तेज़ तो आइडिया वाले निकले । दिल्ली में सरकार बनानी है और पार्टी जनता से पूछ रही है । व्हाअट अन आइडिया सर जी । सलमान की फ़िल्म जय हो का संवाद है आम आदमी वो सोता हुआ शक है टाइप । तो बात गले से उतरी या सर के ऊपर से निकल गई । मीमांसा करते रहिए । जिस पार्टी का उदय ही अंत की भविष्यवाणियों से हुआ है उसे अपनी शुरूआत करने का मौक़ा मिल गया । नीली कार में जाते हुए अरविंद की तस्वीर शिव के गले की तरह लग रही थी । सब अरविंद को अपने हिसाब से देखना चाहते हैं । अंत होते हुए भी और सफल होते हुए भी । अरविंद ने क्या चुना है ज़रा ठहर कर देखते हैं । ओ डार्लिंग तू धुआँधार है दिल मेरा दिल्ली तू सरकार है । ये गाना भी अभी अभी दिखा उसी टीवी पर ।
दिल्ली में राजनीतिक परिवर्तन तो नहीं हुआ क्योंकि आप के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है मगर आप के प्रभाव से राजनीतिक परिवर्तन ज़रूर हुआ । चंदों की पारदर्शिता की बात हुई । बीजेपी को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा और तोड़ फोड़ से तौबा करना पड़ा । अब बीजेपी नैतिक होने का दावा कर रही है । भूल गई कि तीस प्रतिशत बिजली बिल कम करने का दावा उसने भी किया था । अगर अरविंद पचास की जगह तीस कर दें तो । अगर पचास प्रतिशत कम करने का दावा ग़लत था तो तीस प्रतिशत वाला क्या था । जिस तरह से कांग्रेस और बीजेपी आम आदमी पार्टी के घोषणापत्र की पढ़ाई कर रही हैं वो एक शुभ संकेत हैं । अरविंद को भी कांग्रेस बीजेपी को सही साबित होने से रोकना पड़ेगा । अगर इसी दबाव में सरकार कुछ कर पाती है तो चीज़ें बदलेंगी । अरविंद के फ़ेल होने का ख़्वाब कांग्रेस बीजेपी के लिए सुनहरा है । बस साकार होने की देर है । और अगर अरविंद ने ग़लत साबित कर दिया तो ? इस संभावना पर कोई नहीं बोल रहा है । ज़्यादातर आश्वस्त हैं कि अरविंद फ़ेल होने जा रहे हैं । नौकरशाही जो कांग्रेस बीजेपी की संस्कृति की अभ्यस्त है वो पानी पिला देगी । आप को अब लड़ाई वहाँ लड़नी होगी । फ़ाइलों की कलाबाज़ी पर कांग्रेस बीजेपी को यूँ ही इतना भरोसा नहीं है । सब चाहते हैं कि अरविंद पहली गेंद में ही सौ बना दें । कांग्रेस बीजेपी की नाकामियों पर इन्हें इतना भरोसा है कि वे अदल बदल कर दोनों को आज़माने में कोई गुरेज़ नहीं महसूस करते । आलोचक अरविंद को दूसरा मौक़ा नहीं देना चाहते । चाहते हैं कि पहले दिन ही सारे वादे लागू कर दें । सरकार पाँच साल की होती है । मूल्याँकन पाँच साल में होगा कि छह महीने में । क्या छह महीने का पैमाना सभी सरकारों के लिए लागू होने जा रहा है । आलोचक कांग्रेस बीजेपी को पच्चीस मौक़े देना चाहते हैं । अरविंद की ओबिच़्ुअरी तैयार है बस उनके ही दस्तखत का इंतज़ार है ।
कांग्रेस से साथ लेना हर क़दम पर अरविंद को तकलीफ़ देगा । पहले से गरिया कर हमले कर समर्थन लेने की रणनीति पहले कभी नहीं देखी गई थी । यूपीए के मामले में सपा और बसपा का ऐसा उदाहरण दिखता है । दोनों मनमोहन सिंह को गरियाते हैं और मनमोहन उनका साथ लिये रहते हैं । अरविंद समर्थन नहीं ले रहे थे तो कांग्रेस बीजेपी ने भगोड़ा कहना शुरू कर दिया । जब ले लिया तो मौक़ा परस्त । चुनाव होता तब भी सब भगोड़ा कहने वाले थे । अरविंद पर