अर्जुन, सानिया की सगाई टूट गई है, चल टीवी देखते हैं-कृ

सानिया मिर्ज़ा की निजी ज़िंदगी में एक तूफ़ान खामोशी से गुज़रा है लेकिन वो तूफान अब हिन्दी पत्रकारिता के फटीचर काल की शोभा बढ़ाने के काम आ जाएगा। सानिया का ब्रेक अप ब्रेकिंग न्यूज़ है। सारे गली मोहल्ले के रिश्ते विशेषज्ञ बुलाये जायेंगे। वो समझायेंगे दोस्ती और सगाई के बीच की यात्रा। वो बतायेंगे कि कैसे आज कल कामयाबी के दबाव से रिश्ते दरक जा रहे हैं। बीच बीच में फाइल फुटेज में दांते निपोड़ती सानिया की पुरानी तस्वीर इस मनोचिकित्सक की बात को तसदीक करेगी। कोई सगाई का कार्ड दिखा रहा है तो कोई सोहराब मिर्ज़ी की तस्वीर। अनुप्रास क्षमता से लैस आउटपुट संपादक आज स से शुरू होने वाले तमाम द्विअर्थी शब्दों को निकाल कर वाहवाही प्राप्त करेंगे। टीवी स्क्रिन को ऊर्जा से भर देंगे।

सानिया ने सगाई तोड़ कर फटीचर काल के हम संपादकों की कल्पनाशीलता को नई उड़ान दे दी है। इसी बहाने कोई चैनल कॉल इन शो करेगा तो कोई क्यों नहीं टिकती सेलिब्रिटी की शादियां पर पूरा फीचर बना देगा। एंजोलिनी का भी ब्रेक अप होने वाला है। सानिया का हो गया। करीना का भी किसी से टूटा था। प्रीटी ज़िंटा का भी ब्रेक अप हो गया है। कोई यह बतायेगा कि कहीं सानिया की ज़िंदगी में कोई दूसरा तो नहीं आ गया। एक न एक चैनल ज्योतिष और टैरॉट कार्ड रीडर का भी बुलायेगा। एक बतायेगा कि इस बदमाश राहू के कारण सब हो रहा है वही सोहराब के घर में घुस कर फूट डाल रहा है।

बवाली रिपोर्टर आज सानिया-सोहराब के घर से बाहर लाइव चैट दे रहे होंगे। बल्कि देने लगे हैं। रेटिंग की नाजायज़ औलाद आज की हिन्दी टीवी पत्रकारिता अपना प्रतिकार करेगी। जावेद अख्‍तर की किसी बची खुची स्क्रिप्ट के किसी किरदार की तरह। जो गुंडा बन कर सिस्टम से प्रतिकार करता है। जावेद अख्तर के इस अप्रतिम योगदान और इससे उपजे अमिताभ बच्चन की शोहरत का मर्म किसी ने समझा है तो हम हिन्दी के पत्रकारों ने। टीवी आज चित्कार मार मार कर बतायेगा कि सानिया और सोहराब के बीच क्या हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया की इस ख़बर ने वो आग दे दी है जिसमें हम सब जलेंगे। अभी अभी ईमेल आया है कि एनडीटीवी इंडिया इस खबर को नहीं दिखायेगा। तो भी मैं अपने आपको इस पतित धारणी हिन्दी पत्रकारिता से अलग नहीं करूंगा। बहने दो इस कीचड़ में खुद को। कादो लपेट कर शरीर को ठंडक पहुंचती है। मज़ा आता है। कीचड़ समानार्थी है।

