अधूरी उदास नज़्में- सस्ती शायरी

१. तोड़ कर वादे देखो, बार बार आ जाते हैं
बड़े बेशर्म है यें, कहां कहां से आ जाते हैं

२. कुछ तो है दिल्ली में, नखरे सबके देखो
बादशाह यहां नहीं हुए, तो फिर कहां हुए

३. तुम क्यों चली गई, दिल्ली छोड़ कर
रुसवा मैंने किया, शहर की क्या खता थी

४. बेवफा कोई नहीं होता है इस जहान में
दिल टूटता है किसी का, किसी और के लिए

५. नाम तो लेकर देखो मेरा, तुम अकेले में
ज़बां पर यू ही नहीं चढ़ता किसी के नाम का रंग

६. वो यूं जल गए हैं हमारी दोस्ती से
मिला न उनको कोई दोस्त कहने वाला

७. तुम आज कल मुझसे जलने लगे हो
आज कल ही तो मैं किसी का हो गया हूं

८. कभी ख़त अधूरा मत छोड़ना
दिल की बात दिल में अच्छी नहीं लगती

९. मैं बता रहा हूं सारी दुनिया को
एक तुम्हीं से न कह पाया हाल अपना

१०. बहुत बड़ा शायर तो नहीं हूं मैं
तुम्हारे लिए नज़्मों की कमी न होगी

११. बीबी से कह देता हूं कि आज से अब नहीं
तुम से क्या कहूं..अब से कब तक

१२. बिकती है शायरी टूटे दिलवालों की
खंडहरों में पलते हैं प्यार के किस्से

11 comments:

अबरार अहमद said...

बढिया। लिखते रहें सर।

akanksha said...

दिल की बात है तो शायरी सस्ती कैसे हुई. दिल की बातें तो अनमोल शायरी हुआ करती हैं न...

रश्मि प्रभा... said...

waah.......

neha said...

ये सिलसिला तो कुदरत का है. कुछ बातें दिल में दबी रहे तो ही सुकून देती हैं.

JC said...

" तोड़ कर वादे देखो, बार बार आ जाते हैं
बड़े बेशर्म है यें, कहां कहां से आ जाते हैं
(परवानों की तरह) "

एक शायर से किसी जीव-प्रेमी ने पूछा:
मोमबत्ती की लौ पर पतंगे की मौत
कैसे रोकी जाये?
शायर बोला बहुत सरल है!
मधु-मक्खी को बाग़ में जाने से रोक लीजिये!

JC said...

मूल रूप में उसने कहा था
"मगज को जाने न दो बाग़ में
खून हो जायेगा परवानों का"

रंजू भाटिया said...

नाम तो लेकर देखो मेरा, तुम अकेले में
ज़बां पर यू ही नहीं चढ़ता किसी के नाम का रंग

बहुत बढ़िया लगी यह अधूरी नज्म

JC said...

"कुछ तो है दिल्ली में, नखरे सबके देखो
बादशाह यहां नहीं हुए, तो फिर कहां हुए"

दिल्ली किसी की नहीं
इतिहास गवाह है
कौरव-पांडव
से अँगरेज़
सबको इसने मिला दिया
मिटटी में
चूहे-बिल्ली जैसा
खेलने के बाद...

latikesh said...

रविश जी
आप की नज़्म में रूमानी बाते पढ़ कर अच्छा लगा
लतिकेश
मुंबई

Aadarsh Rathore said...

[b]**********मैं बता रहा हूं सारी दुनिया को
एक तुम्हीं से न कह पाया हाल अपना**********[/b]

रज़िया "राज़" said...

१. तोड़ कर वादे देखो, बार बार आ जाते हैं
बड़े बेशर्म है यें, कहां कहां से आ जाते हैं
क्या कहने सर!