ज़िम्मेदारी से भागने के लतीफ़े किसने फैलाये सब जानते हैं । जैसे विपक्ष में बैठने और सरकार बनाने के फ़ैसले में अरविंद को ही फंसना था । जैसे राजनीति में कांग्रेस बीजेपी की दलील ही अंतिम होती है । अरविंद ने हर समय चुनौती स्वीकार की है । ये चुनौती नहीं है । ज़हर का प्याला है । आलोचनायें तो हज़ार होती हैं । आपको अपनी बुनियाद पर टिके रहते हुए फ़ैसला लेना पड़ता है । कांग्रेस के सहारे सरकार बनाने का फ़ैसला बीजेपी के लिए मिसाइल है और कांग्रेस के लिए मौक़ा । अरविंद के लिए क्या है ? अगर आप ने कर के दिखा दिया तो ? राजनीति हाँ या ना में नहीं होती । कई सवालों जवाबों की परतों पर होती है । पहला दिन है इसलिए शुभकामनायें ।
Sahi kaha sir aapne. Lakin kuch dino tak bjp wale app ko congress ki B teem kahenge. Kuch bhi ho sir Bjp wale naitikta dikhane me 5 sal aur Delhi ki satta se dur ho gaye. Ab to bjp walo ki halat kato to khun nahi wali ho gayi hai....
ReplyDeletedhurandhar rajnitigyon ki bisaat per naye khiladi bhaari par gaye. future mein ye prasn uthane waala hai congress ke andar ki 'samarthan dene ka idea kiska tha' ......
ReplyDeleteArvind ko ek moka to banta hai boss. ..nicely written -Parimal Dhawalekar ; Pune .
ReplyDeleteRavish ji Iqbal sahab ka wo line yaad aaati hai...
ReplyDeleteKuchh Baat Hai Ke Hasti Mit’ti Nahin Hamari
Sadiyon Raha Hai Dushman Daur-e-Zaman Hamara.
Kuch baat toh humare desh main ki jab hum khatm hone lagte hai toh usi waqt koi aata hai, baar-baar humein jagane ke liye. Jab rajniti sabse bure daur main thi us samay arvind ka uday humein Bharat par garv karne ka awsar deta hai. AAPNE likha tha ki Arvind ye shabashi abhi tak prayason ke liye hai, lekin mere hisab se Arvind ne Rajniti ki Disha to badal hi di Hai. Wo bhi bina revervation aur samprdaybad ke. Aapko bhi mubarkabad es naye suraj ke aagman par.
आने वाले ६ माह घटनाओं से भरपूर होंगे, नयी तरह की राजनीति उभारने के लिये।
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ReplyDeletekash yahi sawal bjp ko MP Rajasthan Aur Chatishgarh Aur Cong ko mizoram main pucha jata ki apne ghosnapatra ko jaldi se jaldi lau karo
ReplyDeleteasli maja to ab aayega en conngbjp ko, ye pati patni bhool gye hai itni zaldi ki enhone jis jis baat ke liye ak ko challenge kiya wo har baat pe unko harata hua aa raha hai esi track record ke aadhar pe aage bhi umeed hia ki ak enko sabak jarur sikhayenge.....!!!aamin
ReplyDeleteमें इंतज़ार कर रहा था और आश्वस्त भी था कि आप 'आप ' की पहल के मौके पर ही नया ब्लॉग लिखेंगे। नौकरशाही को लेकर आपकी चेतावनी सटीक है। अच्छे पत्रकार का यही गुण है कि वह चेतावनी के साथ मार्गदर्शन भी करता चले।
ReplyDeleteआज मैं राजनीति का शाब्दिक अर्थ समझने कि कोशिश कर रहा था। बहुत अच्छा हुआ, ना समझ सका। बेहतर हो हम सभी दूसरे के लिए ही जियें, हम सभी. सारी मुश्किलें खुद ही समाप्त ना हो जाएंगी?
