बिहार के आर के लक्ष्मण

पटना गया था। जिससे मिलता वही हिंदुस्तान के कार्टूनिस्ट पवन की चर्चा करता। पवन ने ये लिख दिया है। पवन ने वो लिख दिया है। पवनवा के पढ़े के नहीं। जा। त का पढ़े। किसी अखबार के कार्टून को लेकर इतनी बात नहीं सुनी। बिहार की बोलियों के मिश्रण से तैयार पवन की भाषा बेजोड़ है। भाषा बनने के बाद दुनिया में पैदा हुए व्याकरणविदों को शायद ही पवन का लैंग्वेजवा पसंद आए मगर जब व्याकरण का दरवाजा टूटता है तभी भाषा जीवंत होती है।

पवन के कार्टून ने कमाल कर दिया है।पढ़ कर मज़ा भी आता था। लेकिन कभी ध्यान ही नहीं गया कि कौन रच रहा है। पवन का कार्टून तो बहुत दिनों से पढ़ रहा हूं। लेकिन इस फ्लेवर का जवाब नहीं है। आम आदमी का दर्द उसकी भाषा में। यूजीसी का फरमान आया कि अब पीएचडी करना मुश्किल होगा। तो इस पर पवन व्यंग्य करते हैं कि बिहारो में हो? मैं कहता हूं बिहार की जगह बिहारो ही लिखना चाहिए। क्योंकि बिहार के लोग बोलते ही ऐसे हैं। बिहरवा या बिहारो। बोलचाल की हिंदी के ठेकेदार भी पाछे के दरवाज़े से व्याकरण की ही दुकानदारी करते हैं। इसलिए बोलचाल की हिंदी कभी लिखी ही नहीं जाती।

गज़बे लिखते हैं पवन भैया हो। बेल्लाग। अइसन चोट करते हैं कि हिंदुस्तान का बकिया खबरे पढ़ने का मनो नहीं करता है जी। वरना आज सुबह दु आदमी को फोन किए। दुन्नो बोला कि पवन का कार्टून पढ़ कर हंस रहे हैं। हम पूछे कि का लिख दिहिस है रे। तो भाई जी पढ़ कर सुनाने लगे। कि पटना चिड़ियाघर में जानवर सब मिटिंग कर रहा है कि आज पिंजड़ा से २० मीटर दूरे रहिये सब। बानर टाइम आदमी आवेला है। ऐसा ही कुछ था। बानर टाइप आदमी। वाह। अख़बारों के स्टाइलशिट पत्रकारों ने भाषा को ज़िंदा मार दिया है। पवन की भाषा या बोली या कुछ भी( घंटे से) ज़िंदा ज़ुबान लगती है। बिहारो में एगो आर लक्ष्मण पैदा ले लिहिस है। जय हो पवन भैया। लिखते रहिये। आप पटनहिया इस्टार है भाई। अबकी आवेंगे तो मिलके जावेंगे। टाइम दे दिह हो ए पवन भैया।

पवन से मिल नहीं सका। इसका अफसोस रहेगा। आवेंगे अगली बार तो भारती प्रकाशन का हिंदी व्याकरण गंगा जी में फेंक देंगे। कर्ता ने कर्म को। ने को से हे पू। भाग साला। पवन भैया के कार्टून लाव त रे। पढ़े ला हऊ।

15 comments:

hamarijamin said...

Bhasha vyakaran ki anugamini nahi hoti. Jivan or Jamin ki lay se upaji bhasha Aar ke Lakshamanoan or Pavanoan ki takat hai. Bihar ke lakshman ko bada lagav se eyad kiya hai aapne. jame rahiye.

Unknown said...

अपनी बोली हमनी के भुलाय गयल बानी, 2009 क शुभकामना प्रेषित बा

केसर
peoplesnewsnetwork.org

रवि रतलामी said...

"आवेंगे अगली बार तो भारती प्रकाशन का हिंदी व्याकरण गंगा जी में फेंक देंगे। कर्ता ने कर्म को। ने को से हे पू। भाग साला। ..."

हम तो पहले से ही फेंक चुके हैं - काहे कि पहले ही समझ में नहीं आता था साला...

पवन का काम कहीं ब्लॉग में है? नहीं है तो ये महती काम आप शीघ्र ही करवाएँ. हम भी पवन को पढ़ने मरे जा रहे हैं... आपने बयाँ ही ऐसा किया है.

पी के शर्मा said...

