हैप्पी विजयादशमी !

सुबह से ही मुर्गे की तरह मोबाइल टूं टूं करता हुआ बांग देने लगा। विजयादशमी मुबारक। हैप्पी विजयादशमी। लगा कि होली, दीवाली है। याद करने लगा कि क्या पहले भी हम हैप्पी विजयादशमी बोला करते थे। यह नया नया सा क्यों लग रहा है? याद ही नहीं आया कि कोई हैप्पी दीवाली की तरह हैप्पी विजयादशमी बोलता था। मेरी भाभी ने भी फोन कर कह दिया...हैप्पी दशहरा। दशहरे के लिए ईद नुमा खुशी। रावण को फूंक फांक कर और मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन कर हम घर आ जाते थे।लेकिन किसी को हैप्पी दशहरा नहीं बोलते थे। बंगाल में शुभ बिजोया बोलने की परंपरा है। बड़े बुजुर्गों को बोलना पड़ता है। दोस्तों को भी। बच्चों को भी।

लेकिन हैप्पी दशहरा। लगा कि इसकी खोज कल हुई है और चौबीस घंटे के भीतर लांच कर दिया गया है। विश यानी मुबारक बाद देने का दबाव इतना बढ़ गया है कि हर कोई एक एसएमएस भेज देता है। कुछ भाई ने तो रिप्लाय सेंटर डिफाइंड वाला संदेश भेजा। जिसमें आप सेम टू यू लिखकर रिप्लाय नहीं कर सकते। यह कुछ भले लोगों का काम था। समझ रहे होंगे कि एसएमएस भेज कर ही झेल काम कर रहे हैं कम से कम रिप्लाय करने का मानसिक दबाव या तनाव न बढ़ाया जाए। ऐसे लोगों को दिल से मुबारक।

हम बधाई युग में जी रहे हैं। बधाई के इस आदान प्रदान में रिश्तेदारों को भेजे गए एसएमएस की संख्या कम होती है। ज़्यादातर ऐसे एसएमएस क्लायंट, व्यावसायिक मित्रो, दफ्तर और पेशे के परिचितों को भेजे जाते हैं। कोई अपने पिता या मां को हैप्पी विजयादशमी का एसएमएस भेजता होगा इसमें मुझे संदेह है। हालांकि हैरानी नहीं होगी।

अब एक नज़र एसएमएस पर।

दुर्गा है इसलिए ताकत से जुड़ी तमाम चीज़ें मिलने की दुआ की जाती है। शांति, शक्ति, संपत्ति, संयम, सादगी, सफलता, समृद्धि, संस्कार, स्वास्थ्य, सम्मान, सरस्वती और स्नेह। एक एसएमएस में मेरे लिए मां दुर्गे से इतना कुछ मांगा गया। सारे एक दूसरे के विरोधी। शांति, संपत्ति और सादगी एक साथ। संपत्ति और समृद्धि का मतलब शायद अलग होगा। खैर।

एक एसएमएस अंग्रेजी में लिखा था। May this Vijayadashmi brings joy to you, happiness and affluence of all the bright aspects in the life along with the best of everything.

2. We pray to MAA SHERAWALI to shower her blessing to you and your family Happy Vijayadashmi.

3. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। इस शुभअवसर पर आपको विशेष तरक्की मिले।

४. कुछ संदेश नवरात्रि पर भी आ गए।

-इस नवरात्रि पर मां वैष्णो देवी आपकी मनोकामना पूरी करें
मां नैना देवी नैनों को ज्योति दें
मां चिंतपूर्णि चिंता दूर करें
मां काली दुश्मनों का नाश करें
मां मनसा देवी मंशा पूरी करें
मां शेरांवाली परिवार में सुख शांति दें
मां लक्ष्मी धन दें
मां ज्वाला देवी जीवन में रौशनी प्रदान करें

इन सब संदेशों में विरोधाभास है। इन संदेशों का पाठ किया जाना चाहिए। यही सब संदेश होली और दीवाली में भी आएंगे। सिर्फ दुर्गा की जगह लक्ष्मी का नाम होगा। हैप्पी न्यू ईयर के संदेश भी यही सब होते हैं। उनमें दुर्गा और लक्ष्मी की जगह मे दिस ईयर ब्रिंग्स....लिखा होता है।

