गढ़ मेले की तस्वीरें
































13 comments:

Rahul Singh said...

गढ़, उत्‍तरप्रदेश में है, समझ में आ रहा है, लेकिन क्‍या गाजियाबाद में और कब होता है यह मेला, दो लाइन तो जोड़ ही दें.

VICHAAR SHOONYA said...

tasviron se hi mele ka pura lutf mil gaya

प्रवीण पाण्डेय said...

चित्र कहते हैं कथा।

दीपक बाबा said...

जिंदगी के मेलों में सिमटे बहुरंगिये छटा को बहुखुबी से पेश किया......

बढ़िया लगा......

@राहुल सिंह जी, ये मेला कार्तिक पूर्णिमा (गंगा नहान) के अवसर पर लगता है. जब दिल्ली और पंजाब में गुरुनानक देव जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

Gangaa to Gangaa hee hai.....

सम्वेदना के स्वर said...

तू इधर उधर की न मुझे सुना
ये बता कि कारवां लुटा कैसे?

(फालोअप कमैंट!)

डॉ. मोनिका शर्मा said...

अच्छी लगी यह चित्र कथा ... मेले का हर रंग शामिल है.....

नीरज मुसाफ़िर said...

इतनी देर से?
वैसे मैं तो इसमें खुद को और गांव वालों को ही ढूंढता रहा।
इतनी भीड होती है, कहां दिखेंगे?

डॉ टी एस दराल said...

सुन्दर तस्वीरें ।
वैराइटी भी है ।

Unknown said...

अविनाश जी यहाँ भी गौर करें आपके ब्लॉग की जो नैतिकता है ओ आपको यहाँ भी दिखानी चाहिए | विभूति राय और अजित राय के खिलाफ आपने जिस नैतिकता का हवाला आप देते है उसकी एक बानगी यहाँ भी दिखनी चाहिए| मै आपके ब्लोग्स से काफी प्रभावित हूँ | आज के समय में बड़े बाज़ार और सरकार का समर्थन करते रहिये आप कितने भी पाप करे आपको ये सरकार इनाम देती रहेगी | सरकार और बाजार का विरोध करने वाला व्यक्ति दंड का पात्र होता है | सारे नियम क़ानून उसी के लिए बनते हैं | इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी की दैनिक भास्कर(08.12.10) और दैनिक जागरण(9.12.10) के न्यूज़ दिल्ली विश्वविद्धालय कुलपति की टीम में डीन कॉल्लेज प्रोफ. सुधीश पचौरी को बनाया गया है | जिनपे यौन उत्पीडन के आरोपी प्रोफ अजय तिवारी को बचाने और उत्पीडित छात्रा को धमकाने का आरोप लगा है | ऐसे भी इस लोकतंत्र में नैतिकता नाम की कोई चीज बची नहीं है | यदि पचौरी में थोरी भी नैतिकता बची है तो उन्हें तुरंत नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए जब तक ये केस कोर्ट में चल रहा है |सुधीश पचौरी को ये इनाम सिर्फ इसलिए मिला है की ओ लगातार सेमेस्टर का समर्थन कर बाजारवादी और सरकार समर्थित होने का सबूत दे रहे थे |
मामला सितम्बर २००८ में तब उजागर हुआ, जब दिल्ली विश्वविद्धयालय के हिंदी विभाग में एमफिल कर रही छात्रा ने तत्कालीन कुलपति प्रो. दीपक पेंटल,और विश्वविद्धायालय अपेक्स कमिटी को शिकायत की|उसने हिंदी विभाग के ३ प्रोफेसरों प्रो. अजय तिवारी,प्रो. रमेश गौतम, और तत्कालीन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीश पचौरी पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाया था| छात्रा ने शिकायत में बताया था की वर्ष २००७ में वह दिल्ली विश्वविद्धयालय के स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग से एमए हिंदी द्वितीय वर्ष की पढाई कर रही थी| इस दौरान वहां पढ़ाने वाले हिंदी विभाग के प्रो.अजय तिवारी ने उसके साथ छेड़छाड़,शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए बार बार दबाव डालना और भद्दे एसमएस भेजकर उसे परेशान किया| वह एसओएल में एमए में द्वितीय रही| एमफिल में दाखिले के लिए हिंदी विभाग में फॉर्म भरा और एमफिल का सिलेबस जानने के लिए तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश गौतम और प्रो.सुधीश पचौरी के पास गई | उनहोने भी प्रो.अजय तिवारी की बात मानने के लिए दबाव डाला और बात न मानने पर विश्वविद्धयालय से भगा देने की धमकी दी | जब ओ एमफिल की छात्रा बन गई तब भी तीनों ने उसे परेशान किया |जब मामला अपेक्स कमिटी पहुंचा तो अपेक्स कमिटी ने प्रो.अजय तिवारी को दोषी पाया और बाकी दोनों प्रोफेसर को दोष मुक्त कर दिया| प्रो. अजय तिवारी को निकाल दिया गया| छात्रा इस निर्णय से संतुष्ट नहीं थी ओ १ वर्ष से कुलपति से केस को फिर से सुरु करने के लिए गुहार लगा रही थी लेकिन जब उसे सफलता नहीं मिली और उसकी परेशानी बढ़ी तो अंततः उसे दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा |छात्राओं की सुरक्षा वयवस्था की जिमेदारी ऐसे ही प्रोफेसोरों पर टिकी है | ऐसे व्यक्ति को इतनी महतवपूर्ण पद पर बैठाना कितना उचित है आप तैय करे

A group of words for a word said...

Ravish Bhai, I watched your beautiful report on GadhGanga. That was really good. I m regular viewer of "Ravish Ki Report". Do watch "Descendent's of Dropadi" and prepare a report on that. CD of "Descendent's of Dropadi" with DD News and Parasar Bharti.

Unknown said...

One More cultural Jewel in The Satrry culture of UTTAR PRADESH

Unknown said...

One More Jewell to the Rich Culture of Uttar Pradesh........Heartiest Salute to Those Who laid the Foundation of this So Called:"GarhMela"