ऐ अर्जुन, रख दे गांडीव। देख हिन्दी टीवी पर क्या आ रिया है। कृष्ण के इस उवाच से घबराया अर्जुन कहता है कि मैंने जब तीर ही नहीं चलाया तो सानिया की सगाई कैसे टूट गई देव। कृष्ण- अर्जुन,कमानों में तीरों को सड़ने के लिए छोड़ दे। सानिया के बाप का एसएमएस आया है। ख़बर कंफर्म है। संपादकों की मंडली एनबीए,पत्रकारिता के इन महान पर्वतीय शिखरों पर आने वाले वक्त में नाज़ करेगी। एक ईमेल भेजेगी। तब तक मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से आलोचक जल कर खाक हो जाएंगे। सच कहूं मुझे यह गंदगी रास आती है। धूल से बेहतर कीचड़ है। अहा..काश भैंसों के इस परमानन्द को गायें समझ पातीं। गया पहुंचने से पहले ही हाजीपुर में गंगा किनारे किचड़ में धंस गया होता,अपना गौतम। आओ,मुझे भी गाली दो। मैं भी इस कीचड़ के आनंद का सहभागी हूं। आओ। कहां हो गौतम। पत्रकारिता के महामण्डलेश्वरों को कलक्टर के दफ्तर में बुलाकर पूछो,किसकी नैतिकता का झंडा सबसे बुलंद है। अखाड़ों में पलता है सनातन धर्म। नंग-धड़ंग डुबकी लगाकर मुक्ति का मार्ग बताता है।

जाओ अर्जुन,तुम भी इसी मार्ग से जाओ। कृष्ण की आवाज़ गूंजती है। करनाल में सोये लोग जाग जाते हैं। उठ कर हिन्दी टीवी लगा देते हैं। कृष्ण कहते हैं- सानिया मिर्ज़ा और सोहराब की चंद रातों से मिलता जुलता कोई हिन्दी फिल्म का गाना है रे। पूछ तो भीम से। बोल ओही बजावेगा। तनी सेंटी होकर कुरूक्षेत्र में रिलैक्स किया जाये रे। हटाओ इ अर्जुनवा के। जब देख तब तीरे तनले रहता है। सब लड़इयां इहे लड़ेगा का रे। सेव दुर्योधन। सेव कर्ण। बचाओ। जब सबका संरक्षण हो रहा है तो इ सभन के काहे मार रहा है रे अर्जुन। देख न। लाइव हिन्दी टीवी का महाभारत। चल रिलैक्स करते हैं। कृष्ण- आज ही टीवी पर बेलमुंड ज्योतिष बोल रहा था- वृश्चिक- आज आपके ख़िलाफ साज़िश होगी लेकिन आज आराम महसूस करेंगे। व्हाट अ टाइम सर जी। साज़िश में भी आराम।

37 comments:

Ranjan said...

bahut dard hota hai ....dukh hota hai ...shayad HINDI NEWS CHANNEL dekhana band nahi kar sakata ...

Aditya Tikku said...

aap ke NDTV hindi va english dono ki breaking news thi - aap kiyo nhi rokate :)yadi sochte hai ye galat hai ya phir ye bhi blog ki trp ka khel hai

Aakanksha said...

Sir ji, aap great ho; jo baat mughe chote lagthe hai uska bhe kitna accha use kiya aapne.. waiise bhe news channel to aaj kal sirf film stars or sports persons ke publicity jayda karte hai.

मधुकर राजपूत said...

कोई बात नहीं, चलने दो पत्राकारिता के इस युग को। बाल चंडाल झाड़कर सुबह ही एंकर तैयार हो गई थी रिपोर्टर कांव कांव करने लगे थे। कई फोनो दिल्ली से दे रहे थे लेकिन आवाज़ मद्धम करके हैदराबाद से बोलने का नाटक कर रहे थे। साज़िश में आराम मिलता है...वाह जी वाह Quantum of solace.

Kulwant Happy said...

आज सुबह इस ख़बर के आते ही...ऑफिस में किचर पिचर शुरू हो गई थी। सबकी अपनी अपनी राय थी। सच में अब इसको लेकर सब अपने अपने तर्क रखेंगे। एक महिला ने कहा...बड़ी हस्ती को ऐसे बंधन में बँधकर रहना मुश्किल है। दूसरे नौजवान ने कहा कि वो अपनी हार का ठीकरा अपनी सगाई के सिर फोड़ा चाहती है...तीसरे ने भी कुछ कहा। एक ने कहा चलो..अपने दोस्त की उससे सगाई करवा देते हैं। मैं चुप था..शायद इंतजार कर रहा था आपकी पोस्ट की।

विनीत कुमार said...

