नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर है या नहीं इस पर अनेक मत हो सकते हैं मगर इस पर कोई दो मत नहीं हो सकता कि इस चुनाव में सेकुलर भगदड़ है । सेकुलर विचारधारा के नाम पर बीजेपी का विरोध करने वाली पार्टियों की प्राथमिकता नरेंद्र मोदी को हराना नहीं है । ये सभी दल इस चुनाव में एक दूसरे को हराने में लगी हुई हैं । गणित का कोई मास्टर इस बात को एक लाइन में कह देगा । समाजवादी सेकुलर भगदड़ बराबर मोदी लहर ।
मोदी लहर है या नहीं मगर मोदी का लक्ष्य साफ़ है । कांग्रेस के साथ समाजवादी सेकुलर दलों को साफ़ कर देना । समाजवादी सेकुलर दलों का लक्ष्य भी एकदम साफ़ है । कांग्रेस को साफ़ करते हुए एक दूसरे को साफ़ कर देना । एक तरह से समाजवादी सेकुलर दल नरेंद्र मोदी की मदद करने में लगे हैं । नरेंद्र मोदी की नैतिक और रणनीतिक विजय यही है कि उन्होंने साल भर पहले से कांग्रेस पर धुआँधार हमले शुरू कर दिये थे । ये हालत कर दी कि आर जो डी को छोड़ कोई समाजवादी सेकुलर दल कांग्रेस के क़रीब जाने का साहस नहीं कर पाया । इनमें से कौन कितना सेकुलर है इस पर भी बहस है ।
बीजेपी या मोदी विरोधी मोर्चा इतना बिखर गया कि वो तब भी नहीं खड़ा हो सका जब मोदी ने आरोपी, परिवारवादी और जातिवादी नेताओं दलों को मिलाना शुरू कर दिया । यहाँ तक राज ठाकरे से रणनीतिक समझौता करने से शिवसेना ही ज़्यादा बौखलाई हुई है । सपा,बसपा, लोजपा, राजद, जदयू चुप हैं । लेफ़्ट की भूमिका भी साफ़ नहीं है बल्कि बेहद लचर है । कांग्रेस हटाओ और बीजेपी हराओ का नारा भ्रामक है । एक साथ दो राष्ट्रीय दलों को आप इस तरह के नारे से हरा नहीं सकते । ऐसे भ्रामक स्लोगन से आप बाज़ार में गंजी नहीं बेच सकते । कांग्रेस को हटा और बीजेपी को हराकर किसे लाओ ये कोई भी जानना चाहेगा ।
इसका नतीजा यह हुआ कि राष्ट्रीय चुनाव में ये दल बिना लक्ष्य के नज़र आने लगे । नीतीश लालू को भी हराने में लगे हैं और लालू नीतीश को भी । पासवान ये खेल छोड़ अपनी गोटी मोदी से सेट कर चुके हैं । यूपी में सपा बसपा और कांग्रेस के अलग लड़ने और कांग्रेस विरोधी लहर के कारण बीजेपी की बढ़त बताई जाने लगी है । सेकुलर भगदड़ या बिखराव बीजेपी की जीत के लिए लाल क़ालीन बिछा रहा है । जनता के सामने साफ़ नहीं है कि ये दल किस मक़सद से लड़ रहे हैं । ममता, मुलायम और मायावती तीनों पर बीजेपी को बाहर से समर्थन देने का शक किया जाता है ।
नरेंद्र मोदी जीतने के लिए लड़ रहे हैं । एक साल से घूम घूम कर रैलियाँ कर रहे हैं । इसके पीछे संसाधन, प्रचार और प्रोपेगैंडा को लेकर बहस हो रही है मगर इसमें क्या शक कि वे लगातार काम कर रहे हैं । उन जगहों पर रैलियाँ कर रहे हैं जहाँ उन्हें कोई नहीं जानता । बीजेपी के सभी मुख्यमंत्री लड़ रहे हैं । आर एस एस भी कांग्रेस के हटाने का लक्ष्य लेकर मोदी की खुल कर मदद कर रहा है । नीतीश को छोड़ विरोधी किसी ने मोदी के भाषणों को सुनकर जवाब नहीं दिया है । इलाहाबाद की रैली में मुलायम ज़रूर तैयारी करके आए थे। लालू और मायावती अभी भी पुरानी बातें कर रहे हैं । कांग्रेस के जवाब से नहीं लगता कि उनका कोई नेता मोदी के भाषण को सुनता भी है ।
इस चुनाव में जीत के बाद मेरी मोदी से एक ही अपील है कि वे इन तमाम समाजवादी सेकुलर दलों को शुक्रिया ज़रूर कहें और ज़्यादा नहीं तो एक गुलाब का फूल भिजवा दें । जिनकी वजह से जीतेंगे उनके लिए इतना तो बनता है ।
( यह लेख आज के प्रभात ख़बर में छप चुका है)
मज़ेदार। मज़ेदार। न जाने क्यों लगता है कि २०१४ GE किसी आने वाली उथल- पुथल का उद्घोष हैं। वैसे आपको गुड़ फैलाने आता हैं , भक्त रुपी मक्खियों के लिए।
ReplyDeleteरवीश जी आपको कौन सी पार्टी सेक्युलर या समाजवाद विचारधारा की लगती है कभी ज़िक्र कीजिएगा, समाजवाद भजने वाली किस पार्टी के चाल चलन में समाजवाद झलकता है इन पार्टियों के कितने लोगो ने समाजवाद का थोड़ा भी अध्यन किया होगा, सेक्युलर होना तो वैसे भी एक गुण, एक विचार है जिसको अनुसरण सबसे पहले निजी जीवन में होना चाईए, समाजवादी और सेक्युलरवादी पार्टी के नेता और इनको वोट देने वाले कितने लोग ही सच में कितने सेक्युलर होते हैं, क्या इन पार्टियों का कोई भी वोटर कभी किसी धार्मिक उन्माद का हिस्सा नही बना| चुनाव के पहले किसी पार्टी के विरोध के बाद उसी पार्टी को समर्थन किस विचारधारा का अनुसरण पार्टी किया करती हैं| क्या मेडल जीतकर कोई खिलाड़ी या टीम अपना मेडल किसी औरराज्य या देश की तालिका में जुड़वा सकता है सुनकर अजीब लगता है पर देशहित के नाम राजनीति में सब जायज है|
