्गज और छोटे सभी से कह के और सभी के वर्तन को भी देखा है सब ने!विट्ठल काका के कहने पर-नक़्शे पर engg की लकीर और किसान अपनी ज़मीन सौंप दिया करते थे colleges बानाने के लिएक्यूँ की नहरू ने कहा था देश मैं engg नहीं है 'नर्मदा डैम' बाँधने के लिए-गुजरात तब बिहार से भी बुरे अकाल से सूखे से गुज़र रहा था-ये तो इंदु चाचा होते नहीं,अमूल बनता नहीं और गुजरात बचता नहीं--UP-Bihar भी आँखें खोलें और नरेन्द्र मोदी को पूर्वाग्रह के चश्मे से देखने की जगह उनके demands & supplies खोजें तो अमेठी से तो ज्यादा अछि दशा और दिशा मोदी दे सकते है
चाहे 'संघ का सरदार' कह लो :)
बात तो उन्हों ने भी यही पूछी न?की मुसलमानों की गरीबी और हिन्दुओं की गरीबी etc धर्मों की गरीबी अलग है क्या?

जिस साम्यवाद को छोड़ रूस और चीन आगे बढ़ रहे है और जिस मुडीवाद से अम्रीका यूरोप पतन की और बढ़ रहे है तो दोनों से सिख के अपने रास्ते पे चलने मैं भारत का क्या जाता है? :) ये मोदी नीती है :)

well बाकी politicians दुनिया के सभी देशों मैं एक सामान "जाती" के पाए जाते है :)
smile please :)

Enigma said...

From Modi to Others .... with love..

sazaa kaa haal sunaaye jazaa kii baat kare.n
Khudaa milaa ho jinhe.n vo Khudaa kii baat kare.n

unhe.n pataa bhii chale.n aur vo Khafaa bhii na ho
is ehatiyaat se kyaa mazaa kii baat kare.n

hamaare ahad kii tahaziib me.n qabaa hii nahii.n
agar qabaa ho to band-e-qabaa kii baat kare.n

har ek daur kaa mazahab nayaa Khudaa laataa
kare.n to ham bhii magar kis Khudaa kii baat kare.n

vafaa_shiyaar ka_ii hai.n ko_ii hasii.n bhii to ho
chalo phir aaj usii bevafaa kii baat kare.n

Unknown said...

Aakhir ye kitna shi h ki Arvind kejriwal ke bulane pr shila dixit debate me bhag nhi leti jbki dono C.M candidate h.or Sibal sahab Modi ko bula rhe Debate ke liye Yhi Asli Dohrapan h..wase Sibal sahab to p.m candidate bhi nhi h.khi pda ki unse Debate ke liye Amit shah best honge..Aisi hi Congress ki mansikta rhi phir Modi ke pass pahuchna to dur unhe chu bhi nhi sakti.Nitish jee ka kya haal h subko pta h.Khud khi nikal nhi paa rhe charo taraf unke khilaf aakrosh h..mai apne jile ki baat batata hu pahle sabko cycle or dress diya gya chahe wo class aaye yaa naa aaye..or abb 75% attendence khoj rhe..is saal takriban pure school me 5% logo ko dress mile h..95% log khilaf h.jb vote chahiye tha subko subkuch diya gya or abb nhi.khair Nitish jee ki bhut khani h.unpe tipni bekar h.Modi ne jo kl kiya h Bihar me Nitish ko bhari kimmat chukani padegi iski..

arvind nikose said...

संघ का सरदार तो हमेशा ब्राम्हण ही रहा है भला रज्जू भय्या सरसंघचालक रहे हो...

Ashwani Kumar said...

संघ की सोच हिंदूवादी रही है और रहेगी भी ,
लेकिन कुछ लोग यह सोचते हैं की संघ सिर्फ हिन्दुओं की सुनता है , ऐसा बिलकुल नहीं है ,
मुझे लगता है की संघ धर्म परिवर्तन के खिलाफ है , और खासकर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन मुसलमानों और इसाईओं द्वारा !

मुझे धर्म परिवर्तन से कोई परहेज नहीं है , पर बन्दूक की नौक पे ,या किसी की गरीबी की आड़ में धर्म परिवर्तन अति अशोभनिये है !