ReplyDeletebut I am (who was so happy to see APP winning)feeling cheated now :(
ReplyDeleteonce I met to a person from Delhi n asked about AAP that r they really going to do something new? tht man replied they r nobody new but part of congress...tht time was hard to belive but now looking so true..:(...m so sad :(
ReplyDeleteअब एक बात तो पक्की है कि आप के कांग्रेस की काली कोठरी में मुह काला करने के बाद मोदी को किसी के दादाजी भी नहीं रोक पाएंगे..दुःख इस बात का है कि ये जनरेशन भी भारत का भला नही कर पायी..
ReplyDeletei am a professor of maths in a college but still i am huge fan & follower of your philosophical blog.please write a bit a bit more on your blog sir....i really find it enjoying
ReplyDeletesahi hai sir, shubhkaamnayen badi ummeed aur duaon ke sath
ReplyDeletei am huge fan & follower...please write a bit more articles in your blog...i enjoy your language & analyitical skiils really...even though m a maths professor
ReplyDeleteसारी अग्नि परीक्षाएं ईमानदार के लिए ही है.. और बेईमानो द्वारा ही ली जायेंगी.. उनके परीक्षक भी बेईमान भी है और अपना परिणाम भी तैयार किये बैठे है.. धन्य है भारत की जनता जो ईमानदार पर जितना शक कराती है, उतना सवाल बेईमानो से पूछती तो, वो भी बेईमानी करते डरते..
ReplyDeleteAAP ki tarah aap bhi imandar aur garibo ka bhala karne wale dikhte hoo nice fr country..Bhai aaiane ke samne khde hoker poochna AAP sachmuch aise ho jaisa show karte ho...Ans mil jayega dost
Delete"भूल गई कि तीस प्रतिशत बिजली बिल कम करने का दावा उसने भी किया था । अगर अरविंद पचास की जगह तीस कर दें तो " --- अगर 30% कम करानी होती तो हम BJP को ही वोट देते , हम तो 50% से कम मे मानने वाले नही !
ReplyDelete"अगर पचास प्रतिशत कम करने का दावा ग़लत था तो तीस प्रतिशत वाला क्या था।" --- अगर में पार्टी बनाऊ, और कहु कि में ८० % कम कर दूँगा, तो आप मुझसे कोई सवाल मत करियो बस झट से अपना वोट दे दीजिएगा ! Your logic on this is very wrong, it must be the otherway around. WHY ?
1. If 50% is possible, then 30% is always possible.
2.If 30% is impossible, then 50% is also impossible.
3. If 50 is impossible, then 30% is may or may not be possible.
अगर BJP दोहरा मापदंड दिखा रही है तो AAP क्या कर रही ? चुनाव से पहले NO TO कॉंग्रेस देन YES TO कॉंग्रेस !अब संजोता कर लिया है, तो लोग तो कहेंगे ही! उपर से अपने बच्चो की भी कसम खाई है ! well if no one wants to talk about it, then fine. By the way every thing is fair in politics.
Don't know why media people play with wrong statistics.,ये आपकी लोगो की मजबूरी है या कुछ और मैं नही जानता ! But I have seen a lot of time playing with statistics report showing relative percentages as absolute percentages and vice-versa and many other....
A valuable mathematical quote :
Any technology that surpasses 50% penetration will never double again -- Norvig Law
आख़िरकार राजनीति के विद्य़ालय मे अरविन्द का प्रवेष प्रतीक्षा सूची में नाम आने पे हुआ। अब सीनियर्स इस इंतज़ार में की फ़्रेशेर कोई गलती करे और वो उसको चहेटे। शायद इस बार का जूनियर ३ इडियट का आमिर खान निकले। अगर ऐसा हुआ तो सिनेमा सफल, नहीं तो सिनेमाघरों में फिल्मे बदलती रहती ही है। आज नहीं तो कल राजनीति के सिनेमाघर में सफ़ल फिल्म लगेगी ही।
ReplyDeleteआज ये बहस मत कीजियेगा कि ndtv के प्रधानमत्री पद के उम्मीदवार ने सही किया या गलत। . कांग्रेस और केजरीवाल के समलैंगिकता का बेहतरीन नमूना देखने को मिला क्योंकि दोनों धारा 370 पर भी दोनों एक ही राय रखते हैं
ReplyDeleteआज ये बहस मत कीजियेगा कि ndtv के प्रधानमत्री पद के उम्मीदवार ने सही किया या गलत। . कांग्रेस और केजरीवाल के समलैंगिकता का बेहतरीन नमूना देखने को मिला क्योंकि दोनों धारा 370 पर भी दोनों एक ही राय रखते हैं
ReplyDelete6 month to bahoot hote hai kuch karne ke liye. AAP ko kewal apna direction in 6 months me tay karna hai LS election tak, uske baad to jo hona hai voh hoga.oose to koi nahi janta. AAP ko LS election me bhi apni acchi presence dikhani hogee.Yeh uske future ke liye nihayat jarooree hai. AAP ko hamesha AAM AADMI jaisa hee vyavhaar karna padega. Uske sir par bahoot badee jimmedaree hai varna BBBA Bharti aur Daku khadag singh vala haal hoga....Naumiddi kee koi vajah nahi hai.