हिन्दी टीवी पत्रकारिता रेटिंग की नाजायज औलाद है।.. हिन्दी टीवी पत्रकारिता का फटीचर काल। आज आपकी पोस्ट से ये दो जार्गन सीखने को मिले।...अब सवाल है कि टीवी इतिहास पर अगर मैं किताब लिखता हूं तो कब से कब तक इसे फटीचर काल मानूं।..या फिर शुरु से ही।..राखी सावंत वाला खिस्सा भी जरुर पेलेंगे इसमें भाई लोग।..और अपनी-अपनी गर्लफ्रैंड से हुए लफड़ों को इस कहानी में फिट करने की कोशिश करेंगे। किसी का रेंज ज्यादा होगा तो जरुर कहेगा- इसलिए बिंदास जैसे चैनल ने पहले से ही रिलेशनशिप का स्टिंग ऑपरेशऩ कराना शुरु कर दिया है ताकि जो होना रहे पहले ही हो जाए। बाद में रिश्ता हो तो ठोक-बजाकर।..

दर्शन said...

कुछ दिनों से कस्बा को follow कर रहा हूँ ! हिन्दी पत्रकारिता का हाल जानकर ह्रदय व्यथित होता है ! कहते थे कि "मीडीया समाज का प्रतिविम्ब दिखाता है " मगर आज तो ये हाल है कि मीडीया समाज को ये बताता है कि क्या करो और क्या नहीं ! क्या सुनो और क्या नहीं ,क्या देखो और क्या नहीं ! बुश के कुत्ते पर आधे घंटे का टाइम जरूर दे सकते हैं मगर छतीसगढ़ के आदिवासियों की व्यथा से TRP नहीं कमा पाते शायद ! दिल्ली की सडकों में लगे जाम पर आधे घंटे का कवरेज दिखा सकते हैं मगर बिहार में आयी बाढ़ का सही आकलन देने वाला कोई चैनल नहीं !
दिल्ली में पानी भर गया किसी बारिश वाले रोज ,अगले 5 घंटों तक देश केवल उस भरे हुए पानी का जहर पीता रहा ,इन न्यूज़ चैनलों के भरोसे ,मुझे पापाजी का कॉल आया कि "बेटा कैसे हो ? " ,न्यूज़ चैनल तो पल पल कि खबर दिखा रहे हैं कि पानी "मंडी हाउस" के किस नाली से बह रहा है ,कितना बह रहा है ,कनौट प्लेस में नाली जाम है ..

मुझे समझ नहीं आता कि राष्ट्रीय चैनल कहने वाले लोगों का राष्ट्र केवल शाहरूख खान के कपड़ों ,सानिया मिर्जा की सगाई ,दिल्ली के जवांई और अम्बानी की कमाई पे ही क्यों ख़त्म हो जाता है ! क्या राष्ट्र यहीं पर ख़तम हो जाता है !

मैंने पापा जी को कहते हुए सूना है कि "बेटा फिर से डीडी न्यूज़ पर ही लौट चलो ,राष्ट्र की परिभाषा को तो समझते हैं कम से कम " .

कुछ समय पहले तक मुझे कुछ हिन्दी चैनलों पर कुछ तो भरोसा था और अब वो भी ख़त्म होता जा रहा है ! वो आपका चैनल हो या किसी और का !!

Darshan

JC said...

कलियुग में प्रचलित बाहरी (भौतिक) टीवी तो द्वापर तक पहुँचते पहुँचते पीछे छूट गए थे...कचरे के ढेर में - योगीराज कृष्ण के कारण जो कह गए कि सूर्य (रवि, रवीश भी :) और चन्द्र दोनों में उजाला उनसे ही है...और यह भी कि बाहरी संसार से विचलित न हो कोई भी.

उन्होंने अन्य छोटे-मोटे 'संजय' समान योगियों को भी, धृतराष्ट्र जैसे अंधों के लिए, अपने भीतर फिट की गयी 'तीसरी आँख' से सत्य, यानी झूठे नाटक, भीतरी पर्दे पर देखने की तरकीब सिखा दी थी, जिस पर हम जैसे मूर्ख अथवा अज्ञानी भी आज डरावने स्वप्न देखते चले आ रहे हैं - किन्तु नींद में ही...और जागने के बाद अंधी टीवी या पीसी मोनिटर के सामने बैठ जाते हैं :)

सुधीर राघव said...

बहुत खऱा-खरा लिखा है आपने।

अजित वडनेरकर said...

खुसरो तो कब का अपने घर जा चुका है....न्यूज़ चैनल देखे हुए अर्सा हुआ।

...अपने मन उजियारा होत

ANIS KHAN SHAHAN said...

