सुना है कांग्रेस के ही लोग आपको फिक्स करना चाहते हैं । प्रधानमंत्री पद के लिए आपके नाम का एलान मोदी स्टाइल में करवाना चाहते हैं । पर इसे लेकर संदेह किसको था । किसी को नहीं । मैं यह ख़त इसलिए लिख रहा हूँ कि आप अपने दरबारियों की सुनने से पहले अपनी सुनिये । उनके झाँसे में मत आइये । ये आपका टाइम नहीं है । राजनीति में जब टाइम ख़िलाफ़ हो तो बस पैदल चला जाता है । लड़ा जाता है । किसी पद के लिए नहीं बल्कि अपने उसूलों के प्रति आस्था ज़ाहिर करने के लिए । आपकी पार्टी पहले प्रधानमंत्री के नाम पर चुप हो जाती थी अब अचानक मुखर हो गई है । मुझे लग रहा है कि सब आपको कांग्रेस की हार का ज़िम्मेदार बनाना चाहते हैं । वैसे ये जोखिम हर नेता को उठाना चाहिए लेकिन जब यह लगे कि हार का कारण नेता स्वयं हो सकता है तो दो क़दम पीछे हटने में कोई बुराई नहीं है ।
ऐसा नहीं है कि लोग आपको आपके भाषणों के कारण पसंद नहीं करते हैं । जिन्हें पसंद करते हैं उनके भाषण में भी कुछ ख़ास नहीं है । कोई कार्यक्रम नहीं है । निंदा ही निंदा है । लेकिन उनका टाइम सही चल रहा है । पाँच साल में मनमोहन सिंह और उनकी टीम ने आपको कहीं का नहीं छोड़ा है । आप मनमोहन सिंह की सरकार का बचाव नहीं कर पायेंगे । महँगाई और भ्रष्टाचार तो लोग भी महसूस करते हैं । आप मनमोहन सिंह सरकार के प्रति नाराज़गी को कम आंक रहे हैं । आपकी पार्टी सौ से नीचे जा रही है और नरेंद्र मोदी अकेले बहुमत के क़रीब बढ़ रहे हैं । बढ़ चुके हैं ।
आप इस ढलान को किसी मास्टर स्ट्रोक से रोक सकते हैं इस बात का कोई प्रमाण नहीं दिया है । हाल के विधानसभा चुनाव के नतीजे आपकी रणनीतिक तैयारियों की भी हार है । मोदी की जीत सिर्फ लहर नहीं है । मोदी के नेतृत्व में या सत्ता पाने की होड़ में ही सही बीजेपी बेहतर तैयारियों के साथ लड़ रही है । बल्कि एक साल से लड़ रही है । आपकी पार्टी जयपुर से लौटकर सो ही गई । यक़ीन न हो तो आप इंटरनल आडिट करा लें । दिल्ली कांग्रेस की हालत का पता कर लें । आप उपाध्यक्ष के तौर पर भी पूरी पकड़ नहीं बना पाये हैं । आपके कई युवा सांसद युवाओं तक की आवाज़ नहीं हैं । उनकी कोई सार्वजनिक राजनीतिक सक्रियता नहीं है । वे युवा होकर पुराने की तरह बर्ताव करते हैं । एक ही काम है । राहुल राहुल करो । एक भी चुनाव में कांग्रेस की रणनीति की चर्चा नहीं हुई । पता कर लीजिये । मोदी या बीजेपी ने एक पैटर्न बना लिया है । वो कांग्रेस की मौजूदा सीटों को टारगेट कर अपनी हारने वाली सीटों की भरपाई करते हैं । यक़ीन न हो तो आप गुजरात से लेकर छत्तीसगढ़ तक में उन सीटों के आँकड़ें निकलवा लें कि जो कांग्रेस से निकल कर बीजेपी में गईं । यही रणनीति बीजेपी लोकसभा में अपनाएगी । अपनी सीटें बचायेगी और आपकी दो सौ छह सीटों पर हमला कर देगी । उसकी संख्या दो सौ से आसानी से पार हो जाएगी ।
