राघवजी के नाम रवीश का पत्र

आदरणीय राघवजी,
पूर्व वित्त मंत्री, मप्र,

इस घड़ी में जब आप उपहास के पात्र हैं मैं अकेला साहसिक व्यक्ति हूँ जो आदरणीय संबोधन के साथ आपका आह्वान कर रहा है । राघव जी आपने अपने मददगार( नौकर शब्द अप्रिय है मुझे) सहचर राजकुमार के साथ जो 'राजकुमारीपन'( प्रेम या ज़बरन प्रेम के क्षणों में आप शायद राजकुमारी पुकारते थे ) किया है वो स्वाभाविक है । इस पर शोध हो चुका है । यह आपकी स्वाभाविक प्रवृत्ति थी । हाँ अगर उसमें सहमति का तत्व नहीं था तो यह क़ानूनन अपराध है । आप जेल जायेंगे । मगर सहमति का तत्व रहा है तो यह आपका सच्चा प्यार है । कबूल कीजिये । आपकी चुप्पी आपके प्यार को अपराधी बनाती है । समलैंगिकता के समर्थन में अगर आप खुल कर आये होते तो आज ये नौबत नहीं आती । देखिये जो कांग्रेस दिल्ली में समलैंगिकता का मूक रूप से समर्थन( बहुत निश्चित नहीं हूँ ) करती है वही आप पर चरित्रहीनता का आरोप लगा रही है । संघ और भाजपा के लोग इसे लेकर शर्मसार हैं तो आश्चर्य नहीं । ये उनकी अनुदारता है । आप कैसे समलैंगिकता विरोधी विचारधारा में जीवन गुज़ार पाये । मैं ग़ैर समलैंगिक होते हुए भी आपकी पीड़ा को समझना चाहता हूँ । क्या आपने कभी संघ या बीजेपी के नेताओं से नहीं कहा कि मैं समलैंगिक हूँ और यह स्वाभाविक है । हमें इसका समर्थन करना चाहिए । भारत सहित पूरी दुनिया में समलैंगिक अधिकारों के लिए लड़ाई चल रही है । हमने भी टीवी पर जब इसके समर्थन में बहस की तो खूब गाली पड़ी । उनमें संघ और बीजेपी की विचारधारा को मानने वाले भी थे । यह भी हो सकता है कि संघ ने नहीं भड़काया हो और वे निजी तौर पर मुझे गरिया रहे हों । मेरे उन शो की टीआरपी भी नहीं आई । फिर भी मैं करता रहा । दिल्ली में समलैंगिक अधिकारों को लेकर हुए परेड को जब मैंने दिखाया होगा तब आपने कैसे टीवी देखा होगा । क्या सबकी नज़रों से बच कर या बाहर से मुख़ालफ़त करते हुए भीतर भीतर गदगद होते हुए देखा । चूँकि आप फ़रार हैं इसलिए गेस कर रहा हूँ कि आपने ज़रूर उस भारतीय संस्कृतिवाद को गरियाया होगा जिसके नाम पर आपके सह-नेताओं ने समलैंगिकता का विरोध किया ।  अगर इसे अपराध मानने वाली क़ानून की धारा समाप्त होने की लड़ाई मे आप भी शामिल होते तो आज कितने ख़ुश होते न । इसके डर से न जाने आपने कितनी राजकुमारियों के साथ अपने प्यार का गला घोटा होगा । अपराध की तरह प्यार किया होगा । जिस कार्यकर्ता ने आपकी सीडी बनाई वो मूर्ख है । वो उस विचारधारा का है जो समलैंगिकता को भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ मानता है । आपने ठीक किया जो विचारधारा को व्यक्तिगत से दूर रखा । आप कैसे इतने साल तक अपने प्यार को दबाये रहे । कहीं आप भी तो आँखों पर वो रंगीन चश्मा लगाकर दिल्ली के समलैंगिक परेड में शामिल नहीं थे जिसे हम सब नहीं पहचान पाये । आदरणीय राघवजी अपनी इस प्राकृतिक ज़रूरत के अधिकार की