करीब चार साल पहले गाँव गया था तो कुछ मजेदार पोस्टरों पर नजर पड़ी थी। हल्के-फुल्के अंदाज में हंसी मजाक के बीच ऐसे ही एक पोस्टर की तस्वीर ली थी। प्रत्याक्षी का नाम नहीं था। केवल चुनाव चिन्ह था - चारपाई !
उस समय यह पोस्ट लिखा था। कुछ अंश यहां दे रहा हूं :-)
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कुछ पोस्टरों पर नज़र दौड़ाया तो एक से एक मजेदार बातें पढ़ने को मिलीं। लोग अपने ऑफिशियल नाम लिखने के साथ साथ ब्रेकेट में प्रचलित नाम भी लिखते, मसलन रामअधार यादव ( बुल्लूर ), रमापति मौर्या ( नेता ) , अजोरी लाल ( नन्हे ) । महिला प्रत्याशियों के पोस्टर पर महिलाओं के तस्वीर के बगल में ही हाथ जोड़े उनके पति का भी चित्र था। एक पोस्टर को देख कर ऐसा लग रहा था मानों पतिदेव अपनी पत्नी को हाथ जोड़कर नमस्ते कर रहे हों याकि माफी ओफी मांग रहे हों।
तभी एक ऐसे पोस्टर पर नज़र गई जिसमें केवल चुनाव चिन्ह था, चुनावी वायदे थे लेकिन प्रत्त्याक्षी का न नाम था न ही कोई पता। आसपास लगे पोस्टरों में महिलाएं ही थीं। अंदाजा लगाया कि ये कोई महिला सीट होगी। लेकिन ध्यान बार बार उस बिना नाम पते वाले पोस्टर की ओर जा रहा था। थोड़ा करीब जाकर देखा तो चुनाव निशान था चारपाई।
हैय......ई का।
कहीं........मन ही मन कुछ सोच कर मुस्करा दिया। चचेरे समवय भाई की ओर देखा तो वह भी मुस्की मारने लगा। मन ही मन सोचा कि शायद कोई महिला प्रत्त्याक्षी होगी जिसे कि चुनाव चिन्ह के रूप में चारपाई मिली हो। लाजन उसने या उसके परिवार वालों ने उस पर नाम आदि न लिख कर केवल मुंहजबानी लोगों से मिल मिलकर बताया हो कि फलांने चुनाव चिन्ह चारपाई पर वोट दिजिएगा। अब गाँव में कोई महिला इस तरह चारपाई पर वोट मांगने की बात कहे तो जाहिर है चुहल शुरू हो जायगी।
मर्दों की कौन कहे, महिलाएं ही आपस में घास करते हुए बहसिया जांय। मेरे गांव की बिग बॉस मानी जाने वाली झगड़ू बो तो इन सब मामलों में आगे हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि जितना झमक के ये झगड़ा करती हैं, उतना ही बमक के ये चुहल भी करती हैं। गाँव भर की दुलहिनें इनकी बात का बुरा नहीं मानतीं।
मैं कल्पना करने लगा कि यदि कोई चारपाई निशान वाली महिला प्रत्त्याक्षी उनसे वोट मांगने जाय और कहे कि चारपाई पर ही वोट दिजिएगा तो गाँव की बिग बॉस झगड़ू बो जरूर कहेंगी – अरे, क्या चारपाई पर ही लोगी तभी क्या ?
अरे भौजाई जब सरकारे कहे है चारपाई पर लो.... तो हम का करें....आप जियादे मजाक नहीं करो अभी और लोगों से कहने जा रही हूं हां....
अरे तो क्या पूरे गाँव भर से लोगी ? वैसे भी ये भी कोई कहने की बात है चारपाई पर ही दो......तभी :)
खैर, मैं अभी इस फैटेसी पर सोच ही रहा था कि भाई ने बताया ये पोस्टर छपा छपान टाईप का है। मैंने पूछा कि छपा छपान का क्या मतलब ?