Hindustani Hindi News (agar aap regional language jantey hain to regional bhi)channels ne aaj kal sanp-chhuchhunder ko chhodkar kar celebrities pe apney camera ka kaman aur apni zaban sadh rakkhi hai, agar aap ka dil kisi se tafreeh ya mazaq karney ho aur koi naa mil raha ho to koi hindi news channel dekhiye ghar baithey bina kisi ko naraz kiye hans hans ke loot poot hojayengey....YE MERA AAZMAYA NUSKHA HAI....

rashmi ravija said...

शुक्रिया करूँ अपने बेटे का,जिसके बोर्ड के इम्तहान की वजह से टी.वी.देखना लगभग बंद है....वरना हाथ रिमोट की तरफ बढ़ ही जाते और झेलना पड़ता ये सब....राहत है,अभी :)

Kirtish Bhatt said...

बहुत खरी ! और इमानदारी से लिखी गयी पोस्ट.

satya.... said...

Good

सुशीला पुरी said...

इतना खरा ही होना चाहिए .........

ravishndtv said...

subeh chal gayee thee humare yahan bhee..baad mein bhool sudhaar kar liyaa gaya. 9am ke baad nahee chalee hai.

agar chal rahee hotee tab bhi ye lekh likhtaa...

शैलन्द्र झा said...

ravish ji, naya update suniye... hamare yahan in dino crime show me bhi 1 babaji aane lae hain, batate hain ki hatheli ki kaun si rekha kaisi ho, to aadmi kaun sa crime kar sakta hai.

Prakash K Ray said...

कुछ दोष तो हमारे समाज का भी है जो दूसरों के बारे में नमक-मिर्च लगा कर बतियाने का आदी है. आखिर यह पत्रकारिता आसमान से तो नहीं टपकी है.

ANIS KHAN SHAHAN said...
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ANIS KHAN SHAHAN said...

Brij Khandelwal Ji ADAB!
Baat sense of humour ke nichey ya upper level ka honey ka nahi hai sahab... jo sachchai hai beyan kardi...zamaney mein masla sirf sanp chhochhonder, chandra-grahan, suraj-grahan se dunia ka PRALAY aur celebrity gossip hi nahi hai jissey aaj HINDI NEWS channel ata-pata hai....ye baat sirf main nahi aam aadmi bhi kahta hai... See More... chahey aap maney ya naa maney AAJ HINDI CHANNEL KI KHABRON PE AITBAR MUSHKIL HAI....... aur be-aitbari ki fihrist mein TRP mein unchey paadaanon pe aaney waley channels bhi shamil hain..

सुबोध said...

कीचड़काल की हिंदी पत्रकारिता में लोटनक्रीड़ चरम पर है। सानिया बहाना है लक्ष्य टीआरपी बटोरकर पैसे कमाना है। फिलहाल तो हम चरम बेहूदेपन का चरम आनंद लेने में व्यस्त हैं।

SACHIN KUMAR said...

SACHIN KUMAR
WHAT AN ARTICLE SIR JI...ONE OF THE BEST I HAVE EVER READ...KYA KAHOO KUCH KAHA NAHI JAYE...BINA KAHE RAHA BHI NA JAYE....
"सानिया ने सगाई तोड़ कर फटीचर काल के हम संपादकों की कल्पनाशीलता को नई उड़ान दे दी है। इसी बहाने कोई चैनल कॉल इन शो करेगा तो कोई क्यों नहीं टिकती सेलिब्रिटी की शादियां पर पूरा फीचर बना देगा। बवाली रिपोर्टर आज सानिया-सोहराब के घर से बाहर लाइव चैट दे रहे होंगे। बल्कि देने लगे हैं। रेटिंग की नाजायज़ औलाद आज की हिन्दी टीवी पत्रकारिता अपना प्रतिकार करेगी। टीवी आज चित्कार मार मार कर बतायेगा कि सानिया और सोहराब के बीच क्या हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया की इस ख़बर ने वो आग दे दी है जिसमें हम सब जलेंगे। " O TO BINA KHABAR CONFIRM KI HI CHALATE HAI...BUS EK YE HAI JO CONFIRM HONE KE BAD BHI SOCHTE HAI KHABAR CHALAY YA NAHI...TUMHI RAKHO O BETUKI TRP...TUMHI KHUSH HO LO LOGI KI GALI SUN SUN KAR...HUM(NDTV) TO O KHABAR DIKHATA HAI JISKA TRP SE KOI LENA DENA NAHI...KUINKI...NDTV INDIA YANI...DIL ME SACH JUBA PE INDIA...DEKHTE RAHIYE AUR QASBA PADHTE RAHIYE....