लोग आपके लिए वही कामना करते हैं जिनकी पूर्ति से बाज़ार को फायदा होगा। यानी आपकी क्रयशक्ति बढ़ जाए और माल बिक जाए। या फिर जिनकी चिंता में आप मरे जाते हैं। वेतन बढ़ेगा तो एसी खरीदेंगे। कार खरीदेंगे। तभी खुशी आएगी। यही फिक्र एसएमएस भेजने वाले की भी होती है। मुबारकबाद बदल गया है। मुबारकबाद के नए मौके तलाशे जा रहे हैं। एसएमएस भेजने वालों की मंशा ठीक होगी लेकिन अचानक विजयादशमी पर हुए इस हमले से मैं घबरा गया हूं। लगता है कि बूढ़ा होने लगा हूं। अपने दौर में जब खुद पूजा का आयोजन करता था तब तो किसी ने हैप्पी विजयादशमी नहीं बोला। सिर्फ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के संदेश आते थे। वो भी अकेले मेरे लिए नहीं बल्कि पूरे देश के नाम होते थे। इन संदेशों में उपराष्ट्रपति का संदेश तो किसी गरीब की चीख की तरह होता था। कोई ध्यान भी नहीं देता था। और तो और इनमें बिना वजह सांप्रदायिक सौहार्द का मसला ठूंस दिया जाता था। हिंदू मुस्लिम सिख और ईसाई सबका है। मिल कर मनायें। भारत एक है। ख्वामख्वाह दशहरे के दिन टेंशन पैदा करने वाले संदेश होते हैं। अब भी वैसा ही होता है। लगता है विजयादशमी पर बधाई देने का आइडिया वहीं से आया है।

आइये इस दौर में मैं भी एक संदेश छोड़ मारता हूं। नया संदेश है। अगले साल किसी को भेज दीजिएगा। या फिर एसएमएस बनाने के लिए एक नई कंपनी लांच करें। जो आइडिया निकाला करेगी।

जैसे-

हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी। इसे तीन बार बोले। काफी लय है।

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वैसे एक एसएमएस मुझे अच्छा लगा।

Best wishesh on occassion of 51th Dhammachakra Pravartan Din. Let us resolve to work hard for making Buddhist India, Casteless Society and to establish our rightful claim on India.

----हैप्पी डी डे।

18 comments:

अनूप शुक्ल said...

आपकी एस.एम.एस.बाढ़ की चिंता जायज है।

Unknown said...

हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी। हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी।हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी।

sms भी भेज देंगे फिलहाल टिप्पणी से काम चलायें।

Udan Tashtari said...

हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी।
हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी।
हिप हिप हुर्रे। विजयादशमी विजयादशमी।

-इसे सरकारी तौर पर एस एम एस माना जाये.

राजीव जैन said...

आपकी तरह
मुझे भी चहेतों ने कई एसएमएस भेजे, सुबह जागा तब तक आठ मैसेज आ चुके थे। पढे तो लगा कि दस बीस को मैं भी ठोक दूं
बस कर दिया, मैंने भी हैप्‍पी दशहरा

Meitu said...

रवीश जी...बिल्कुल सही कहा.. ये सब बाज़ार को गर्म रखने के पैंतरे हैं।एसएमएस की ये बाढ़ और भी कई दिनों देखी जा सकती है,फ्रेन्डशिप डे,सॉरी डे,किसिंग डे,मिसिंग डे,रोज़ डे और ऐसे ही तमाम अगड़मबगड़म डे!वैसे ये भी हो सकता है कि सर्विस प्रोवाइडर धीरे से कुछ एसएमएस खुद ही अपने उपभोक्ताओं को सरका देता होगा और कुछ नादान उसकी चपेट में आकर उन्हें 'फ़ॉर्वर्ड'कर देते होंगे।बाकी के तो 'सेम टू यू' के शिकार हो जाते हैं। भई इतना तो शर्माशर्मी में करना ही पड़ता है।लेकिन इन सब से फ़ायदा होता है...पईचान किसका??

विनीत कुमार said...

सरजी, विजयादशमी क्या, ठीक-ठाक कफन बिकने लगे और बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इसके लिए मार्केट में उतर आए तो फिर देखिए कि लोग हैप्पी मोहर्रम का भी एसएमएस भेजेंगे। अब कौन किसके लिए संवेदना के शब्द बोलता, भेजता है। एक एसएमएस आया और उसी को वेश्या की तरह सप्लाय कर दिया कोई हेर-फेर नहीं। हमने तो लिखा कि भईया भेजने में पैसा लगाते ही हो तो थोड़ा क्रिएटिव हो लो।....

chavannichap said...

यह बाजार का खेल है.मोबाइल धारक खेल रहे हैं और बच्चों की तरह खिलखिला रहे हैं.संना है कि प्रतियाोगिता चलती है कि किस के पास कितने एसएमएस आए.कुछ कुछ ब्लॉग की टिप्पणियों की तरह.