लड़ाई लड़नी चाहिए थी । किस बात के सीनियर थे । भागिये मत । स्वीकार कीजिये । अगर आपकी राजकुमारियों में कुछ नेता भी हों तो नाम ज़ाहिर मत कीजियेगा । वर्ना आप भी वही करेंगे जो उस मूर्ख ने सीडी बनाकर किया है । बताइये बीजेपी ने आपको वित्त मंत्री पद से हटा दिया । आपने कहा नहीं कि इससे बड़ा गुनाह तो अभिषेक मनु सिंघवी का था जब वो लालच या दबाव देकर ग़ैरक़ानूनी रूप से इच्छा की पूर्ति करते हुए सीडी में पकड़े गए थे । फिर भी उनकी पार्टी ने साथ दिया । थोड़े दिनों बाद दोबरा प्रवक्ता बना दिया । आपकी पार्टी के सभी बड़े नेता उनके साथ टीवी में अंग्रेजी में बराबरी से डिबेट भी करते हैं । वे हिन्दी में डिबेट करने नहीं जाते हैं जबकि अच्छी हिन्दी बोलते हैं । कहीं ये तो नहीं लगता कि हिन्दी वाले ऐसे मसलों को नहीं समझने के लायक नहीं है । जो भी हो आपकी पार्टी के नेता ने सिंघवी को स्वीकार किया है और आपको कहते हैं भाग राघवजी भाग । न राघव जी न । मत भाग । पलट और संघर्ष कर । लड़का लड़का शादी कर रहे हैं । लड़की लड़की शादी कर रहे हैं । इंडिया में भी हो रहा है और इंग्लैंड में भी । विदिशा में भी आप कर ही रहे थे लिव इन टाइप । संघ बीजेपी ने अपने भीतर समलैंगिकता के एक बड़े चेहरे को गँवा दिया है । उन्हें आपका साथ देना चाहिए । आज बीजेपी कह सकती थी कि उनके पास भारत का पहला समलैंगिक मंत्री है । राघवजी आप खुलकर समलैंगिकता की वकालत करो । लोगों के मन में कुत्सित मानसिकता घर कर गई है उसमें आपकी चुप्पी का भी योगदान होगा । आप इतने दिनों से चुप न होते तो आज पूरी दुनिया के गे एक्टिविस्ट आपका पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे होते बल्कि उन्हें अब भी करना चाहिए । ये सीडी ग़लत है । किसी के बेडरूम में झाँकने से उसका प्यार या अभिसार कैसे ग़लत हो सकता है प्यारे राघव । जिसने झाँका वो ग़लत किया । हमारे गाँव में लोग कहते थे कि जब दो साँप आपस में प्यार कर रहे हों तो मत देखना वर्ना साँप ने देख लिया तो ज़िंदगी भर पीछा करेगा और काट लेगा । नहीं देखा तब भी आँख में फोड़ा हो जाएगा । हम नज़र फेर लेते थे । आप भागो मत राघव जी । लौट कर आओ और खुल्ले में बताओ कि कैसे हमारे राजनीतिक दल सड़ गए हैं । उनकी पोल खोलो । अगर आपने ज़बरन राजकुमार को राजकुमारी बनाया है तब मत आना । पुलिस पकड़ लेगी । अगर वो प्यार था तो लौट आओ । फ़ेसबुक और ट्वीटर की चिंता मत करो मैं देख लूँगा । जीवन की इस सांध्य बेला में पैराग्राफ़ मत बदलो । राघवजी और राजकुमारी का प्यार अमर रहे । बलात्कार है तो जेल में रहे । इसी के साथ पत्र समाप्त करता हूँ । हाँ अपने इन भगोड़ा दिनों में समलैंगिकता पर कुछ अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं । सेम सेक्स लव इन इंडिया नाम की किताब अपनी लाइब्रेरी से दे सकता हूँ जिसे सलीम किदवई ने सम्पादित किया है मगर कैसे दूँ । आप तो इनदिनों लुकाइल हैं । 