आपका भी टाइम आएगा जब आप पचपन साठ के हो जायेंगे । यही जनता जो आपसे दूर जा रही है कहेगी कि बंदे ने राजनीति में श्रम किया है । एक चांस दे दो । जैसा कि वो इस वक्त मोदी को बारे में कहती है । यही मोदी अगर पिछले चुनाव में दावेदारी करते तो कोई गंभीरता से नहीं लेता । आपकी पार्टी इसी इंतज़ार में रह गई कि मोदी का घोड़ा पहले निकला है और पहले चलकर थक जाएगा । आपका घोड़ा देर से निकल कर ज़्यादा तेज़ दौड़ेगा तो क्या नहीं थक जाएगा । मोदी को कार्यकर्ताओं ने बनाया है । कैसे बनाया वो अब इतिहास है और उसका कोई मतलब नहीं रह गया । कांग्रेस का कार्यकर्ता आपके साथ नहीं है । कार्यकर्ता है भी तो पब्लिक नहीं है । मनमोहन सिंह आपकी हार के गारंटी प्रमाण पत्र हैं । यह मैं पहले भी लिख चुका हूँ ।
बीजेपी आपकी हर रणनीति को धो डालती है । आप पहले दलितों के घर खाना खाने गए । नरेंद्र मोदी ने सही तरीके से उसका इस्तमाल आपका मज़ाक़ उड़ाने में किया । अब उसी बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान दलित के घर खाते हुए फोटू खींचा रहे हैं क्योंकि तीन राज्यों की ज़्यादातर आरक्षित सीटें बीजेपी के पास गईं हैं । आपने शुरूआत की कालेजों में जाने की । बाद में मोदी भी जाने लगे । आपने अण्णा आंदेलन के समय युवाओं से नाता तोड़ लिया । संवाद की न सामने आए । ये वही टाइम था जब साठ पैंसठ के मोदी ने बयालीस साल के युवा नेता को ठेलते हुए उनसे रिश्ता जोड़ लिया । और दिल्ली के कालेजों की लड़कियाँ जो आपको देखकर आई लव यू बोला करती थीं वो वेअर आर यू कहकर आप पर खीझ उतारने लगी । आपने कालेजों में जाना बंद कर दिया । इसीलिए कहता हूँ ये आपका टाइम नहीं है । युवाओं पर अरविंद या मोदी का असर है । आपका नहीं है सर ।
तो क्या कहा मैंने । प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनना है । हारने के लिए मीरा कुमार या चिदंबरम को आगे कर दीजिये । मीरा कुमार से भले जीत न मिलेगी मगर हार थोड़ी सम्मानजनक लगेगी । लेकिन दलितों के बीच भी बीजेपी ने पैठ बना लिया है । तो वहाँ भी आसान नहीं है । जबतक मनमोहन सिंह हैं आपकी हार तय है । कोई चमत्कार ही इसे टाल सकती है । आपकी पार्टी भी हारने के लिए तैयार लगती है । कई नेताओं से मिलता हूँ तो वो जल्दी में लगते हैं । दिल्ली छोड़ने की । थक गए हैं राज करते करते बेचारे । हारना चाहते हैं । उनकी देहभाषा बताती है । आपके बेहद ख़राब भाषण की देहभाषा भी वैसी ही है । इसलिए चुनाव में किसी और के नेतृत्व में जाइये । उसे पूरी आज़ादी दीजिये । कम से कम लड़ते हुए नज़र तो आइये । कांग्रेस में मोदी को जो कमज़ोर समझते हैं दरअसल वो चाहते हैं कि आप इसी मुग़ालते में कमज़ोर बने रहे । अब यही आपको प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाकर अपनी कमज़ोरी छिपाना चाहते हैं । अब मैं आपको कांग्रेस की पोलिटिक्स सिखाऊंगा ! बाक़ी तो जो है सो हइये है ।
raveesh ji 1 PROGRAME KARO,,,JUSTICE S.N.DINGRA ji ko lekar on JUDICIAL SYSTEM 16 -12-13 ke prime time main HE SAID VERY WELL ABOUT our WEAK and CORRUPTED JUDICAL SYSTEM.SO PLEASE DO A PROGRAMME with him,ITS HUMBLE REQUESTED TO YOU.
ReplyDelete...thak gaye hain raaj karte karte bechaare... Satya wachan!!!!
