सब बराबर हैं, मार्केट के लिए


2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

दवा ही तो पैक करनी है, कौन ज्ञान पैक करना है।

nptHeer said...

ज्ञान पेक करने वालों की हालत तो और दयनीय है -सभी book binders even publishers लेखक भी:)
लोन की package दवाइयों पर मार्किट मैं टिके है। sad-but true.