रवीश कुमार
लुग्दी पत्रकारिता का एक अभिन्न सहचर 

43 comments:

Aanchal said...

आपका पत्र पढ़कर मैं भी भावुक हो गयी सर. मुझे पूरी हमदर्दी है आदरणीय राघवजी के साथ.

Dipesh Kumar said...

Ravish Ji aapne acha likha hai. Lekin aisa hi patra aapko singhvi ji ar maderna ke liye v likhna chahiye tha. Tab to aapki nispach patrakarita sabit hoti.

Kumar Rajnish said...

फ़ेसबुक और ट्वीटर की चिंता मत करो मैं देख लूँगा । जीवन की इस सांध्य बेला में पैराग्राफ़ मत बदलो । अपने मूसली पावर को वैचारिक धार दो । राघवजी और राजकुमारी का प्यार अमर रहे ।

Anonymous said...

Ravish sir ke namskar ba sabse pahle main aapko bata du ki yeh mera pahla comment hain aapke blog pe par pichhle 1 sal se office aane pe pahla kam karta hu quasba pe jata hu man khush ho jata hain phir jab bhi samay milta hain you tube pe ravish ki report mujhe nahi pata aap celebrity hain ya aam insan par aapki sadgi aur theth style ne mujhe aapka fan bana diya hain. aapka progrrame aapka aawaz se aisa mahsus hota hain jaise aap mere ghar parivar ke ho bihari aur Bihar is rishte ko aap bakhubi likhte ho aur dikhate bhi ho ravish ji jiwan me ek bar jarur aapse milna chahunga pata nahi par koshish jari rahegi isi tarah ap aage badhte rahe mera dua aapke sath hain.
main ek hi request karunga kripya iska reply dijiyega dhanya ho jaunga thanks god bless you

Anonymous said...

Ravish sir ke namskar ba sabse pahle main aapko bata du ki yeh mera pahla comment hain aapke blog pe par pichhle 1 sal se office aane pe pahla kam karta hu quasba pe jata hu man khush ho jata hain phir jab bhi samay milta hain you tube pe ravish ki report mujhe nahi pata aap celebrity hain ya aam insan par aapki sadgi aur theth style ne mujhe aapka fan bana diya hain. aapka progrrame aapka aawaz se aisa mahsus hota hain jaise aap mere ghar parivar ke ho bihari aur Bihar is rishte ko aap bakhubi likhte ho aur dikhate bhi ho ravish ji jiwan me ek bar jarur aapse milna chahunga pata nahi par koshish jari rahegi isi tarah ap aage badhte rahe mera dua aapke sath hain.
main ek hi request karunga kripya iska reply dijiyega dhanya ho jaunga thanks god bless you

Barun Sakhajee Shrivastav said...

राघवजी उफ राघवजी
राघवजी के लिए खासतौर से एनडीटीवी के रवीश जी ने एक खूबसूरत पत्र लिखा है। इस पत्र को पढऩे के लिए लिंक नीचे दे रहा हूं और इस पर मेरी महाकाव्य प्रतिक्रिया इस प्रकार है। महाकाव्य इसलिए कि यह खुद एक ब्लॉग का रूप धारण कर चुकी है।
संग्रहणीय पत्र, रवीश जी का राघवजी के नाम पत्र। अद्भुत लाइन अपने मूसली पावर को वैचारिक धार दो। वास्तव में रवीश के गुपचुप समलैंगिकता के विरोध को दर्शाता है। शोज भी किए हैं आपने, समर्थन या विरोध के लिए नहीं, बल्कि कम से कम एक विचार कायम करने के लिए। जानने के लिए कि आखिर यह बीमारी है या वृत्ति या फिर वास्तव में 11वां रस है। खैर राघव जी मेरे लिए इसलिए सम्मानिय हैं, क्योंकि जब सबसे पहली राजनैतिक जागरुकता मैंने हासिल की थी, उस वक्त राघवजी हमारे सांसद हुआ करते थे। चुनावों में हम क्लासें छोडक़र झंडे लिए नारे लगाते फिरते थे, वह भी बहुत शौक से। नारा था राघवजी ने खेली कबड्डी प्रतापभानु की फट गई चड्डी। (प्रतापभानु शर्मा उस वक्त के राघवजी के सामने खड़े कांग्रेसी प्रत्याशी थे) मजे की बात यह है कि यह नारा बिल्कुल घर वालों या किसी महिला से छुपकर ही लगाया जाता था। जिस समाज में चड्डी फटना कहना तक वर्जित हो, उस समाज के राघवजी आप प्रतिनिधि थे। अजब। गजब। सर। और एक और नारा हम लोग राघवजी के समर्थन में लगाते थे। कमस राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। मैंने सुना और अपनी मां से पूछा, कि यह कहां मंदिर बनाने की बात कह रहे हैं, चूंकि मेरे लिए वह सिर्फ नारा नहीं था, नतीजे था। मां जानती थी, तो उसने कहा कुछ नहीं बेटा अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। यब बात 1990 के पहले की है।
राघवजी इसलिए भी खास हैं, चूंकि वे उस दौर के नेता हैं, जब बीजेपी के पास देशभर में सीटें नहीं हुआ करती थीं। यानी गिनी चुनी बस। उस वक्त राघवजी के पद पूजन किए जाते थे। हालांकि वे उस समय नौजवान थे। नौजवान तो आज भी हैं!
- सखाजी
http://naisadak.blogspot.in/2013/07/blog-post_9.html