ReplyDeleteAb to Aravind Kejriwal ji bhi aa gaye hai. Aur ek baat kal ka prime time aacha tha. aur aapne sahi kaha ek prime time sirf JUSTICE DINGRA JI ke sath karo taki court ke judge jo keval ek room tak simit hai unki mansikta ka pata chale.
ReplyDeletebechara rahul
ReplyDeleteDEAR raveesh bhaji
ReplyDeleteI AM VERY DIE HARD FAAN OF YOU.
APP NE RAHUL GANDHI KO POLITICS KE KUCH GURU MANTRA DIYE ACCHA LAGA.
EK FREE KI SALAH MAAIN APKO DENA CHAHTA HUN.
SH.VINOD DUA KA NAAM SUNA HAI KABHI.
NDTV KE SABSE PURANE AUR STRONG SATAMBH(PILLAR)HUA KARTE THHE.AJ KAL UNKA NAAM BHI NDTV MEEN NAHI LIYA JATA.
APKA BHI WOHI HAAL HONE WALA HAI NDTV MEIN.
APNI NAUKRI BACAHAO BHAIYA,DUSRO KO POLITICS SIKHANE SE PEHLE JO TUMHARE SATH POLITICS HO RAHI HAI USSE SAMJHO.
APKA BURA TIME NDTV MEIN ANNE WALA HAI.
ES HINDUSTANI ANGREJ(PRANAV RAI)SE BACHNA.APKO KABHI BHI BALI KA BAKRA BANA SAKTA HAI.
WITH LOVE
सच कहा, टोह लेने के लिये तो पैदल ही चला जाता है।
ReplyDeleteरविश जी कांग्रेस के उस इंसान को ढूँढो जो राहुल गाँधी के भाषण लिखता है! मुझे दो ही चीजे लगती है पहली यह की उस इंसान की गाँधी परिवार से कोई पुरानी दुश्मनी है और उसने सोच रखा है की अब आगे गाँधी परिवार को राज नहीं करने देगा! दूसरी की उस इंसान को बीजेपी ने फिक्स कर रखा है राहुल गाँधी के ऐसे भाषण लिखने के लिए उसे पैसे दिए जाते है!
ReplyDeleteआप पत्रकार है प्लीज ढूँढिये और अगर मिल जाए तो मुझे जरूर बताइयेगा! क्योंकि CIA में दिए राहुल के भाषण से मेरा सिर आज तक चकराता है! उस भाषण में वह सब कुछ था मधु मक्खी का छत्ता, ग्राम पंचायत, राजनीती बस वह नहीं था जिसके लिए वो कांफ्रेंस था! सुन कर ऐसा लगा जैसे विज्ञान के पेपर में बच्चे ने सामाजिक विज्ञान लिख दिया हो
जैसी कि उम्मीद थी ठीकरा फोड़ने का खेल शुरू होगया है। क्या मालुम दस जनपथ में कोई अखबार जाता है या नहीं या टेलीविज़न है या नहीं? राहुल क्या सिर्फ चापलूसों कि कहीं बातों को जनता कि आवाज मान लेते है ? अभी एक सुर में सारे समझदार लोग ( राजदीप सरदेसाई , चेतन भगत , प्रतिष् नंदी , वेद प्रताप वेदिक , आप स्वयं भी ) जिस पतन कि भविष्यवाणी कर रहे है वह किसी भी नीरो , दिग्विजयसिंह ,को सुनाई - दिखाई नहीं दे रही है। अफ़सोस इस बात का है कि जिस लड़ाई को हम बराबरी की मान कर चल रहे है वह किसी के लिए वाकओवर हो जाए
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ReplyDeleteवक़्त का तो यही तकाजा है की राहुल जी अब भी वही करें जो पिछले 5-10 सालों से कर रहे थे- सैर-सप्पटा, नहीं नहीं गांव वाला नहीं वो तो चुनावी काम-काज में आता है विदेश वाला..स्पेन और लन्दन वाला, क्यूंकि अब इंडिया में जो होना है वो तो होना ही है....काहे ऐसे वक़्त में ओखली में मूँह देना, बुरबक थोड़े ना हैं....वैसे मान ना पड़ेगा राहुल जी देश के एक लौते पार्ट टाइम नेता हैं जो फिर भी फुल टाइम सोशियल मीडीया पे गरियाए जाते हैं....बाकी तो जो है सो हइये है रवीश सर!!!