मैंने कहा था आपके कस्‍बे आऊंगा
सो आ गया पवन के साथ पवन

एक साल गया
एक साल नया
एक दिन ये भी तो जायेगा
लेकिन ये जाने से पहले
कह लें या न कह लें
कुछ देकर ही तो जायेगा
कुछ लेकर ही तो जायेगा
ये देना लेना होना है
एक प्‍यार प्रीत का दोना है
ये प्‍यार प्रीत होता रहे
समय व्‍यतीत होता रहे
नव वर्ष की मंगल कामनाएं

संजय शर्मा said...

पवन की पैनी नज़र का प्रमाण है पवन का कार्टून .पवन चाव से पढ़े जाते है .आपका धन्यवाद् पवन को यहाँ जगह देने के लिए .
नववर्ष की समस्त शुभकामना के साथ .

रंजन (Ranjan) said...

"कर्ता ने कर्म को। ने को से हे पू। भाग साला।"..

सही है रवीश जी!! कुछ कार्टुन हमें भी दिखाते ्तो मजा दुगना हो जाता!!

नववर्ष की शुभकामनाऐं!!

Himanshu Pandey said...

नव वर्ष की शुभकामनायें

अमिताभ said...

wish u very happy 2009!!

है पलक पर रौशनी , फलक पर चाँदनी
बाहें खोल के देख ले ,जीवन है रौशनी

आ बदल ले ख़ुद को तू ,उड़ चल हवा के संग
तू नदी की हिलोर , जीवन की तू रागनी

विश्वाश है तू , तू है आकाश
इस फलक पर तू ,सूरज का उजास

तू हवा का झोंका है ,किसने तुझे रोका है
बढे जो कदम तेरे , कदमो में आकाश है

कोई नयी बात जगा ,कोई नया गीत बना
ख्वाबों को सच बना ,ज़िन्दगी को जीत बना

नई उमंग भर ले , नई सुबह कर ले
आ आज ख़ुद से ये वादा कर ले ,

shubhkamnaye
amitabh

दिनेशराय द्विवेदी said...

आंचलिकता भाषा को जनता के नजदीक ले जाती है। यह पवन की सेहत का राज है।

अविनाश वाचस्पति said...

अपना नंबर तो दस है

कार्टून भी दिखलायें रवीश जी

बस में नहीं हैं जो

सब बेबस हैं

सतीश पंचम said...

आंचलिक भाषा में बोली जाने वाली हिंदी अपना अलग ही असर छोडती है...... रेणु के रेणुत्व में यह आंचलिकता की सोच और बोली ही थी जो उन्हें रेणु बना गई। लेकिन आज लोग हैं कि व्याकरणीय बनने के चक्कर में जनबोली की आत्मा घोंटने पर तुले हैं।

Kaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटना said...

रविशजी
नववर्ष मंगलमय हो.पटना से हो कर लोटें हैं तो किस्से कहनियों का झोला भरा होगा . कहने लायक बातों को कहियेगा
पवन ने हाल में एक कार्टून नीतिश कुमार के बयान पर बनाया .नीतिश कुमार ने कहा था कि लालूजी fuse बल्ब हैं . नीतीशजी का यह बयान बकौल पवन - लालूजी कहते हैं " भूल के मत छुइएगा ,टेस्तेरो में करंट मारेगा "
पवन कार्टून कि कला को बिहार / पटना कि बोलचाल कि भाषा के द्वारा आम लोगों के लिए सुगम और सुबोध बना रहें हैं.
सादर

debashish said...

ये होती है तोड़ू खबर :) मस्त बात बताई रवीश भाई। नया साल मुबारक हो।

Unknown said...

kya ap aur ajai singh ji ne pawan bhhaiyyya ke projection ka jimma le liya hai ......idhar ap apne blog par pawav chalisa rach rahe hai aur aj subah laloo ke animation report mai laloo se jyada pawan chaye rahe......pata mai yah sahi hai ya galat

ravishndtv said...

सीतू

पवन पहले से लोकप्रिय कार्टूनिस्ट हैं। जिसे हर दिन और कई साल से बिहार की जनता पढ़ रही हो उसे मैं लोकप्रिय करने वाला कौन होता हूं। कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं था। संयोग था। बल्कि पवन की लोकप्रियता का फायदा तो हमने उठाया है एक नज़र से।

वैसे मैं पवन का कायल हो गया हूं। अब हो गया तो हो गया। कुछ किया नहीं जा सकता। आपको आमिर खान अच्छा लगे तो लगे। इससे आमिर की पब्लिसिटी नहीं हो जाती।
बिहार में एक से एक प्रतिभाशाली लोग हैं। जैसे अन्य राज्यों में हैं। ये सारे प्रतिभाशाली लोग अपने अपने राज्य और समय को समृद्ध कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कार्टूनिस्टर सिर्फ बिहार में हैं। ब्लाग पर ही बहुत सारे प्रतिभाशाली कार्टूनिस्ट हैं।