ReplyDeleteDont you think you are under estimating AAP.earlier i used to think that it is too late for kwjriwal and company and they will have to sit in opposition in 2014 but after seeing the exposé of NEWS EXPRESS,my views has taken a hit....it can be AAP leading the next government.....some people may laugh at it(including you sir) but to me it seems like a possiblity....thats why i am urging you to contest from bihar....please consider my suggestion sir....this election is gonna be like 1977 election...anybody can win from anywhere.....fark sirf itna h ki us waqt anti congress wave thi aur ab anti establishment wave h
ReplyDeleteनिष्कर्ष ही बतायेंगे कि किसने किसका कितना लाभ किया।
ReplyDeleteRavish ji,
ReplyDeleteI could read your heart for your father. I lost my father at the age of 15 at Gorakhpur. After his death, my mother and myself could be transported to our native town of Shahjahanpur with help of his office colleagues. He worked in UP Excise Deptt though, but left me with a school education and a sum of Rs 60=00 as monthly pension.
I do remember the Doctors who were called in emergency. Almost the similar story.
My father wanted me to become a doctor and so I am today, a surgeon working in Kashipur, a town of Uttarakhand.
And yes, I do help some poor people. Amazing is that even after 66 yrs, poor do not know that they need good medical help.
This country needs basic medical care most even today. Corporate Hospitals have there own limitations in serving the larger chunk of the society.
You think with your heart, which is a rarity. I want to share the paradoxes and ambiguities of the medical professionals which none wants to listen.
regards,
yogesh sharma , MS. Kashipur 244713
y.sharma1956@gmail.com
Ravish ji,
ReplyDeleteI could read your heart for your father. I lost my father at the age of 15 at Gorakhpur. After his death, my mother and myself could be transported to our native town of Shahjahanpur with help of his office colleagues. He worked in UP Excise Deptt though, but left me with a school education and a sum of Rs 60=00 as monthly pension.
I do remember the Doctors who were called in emergency. Almost the similar story.
My father wanted me to become a doctor and so I am today, a surgeon working in Kashipur, a town of Uttarakhand.
And yes, I do help some poor people. Amazing is that even after 66 yrs, poor do not know that they need good medical help.
This country needs basic medical care most even today. Corporate Hospitals have there own limitations in serving the larger chunk of the society.
You think with your heart, which is a rarity. I want to share the paradoxes and ambiguities of the medical professionals which none wants to listen.
regards,
yogesh sharma , MS. Kashipur 244713
y.sharma1956@gmail.com
गत रात की बात
ReplyDeleteसोते अपने सपनो के साथ
आधी रात जाने क्या हुई बात
टूटा मेरा, नींद और सपनो का साथ
कुछ देर लगी थी यकीन दिलाने मे
नींद से खुद को बाहर लाने मे
टूटे सपनो को दिलाशा जुटाने मे
मुझे घूरते यक्ष प्रश्न का उत्तर पाने मे
उत्तर पाकर मै भी रह गया दंग
बेमतलब उभरे थे कुछ राजनैतिक प्रसंग
भयानक डर मुझ पर जमा रहे थे रंग
मेरे डर और मेरी नींद मे चली सुबह तक जंग
डाल बीज डर का मन मे अब कैसे पानी पिला रहे
भ्रष्टाचार गरीबी अल्पसंख्यक के पासे मे फंसा रहे
छोड समन्दर मे लहरो संग हमको झुला रहे
नैया पार लगाने वाले खेवक खुद को बता रहे
मेरे मिट्टी के सपनो को अपनी लहरो मे दफना देंगे
मेरे मौलिक सपनो की कल बोली वो लगवा देंगे
ये डर के सौदागर चुन चुन कर पर कतरेंगे
मेरे “डर मे ही जीत” वो अपनी, आम चुनाव मे पालेंगे
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ReplyDeleteThird front ko aapna nam Thadkhalasi kar lena chahiye. Ha...Ha....