Unknown said...

Ek safel aor mazboot vyangkar ki tareh aap ne bahut umda letter likha aap badhayi ke paatr hai. Tareef me kya likhu,suraj ko charagh nhi dikhaya jata........ Best of luck god bless u ...raveesh bhai

कौशल लाल said...

kya bat hai.....badia raghav ji

sure376 said...

Sir raghav ji ki kabiliyat isme hai ki aaj tak ke sabse safal fin minister hai mp ke. Baki jahan tak in sab chijo ka sawal hai jo pakda gaya woh chor hai aur jo nahi pakda gaya woh saaf hai.

dinesh mansera said...

ravish ji jo pakda jaye wo chor jo nahi pakda jaye wo syaana ..abhi bahut se raghav ji pakde jane hai ..bahut barhi jamaat hai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए आभार!

Unknown said...

Shriman, Facebook aur Twitter se pahle apni Media ko to sambhal lo. Pahle apni Dadhi ki aag bujhaiye.

Amandeep Singh said...

Hello Ravish ji
aapke patra se purna sehmat hu
Jai Hind....

Gulzar Hussain said...

रविश जी आपने इतना अच्छा व्यंग्य किया है...कि इसका प्रिंट निकलवा कर बंटवाना पड़ा ...

PRABHAT GAURAV MISHRA said...

good one Ravish ji. Its a good satire on such 'venerable' minister of India

मेरा भारत कहाँ....... said...
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मेरा भारत कहाँ....... said...

Bahut maza aaya sach mei... padh kar

Unknown said...

Very nice

deepakkibaten said...

samajh me nahi aa raha hai sir, ki ye vyangya hai, ya aapne raghav ji ka samarthan kiya hai!

Arun Singh said...
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Arun Singh said...

Accha likha hai aapne.. lekin mera ye comment aapke Primetime ke baare me hai na ki is blog ke baare me.. out of context hone ke liye kshama karen...

Ravish ji, main aapke programs saalon se follow karta aaya hun.. chahe wo Primetime ho ya HumLog ya fir Ravish ki report... Aapki bebaki mujhe kayal karti aayi hai. 9 P.M. ka time aapke Primetime liye fixed hai.
Lekin off-late maine dekha hai ki aap anti-BJP se nazar aane lage hain... aap bhi dusre channels ki tarah biased nazar aane lage hain aur buri baat ye hai ki aap galat disha me biased dikhte hain... Main koi BJP fan nahi hun lekin pichhle saalon me Congress ki kartuten dekh ke anti-congress zarur ho gaya hun.
Khair agar aap isi tarah Vinod Sharma (Hindustan Times) jaese congress ke unofficial speakers ko la ke likhte rahenge 'Varishth Patrakaar' to shayad bahut jald hi aap apna ek fan kho denge... agar aap ise dhamki samjhen to wahi sahi.. apne bas me to bas yahi hai... kaafi dino se peeda thi aaj aap tak apni baat pahucha di.

Mahendra Singh said...

Raghav ji pakda gaeil hain. Kal peshi hai.Bahoot sambhav hai ke hai CD congress walon ne banwayee ho. Maloom unhe pahle se raha ho.Lekin waqt election ka hai kyoon na fayda liya jai. Ho sakta hai aurono ke CDs waiting main ho.