ReplyDeleteअच्छा ब्लॉग लिखा है सर , पर आप media का योगदान भूल जाते हैं ! आपको नहीं लगता की अन्ना हजारे अब पूर्ण रूप से राजनीति कर रहे हैं ,
ReplyDeletemedia जो कभी सरकार के गुण गाया करता था और जन लोकपाल की खामियां गिनाया करता था ,वो इस cabinet के लोकपाल पे बेहेस ही नहीं करना चाहता ,ऐसा लगता है की सरकार खूब खोके बह रहा है media के एडिटर इन चीफ को.
अन्ना ने राहुल जी को चिट्ठी लिख कर thanks कहा है , राहुल ने भी , ऐसा लगा की मनमोहन अन्ना की नज़रों में कुछ नहीं है , अगर उनको thanks करना ही था तो Dr मनमोहन सिंह का करना चाहिए था , पर media के ठेकेदार इस चीज़ पर चुप है,क्यंकि वो भी राहुल को भिन्डी के पेड़ पर चढ़ाना चाहते हैं !
सच बोलूं तो कभी कभी ऐसा लगता है ,टी टीवी तोड़ दिया जाए , जनता पर क्या बीतती होगी जब media चाटुकारिता करके लोगों के ज़ख़्म पर नमक छिड़कती है !
मेरा मूल्याङ्कन है और इसको बहुत से पत्रकात्रों ने स्वीकार भी है ,की मोदी को media ने जितनी गाली दी हैं आज तक किसी राजनेता को नहीं दी ,media चुप था जब लालू जेल से बहार आ गए और उनको फुल प्रूफ सिक्यूरिटी दे दी गयी , क्यं ?
केजरीवाल ने जो लड़ाई लड़ी है वो हमेशा अधूरी रहेगी क्यंकि सब लोग एक जैसा नहीं सोच सकते ,सब का अपना अपना स्वार्थ है ,मोदी का अपना,अन्ना का अपना ,केजरीवाल का अपना ,जनता का अपना , ये देश स्वार्थ भाव से कभी भी प्रगति नहीं कर सकता ,सबका स्वार्थ एक होना चाहिए ,और वेह स्वार्थ सिर्फ देश होना चाहिये !
आपका हिंदी चैनल NDTV बहुत अच्छा है , दवाब होता है ,कभी बोलोगे नहीं पता है , पर आपकी टीम बहुत अच्छी है !
अगर English ews चैनल्स की बात करूँ तो ,
NDTV को सबसे जादा गालियाँ देते हैं लोग ,क्यं वो आप भी जानते हो , CNN IBN और NDTV भाई भाई बताये जाते हैं,
TIMES NOW एक ऐसा इंग्लिश news चैनल है ,
जिसपर भरोसा किया जा सकता है ,पर वो सबको शक की नीगाहों से देखता है, Arnab गोस्वामी बहुत अच्छा शो करते हैं Newshour.
MSM(Mainstream media) जो कहता है वो अब पब्लिक सही नहीं मानती ,जनता भी अब खबर की जांच करती है , और जो भी चैनल चाटुकारी करता है ,उसको पहचान जाती है !
आपके चैनल की BARKHA जी इतनी फेमस हैं लोगों के बीच की में आपको क्या बताऊँ ,छोडिये आप मेरा कमेंट पब्लिश नहीं कर पायेंगे,खैरआप जानते है सब !
आप अपना स्टैण्डर्ड बनाये रक्खे वरना ,लोगों को बहुत मायूसी होगी !
जय हिन्द !
RAVISH JI, AAP TO NEWS WORLD KE BIG-B BANTE JA RAHE HO. LAGATAR HIT RAVISH TIME. SHAYAD YAHI KARAN HAI KI AAP KI HAR BAT SAHI MANNE KO DIL KARTA HAI. AAP JITNI BATE KAHTE HAI USSE JAYADA AAP FACE EXPRESSION SE BHI JAHIR KAR DETE HAI, YANI KI GAGAR ME SAGAR.