Nikhil Srivastava said...

बेहतरीन सटायर. लगा आप मीडिया के थिएटर के बीचोंबीच सोलो परफोर्मेंस दे रहे हैं.

Unknown said...

जैसा निखिल ने कहा अद्भुत था पूरे लेख से गुज़रना. यूँ लगा जैसे किसी नाटक के किसी दृश्य का चित्रांकन हुआ हो और महाभारत के उस दृश्य से सीधा हकीक़त से रूबरू कराना जैसे लगा किसी मंझे नाटककार का कोई सृजन हो अद्भुत था इससे गुज़रना उम्मीद करता हूँ रवीश जी आपकी वाणी के साथ आपकी लेखनी भी इस फटीचर काल में एक नयापन देती रहेगी और हम सब लोग इस फटीचर काल के भदेसपन का मज़ा पते रहेंगे

Vivek kumar said...

मिर्ज़ा का मज़ा ही तो लिया है सब ने...और किया क्या है ?
मिर्ज़ा का मामला है तो उर्जा होगी ही...लोग भी तो इन्ही कहानियों में मज़ा लेतें हैं. चाइना प्रॉब्लम की खबर अगर दिन भर चलेगी तो शायद NDTV की TRP भी गिर जाए. और खराबी क्या है, सगाई भी हिट थी और सगाई टूटना भी हिट न्यूज़ हो गयी. क्यूंकि सगाई के बाद शादी, शायद खबर नहीं बनती.......

Dipti said...

ऐसी और इसके जैसी ख़बरों के बीच घुटन की शिकायत दर्शकों से लेकर इसे परोसनेवालों तक को हैं। फिर भी ये ज़िंदा है और हष्ठ-पुष्ठ है इस बात का अर्थ आज तक समझ नहीं आया है।

Satish Kumar Singh said...

news ki apni monitoring me trp ka game kyu ho rha hai, advt. aur paise ne sabko apni giraft me le liya hai.aapki bhawna sahi hai, lekin ab ye sab kewal apne sarokaro tak simat gaya hai..logo ki bhawana ko tv ne change kar diya hai.achha aur hum sab ke sarokaro ko shabd dene ke liye badhayee.

Susheel Ansh said...

bahut sahi kaha hai...media ab un khabro ko bhi tawajjo de raha hai....jiske koi pukhta saboot bhi nahi hai...aj sagai tootne ki khabar dhikhai hai to kal yahi channel iaa khabar ka khandan karte nazar ayenge...media khaskar electronic media ka koi deen imaan nahi reh gaya hai...koi khabar hai..nahi ..toh ise hi kheecho wali theme par chal pade hai...

--Susheel Kumar Chaudhary
Video Editor,
Voice of Nation, Dehradun

दिनेशराय द्विवेदी said...

टीवी की खबर मिली आप से।

अबयज़ ख़ान said...

अतिउत्तम.. टीवी में रहकर टीवी की अच्छी बखिया उधेड़ दी आपने...

prakashmehta said...

why u behave like this?
sania news is a news .cable tv is for urban people and gossip is part of urban life.look sun paper of uk based totally on gossip.why so frustrated you?new can not be shown 24 hour first ban 24 hour channel. government should not allowed 24 hour channel for news.we alllike this kind of chep news.kyoki cheapness me hi maja ba!!

Pankaj Narayan said...