बताया गया कि यदि कोई प्रत्त्याक्षी अपना नाम, मोबाईल नंबर फोटो वगैरह लगाकर कस्टमाईज्ड तरीके से पोस्टर छपवाता है तो उसे ज्यादा खर्च पड़ेगा। खर्च कम करने के लिये छापाखाने वालों ने इसका एक तोड़ यह निकाला कि हर चुनाव चिन्ह के साथ ढेर सारे पोस्टर एक साथ छाप दिये। उन चुनाव चिन्ह वाले पोस्टरों पर वादे भी एक जैसे ही रखे मसलन गाँव में बिजली, पानी, सड़क, रास्ते वगैरह ठीक करवाउंगा, ये करवाउंगा वो करवाउंगा। अब जिसे खर्च कम करते हुए पोस्टर बनवाना होता है वह अपने लिये चुनाव कार्यालय से आबंटित चुनाव चिन्ह वाला पोस्टर थोक के भाव खरीद लेता है और केवल अपना नाम और मोबाइल नंबर स्केच से लिखकर दरवाजे जरवाजें बांट आता है। इस तरह से उसका खर्च भी कम होता है और उसके पोस्टरों की संख्या भी बाकी प्रत्याक्षियों से ज्यादा होती है।
यह बिना नाम गाम वाला यह चारपाई वाला पोस्टर भी उसी थोक खरीद का हिस्सा था। इसमें केवल वायदे थे और एक चुनाव चिन्ह। पूछने पर बताया गया कि पोस्टर लगे महीना हो गया है। जिसने पोस्टर लगाया था उसने पोस्टर पर अपना नाम, नंबर स्केच पेन से लिखा था लेकिन, धूप ठंड खाकर वह स्केच की लिखावट वाला हिस्सा हल्का पड़ते पड़ते उड़ गया और रह गया है केवल यह चुनाव चिन्ह और उस पर लिखे वायदे। -----------------
लिंक यह रहा - http://safedghar.blogspot.in/2010/11/blog-post_15.html
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Direct Selling Approach.
करीब चार साल पहले गाँव गया था तो कुछ मजेदार पोस्टरों पर नजर पड़ी थी। हल्के-फुल्के अंदाज में हंसी मजाक के बीच ऐसे ही एक पोस्टर की तस्वीर ली थी। प्रत्याक्षी का नाम नहीं था। केवल चुनाव चिन्ह था - चारपाई !
उस समय यह पोस्ट लिखा था। कुछ अंश यहां दे रहा हूं :-)
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कुछ पोस्टरों पर नज़र दौड़ाया तो एक से एक मजेदार बातें पढ़ने को मिलीं। लोग अपने ऑफिशियल नाम लिखने के साथ साथ ब्रेकेट में प्रचलित नाम भी लिखते, मसलन रामअधार यादव ( बुल्लूर ), रमापति मौर्या ( नेता ) , अजोरी लाल ( नन्हे ) । महिला प्रत्याशियों के पोस्टर पर महिलाओं के तस्वीर के बगल में ही हाथ जोड़े उनके पति का भी चित्र था। एक पोस्टर को देख कर ऐसा लग रहा था मानों पतिदेव अपनी पत्नी को हाथ जोड़कर नमस्ते कर रहे हों याकि माफी ओफी मांग रहे हों।
तभी एक ऐसे पोस्टर पर नज़र गई जिसमें केवल चुनाव चिन्ह था, चुनावी वायदे थे लेकिन प्रत्त्याक्षी का न नाम था न ही कोई पता। आसपास लगे पोस्टरों में महिलाएं ही थीं। अंदाजा लगाया कि ये कोई महिला सीट होगी। लेकिन ध्यान बार बार उस बिना नाम पते वाले पोस्टर की ओर जा रहा था। थोड़ा करीब जाकर देखा तो चुनाव निशान था चारपाई।
हैय......ई का।
कहीं........मन ही मन कुछ सोच कर मुस्करा दिया। चचेरे समवय भाई की ओर देखा तो वह भी मुस्की मारने लगा। मन ही मन सोचा कि शायद कोई महिला प्रत्त्याक्षी होगी जिसे कि चुनाव चिन्ह के रूप में चारपाई मिली हो। लाजन उसने या उसके परिवार वालों ने उस पर नाम आदि न लिख कर केवल मुंहजबानी लोगों से मिल मिलकर बताया हो कि फलांने चुनाव चिन्ह चारपाई पर वोट दिजिएगा। अब गाँव में कोई महिला इस तरह चारपाई पर वोट मांगने की बात कहे तो जाहिर है चुहल शुरू हो जायगी।
मर्दों की कौन कहे, महिलाएं ही आपस में घास करते हुए बहसिया जांय। मेरे गांव की बिग बॉस मानी जाने वाली झगड़ू बो तो इन सब मामलों में आगे हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि जितना झमक के ये झगड़ा करती हैं, उतना ही बमक के ये चुहल भी करती हैं। गाँव भर की दुलहिनें इनकी बात का बुरा नहीं मानतीं।
मैं कल्पना करने लगा कि यदि कोई चारपाई निशान वाली महिला प्रत्त्याक्षी उनसे वोट मांगने जाय और कहे कि चारपाई पर ही वोट दिजिएगा तो गाँव की बिग बॉस झगड़ू बो जरूर कहेंगी – अरे, क्या चारपाई पर ही लोगी तभी क्या ?