जब बात हिन्दू नेता की करते हैं ,
तो वो टोपी , और टीका दोनों लगा के हिन्दू धर्म का मजाक उडवाते हैं ! वहीँ अगर आप मुस्लिम नेता की बात करें तो वे कहेते हैं की कुरान में टिका लगाने की इजाज़त नहीं हैं , हिन्दू चाहें कितनी भी टोपी पेहेन लें मुस्लिम कभी टीका नहीं लगायेंगे !

मै सब धर्मों का आदर करता हूँ , इसका यह मतलब नहीं की जब तक मई टोपी या टीका न लगाऊं तब तक में सेक्युलर नहीं कहलाऊंगा !

ये टोपी टीका की बात सिर्फ हिन्दू नेता के मुह से ही सुनी है काश कोई दिन ऐसा भी देखूं जिस दिन मुस्लिम नेता भी ऐसा कर के दिखाएँ !

पर इस सेचुँल्र देश में ऐसा हो पाना संभव नहीं है , ये ऐसा ढोंगी सेचुँल्र देश है जहा इसाई स्कूल में बाइबिल पड़ी जा सकती है , इसाई गीत गाये जा सकते हैं , पर सूर्य नमस्कार करने से दिक्कत है , गीता पड़ने से दिक्कत है !

संघ की विचारधारा राष्ट्रीय है पर मुस्लिम और इसाई के लिए नहीं , क्योंकि ये लोग बहार से आये हैं !

खैर जब हम हिन्दू धर्म की बात करें तो इसका इतना बुरा हाल इसके अनुयाइओन ने ही किया है ,क्योंकि इनलोगों ने इतने भगवान् उगा दियें हैं की धरती पर पेड़ कम भगवन जादा दिखाई देता हैं , कभी भी अपने धर्म का प्रचार ही नहीं किया , किया तो सिर्फ धंधा वो भी विशवास का !

जब तक यह विश्वास पुनर्स्थापित नहीं होता हिन्दू समाज बिखरा रहेगा और बाहरी हुकूमतें इसको तोडती रहेंगी !

भारत को अकबर का सेकुलरिज्म चाहिए ,
औरंगजेब का नहीं , जब सबको इश्वर से ही प्रेम है ,तो फिर कट्टरता किस बात की , आग किसके लिए , नफरत किसके लिए !


आतंकवाद का कौन सा मजहब भारत में सक्रिय है जब जानते हैं ,पर नेता लोग media कहते हैं आतंक का कोई मज़हब नहीं होता ,इतने में media अपने चाचा के पास ( दिग्विजय जी ) के पास जाती है फिर वेह देते हैं हिन्दू आतंकवाद ( मक्का ब्लास्ट ), लेकिन 99.5% कौन से लोग करते हैं सब जानते हैं , टीवी पे नहीं बोलोगे तो लोग खुद ही बोल लेंगे , जनता पागल नहीं है , इस देश में तुष्टिकरण होता है ,जिसका परिणाम धर्म -धर्म युद्ध , जाती जाती युद्ध है !


इस देश में सेक्युलर शब्द पर ? लगा है , क्योंकि जब तक लोगों को लगेगा की जिस मज़हब के लोग इस धरती के नहीं हैं , वे इस धरती के कभी नहीं हो सकते ,हमारी विरासत खतरे में है , तब तक कुछ नहीं हो सकता !


जब इस धरती के लोगों ने ही अपनी विरासत चूले में दाल दी हो उनको यह प्रश्न नहीं पूछना चाहिए !


जो लोग सोचते हैं की हम इस देश के नहीं हैं उनको इस देश से तुरंत निकल जान चाहिए !
और जो लोग सोचते हैं की हम ही इस देश के हैं , उनको शर्म आनी चाहिए !


भारत की विरासत सब लोगों की है !
इसकी रक्षा में धर्म रोड़ा नहीं बनाना चाहिए !

सब धर्मों का सम्मान होना चाहिए !

Common Civil Code , Cow Protection Act धर्म विरोधी नहीं धर्म के हित में हैं ,
इसमें किसी को अपनी रोटी नहीं सेकनी चाहिए !

Reservation गरीब तबके के लिए होना चाहिए न की धर्म विशेष ,जाती विशेष !

जब तक आरक्षण धर्म और जाती के आधार पर मिलेगा तक तक नेता लोग अपनी रोटी सकते रहेंगे और हम लोग भूखे रहेंगे !

जय हिन्द !
शुभ दीपावली !

rajeshmeena said...