ReplyDeleteAap key kejri Banaras ki janta sey pooch kar waha sey hi modi key khilaf chunaw lareyngay ......,, HA HA HA ...... Q Bhai janta key saath kharey rahiyey , kya chunav hi zaroori hai? Kya aap key log janta ki pareyshani key liyey q nahi pradarshan kartey , kya chunav fir nahi aayeyga, abhi q, aisee jaldi q, seating mla ko mp ka tkt nahi ??? Abb kya hua, binni ko he dey deytey ....... Yey aam aadmi itihas mey kabhi kuch nahi kar payaa na kabhi kuch kar payeyga
ReplyDeleteModi b sitting MLA h.........
Deleteऐसा चुनाव अपने याददास्त में याद नहीं , एक रास्ट्रीय पार्टी को दूसरी ने वॉकओवर दे रखा है . कांग्रेस के लीडर्स की तो तबियत चुनाव लड़ने के नाम पर kharab होती जा रही है . वोह चाहे केरल हो या Punjab . इस बार अगर बीजेपी अपनी सीटों को अधिकतम में नहीं बदलती तो यह उसका महा दुर्भaग्य ही कहा जायेगा . Bihar me तो बड़ी रोचक इस्थिति है मुसलमानो और कृषणवंशी किसको वोट करे समझ में नहीं आ रहा .उनके सिचुएशन किंकर्तब्यविमूढता की है . यक़ीनन is बार का परिणाम अप्रत्याशित होना तय है .
ReplyDeleteप्रिय रवीश जी,
ReplyDeleteअंततः आपने भी मोदीजी की जीत की भविष्यवाणी कर ही दी. आखिर हवा की हवा भी तो है.
2004 में शाइनिंग इंडिया की तथाकथित हवा
थी. उस हवा की ऐसी हवा निकली कि 10 वर्षों बाद तक शाइनिंग की हवा निकलती रही. कांग्रेस को फायदा सिर्फ इसीलिए हुआ क्योंकि लोगों के पास कोई और औप्सन नहीं था.
लोग कहते हैं, फलाने की हवा है, ढिमकाने की हवा है. अरे भाई
यह भी तो देखो यह हवा फैलाने वाला कौन है?
आप बताइए क्या कोई वोटर कह रहा है कि हवा है, हवा है. सच
तो यह है कि हवा फैलाने वाले ही सबसे अधिक चिल्ला रहे हैं कि हवा है, हवा है ताकि हवा बने. इस हवा को हवा देने में कौन कौन शामिल हैं यह आपको भी पता है.
मुझे तो लगता है यह हवा हवाई है, जिसके सहारे कुछ लोग हवाई
किले बना रहे हैं. सब हवाई किले हवा होने वाले हैं.
एक केजरीवाल हैं जो हवा में किले नहीं बना रहे, वे जमीन पर कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं. यह सच है कि उनकी हवा नहीं है क्योंकि उनके पीछे हवा फैलाने वाले नहीं हैं. सफलता संदिग्ध नहीं है, लेकिन प्रतिशतता कितनी होगी यह ऩहीं कहा जा सकता. मै भविष्यवाणी न करता हूं, न यकीन करता हूं. लेकिन जो भी होगा
अच्छा होगा. ऐसा सोचता जरूर हूं.
होली मनाएं. ढेर सारी शुभकामनाएं.
रवीश जी, चाणक्यपुरी में जो बिहार निवास हैं वहा साधु यादव से मिला, ये बताने का उद्देश्य ये हैं कि एक साल पहले तक जो मोदी अपनी पार्टी में ही राजनीतिक तौर पर अछूत थे उनसे मिलने वाले पहले शख्स यही साहब थे, ऐसे इनकी भी राजनीतिक हैसियत बहुत अच्छी नहीं पर इनका मिलना मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ बना था, उन्होंने बताया कि बलंडर हो गया, विश्वाघात (विश्वाश्घात के बदले ) किया हैं सबने, मतलब ये कि इस चुनाव में तो कुछ पता ही नहीं चल रहा हैं कौन कहा हैं, किसके साथ हैं , सेक्युलर कम्युनल सब ख़त्म। बस खुद जीत जाये , साधु यादव ने मिलके जो और लोगो के लिए रास्ता खोला था वो लगता हैं अभी कितने लोग कहा कहा से टूटेंगे
ReplyDeleteDear Ravish ji, listen to your anchoring, it's interesting and so is the article and this what I too have been saying to my friends.
