चम्पा देवी को वोट कौन देगा ?

ललितपुर बुंदेलखंड का पिछड़ा और बेकार इलाका है। यहां कोई बुंदेला बंधु हैं जो नेता से दादा हो गए हैं। लोग खुशी खुशी इनके दबदबे को स्वीकार करते हैं। मैं बुंदेला बंधु के घर भी गया। कई एकड़ में फैला घर। पचासों ट्रक, एंडेवर जीप, स्कार्पियो। घर इतना बड़ा कि आंगन बागीचा लगता है। लोग बड़े खुश हैं कि उनके यहां का नेता दबंग है। अब मैं इन पर आरोप लगाकर इनकी मेहनत की कमाई पर तोहमत नहीं भेजना चाहता। पर पूछा ज़रूर कि कहां से सब कुछ इतना विशाल हो गया। तो बड़े बुंदेला सुजान सिंह बोले- मेहनत की कमाई है। मैंने ग्राम की प्रधानी से लेकर विधायक और संसद के चुनाव जीते हैं। यह सब जनता के आशीर्वाद और प्यार का फल है। ऐसी जनता को गोल्ड मेडल देना चाहिए। एक ग़रीब नेता को कहां से कहां पहुंचा दिया। उसका प्यार है भई- कह कह कर बुंदेला साहब ठंडी आहें लेते रहें।

तो क्या जनता चम्पा देवी को भी ऐसा प्यार देगी? चम्पा देवी विकलांग हैं। मेरी अचानक नज़र पड़ी। व्हील चेयर को खींचते कोई पचास विकलांग नारे लगाते जा रहे थे। विकलांगों की एक आवाज़- चम्पा देवी का हो साथ। चम्पा देवी को वोट दो। मैंने सोचा धार्मिक खैरातों के लिए जुलूस निकला होगा। मगर शर्मिंदा हो गया अपनी सोच पर। ये लोग अपने हक के लिए मैदान में हैं। कड़ी धूप में बैसाखी पर कई लोग चले आ रहे थे। नारे लगा रहे थे। कहा कि हमें कोई मीडिया नहीं दिखाता। हम हक के लिए लड़ रहे हैं। ललितपुर में २८,००० विकलांग वोटर हैं। क्या आप जानते हैं? मैंने कहा- नहीं। चम्पा देवी ने कहा कि इसके बाद भी कोई हमारी बात नहीं करता। हमारी रैली में पंडित, मुसलमान, यादव, जाटव सब जाति धर्म के विकलांग हैं। सब बेरोज़गार। राजनेता और प्रशासन हमें व्हील चेयर दान देकर भूल जाता है। हमारी नौकरियां दूसरे को दे दी जाती हैं। रिजर्वेशन का फायदा नहीं मिला। हम चाहते हैं कि हमारा एक तो विधायक हो। मैं शूट करता रहा। इन विकलांग कार्यकर्ताओं के चेहरे पसीने से तर थे।

लोग इन्हें धकिया कर चले जा रहे थे। विकलांग एकता ज़िंदाबाद। चम्पा देवी ज़िंदाबाद। मैंने देखा किसी ने उनकी तरफ नहीं देखा। जनता ने इन्हें अपना प्यार नहीं दिया। क्यों देगी? विकलांग लोग कैसे पत्थर की खदानों की गैरकानूनी खुदाई कर जनता को सामूहिक भोज देंगे? राजनीतिक व्यवस्था से इतने ही परेशान हैं तो क्यों नहीं जिता देते चम्पा देवी को? कम से कम इतना तो संतोष होगा कि ललितपुर का मतदाता कितना प्रगतिशील है! उसने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में एक विकलांग नेता चुन कर भेज दिया है। चम्पा देवी को उम्मीद नहीं है। मगर वो व्हील चेयर खींचती हुईं चली जा रही थी। ये कहानी एनडीटीवी इंडिया पर दिखायी गयी। कुछ साथी पत्रकारों ने कहा- आफ बीट स्टोरी है। अच्छी है। चम्पा देवी तुम इनकी बातें मत सुनना। लड़ती जाना। बुंदेला बंधु से तुम नहीं लड़ पाओगी, क्योंकि जनता तुम्हें आशीर्वाद नहीं देगी। मगर तुम लड़ना। किसी रिपोर्टर की आफ बीट स्टोरी बनने के लिए नहीं। अपना दिल जलाने के लिए।

3 comments:

Rajesh Roshan said...

Yes this one is good post. Aap likhe to samaaj ki achhi bato ke baare mein jise aam insaan nahi dekh pata. Hamari yahi soch honi chahiye. It's my personal opinion.

Unknown said...

ठीक कहां आपने। लोग जीत की उम्मीदें टटोल कर ही लड़ने की इच्छा बनाते हैं। किसी भी चंपा को अपने हक के लिए लड़ना जारी रखना चाहिए। जीत मिले ना मिले। ये बात आईने की तरह साफ़ है कि जीत उसी भ्रष्ट नेता की होगी जिसके साथ ज्यादा से ज्यादा भ्रष्ट वोटरों की जमात है। लेकिन जंग जारी रहे।

Dr Rajesh Paswan said...

Hindi ke vikhyat kavi Dhoomil ne kaha hai ki " Prajatantra torta nahi Pith ke bal jhooka deta hai. Ravish ji is desh me sabhi viklang hai. kuch apni vichardhara se, kuch tan se to kuch man se, kitno ki chinta karenge aap? India me democracy bhi parrassut se aai hai aasman se tapki hui. yaha se jinda nahi hui hai. bus aa gai. jaise taise. jiski nazayaz ........... Rajniti me gandh macha rahi hai. sab loktantra ka tamasha banati hai. jab koi mashinari thik se kam karti hai to use jantantra ki hatya ka name deti hai. aaj kal election commission ki shhakhti par kuch 'DhartiPutro' ki chitkar dekh hi rahe hai. aise me champa ki kahani, viklang ho chuke samaj par ak tamacha hai.