हेगड़ेवार, सावरकर, गोडसे, गोलवलकर ने अच्छे कर्म किये होते तो आज सरदार पटेल को काँग्रेस से छीनने की शर्मनाक कोशिश नहीँ करनी पड़ती।

DHIRAJ said...

Very nyc sir g.Dukhti rag pe hath rakh di....

Unknown said...

मोदी एक सोची समझी रणनीति के तहत ही चल रहे हैं.हाल के उनके वक्तव्यों पे नज़र डालने से तस्वीर कुछ साफ़ होती दिख रही है. १. मोदी के भाषणों में उपरी तौर पर कोई सांप्रदायिक बातें नहीं दिखती.
२. उनका राष्ट्रवाद पर जोर राष्ट्रीय स्वयं संघ से भिन्न दिखता है.प्रतिक के रूप में पटेल को चुनना अकारण नहीं है.
३. विकास पर ज़ोर.

मोदी को पता है कि RSS की विचारधारा की वकालत कर उन्हें राष्ट्रीय सहमती नहीं मिल सकती है.खासकर कांग्रेस जब यह प्रचारित करे की उसकी लड़ाई मोदी से नहीं है, बल्कि RSS से है. मोदी को यह भी पता है की उत्तर भारत में पिछड़ी जातिओं को अपने पक्ष में किये बिना भाजप की सीटों की संख्या में बहुत अधिक बढ़ोतरी संभव नहीं.
मोदी के प्रशंसक को आप कई कटेगरी में बाँट सकते हैं :१. वह वर्ग या जातियां जो मोदी में अपना हित देखती है.यह अकारण नहीं की यही वर्ग या जातियां मोदी को गरीब और पिछड़े के रूप में प्रचार कर रही हैं.

२.ऐसा तबका जो वर्तमान राजनितिक परिदृश्य से उब गया है. उसमे मोदी के रूप में एक आशा दिख रही है. यह अकारण नहीं कि यह तबका BJP की बात नहीं करता सिर्फ मोदी की बात करता है.

और अंत में अपनी बात : मेरे ख्याल से मोदी को किसी तरह इस बार प्रधान मंत्री बन जाना चाहिए.क्योंकि जिस दौर से हम गुजर रहे हैं उसे मोदी तो क्या भगवान भी नहीं बदल सकता.और शायद यही मोदी को बेनकाब भी करेगा. लेकिन अगर इस बार सत्ता में नहीं आते तो अगले चुनाव,चाहे जब हो, बहुत भयावह स्थिति उत्पन्न करेगा.

Navneet's Tea House Chit-Chat said...

सच हका आपने

Anshuman Srivastava said...

अगला अपने राजनीतिक महत्वाकाँछा के लिए ही सही अगर चुनावी रणनीति मे निपुण हैं तब इससे उनके विपक्षी दलो की परेशानी समझ मे आती हैं अगर हमे या आपको होगी तब दिक्कत हैं

Unknown said...

Ravishji apko do tuk kahne ka man kar raha to kah raha hu bura lage to maf karna to suniye ap midiya wale yato barabr sun nahi pate ya apne ko bharmit samj kar sabko bhramit karte ho kyuki modi ki hunkar rly me Modiji ne koi juth nahi bola unka kahne ka matlab ap or ap k bade bhai nikku apne trikose nikalkar dhekhate ho to wo apki kamsoch he ya kisiko nicha dikhaneki apki buri adat he to pahle kahne wala ka bhavarth samjo badme bhoko samja karo or bola karo apne ap ko bada mat mano thoda hajam bhi kiya karo nadan log no nasarm.takvadi. avasrvadi

Unknown said...

Hamesha ki tarah bemishaal ravishism!

teacher4gujarat said...

Bilkul shahi bato ke sher ko ek bar padhan matri banado,thabi khayal aapne aap janta ko pata chal Jaega,
Pichdi jati ke logo ke udhar ki bat Ho to modi bhi kuch nahi karpayega unko kud upar uthana he,mudi vadi log ke pahli pasand modi he usaka vahi karan he

Unknown said...