रवि रतलामी said...

आपको मेरी भी कुछ इस तरह की - हार्दिक बधाईयाँ!

Ranjan said...

अच्छा लिखे है !

अविनाश वाचस्पति said...

एस एम एसिए तो आपकी कल्पना से भी ऊपर हो रहे हैं। मसैज आने पर भेजने वाले की जगह पर अपना नाम छापकर फारवर्ड कर देते हैं। दशहरा, दीवाली, बर्थडे, वलेंटाईन,अगड़म, बगड़म करके तो एक ही भेजता है। बहुत आसान करिश्मा हो गया है।

Ashish Maharishi said...

bus maine yahi soch kar aapko SMS nahin kiya

http://bolhalla.blogspot.com

Pooja Prasad said...

Treta Yug (much more better than Kalyug) me acha pati saabit na hone wale kathit naayak Ram ki Ravan par jeet ko me "achaai" ki "burai" par jeet nahi maan pati..so vijaydashmi par kewal belated HAPPY CHUUTTI ka sms sweekaren Ravishji!!

Pooja Prasad

Dr. sarita soni said...

pahle jab hum diwali ya vijadashmi manate the to dil se khush hote the per aaj wo khushi jane kaha gayi bas apne ko kush dikhne ka sara drama hai so
batao sabko ki hum khush hai aur sms kiye jao. Ravish ji thanks boliye is mobile ka ki aaj kam se kam sms se jude hai nahi to tv ne to sare riste hi khatam ker diye the
shubkamnao sahit
sarita

Hindustan said...

मानता हूं िक दश्‍हरे की शुभकामनाएं बेफकूफी जैसी लगती हैं पर कोई भूला िबसरा इस बहाने दो शब्‍द कह दे तो अच्‍छा भी तो लगता है इस महानगर ने आपसी संपर्क के सारे पुराने बहाने हमसे छीन िलए हैं वो हर शाम को बेवजह िमलना, गप करना 'अब यह सब कहां हो पाता है, िकसी को फोन करो तो वह पूछता है बताओं क्‍या काम है िदक्‍कत यह है िक आपसी बातचीत केा कोई काम ही नहीं मानता, िप्‍छले िदनों पुस्‍तक मेले में एक दोस्‍त िमले लखनऊ में थे तो हर रोज िमलते थे यहां दो साल बाद िमले उनका कहना था िक लखनउु में जान पहचान दोस्‍ती में बदल जाती थी, यहां िदल्‍ली में आकर दोस्‍ती जान पहचान में बदल गई, ऐसे में दशहरे ने अगर िकसी केा आपसे संपर्क का एक कारण दे िदया तो इस पर ऐतराज कैसा यह कोई हंसने की बात भी नहीं है

Unknown said...

आप ने सही कहा रवीश जी, सिर्फ़ नाम ही बदलते हैं, बाकी स्वरूप जस के तस रहता है, कई बार तो सोते हुए जगाने वाले sms भेजने वालों को शुक्रिया कम गाली ज्यादा देने को जी करता है

संजय शर्मा said...

Shubhkaamana aur aashirvaad har pal sukhad hota hai.ye unase jaana jaaye jinhen nahi mil paata.

दिलीप कुमार पाण्डेय said...

अच्छा तो आप हमेशा ही लिखते रहे हैं लेकिन इस बार आपने लिखने के लिए जो विषय चुना वो बड़ा रोचक है औऱ लोगों से वैसे ही जुड़ा हुआ है जैसे कि मोबाइल जुड़ा होता है । मेरे पास भी एक दो मैसेज आए । लगा कि रावण के मरने पर लोग इतने खुश हो गए हैं कि मोबाइल से पैसे बहा रहे है । मेरा मन बड़ा बेचैन हो उठा सोचा कि क्या मैसेज का जवाब दूं या नहीं दूं । कुछ समझ में नही आ रहा था । रावण के प्रति भी मेरी सहानुभूति थी । बेचारा अब मर गया तो मर गया इस पर खुशियां क्या मनाना । इसलिए मैने किसी को मैसेज का जवाब नहीं भेजा ।

addictionofcinema said...

ant ka jo sms apko achcha laga hai us par kisis ne kuch nahi kaha jabki sabse sunder sms wahi hai. budhdhist india banakar casteless india banane ki baat se baya(shayad) me padhi ek laghukatha yaad aa gayi........ek neta mike lekar bheed ko keh rahe the....hum sabhi badi jati ke logon ko apne neech jati ke bhaiyon se achcha vyavahar karna hoga tabhi bharat jati ki gandagi se mukt ho payega