दो आंखों की दुनिया







19 comments:

Harshvardhan said...

रवीश सर, बहुत सुन्दर तस्वीरे लगी............ अंतिम तस्वीर कहाँ की है ? आज मुझे आपकी रिपोर्ट का इन्तजार है. जरुर देखूंगा......

Harshvardhan said...

आपसे निवेदन है शुक्रवार को रवीश की रिपोर्ट में क्या आने वाला है इसकी जानकारी आप अपने ब्लॉग में पहले डाल दिया करे तो बेहतर रहेगा .. इससे प्रोग्राम के बारे में उत्सुकता बनी रहती है.....और हम बेसब्री शुक्रवार का इन्तजार करते है

डॉ टी एस दराल said...

सरधना की तस्वीरें अपने आप में एक रिपोर्ट हैं ।
बेहतरीन ।

Rahul Singh said...

शुरुआती कुछ तसवीरें देख कर याद आया 'ठेले पर हिमालय'

VICHAAR SHOONYA said...

रविश जी मैं तो आपका ब्लॉग सिर्फ तस्वीरों के लिए ही देखता हूँ. आपके कैमरे की नज़र बिलकुल वास्तविक होती है जो मुझे बहुत पसंद है. जो भी ये तस्वीरें लेता है मेरी नज़र में वो रघु राय से बेहतर है.

JC said...

शायद हमें जिसे देख आनंद मिलता है उसे संभव हो तो थोड़े से शब्दों अथवा चित्रों के माध्यम से, (और यदि, ब्लॉग आदि में जैसे संभव होता है तो दोनों के माध्यम से), हम कुछेक अन्य 'जाने-पहचाने' व्यक्तियों और 'अनजाने व्यक्तियों' से (सब के किसी 'अनजाने व्यक्ति विशेष' का ही प्रतिबिम्ब होने से उस तक पहुंचाने के लिए?) साझा करना चाहते हैं, आनंद बाँट परमानन्द को बनाये रखने के लिए?

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, शब्द से अधिक बोलती तस्वीरें।

डॉ .अनुराग said...

pahle paanch......shandar!!!!

sanjay said...

छोटे से पेट के लिए कितना भार ढोना पड़ता है?

'दो आँखों की दुनिया' बहुत कुछ कह जाती हैं।
- सवजी चौधरी

Vishvambhar said...

Lajwab,vichitra kintu satya ko pakadne ki aisi paini darshti sachmuch adbhut ise har kimat par banaye rakhe. Hamare jaise pensinyafta vardhon ke liye yeh kisi sanjeevani se kam nahi-vishvambhar

Vishvambhar said...

adbhut bemisal

Ankur Jain said...

aapki najar sachmuch adbhut hai........

उपेन्द्र नाथ said...

रवीश जी ये सिर्फ तस्वीरें ही नहीं........... ये बेजुबान होते हुए भी सब कुछ कह जा रही है..........

amitesh said...

bolti taswiren

rajeev said...

sir..ab to tasviro se bhi pyaj gayab hone lage..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गज़ब दुनिया है यह भी ..

Er. सत्यम शिवम said...

bolti tasveere....bhut sundar

anil yadav said...

बेहतरीन

Satish Chandra Satyarthi said...

ये 'साप्ताहिक अपराध सुधारक टाइम्स' भी छपता है दिल्ली से पता नहीं था... खुद ही पढते हैं क्या छाप के? ;)