ReplyDeleteडुबा दिया सहजादे ने , फलक से परेरा
ReplyDeleteमा बदौलत , रोकेंगे तहज़ीब का सवेरा
RG seems like the child 'abandoned" now. Dr.MMS like the "old abandoned" now.
Congress is not a fool not to see the writing on wall. Some Seat Warmer will be chosen,till RG shows maturity
OUT OF CONTEXT:
ReplyDeleteयुवाओ ने जो LGBT के लिए ताक़त लगाई है, वो कबीले तारीफ है ! उतनी ही ताक़त किसी और अहम मुद्धे पर तो सायद इस देश का कुछ भला हो जाता ! मुझे पता नही था कि भारत में इतने LGBT लोग है! Until I know, it has become cool to support anything which has a English root, so blindly.
इस बात पर मुझे एक चाइनीस सहकर्मी की बात याद आ गयी ! कल्चर की बात चल रही थी , तब एक इंडियन सहकर्मी ने कहा कि "American culture is so perfect don't you think we must adopt almost all of those"
तब उस चाइनीस लड़की ने जवाब दिया (in context to product)
1. Buy something if and only if you need and don't have one.
2. Buy something if the one you have is no longer in use/useful.
3. In the end she gave an advice, that "you Indians are so obsessed with anything that is foreign without thinking that you have got certain things that are much better than those and please don't tell me to how we should respect others, because we know how to "
रविशजी आपने टविट्रर पर आना बंद कयो कर दिया
ReplyDeleteरविशजी आपने टविट्रर पर आना बंद कयो कर दिया
ReplyDeleteरवीश जी, आपने भी यूँ पत्र लिखना भेजना चालु कर दिया केजरीवाल जी से प्रेरित हो कर? राजनीति में आपकी रूचि एवं विश्वास किस्से छुपा है. आपका अंदाजे बयाँ बेहद अनूठा है. कृपया राहुल जी को राजनीति के एकाधा पाठ पढ़ा आईये..
ReplyDeleteयूँही आप पत्रकारिता को एक नए स्तर पर ले जाते रहिये.. उप्परवाला बरकत दे..
जस्टिस धींगडा को लेकर एक स्पेशल एपिसोड तो बनता है.!! आप से गुजारिश है कि प्राइम टाइम पर क़ानूनी मुद्दों पर जस्टिस धींगडा जी को पैनल में जरुर शामिल करें..
आपका शुभचिंतक..
Jo ho raha hain theek ho raha hain jo hoga wo bhi theek hi hoga main yahi manta hoon baki logo ki marji
ReplyDeleteSachai keh dee aapne ravish ne.. nirvik,,, nirvivad.. aksharsh satya..
ReplyDeleteRavishji voh aapke salah nahi manenge voh PM candidate banke rahenge. Is baar nahin to kabhi nahin.Sonia bhabhi ke pass jyada waqt nahi hai. samay kam hai health bhi acchi nahin hai aur bahu bhi to lani hai. Is baar kuch karke rahenge Rahul baba.Ispar ya uspar......
ReplyDeleteagar fir bhi banana hee hai to public speaking and personality development ki classes le lein..at least speach deni to aani chahiye , kuchh log to sirf bolne ka kha rahe hain hamari politics main ...
ReplyDeletesahi kaha sir apne....agar rahul gandhi aur puri congress party sahi samay par sahi tarike se saari muddon par dhyan deti tab shayad aaj ye haal congress party ki nahi hoti..modi ne congress ki kamjorion ka jam ke faida uthaya hai...aur ye rajneeti me lajmi hai.
ReplyDeletecongress ko apni haar ka jarur sameekcha karni chahiye.tab shayad kuch badal jaye....
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ReplyDeleteसही आकलन रवीश भाई ! पर राहुल 'आम आदमी' की चिठ्ठी पढ़ेंगे क्या ?
ReplyDeleteसही आकलन रवीश भाई ! पर राहुल 'आम आदमी' की चिठ्ठी पढ़ेंगे क्या ?