कस्बा पर रवीश जी को कहने का मन करता है...और हमें भी सुनने का मन करता है। मन की बात को मसालों की जुबां में सुननें में मज़ा तो आता है। अब मेरी दिलचस्पी इस बात में है कि आने वाला कल यानी काल कौन सा है। पत्रकारिता में किस तरह के महाकाल पैदा होंगे। वैसे ऐसी बातें सुनने और सुनाने और इसका मज़ा लेने की संस्कृति पता नहीं कब इस काल के लिए सपोर्टिंग हो जाती है... सुनो, सुनाओ लाइफ बनाओ टाइप।
अब हम उदहारण के लिए रवीश जी को लें तो हमारे हाथ दो रवीश लगते हैं। एक वो जो हालातों के हवालें हैं और एक जो कुछ अच्छे हालात पैदा करने में अपने पहले वाले आदमी को गलियाने से भी नहीं चूकते। अपनी ही दो कोशिशों से बनने के बाद जो नया बना पाने की चाहत है उसका फार्मेट भी सामने आना चाहिए। 2-3 दिन पहले मैंने फेसबुक पर लिखा था- हम ख्यालों में चेहरे मिटाते हैं, बनाते हैं और अंत में अपना ही चेहरा किसी और की शक्ल ले लेता है।
रवीश जी का सुपरलेटिव डिग्री में प्रशंसक होने के बाद भी मेरे मन में उनके लिए एक सवाल है कि ऐसा कैसे होता होगा कि एक आदमी रोज आत्म हत्या करता हो और उससे पहले उस बिल्डिंग की उंचाई मापता हो जिससे वह कूदता है। इसी तरह रोज बिल्डिंगों की उंचाई मापने और उसके बाद आत्म हत्या करने वालों ने बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई हैं जिसके नीचे उनकी अपनी ही दूसरी कोशिश झोपड़ीनुमा लगती है।

ravishndtv said...

पंकज

ऐसा नहीं कि हम आत्महत्या ही कर रहे हैं। जो टिप्पणी है वो इस समाज पर है। फैसला कम,एक नज़रिया ज़्यादा है। एक पक्ष का अतिरेक है। आपको कैसे लगता है कि कहीं कोई कोशिश नहीं है। लेकिन एक गली सजा कर आप क्या कर लेंगे। पूरा शहर ही बिगड़ा हुआ है। मैं अगर यही कहूं कि रात दस बजे के न्यूज में सिर्फ न्यूज ही होता है। अभी भी अनाप-शनाप करने के दबाव से बचा हुआ हूं। अपनी भी चल ही जाती है लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। अंधेरे में अपना चेहरा नहीं मिटा रहा हूं। बस उनके चेहरे को मिलाकर एक चेहरा बना रहा हूं जो अंधेरे का बहाना बनाकर उजाले को दागदार कर रहे हैं।

deepti said...

kisi ke dard ka jashn bana rahe hai hmare patrakar bandhu

Ravi Kant said...

shayad abhi bhi bahut log in khabro ko utsukta se dekhte hain,unhe in khabro ko dekhne me bahut anand aata hain. mere ghar me main aur mera bhai hi in khabro me utni ruchi nahi dikha pate baki sab ke liye ye bahut badi khabar hain. jaise jaise in khabro ko dekhne wale darshak kam honge .waise waise ye khabre bhi kam ho jayengi .itni toh umeed hum kar sakte hai sir jee.

रौशनाई said...

hello sir...
मैं पूछना चाहती हूं कि पत्रकारिकता के इस फटीचर दौर से कैसे निकलें...अगर हम पत्रकारिता करना चाहते हैं तो कैसे करें...हम जब इस फिल्ड में आए थे तो बड़े..बड़े सपनों के साथ.... सच बताऊं तो टीआरपी क्या होता है वो यहीं आ कर पता चला...मुझे कतई नहीं पता था कि पत्रकारिता करने का रास्ता टीआपी से होकर गुज़रता है...आप उस मुकाम पर है कि जो चाहे कर सकते हैं बोल सकते हैं जो चाहें चला सकते हैं जो चाहे उस छोड़ सकतें है पर हम जैसे अदना लोग क्या करें...कहां जाए... कहां से सीखे उम्दा रिपोर्टिंग...किस के पास जाए...क्या उन लोगों कि ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि जो सच में पत्रकारिता करना चाहतें है...उन के साथ काम करें ना कि अपने रिश्तेदारों के...वहीं लिखें और वहीं दिखाए जो सही है बनिस्बत इसके की...जो टीआरपी मांगती है.... प्लीज....बताअए..क्य़ा होगा...इस देश की फटती...फटीचर पत्रकारिता का...।
नाज़मा खान..

पुष्प कुलश्रेष्ठ said...

पत्रकारिता के नाम पर सानिया ने सगाई,ज्योतिष से भय,TRP की खातिर क्या यही पत्रकारिता है ?