Aapki har baat ghum fir ke NaMo pe aa hi jati hai.....Aap keh rahe the ki aap apne blog pe patrakarita nahi karte???...wo to aap kahin bhi nahi karte hain...khair...Nitish kumar ko to unke party ke hi kayi logon ne tanashah karar diya...hum wo report kyu bhool jate hain jisme press council of india ke head ki haisiyat se Katju sahab ne nitish sarkar pe media ke kaam ko galat tarike se prabhavit karne ka aarop lagaya tha...tanashahi to isse kehte hain...mana ki BJP bhi uss samay saath thi...par ussme NaMo ka to koi role nahi tha na...Nitish kehte hain hawa banayi ja rahi hai....hawa to aap jaise pseudo-secular log bana rahe ho...Hitler se tulna ki ja rahi hai...unhe itna ghor muslim virodhi dikhaya ja raha hai jaise wo sarkar mein aate hi saare musalmano ko khatam hi kar denge...Agar iss baat mein thodi bhi sachai hoti to gujrat mein muslim aabadi 5-10% to kam hui hoti...12-13 saal se wo sarkar mein hain to itna narsanghar to karwa hi dete???Kya aisa hua hai..??? 2002 ke baad ek bhi hindu ..muslim communal riot nahi hue hain...gujraat ke musalmaan ..bihar ke musalmanom ki tulna mein kayi guna samapann hain..Agar koi insaan ye kehta hai ki aapko religion ke base pe koi benefit nahi diya jayega chahe aap koi bhi ho to kya wo communal ho jata hai..,Nitish kehta hai...tilak bhi lagana padega ..topi bhi pehena padega....Are phir to baal bada ke pagdi bhi lagaiye...aur cross wala locket bhi peheniye...sirf ek alpsankAkon ko kyu target kar rhe ho...kyuki unka vote bank majboot hai isliye..??????????????????????????????????

Unknown said...

BJP ne modi ko jis tarah se project kiya hai usse lgta hai jaise wo khud party se hi upar ho gye hai, america ke presidential system ki tarah, kuch maayno me ye ek galti hai jis pr shayad aage bjp ko dukh ho,

aur ye to jagjahir hai ke modi khud bjp ki pasand to kbhi nhi the, joshi adwani sushma koi bhi unke samarthan me kbhi nhi the, to ye to saaf hai ke ye taajposhi rajnath ne bhi sirf RSS ke dabaav me ki thi, bs yhi ek khatarnak sthiti bnti hai, modi khud saari jindgi ek pracharak rhe hai, bjp ek raajnitik dal hone ke naate fir bhi vote bank ke dabaav me algaavvadi baate km hi krti hai pr sangh to rajnitik bhi nhi, jo bhasha modi abhi use nhi kr paa rhe ya ho skta hai ab sangh ki ghidki kha kr krna shuru kr de vo to guru golwalkar aur savarkar ki virasat pitr bhumi pavitra bhumi ke siddhaant pr hogi jo bharat ki paribhasha ke liye jaher hogi, ye ek darr hai.

Unknown said...

atyant rochak lekh par badhai

Unknown said...

I AM NOT FAN OD KHAN Or Any Actor But deffinatly fan of yours

Unknown said...

dekhiye, kuch to hai jo narender
bhai modi ji ki baate itihaas ke
baare me sochkr darr lgta hai,
sbse phle unka pradhanmantri ke
liye bjp ka projection, sushma ho
joshi ho yashwant sinha ya fir
purane lohpurush advani ji, modi
kisi ki pasand nhi the, ye sach hai,
pr rss ke dabaav me unka is tarah
se projection kuch shak paida
krta hai, ab pichle kuch samay se
unke bayaan sunkr to yhi lg rha
hai ke bjp to kahi hai hi nhi, bs
modi hi hai, jo vo kahe, aksar
galat hi hota hai vaise pr fir bhi jo
kuch bhi kahe wo hi saare din bjp
safai deti rhti hai ke nhi aisa nhi
bola tha, ab chahe unka
uttrakhand se 15000 gujrati
bachane ka bayan ho ya nehru ke
patel ki antim yatra me shamil na
hone ka bayan, 5th standard ka
bachcha bhi jaanta hai ke
chandragupt gupt vansh se nhi
the aur sikandar ganga kbhi paar
nhi kr paya tha, pradhanmantri ke
ummidvar ko satta me jaane ki
jaldi me hi sahi pr aise bayan nhi
dene chahiye, sochna chahiye ke
ye internet aur globalization ka
jamana hai, log ek second me pta
kr lenge ke china education pr
apni gdp ka 20% nhi kharch krta
hai, fir bhi modi abhi kuch
sambhal kr chal rhe hai, abhi mim
afjal ka jaher to shuru hi nhi hua
hai, jis din rss ghidki dega na ke
hmne tumhe pm ka ummidvar ye
harmony ki baat krne ke liye nhi
bnaya hai, us din modi fas
jayenge ke kre to kya kre, kyunki
rss golwalkar ke pitr bhumi aur
pavitra bhumi ka siddhant chahti
hai, yaani jo is desh me apne
purvaj rakhta ho vahi is desh me
rahega, ab ye to bharat ki
paribhasha pr hi chot krta hai
jiska phla principal hi
sarvdharmsambha av hai, ab rss
ki gaaye to vote nhi aur na gaaye
to ummidvari khatm, ye bahut
gadbad hai,

Anonymous said...