ReplyDeleteHaar ka jimma phr meera ya chidabram pr kyu
ReplyDeleteRavis ji main to gandhi h inhi par rehne dijiye
Haar ka jimma phr meera ya chidabram pr kyu
ReplyDeleteRavis ji main to gandhi h inhi par rehne dijiye
कांग्रेस को समझना चाहिए कि राहुल से उनकी नैया नही पार लग सकता अब उन्हे प्रियंका से ही उम्मीद करनी चाहिए
ReplyDeleteराहुल की नापसंदगी का मुख्य कारण मीडिया में उनकी छवि चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए युवराज की है। आज का युवा हर एक चीज के लिए संघर्ष करता है नौकरी, जिंदगी सब कुछ के लिए। ऐसे में राहुल को कम से कम अपनी छवि बदलनी होगी फिर अगले चुनाव के लिए तैयारी करनी होगी।
ReplyDeleteराहुल की नापसंदगी का मुख्य कारण मीडिया में उनकी छवि चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए युवराज की है। आज का युवा हर एक चीज के लिए संघर्ष करता है नौकरी, जिंदगी सब कुछ के लिए। ऐसे में राहुल को कम से कम अपनी छवि बदलनी होगी फिर अगले चुनाव के लिए तैयारी करनी होगी।
ReplyDeleteअच्छा तो withdraw करने मैं ही है
ReplyDeleteलेकिन
Ravishji:) ये " अकारण अनुकंपा "के झरने(falls) आप के ह्रदय से क्यूँ उठ रहे है ह्म् ? :)
मेरा मतलब -गीरने दें ! कांग्रेस कोई LKG की तीन पहीया साइकिल है क्या?अगर जीतेंगे तो 100 करोड़ लोगों के नाडी-प्राण-रोजगार-सुरक्षा-सम्मान के जवाबदार वाहक और ध्योतक बनेंगे!!!
यह जवाबदारी जो सही मायने में ढो सके वाही हो ""उम्मीदवार"" ?:) चाहे फिर मोदी हो,मीरा कुमार या केजरीवाल?:) हार/जीत अर्थात जनता की पसंद+मुहर तो बाद मैं लगनी है। है न? :)
***देवयानी वाला PT superb smart n informative रहा
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ReplyDeleteसच में रवीश जी! एक प्रोग्राम तो जस्टिस ढींगरा जी के साथ बनता ही है....
ReplyDeleteसच में रवीश जी! एक प्रोग्राम तो जस्टिस ढींगरा जी के साथ बनता ही है....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया । इस बार तो राहुल को ही खड़े होना चाहिए ताकि उन्हें श्रेय मिले सबसे शर्मनाक हर का ।
ReplyDeleteरवीश जी कई बार लगता है कि राहुल बेमन से राजनीति में है! बिल्कुल थ्री इडीयट वाले फरहान की तरह जो बनना तो फोटोग्राफर चाहता है पर घर वाले उसे इंजीनियर बनाना चाहते है
ReplyDeleteAccha likha hai. Hum logon ki ek samasya hai Prime Time ko lekar nivaran karo. Agar hum Prime Time miss kar dete hai to wo fir NDTV ki website par dall diya jata hai. Par na to telecast ki date likhi hoti hai, na saare Telecast ek saath hote hai. Pata hi nahi chalta naya(asli) ye ya purana(nakli)
ReplyDeleteSir
ReplyDeleteAap aur Rahul ji ko advice!
Itna kimati advice!!
please sir mat dijiye!
Warna pappu paas ho jaayega
ha..h..please
रविश जी आपने सही कहा ... कांग्रेस अब थक गयी है राज करते करते और यह उनके नेताओ से भी झलकता है । राहुल गांधी को अगर लम्बी पारी खेलनी है तो और सम्मान जनक स्थिती मे रहना है तो खुद पीछ्हे हटकर मीरा कुमार को आगे करना चाहिये । क्योकि अभी तक उनकी स्थिती बाकी से अच्छी है और दलित भी प्रभावित होन्गे ।
ReplyDeletewell said. Congress is moving towards defeat.
ReplyDeleteek taraf narenra modi apne ap ko prove karte ja rahe hai to dusri taraf RAHUL G(KRIPYA MUJHE CONGRESSI NA SAMJHE) apne ap ko fail karte ja rahe hai aur bus 1 election me gayab hoke vo janta ki yado ko dhundhla nahi kar sakte.... ye to usi din mitengi jis din vo sabke samne apne apko sabit karenge aur isk liye unhe gayab hone ki bajaye anvarat lage rahna hoga...