ReplyDeleteUnfortunately we all are loyalists to either corporates or Religious or Communist ideologies or the so called secular thoughts..Nation exists only in our Brains that too on 15 Aug & 26 Jan & then we are back to being Brahmins, Thakurs, Agraa & Pichchraas, Muslims..etc. & businesses & So on
If we start keeping our Nation in our heart and think about it daily for each and every action of ours..we will be very different what we are today..Indians need to change and it's high time..we must.
नरेंद्र मोदी मुद्दा बन चुके हैं ! 2014 के लोकसभा चुनाव का मुद्दा क्या है ? यूपीए -2 की असफलता , महंगाई और भ्रष्टाचार ? नहीं जी , यह चुनाव 'गुजरात' पर लड़ा जा रहा है ! केंद्र में दस साल से जिनके नेतृत्व में सरकार चल रही है , वे '' स्थितप्रज्ञ '' मुद्रा में हैं ! चुनाव में वह कहीं नहीं हैं।
ReplyDeleteऐसा लग रहा है कि गुजरात से ही 10 साल से सरकार चल रही है। सभी मोदी से लड़ रहे हैं। क्या यह मान लिया गया है कि मोदी पीएम पद के सबसे बड़े लड़वैया हैं ?
आम आदमी के निशाने पर भी मोदी हैं। मानों पिछले दस -बारह सालों से वे ही तमाम समस्याओं के जड़ में हों ! हमारी समझ से राहुल या सोनिया जी के खिलाफ उन्हें(Arvind jee ko ) खड़ा होना चाहिए ! क्या गुजरात के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं केजरीवाल ?
''सेकुलर '' भगदड़ से मोदी को ही फायदा होगा ! सभी सेकुलर हैं। यहाँ तक की अडवाणी जी , सुषमा स्वराज , राजनाथ सिंह ! बस मोदी ''सांप्रदायिक '' हैं !
अब बताईये 'मोदी ' के संरक्षक रहे आडवाणी जी से ''सबसे बड़े सेकुलर '' नीतीश कुमार को कोई दिक्कत नहीं है। जबकि उन्हें बढ़िया से पता होगा कि 2002 में अटल जी की चली होती तो मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया होता ! यह आडवाणी का 'वीटो' पॉवर था कि मोदी बच गए। बच गए तो यहाँ तक पहुँच गए। अगर उसी समय हटा दिए होते तो उमा भारती बन गए होते !
तो ''सुपर सेकुलर'' नीतीश कुमार मोदी की उपस्थिति मात्र से ''अंगेया'' देकर बीजे गायब कर दिए ! ''अस्पृश्यता'' पर उतारू हो गए।
ऐसे में मोदी अगर भांजा लेते हैं / भंजा रहे हैं कि सब मिलकर हमें रोकने पर लगे हैं तो सहानुभूति भोट भी मिलगा मोदी ko । गुजरात में तो मिला भी है।
अगर… अगर मोदी जीत जाते हैं तो उन्हें आभार प्रकट करना चाहिए नीतीश जी को , दिग्विजय सिंह जी को , बहन मायावती जी को , मनीष तिवारी और कपिल सिब्बल जी
को। हाँ ! राहुल और केजरी को भी !
Ravish bhaiya pranam,
ReplyDeleteYe baat bilkul sahi hai ki tathakathit secular dalon ko ye samajh nahin aa raha ke wo Modiji se laden ya apne compititor doosre secular dalon se. Sabhi secular dalon ke liye is baar itne virodhi hain ki wo janta ko ye hi nahin bata pa rahe ki wo kiske virodh mein hain. Ye isliye bhi important hai kyonki Bharat mein election result hamesha negative voting se tay hota hai. Matlab kisko harana hai is per nirbhar hota hai. To Modi ji to clera hain ki Congress ko harana hai aur uske liye kaafi samay se mehnut bhi kar rahe hain. Aur unka master stroke ye hai ki logon ko samjhane mein sefel ho gaye hain ki Mayawati, Mulayam, Kejriwal, Nitish, Mamta mein se kisi ko bhi vote diya to samjho Congress ko vote diya, to unki ladaai us yoddha ki hai jise dushman ka pata hai. Ab baki secular dalon ki stithi ye hai ki wo Modi ka virodh to being secular unhe karna hi hai per aisa karte hue wo Congress aur doosre secular dalon ke samarthak na nazar aane lagen iski chinta bhi karni hai. To bhagdad to swabhawik hai. Baki to sab theek hai.
regards
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