अरे भौजाई जब सरकारे कहे है चारपाई पर लो.... तो हम का करें....आप जियादे मजाक नहीं करो अभी और लोगों से कहने जा रही हूं हां....
अरे तो क्या पूरे गाँव भर से लोगी ? वैसे भी ये भी कोई कहने की बात है चारपाई पर ही दो......तभी :)
खैर, मैं अभी इस फैटेसी पर सोच ही रहा था कि भाई ने बताया ये पोस्टर छपा छपान टाईप का है। मैंने पूछा कि छपा छपान का क्या मतलब ?
बताया गया कि यदि कोई प्रत्त्याक्षी अपना नाम, मोबाईल नंबर फोटो वगैरह लगाकर कस्टमाईज्ड तरीके से पोस्टर छपवाता है तो उसे ज्यादा खर्च पड़ेगा। खर्च कम करने के लिये छापाखाने वालों ने इसका एक तोड़ यह निकाला कि हर चुनाव चिन्ह के साथ ढेर सारे पोस्टर एक साथ छाप दिये। उन चुनाव चिन्ह वाले पोस्टरों पर वादे भी एक जैसे ही रखे मसलन गाँव में बिजली, पानी, सड़क, रास्ते वगैरह ठीक करवाउंगा, ये करवाउंगा वो करवाउंगा। अब जिसे खर्च कम करते हुए पोस्टर बनवाना होता है वह अपने लिये चुनाव कार्यालय से आबंटित चुनाव चिन्ह वाला पोस्टर थोक के भाव खरीद लेता है और केवल अपना नाम और मोबाइल नंबर स्केच से लिखकर दरवाजे जरवाजें बांट आता है। इस तरह से उसका खर्च भी कम होता है और उसके पोस्टरों की संख्या भी बाकी प्रत्याक्षियों से ज्यादा होती है।
यह बिना नाम गाम वाला यह चारपाई वाला पोस्टर भी उसी थोक खरीद का हिस्सा था। इसमें केवल वायदे थे और एक चुनाव चिन्ह। पूछने पर बताया गया कि पोस्टर लगे महीना हो गया है। जिसने पोस्टर लगाया था उसने पोस्टर पर अपना नाम, नंबर स्केच पेन से लिखा था लेकिन, धूप ठंड खाकर वह स्केच की लिखावट वाला हिस्सा हल्का पड़ते पड़ते उड़ गया और रह गया है केवल यह चुनाव चिन्ह और उस पर लिखे वायदे।
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लिंक यह रहा -
http://safedghar.blogspot.in/2010/11/blog-post_15.html
Sir namste ji.
Subah se aapke blog post ka intzar kar raha tha.
Thanks
aap uttrakhand mein hai
Sir ye sab chodiye Aapka ad dekha Indraprastha metro station mei!!
Aakhir NDTV ne aapko brand banake bechna shuru ardia
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