क्या क़स्बा छोड़ दिये??
कहाँ बसे हो?

Unknown said...

Sardar Patel’s appreciation article
on Jawaharlal Nehru
“Jawaharlal and I have been
fellow-members of the Congress,
soldiers in the struggle for
freedom, colleagues in the
Congress Working Committee, and
other bodies of the Congress,
devoted followers of the Great
Master who has unhappily left us
to battle with grave problems
without his guidance, and co-
sharers in the great and onerous
burden of administration of this
vast country. Having known each
other in such intimate and varied
fields of activity we have naturally
grown fond of each other; our
mutual affection has increased as
years have advanced, and its is
difficult for people to imagine
how much we miss each other
when we are apart and unable to
take counsel together in order to
resolve our problems and
difficulties.
…Gifted with an idealism of high
order, a devotee of beauty and art
in life, and equipped with an
infinite capacity to magnetize and
inspire others and a personality
which would be remarkable in
any gathering of world’s foremost
men, Jawaharlal has gone from
strength to strength as a political
leader.
...It was, therefore, in the fitness
of things that in the twilight
preceding the dawn of
independence he should have
been our leading light, and that
when India was faced with crises
after crises, following the
achievement of our freedom, he
should have been the upholder of
our faith and the leader of our
legions. No one knows better
than myself how much he has
laboured for his country in the
last two years of our difficult
existence. I’ve seen him age
quickly during that period, on
account of the worries of the high
office that he holds and the
tremendous responsibilitie s that
he wields.
…As one older in years, it has
been my privilege to tender advice
to him on the manifold problems
with which we have been faced in
both administrative and
organizational fields. I have
always found him willing to seek
and ready to take it. Contrary to
the impression created by some
interested persons and eagerly
accepted in credulous circles, we
have worked together as lifelong
friends and colleagues, adjusting
ourselves each other’s advice as
only those who have confidence
in each other can.
…It is obviously impossible to do
justice to his great and pre-
eminent personality in these few
condensed words. The versatility
of his character and attainment at
once defy delineation. His
thoughts have sometime a depth
which it is not easy to fathom, but
underlying them to all is a
transparent sincerity and a
robustness of youth which
endear him to everyone without
distinction of caste and creed,
race or
religion”.

Unknown said...

कभी इस राजनीति को छोड़कर कुछ जिंदा दिल जिंदगी के बारे में भी लिखा करें । जिंदगी खूबसूरत है!विशेष रूप से जब आप छोटी छोटी खुशियाँ बाँटते हैं । हमेशा की तल्ख़ी अच्छी नहीं । मुस्कुराइए!

mayank sachan said...

ravish ji gujrat ke patel apne ko (kunbi)yani kurmi hi maante hai ... is liye sardar kurmiyon ke har sabha men dikhayi denge .. haan bihar ka kurmi thoda jyada pichda hai is iye gujrat ke patel aur bihar ke patel men jateeya samaanta dekh pana thoda muskil hota hai ... kurmi sangh ka adhiveshan abhihaal men soorat men gujrat ke patel samaaj nen hi aayojit karwaaya tha ... is liye aap kurmiyon ke itihas ke baare men thoda aur khojen ... please .. is jaati ke classification men badaa confusion raha hai ...

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' said...

बहुत अच्छे विचार हैं तर्क प्रस्तुत करने के लिए बधाई।

Unknown said...

आपके इस पोस्ट में आपकी आर एस एस विरोधी मानसिकता झलक रही है आप उन तथ्यों को नहीं रखा जो पटेल की असल वक्तित्व को रेखाकित करता है एक पत्रकार को हमेशा अपनी निष्पक्षता पर कायम रखनी चाहिये

kb rastogi said...