ReplyDeleteImandar arvind&company ko congrats.Badhayii ho ki koi safal to hua imandar banke...Dekhte hain kitne safal hote hain sir jee dusro ko choor kah ker wahan gayee hai waqt tai karega ki sachhai kyaa hai ya fir hamam ki duniya me sab nange hai...ek matra AAP imandar baki sab beimann...aap ko to yahi lagta hai.mujhe kabir ka doha yaad aa raha Bura jo dekhan mai chala bura naaa milya koi jo dil doondha aapna mujhse bura naa koi...Samay bada balwan hota hai Ravish babu sab pata chal jaayega waade irade...Hum imandar baki sab beiman.....Ravish jii jayada khus hone ki aapko jaroorat nahii haiii
ReplyDeleteसच नें, आज सुबह से यही सोच रहा था कि बाकी पार्टियों ने भी तो वादे किये हैं, क्या इतनी उम्मीद उनसे भी की जाती ? इन घिसे हुए कथित राजनीतिज्ञों से लड़ना अरविन्द के बूते की बात नहीं... अगर लड़ गए, जीत गए, तो सच में टीवी की खिडकियों में कांग्रेस और बीजेपी के प्रवक्ताओ का स्याह चेहरा देखते ही बनेगा..वैसे ये बड़े ढीठ हैं, कोई नया कुतर्क रच ही लेंगे..शुभकामना अरविन्द..बधाई रवीश जी.बहुत सामयिक लेख..हमेशा की तरह..
ReplyDeletemanoj bajpai की फिल्म (शायद '26' नाम था) में वह एक CBI officer हो कर भी किस तरह से बेवकूफ बांटें है वह दिखाया है--
ReplyDeleteहमारी intelligence agencies का इस तरह का हाल है....
जस्टिस गांगुली etc जैसा हमारी न्याय पालिका का हाल है....
तेजपाल,2G,paid media etc जैसा हमारी मीडिया का हाल है....
संसद से ले कर तालुका पंचायत तक कौन काम कर रहा है?
विद्या,education के नाम पर व्योपार है और banks के नाम पर भ्रष्टाचार और खाइकि....
पुलिस,वकील,शिक्षक,प्रोफेसर्स,जज,नेता,peon,बाबू....सब मेहनत कम पगार ज्यादा
सरहदों पर दुश्मनों की कमी नहीं है...और घर मैं गद्दारों की...
कुदरत को मुसीबतें ही भेजनी है और इंसानों को बेवकूफी....
ये तो ARVIND KEJRIWAL के लिए home work है :-)
अब आएगा class work
वो तो दो ही तास है ....