Unknown said...

एक उम्दा पत्र ....!!

Unknown said...

nice idea. thx brother

timeless n ageless said...


राघव जी प्रकरण पर सबसे बेहतरीन आलेख !



manavendra said...

व्यंग अच्छा नहीं उत्कृष्ट है आप "राग दरबारी" टाइप
व्यंग लिखने में सक्षम हैं क्यों न "राग राघवजी" से शुरुआत करें ?

Unknown said...

Sir ye mera pahla comment hai , Bahut hi Accha vyang hai Uttam Uttam

Astrologer Sidharth said...

मैं यह तो नहीं कह सकता कि मैं राघवजी का दर्द समझ सकता हूं।


लेकिन अगर रवीश ने इस दर्द को समझा है तो निश्‍चय ही वे बधाई के पात्र हैं।

उम्‍मीद करता हूं कि यह पत्र भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में, समलैंगिकता के इतिहास में और प्रेम के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ने वाला पत्र सिद्ध होगा... ;)

Unknown said...

big brother very very nice

Unknown said...

राघव जी के गिरफ्तार होने पर कैदियों ने जेल प्रशासन से मांग की है कि उन्हें अलग सेल में रखा जाये ! ऐसा क्यूँ ?

प्रवीण पाण्डेय said...

गजब भयो रामा, जुलम भयो रे।

डॉ हरिकृष्ण बड़ोदिया said...

प्रिय रवीश जी , आपका करारा व्यंग्य पढ़ा. किसी व्यक्ति का अर्श से फर्श पर आने का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही कोई होगा.

tushar said...

रविश जी, अपने शब्दों को आप तक समय पर पहुचाना बहुत ही कठिन है. ये आलेख बहुत ही बढ़िया है किन्तु यहाँ मैं आपको आज के प्राइम टाइम में कमाल खान द्वारा दिखाई गई भगवती जी के बारे में छोटी सी स्टोरी के बारे में , NDTV, और कमाल खान को धन्यवाद् देना चाहूँगा कि आपने ये स्टोरी दिखाई.इसी लिय यह चंनल अन्यो से अलग है. देखकर मन द्रवित हो गया , गला अभी भी रुंधा हुआ है! ये है समाज के असली नायक जो गुमनामी में खो जाते है किन्तु आज कि इस दुनिया में ऐसे आदर्शो का कोई महत्व नहीं है.... कमाल खान को मेरी तरफ से आभार जरूर व्यक्त कर दीजियेगा

Rangnath Singh said...

राघवजी के विरोध में ढेर सारा पाखण्ड शामिल है. इस पत्र के लिए साधुवाद.

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

राघव जी उभयचर है.. जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो गए .

DEVSACHIN said...

जन्नत मे 72 हूरों के साथ 10-12 लौड़ो की भी व्यवस्था है ऐसा मुस्लिम विद्वान बताते है लेकिन राघव जी ने कहा कल की किसने देखि है , निपटाओ॥ बहरहाल रविश कुमार जी आपका व्यंग और मसखरापनअपनी जगह पर है पर यहा आपने बार बार "संघ" को गरियाने का कुत्सित प्रयास किया है उसकी मै घोर भत्सना करता हु। अरे यार यहा भी संघ को गरियाकर पैसे बनाओगे क्या ? :)

Unknown said...

Ravishji aap jb tv pe aejnda me bes krte ho tb bot mja aata he or. But kus sikne ko. Milta he
siti to Ragvji ko la jvab liki he

संजय चांदना said...

रवीश जी, आपका भयंकर वाला प्रन्शसक हूँ........ ब्लॉग पड़कर श्रीलाल शुक्ल की राग दरबारी की व्यंगात्मक शेली बरबस ही बहुत याद आई........ आपको सदर नमन!

संजय चांदना said...
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amarjit said...

Ek prime time kar dete sir g to sayad raghav ji k kuch aur smarthak mil jate..

amarjit said...

Ek prime time kar dete sir g to sayad raghav ji k kuch aur smarthak mil jate..

amarjit said...

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amarjit said...

Ek prime time kar dete sir g to sayad raghav ji k kuch aur smarthak mil jate..