सूफ़ी संत सचिन

सुबह से ही सचिन ऐसे खेल रहे थे जैसे वे गुज़िश्ता चौबीस साल के एक एक लम्हे को फिर से जी लेना चाहते हों । जैसे विदाई के वक्त बेटी आख़िर तक  अपने उस आँगन को मुड़ मुड़ कर देखती हुई वहाँ गुज़ारे चौबीस या तीस साल के तमाम पलों को सहेज लेना चाहती है । सचिन लोगों को याद दिला रहे थे कि देखो ऐसे ही देखा था तुमने सचिन को । इसी तरह के शाट के दरम्यान तुमने सचिन को प्यार करना सीखा था । सचिन आज सचिन की तरह खेल रहे थे । बल्ले से हुई दो चार चूकें भी आश्वस्त कर रही थीं कि नहीं देखो । देखते रहो । यह वही सचिन है । अपनी लय में है । पहले पचास फिर सत्तर फिर चौहत्तर । सौ वाला सचिन है ये तो । जा रहा है धीरे धीरे शतक की ओर ।

आउट ! स्टेडियम में उदासी पसर गई । लेकिन सचिन की तरह दर्शक भी संभले हुए थे । सब खड़े हो गए । इस महान खिलाड़ी को विदाई देने ।  एक शानदार पारी खेल कर जा रहे थे । ऐसा नहीं हुआ कि सचिन का विकेट हवा में उड़ गया । शतक सचिन का मुकुट है । लेकिन बादशाह हमेशा मुकुट के ही जँचते हो ज़रूरत नहीं । सचिन ने जो सल्तनत क़ायम की थी वो सिर्फ मीडिया और मार्केट की बनाई सल्तनत नहीं है । उनकी बादशाहत का यही तो कमाल है कि वो सचिन के क्रिकेटीय करामातों की बुनियाद पर क़ायम है । हर समाज अपने महान खिलाड़ी को ऐसे ही देखता है । सचिन उस दौर के खिलाड़ी हैं जिन्हें सबने कभी न कभी देखा है । हो सकता है बहुतों ने कभी कपिल गावस्कर को टीवी पर । देखा हो। रेडियो पर सुना हो और अख़बारों में पढ़ा हो । सचिन की हर पारी चाहे वो देश की है विदेश की, देखी गई है । सचिन की कोई न कोई छवि सबके दिलों में बड़े हैं । वे गांधी और नेहरू से कभी बड़े नहीं हो सकते । यही पर खेल का ग्लैमर राजनीति से मार खा जाता है । गावस्कर को क्या मालम था कि कोई सचिन आ जाएगा । क्या सचिन को मालूम होगा । 

क्रिकेट के सूफ़ी संत हैं सचिन । आनंद के चरम पर ले जाते है । खेल और मनोरंजन के उस एकात्म की तरफ़ जिसे देखने वाले महज़ श्रद्धा मान बैठते हैं । जबकि सचिन की संतई इसी बात की है कि उसमें हम सब अपना चेहरा देखने लगते हैं । सूफ़ी संत इशा मोड़ पर आकर ख़ुदा और बंदों के बीच माध्यम बन जाते हैं । सचिन हमारे और क्रिकेट के बीच वो माध्यम हैं जिसका सिलसिला उन्होंने ही क़ायम की और उन्हीं के साथ समाप्त भी हो जाएगा । 

26 comments:

CA Manoj Jain said...

sir, sachin ke baare mein jitna likho kam h. aap bhi ek prime time kar daaliye sachin pe

CA Manoj Jain said...

sir, sachin ke baare mein jitna likho kam h. aap bhi ek prime time kar daaliye sachin pe

Pankaj kumar said...

सचिन क्रिकेट का ध्रुवतारा है जो हमेशा चमकता रहेगा.

Sandeep Pandey said...
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Sandeep Pandey said...

Mai cricket jyada nahi dekhta lekin aaj subah se hi dekhe ja raha hu aur aankho me na chahte huye bhi pani aa ja raha hai..... jaise lag raha hai kuchh khone ja raha hai..


Sahi hai ki sachin cricket ko ek sachche puzari ki tarah aadhyaatm ke charam seema tak le gaye aur logo ne unhi ko bhagwan bana diya

Anonymous said...

KAHA CHALE GAYE THE SIR. BAHUT DIN SE AAPKI POST KA WAIT KAR RAHA THA, ROZ AATA THA KASBE ME, BUT WAHA KOI DIKHTA HI NAHI THA,,, AAP WAPAS AAYE ACHA LAGA.... TABIYAT THIK HAI NA.... MUJHE LAGA KAHI BIMAR HO GAYE HAI KYA....

Mahendra Singh said...

Sachin kee sabse badi khoobi rahi ki cricket se itar unhone doosree ore nihara he nahin. voh hamesha vivadon se door rahe. "Tu mane ya mane dildara, asi to taine rab manya".

Mahendra Singh said...

"Tu mane ya na mane dildara, asi to taine rab manya".

Unknown said...

Bilkul sahi kaha hai aapne sir

Ankur Jain said...

एक दम सही कहा सर...सचिन को भुला पाना कभी संभव नहीं।।।

Anamikaghatak said...

दमदार लेखन

Anonymous said...

Mai Sachin ka itna bada fan nahi hun.

Ajeet Kumar said...

Kuchh Sudhir ke bare me bhi likhiye.

Ajeet Kumar said...

Kuchh Sudhir ke bare me bhi likhiye.

SAVITA PANDEY said...

