अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन प्रबंधन संस्थान

इन दिनों प्रदर्शनों का स्तर गिर गया है। कारण कई हैं । मैं और क्रांति संभव इससे खासे नाराज़ हैं । क्रांति संभव ऑटोमोबिल जगत से जुड़ी जानकारियां अपने कार्यक्रम रफ्तार में देते हैं। उनकी दुनिया में प्रदर्शन तो होता है मगर विरोध प्रदर्शन नहीं । मगर वो चाहते हैं कि विरोध प्रदर्शन या तो स्थगित कर दिये जाएं या फिर इनका तरीका बदले। हमारे पास कुछ सुझाव है । आप लोगों का आइडिया भी चलेगा ।

पहली समस्या- हर मुद्दे पर बार बार एक ही जगह पर जाकर नारेबाज़ी न करें । मसलन जंतर मंतर, पटना में हड़ताली चौक, विधानसभा आदि आदि । एक ही जगह पर बार बार मटकी फोड़ने से मीडिया की दिलचस्पी कम हो जाती है । रोज़ का नाटक समझ लिया जाता है ।

तो क्या करें
हमारा सुझाव- मुद्दों के हिसाब से जगह का चुनाव होना चाहिए । महंगाई का विरोध जंतर मंतर पर क्यों ? कौन सुन रहा है ? इसलिए आप ग्रेटर कैलाश के एम ब्लाक मार्केट में प्रदर्शन करें जिन्हें महंगाई से फर्क नहीं पड़ता । यहां आप इसलिए हैं कि ताकि अमीरों को अहसास दिला सकें कि बेचारे ग़रीबों के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा । सरकार चुप रहेगी तो महंगाई से गरीब हुए लोग आपसे ही भीख मांगेंगे। प्रति व्यक्ति भीख देयता बढ़ जाएगी । एम ब्लाक मार्केट के अलावा आप किसी शादी के पंडाल में महंगाई विरोधी मोर्चा लेकर जा सकते हैं । ऐसी शादी में जहां विधायक, मंत्री आमंत्रित हों । इससे मेहमानों के बीच मंत्री का अपमान होगा । और आपका ज्ञापन स्वीकार करेगा ।
उसी तरह से महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर फिर जंतर मंतर क्यों । जंतर मंतर का महिला विकास से क्या लेना देना । आइडिया ये है कि महिलाएं जानें । तो आप महिला कालेज जाएं । कालेज के गेट पर गले फाड़ फाड़ कर चिल्लायें । देखों तुम्हारा ही मुद्दा है । और लड़ हम रहे हैं । जागो ।
नोट- इससे नेता परेशान होगा । अगर आप खुद वोटर के बीच जाएंगे तो मीडिया भी आएगा और नेता भी । अगर आप जंतर मंतर जाएंगे तो वोटर को पता भी नहीं चलेगा और मीडिया नेता तो दूर ही रहेंगे ।

विरोध प्रदर्शन का समय

ये बहुत इंपोर्टेंट मसला है । हर विरोध प्रदर्शन बारह से तीन बजे यानी लंच आवर के बीच ही क्यों होता है ? यह एक गलत परंपरा है । विरोध का फिक्स टाइम नहीं होना चाहिए । आप किसी दिन रेल भवन के सामने दिन के दस बजे विरोध करके देखिये । हंगामा मच जाएगा । कि ये सुबह सुबह क्यों आ गए । किसने बुलाया है इनको । जल्दी से इनका ज्ञापन ले लो औऱ टाटा करो। मंत्री जी आने वाले हैं । मीडिया को भी लगेगा कि इतनी सुबह विरोध कर रहे हैं ज़रुर कोई बात है। क्लिक करो औऱ शाट लो । कुछ प्रदर्शन शाम के वक्त भी हो सकते हैं । दिल्ली के आश्रम चौक पर सात से आठ के बीच जाम में फंसे लोग अपनी कारों में बोर हो रहे होते हैं तो वहां नारे लगने चाहिए । हर गुज़रता हुआ निराश नागरिक आपके नारे से सहानुभूति जताएगा । आपके नारे सुनेगा । घर जाकर पत्नी को बताएगा । इससे आपके विरोध का प्रसार ज़्यादा होगा ।

नोट- इसमें मीडिया की दिलचस्पी होगी । उन्हें लगेगा कि ज़रुर इसमें कोई स्टोरी है। इसलिए कवर करेंगे । मेट्रो आजतक, दिल्ली आजतक, मेट्रो दिल्ली में दिखाया जाएगा ।

नारे हैं नारों का क्या

हाय हाय, मुर्दाबाद, नहीं चलेगी नहीं चलेगी, वापस जाआ वापस जाओ। ये सब बोरिंग और कान फाड़ू नारे हैं। इनमें नया नहीं है। मसलन महंगाई पर आप क्या नारे लगा सकते हैं।
यूपीए सरकार मुर्दाबाद की जगह ये बोल कर देखिये
सोनिया जी तुम दाम बढ़ाओ हम तुम्हारे साथ हैं
मनमोहन जी तुम टैक्स बढ़ाओ हम तुम्हारे साथ हैं