ReplyDeleteये अभय कुमार दुबे क्या इसी ग्रह के प्राणी है। इस गधे को पता ही नहीं है इस देश में हो क्या रहा है। ...
ReplyDeleteअंबानी बहुत बड़ी हस्ती है. मीडिया उसकी गुलाम, पुलिस उसकी दरबान, सरकार उसकी फरमाबदार. वह एक नहीं दर्जनों देश खरीद सकता है . लेकिन बदनसीबी से बस एक चीज नहीं खरीद सकता - सोशल मीडिया . टूट पड़िए कि सचाई दफ़न न होने पाए....
ReplyDeleteमुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अखबार हर तरफ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता। अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।" बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।
dalla media
ndtv me journalism ke naam per 2 lakhs rupees thade jaate hai.. agar ndtv ko journalist ki itni hi jaroorta hai to wo seedha jornalism degree holder ka intrest le kar job de na.. 2 lakh ke naam per soshan kiyon karta hai , aur uske baad bhi job ki koi gurantee kiyon nahi deta.. dalal media hai ye.. kiya kisi aam admi ke pass is risk ke naam per aur dalal media ke liye 2 lakhs rupees hai.. yahi karan hai ki aaj yuva cream mba jaise course me jaa rahi hai na ki is dalla media me aarhi hai
ReplyDeleteखुद को देश के लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहने बाले इस महाबेशर्म इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नियम-कायदे उस समय बदल जाते है जब यह खुद गलती करता है. अगर देश का कोई भी मंत्री भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो ये चीख-चीख कर उसके इस्तीफे की मांग करता है लेकिन जब किसी इलेक्ट्रोनिक मीडिया का कोई पत्रकार भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो ना तो वह अपनी न्यूज़ एंकरिंग से इस्तीफा देता है और बड़ी बेशर्मी से खुद न्यूज़ रिपोर्टिंग में दूसरो के लिए नैतिकता की दुहाई देता रहता है. कमाल की बात तो यह है की जब कोई देश का पत्रकार भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो उस न्यूज़ की रिपोर्टिंग भी बहुत कम मीडिया संगठन ही अपनी न्यूज़ में दिखाते है, क्या ये न्यूज़ की पारदर्शिता से अन्याय नहीं? हाल में ही जिंदल कम्पनी से १०० करोड़ की घूसखोरी कांड में दिल्ली पुलिस ने जी मीडिया के मालिक सहित इस संगठन के सम्पादक सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा ३८४, १२०बी, ५११, ४२०, २०१ के तहत कोर्ट में कानूनी कार्रवाई का आग्रह किया है. इतना ही नहीं इन बेशर्म दोषी संपादको ने तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटने के बाद सबूतों को मिटाने का भी भरपूर प्रयास किया है. गौरतलब है की कोर्ट किसी भी मुजरिम को दोष सिद्ध हो जाने तक उसको जीवनयापिका से नहीं रोकता है लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है की जो पैमाना हमारे मुजरिम राजनेताओं पर लागू होता है तो क्या वो पैमाना इन मुजरिम संपादकों पर लागू नहीं होता? क्या मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं है ? क्या किसी मीडिया संगठन के सम्पादक की समाज के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? अगर कोई संपादक खुद शक के दायरे में है तो वो एंकरिंग करके खुले आम नैतिकता की न्यूज़ समाज को कैसे पेश कर सकता है? आज इसी घूसखोरी का परिणाम है कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया का एक-एक संपादक करोड़ो में सैलरी पाता है. आखिर कोई मीडिया संगठन कैसे एक सम्पादक को कैसे