Cricket ke sufi sant --yah nayee aur anuthi upama hai ! आज सचिन अपना अंतिम टेस्ट खेल रहे हैं तो मुझे प्रभाष जी याद आ रहे हैं । kalpana kar raha hoon , we kya likhate ?
thodi pareshani bhi hai ....aapke likhe se nahi , junoon se !


''हमने 'भगवान ' को खेलते देखा है । भारत में क्रिकेट धर्म है और सचिन भगवान् हैं …। ''
इस तरह की बातें एक अर्से से जान बूझकर मीडिया माध्यमों द्वारा बाजार के दबाव में… कहें तो लालच में फैलाया जा रहा है । सनसनी पैदा की जा रही है । सारे मुद्दे हवा हो गए हैं । दलित -शोषित जनता की आवाज मीडिया से गायब है । मीडिया , खासकर टीवी मीडिया बाजार का गुलाम बन कर रह गया है !
एक तरह से यह असल समस्याओं से ध्यान भटकने का भी यह खेल है ....! रोटी नहीं क्रिकेट धर्म है ?

सचिन एक भले , विनम्र इंसान और खिलाड़ी हैं । Sufi sant bhi ! मेधावी विलक्षण क्रिकेट प्रतिभा के रूप में उन्होंने लम्बा सफ़र तय किया है । रिकार्ड्स की झड़ी लगा दी । एक व्यक्ति और खिलाड़ी के रूप में वे हम सबके प्यारे -दुलारे हैं । वे बड़ों , सीनियरों से आज भी अदब से मिलते हैं । प्रभाष जोशी (जनसत्ता के संस्थापक संपादक , पत्रकार -विचारक ) सचिन के दीवाने थे । सचिन के रिकॉर्ड और खेल को लेकर भावुक हो जाते थे । जनसत्ता के पन्ने रंग जाते थे । आज वे होते तो झूम उठते --ठीक सचिन की माँ और करोड़ों लोगो की तरह ।
तो भारत रत्न देने से लेकर अतिवादी शोर -गुल और ज्वार पैदा करना……
खेल के हित में नहीं है । सचिन को निश्चित रूप से यह सुहाता नहीं ! उनकी राय गाहे -बगाहे अभिव्यक्त भी हुई है ।

खेल को खेल रहने दो , कोई नाम न दो और सचिन को सचिन रहने दो ....! न कम न ज्यादा !

Ranjit Kumar said...

अब हम जैसे कुछ लोगों के लिए क्रिकेट वही नहीं रह जायेगा...किसी की बीवी को नहीं कहा जायेगा कि तुम सीरियल बाद में देख लेना, अभी सचिन बैटिंग कर रहा है ।

Unknown said...

I totally agree wid u .... i hv tears in my eyes after india hv won the match... i knw somewhere in my heart that A great era of the legend's carrer coming to an end and its true and the speech , the crowd in the stadium ,that " Sachiiiinnn Sachiinn " chant which cant be forgotten .....everthing that was happening there and still happening like announcement to reward him the bharat ratna .....is epic..

Everyone says that sachin is a great batsman and The God of cricket .
Bt apart from that he is a very kind , humble and i dont knw hw many adjectives can be added bt THE IMPORTANT THING IS " HE IS ABOVE EVERTYTHING"..

I hv few memories abt sachin like when he got out in a match and we used to say " ab india har gyi". We used to ask how many runs he has scored . love to see those trademark shots of sachin , always tried to play those shots in the field and now he is gone from the field ....its hard to believe bt its true and we have to live with that ....hope he will stay in touch with cricket and will give provide his creative inputs....

bt one thing i always remember from today is " at last sachin went to that inside 22 yards field , on the pitch , touched it and got away and it was the most emotional part ".....#ThankYouSachin

Unknown said...
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Unknown said...
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Akarsh Kaluskar said...

सचिन के बारे में क्या कहना ...जिसकी विदाई के लिए ऑस्ट्रेलिया से शेन वार्न , वेस्टइंडीज से ब्रायन लारा , पाकिस्तान से शोएब अख्तर और वकार यूनुस जैसे लोग आये ...वो खुद हे बयाँ करते है इस महान शख्स की महानता के बारे में .... मैं सिर्फ इतना ही ख सकता हूँ कि ....
शुक्रिया सचिन ... बहुत बहुत शुक्रिया ...

Unknown said...

Ravish ji jes tarah se aap likhate hai suru wale sachin ke yaad aa jati hai, Aap bhi tayaar rahiye bharat ratna ya noble puraskar ke liye, kyuki ek din aap bhi bhartiya sahitya aur sayad viswa sahitya ke dhruv tara hoge.

arvind nikose said...

सचिन की विदाई देखकर कपिल देव भी भावुक हुए होगे और सोच रहे होगे की काश मै भी तेंदुलकर के परिवार में पैदा हुआ होता ............

Unknown said...

schin ki sbse bdi khasiyt unka vinmr vyvhar h, chobis sal k career m kisi bhi prkar ka vivad unhe gher nhi paya, yhi chj unhe crckt ka btaj badshah bnati h

nptHeer said...

आप twitter पर news के सचिन के बारे मैं पूछ रहे थे -इशारा क्या था hm?न्यूज़ मैं शिखर धवन या पुजारा ढूंढा जाता है समझे जी? :))) journs को पता न हो तो?सोच के बता दिया :-p :)

apoorva said...

"क्रिकेट के सूफ़ी संत हैं सचिन । आनंद के चरम पर ले जाते है । खेल और मनोरंजन के उस एकात्म की तरफ़ जिसे देखने वाले महज़ श्रद्धा मान बैठते हैं "..kya baat hai Ravish ji

Hridya kumar preet said...

aakhir unhe crcket ka bhagwan jo kahte hain. Gud evng sir jee.