इससे उनको पता नहीं चलेगा कि आप कांग्रेस के हैं या बीजेपी के और मीडिया को स्टोरी मिलेगी

पुतला फूंको नहीं बना दो
पुआल के बने पुतले एक होते हैं। मनमोहन से लेकर आडवानी तक के पुतले । इन्हें फूंक कर आप कोई बड़ा काम नहीं करते । बल्कि अगर आप फूंकने की बजाए इनका एक पुतला बनवाकर लगवा दें तो प्रोब्लम होने लगेगी । लोग कहेंगे भई ये आइडिया है। पुतले के नीचे लिख दीजिए । ये पुतला फलां मुद्दे पर विरोध करते हुए लगाया गया है। जिसका पुतला है उसे विरोध से फर्क नहीं पड़ता । हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी याद रखे कि फलां नेता जी को इन मुद्दों पर हुए विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसलिए उनका पुतला लगा कर स्थायी कर दिया गया है।

वैसे हमारी कंपनी ने एक पार्क में सभी दलों के अध्यक्षों का पुतला लगाया है। आप चाहें तो सौ रुपये की फीस देकर पुतले को चप्पलों की माला पहना कर विरोध कर सकते हैं । चप्पल मारने की फीस तीन सौ रुपये होगी । नारे बाज़ी की फीस ४०० रुपये । यहां पर आप मनमोहन का विरोध करने के साथ आडवानी का स्वागत कर सकते हैं । ऐसा करेंगे तो मनमोहन को लगेगा कि वोटर हाथ का हाथ शिफ्ट हो रहा है। तो परेशान होंगे । पहले मनमोहन के पुतले के सामने नारे लगाइये। फिर आडवानी के पुतले के पास जाइये कहिये अब आपका ही आसरा है । हमनें पिछली बार आपको चप्पलों की माला पहनाकर अच्छा नहीं किया था । हम फूलों का माला पहना रहे हैं । बस कैमरे क्लिक होने लगेंगे । अगले दिन फोटो फ्रंट पर । मगर इसका डबल चार्ज लगेगा । ६०० रुपये ।

विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग-

ये बहुत ज़रुरी है । गरीबी के मुद्दे पर प्रदर्शन के लिए हम बीपीएल कार्ड वाले लोगों की ही सप्लाई करते हैं। चूंकि वो गरीब होते हैं इसलिए ज़ोर ज़ोर से नारे लगाते हैं । महिलाओं के मुद्दे के लिए हम कालेज की स्मार्ट लड़कियों की टीम भेजते हैं । वो ४०७ में नहीं आतीं । अपनी अपनी बाइक या कार से आएंगी । नारे लगाते वक्त ग्लैमर का भी ज़ोर मीडिया को बुलाएगा । गांव की औरतों को हम महिलाओं के मुद्दे पर नारेबाज़ी के लिए नहीं भेजते ।


इसके अलावा हमारी कंपनी में विरोध प्रदर्शन के और भी नए नए तरकीबें हैं । मगर ब्रोशर में सब कुछ नहीं बताया जा सकता है । इसलिए आपको हमारे अवैतनिक प्रदर्शन प्लानर से मिलकर चर्चा करनी होगी । क्रांति संभव इसके लिए उपयुक्त हैं । प्रदर्शन प्रबंधन के लिए आप मुझसे मिलिये । नारे वारे के लिए आप मोहल्ला वाले अविनाश से मिलें। कंपनी का आईपीओ भी आने वाला है । उसका इंतज़ार कीजिए । किसी भी मुद्दे को लेकर निराश न हों हमसे संपर्क करें हम प्रदर्शन करवा देंगे ।

प्रदर्शन प्रवर्तक
रवीश कुमार
२६, मोर्चा मार्ग,
नई दिल्ली

5 comments:

ePandit said...

बहुत खूब आपका संस्थान तो चकाचक चलेगा भाई। हमारे शहर में भी बिजली पानी की बहुत समस्या है। बस अब से आपके संस्थान को कॉट्रैक्ट विरोध प्रदर्शन का। :)

azdak said...

आप, गुरु, सबसे सही होली खेल रहे हो.

संजय बेंगाणी said...

कमाल के विचार है, खुब चलेगा संस्थान. आप आगे बढ़ो हम पीछे से देख रहे हैं. :)

संजय बेंगाणी said...

मस्त व्यंग्य.

swadesh said...

guru g, aap kamaal hain.. virodh pradarshan prabandhan sansthaan.... hamare purania kahte hain ki marj ki pahchan hone s hi aadha dard dur ho jata hai.. or jab doctor aaap ho to kya kahne... waakai aapki kalam har gali mod chauk chaurahe ki nabj pahchanti haiiiii,,, kaash, ke apni ye media bhi aapki tarah aapne hone ka matlab samajh pati.... badi umeed hai ki kabhi aapki kalam patrakarita k ham navnihalon par bhi jarur chalegi....