अच्छा लेख है. हर व्यक्ति अपने - अपने नजरिये से ताजा घटनाक्रम को देख रहा है. एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि "युद्ध में जो तेजी से वार करता है वही विजयी होता है". ←
मुझे चेतन भगत यह बात बहुत अच्छी लगी कि नरेंद्र मोदी हर हफ्ते एक नया विषय अपने विरोधियो (विशेष रूप से कांग्रेस को )को देते हैं, सारे कांग्रेसी पुरे हफ्ते उस पर निबन्ध लिखना शुरू कर देते हैं जब तक उनका निबंध पूरा होता है तब तक वह दूसरा विषय दे देते है. कहने का आशय यह है जो आगे चलेगा वही विजयी होगा। नरेंद्र मोदी आगे - आगे चल रहे हैं और उनके पीछे - पीछे कांग्रेसी।
अब यह वक्त ही बतायेगा कौन विजयी होता है पर देखने वाली बात यह है वह एक शख्स है और सारे के सारे उसके पीछे पड़े हुए है. स्पष्ट है कि इनके पास कहने के लिए अपना कुछ नहीं है जो कुछ नरेंद्र मोदी कहते हैं उसपर पलटवार करने की कोशिश करते हैं और फिर मुंह की खानी पड़ती है.

Mahendra Singh said...

Aapke blog per Heer Aur Rastogi saheb ke comments kabile gaur hain. Aapke saath un dono ko bhi sadhuwaad. Aajkal Namo Congress ko question paper dete hain becharee congress uske answers doodhte halakan hai.Manish ek din TV per jawab de rahe the unhe shabd he nahee mil rahe the. Unkee jihwa moohn main dayen bayen ghoom rahee thee, moonh se shabd he nahi nikal pa rah the mano shabdo ka akal pad gaya ho.Congress ne Advocates ko as a leader banane ka yahee hashra hota hai.Court aur Janta darbar main bahoot difference hota hai.

Anonymous said...

modi and rss may be we can say they belongs to that mentality which we all cannot accept but the I think we should to start debate on nationalism. because we need the revolution in nationalism. because from 1947 we loose our national character. in these days we all already started talking about nationalism but we should to define it more preciously because our society is divided in so many different ways who is responsible for it? what we have in our social environment which can unite us. we should to start debate on this topic. may be this is end of any kind of phobia around us.

Anonymous said...

modi and rss may be we can say they belongs to that mentality which we all cannot accept but the I think we should to start debate on nationalism. because we need the revolution in nationalism. because from 1947 we loose our national character. in these days we all already started talking about nationalism but we should to define it more preciously because our society is divided in so many different ways who is responsible for it? what we have in our social environment which can unite us. we should to start debate on this topic. may be this is end of any kind of phobia around us.

Unknown said...

http://www.theweeklypay.com/index.php?share=22355

common man said...


ur hidden agenda is obvious before people, u r inclined to nitish and u r jealous with modi...everybody knows that... u r rude with bjp spokepersons..u r not impartial...um modi k saath kai varshon se anyaya kar rahe ho...aur logon ki modi k prati sahanubhooti ho gai hai..dhol phhaartey reh jaoge..gaal bajate reh jaoge ... aap logon ki vajah se modi apne dum per 300+...aur kya kahun...only u mediacrooks are responsible for that...vaise bhi ye aam rai hai k ndtv congress ki b team hai...tumhara bhanddaa jald hi footega... kitni galat baat hai ki patna hunkar ralley blast per tumne conspiracy angle nahi dekha..ki modi ki ralley me bomb laga k usko dara kar bhaga do..aur maza lo..per modi bjp lions hain..tumhari tarah suited booted baabudom journalist nahi...
agar yahi blasts modi k gujrat main nitish ki ralley mein hota to tum media waley modi per blame lagatey ki divisive politics modi ne karaai...bomb lagwaa kar...u ravish type mediawaley ..all r biased...aur tum jaise log hi modi ko uthatey ho..weh pm banega aur us din ravish jal kar koyla ho jayega...raat bhar nahi so paygaa...u r garv se choooor ho....

common man said...

Dear, journalists had played crucial role for our independence, please do not use your journalism to be auctioned. No doubt u are a salaried person and can only work for you channel, but it is my request, please apane antaratma ki awaaj awashya sune. Some time I doubt it is the Ravish who famed with Ravish Ki Report and awarded with Goenka awards or some one else. Please re-think whether I am right or u are doing right in these days.

November 18, 2013 at 9:35 PM