करोड़ो में सैलरी दे देता है ? जब कोई मीडिया संगठन किसी एक सम्पादक को करोड़ो की सैलरी देता होगा तो सोचिये वो संगठन अपने पूरे स्टाफ को कितना रुपया बाँटता होगा? इतना पैसा किसी इलेक्ट्रोनिक मीडिया संगठन के पास सिर्फ विज्ञापन की कमाई से तो नहीं आता होगा यह बात तो पक्की है.. तो फिर कहाँ से आता है इतना पैसा इन इलेक्ट्रोनिक मीडिया संगठनो के पास? आज कल एक नई बात और निकल कर सामने आ रही है कि कुछ मीडिया संगठन युवा महिलाओं को नौकरी देने के नाम पर उनका यौन शोषण कर रहे है. अगर इन मीडिया संगठनों की एस.आई.टी. जाँच या सी.बी.आई. जाँच हो जाये तो सुब दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा.. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आज जो गोरखधंधा चल रहा है उसको सामने लाने का मेरा एक छोटा सा प्रयास था. मैं आशा करता हूँ कि मेरे इस लेख को पड़ने के बाद स्वयंसेवी संगठन, एनजीओ और बुद्धिजीवी लोग मेरी बात को आगे बढ़ाएंगे और महाबेशर्म इलेट्रोनिक मीडिया को आहिंसात्मक तरीकों से सुधार कर एक विशुद्ध राष्ट्र बनाने में योगदान देंगे ताकि हमारा इलेक्ट्रोनिक मीडिया विश्व के लिए एक उदहारण बन सके क्यों की अब तक हमारी सरकार इस बेशर्म मीडिया को सुधारने में नाकामयाब रही है. इसके साथ ही देश में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के खिलाफ किसी भी जांच के लिए न्यूज़ ब्राडकास्टिंग संगठन मौजूद है लेकिन आज तक इस संगठन ने ऐसा कोई निर्णय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के खिलाफ नहीं लिया जो देश में न्यूज़ की सुर्खियाँ बनता. इस संगठन की कार्यशैली से तो यही मालूम पड़ता है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तमाम घपलों के बाद भी ये संगठन जानभूझ कर चुप्पी रखना चाहता है.
ReplyDeleteधन्यवाद.
राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता),
एम. ए. जनसंचार
एवम
भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत
रवीश भाई आपके चैनल से जुड़े एक पत्रकार प्रधानमंत्री के मीडीया सलाहकार बन गए मैं समझ रहा हूं आप राहुल गांधी के मीडीया सलाहकार बनना चाहते हैं पर यह आसान नहीं है , आप एक आत्ममुग्ध व्यक्ति हैं रही बात आपके ज्ञान की तो आपकी कथनी और करनी में प्रकाश बर्ष का अंतर है , बाकी आप अपने मिशन में लगे रहिए राहुल नहीं तो दिग्विजय सिंह के सलाहकार जरूर बन जाएंगे
ReplyDeleteरवीश भाई आपके चैनल से जुड़े एक पत्रकार प्रधानमंत्री के मीडीया सलाहकार बन गए मैं समझ रहा हूं आप राहुल गांधी के मीडीया सलाहकार बनना चाहते हैं पर यह आसान नहीं है , आप एक आत्ममुग्ध व्यक्ति हैं रही बात आपके ज्ञान की तो आपकी कथनी और करनी में प्रकाश बर्ष का अंतर है , बाकी आप अपने मिशन में लगे रहिए राहुल नहीं तो दिग्विजय सिंह के सलाहकार जरूर बन जाएंगे
ReplyDeleteराहुल की नापसंदगी का मुख्य कारण मीडिया में उनकी छवि चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए युवराज की है। आज का युवा हर एक चीज के लिए संघर्ष करता है नौकरी, जिंदगी सब कुछ के लिए। ऐसे में राहुल को कम से कम अपनी छवि बदलनी होगी फिर अगले चुनाव के लिए तैयारी करनी होगी।
ReplyDeleteराहुल जी चापलूसो से घिर गये है बेचारे!!
ReplyDeleteबेनीप्रसाद जी दिग्विजय जी आदि
पता नहीं राहुल जी कब तक युवा रहेंगे हम 21 के हो पाए है अब तक और घर वाले कहते है बेटा पढाई पूरी होने वाली है आगे कही नौकरी का जुगाड़ करो कही।
ये अब तक युवा है। हमारे यहाँ तो 43 की उम्र में लोग अंकल हो जाते है और रिटायर होने का इंतजार करने लगते है।