1) cong
2) bjp
simple :)
Anyways....एक All the best तो बनता है ravishji:)
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ReplyDeleteअभिमन्यु दो चार व्यूह तो भेद ही डालेगा...उतना भी काफी होगा ।
ReplyDeleteकुछ अन्य जरूरी प्रश्न हैं जिनका जवाब ‘आप’ को देना चाहिए। मसलन, क्या वह निजी मुनाफे के लिए चल रही फैक्टरियों, दुकानों में भी लाखों मजदूरों की मेहनत की लूट को भ्रष्टाचार के दायरे में लाएगी? क्या ‘आप’ निजी मुनाफे के लिए चल रहे स्कूलों और अस्पतालों पर पाबंदी लगा कर सरकारी स्कूलों, जैसे केंद्रीय विद्यालय, नवोदय, प्रतिभा, सर्वोदय से लेकर निगम स्कूलों को एक समान करेगी? क्या वह दिल्ली में तमाम बाबाओं-मठों के जमीन पर अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाएगी। जब ‘आप’ व्यवस्था परिवर्तन की बात करती है तो उसमें मूलत: संपत्ति संबंधों के परिवर्तन के बारे में उसकी क्या राय है, यह स्पष्ट नहीं है। आज हम सब जानते हैं कि देश के पचासी फीसद संसाधनों पर पंद्रह फीसद पूंजीपतियों का कब्जा है जो स्वयं एक भ्रष्टाचार है।
ReplyDeleteaaj to bjp itna moral highground le rahe hai ki hume mandate nahi mila iss liye hum sarkar nahi banayenge or AAP congress ki b team hai to bjp ye manti hai ki congress haar kar bhi jeet gayi hai or congress ki planing ke samne modi bhi kuch nahi kar paye or kahi 2014 mein bhi kuch aisa hi ho gaya ki AAP ko 40-50 seats mil gayi or bjp ko mandate to kya tab bhi ye log itna hi moral high ground lenge or agar liya to congress phir se AAP ke samarthan ke sath satta mein wapis aa sakti hai.......
ReplyDeleteआज प्राइम टाइम था या रंडी नाच.. मोदी को रोकने के लिए तुम लोग कुछ भी कर सकते हो
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन बदसूरत बच्चा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteAgle six month delhi ki raajneti ke kafi interesting hone wale h congress AAP ko badnaam krne ki puri koshish kregi bas uski yhi mansa h aur AAP ko b apne wade pure krne chahiye
ReplyDeleteकेजरीवाल गलती से उप राज्यपाल कि जगह राष्ट्रपति से मिलने कि बात कह गए तो भांड मीडिया ने 1 घंटे का प्रोग्राम कर दिया कि क्या केजरीवाल मोदी के लिए खतरा हैं। . ट्विटर पर कांग्रेस और केजरीवाल को बच्चा भी हो गया है नाम है #aapcon
ReplyDeletekejriwal looses his political virginity..!!!
ReplyDeleteAwesome take ! We need people like you who are more impartial and positive than those so called political pundits who try to scrutinize every move of AAP . Did they ever ask such quetion to cong/bjp
ReplyDeleteअंबानी बहुत बड़ी हस्ती है. मीडिया उसकी गुलाम, पुलिस उसकी दरबान, सरकार उसकी फरमाबदार. वह एक नहीं दर्जनों देश खरीद सकता है . लेकिन बदनसीबी से बस एक चीज नहीं खरीद सकता - सोशल मीडिया . टूट पड़िए कि सचाई दफ़न न होने पाए....
ReplyDeleteमुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अखबार हर तरफ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता। अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।" बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।
dalal media
अंबानी बहुत बड़ी हस्ती है. मीडिया उसकी गुलाम, पुलिस उसकी दरबान, सरकार उसकी फरमाबदार. वह एक नहीं दर्जनों देश खरीद सकता है . लेकिन बदनसीबी से बस एक चीज नहीं खरीद सकता - सोशल मीडिया . टूट पड़िए कि सचाई दफ़न न होने पाए....
ReplyDeleteमुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अखबार हर तरफ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता। अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।" बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।
dalal media
Very sorry for posting this irrelevant comment on this post of yours Sir, but to reach and voice our concern to some influential member is daunting task so I hope you will forgive my digression and would give a careful reading to what I Intend to say.
ReplyDeleteSir of late the sudden and drastic changes brought by UPSC has left million of students hailing from vernacular,rural and humanities background in lurch. The introduction of CSAT has literally eliminated regional medium students. In 2010 more than 5000 out of total 12000 candidates wrote civil services mains exam in hindi. This figure has come down to around 1500. I dont know how UPSC is labelled fair,impartial body when nothing is transparent about it. How papers are evaluated,how they are scaled. Every other institute in India is accoutable to some one. Election Commission is also autonomous like UPSC, but representative of each party is allowed to monitor election and its counting and recounting is ordered if victory margin is thin. Parliament is subjected to constitutional scrutiny by Judiciary and morally scrutinised by media. But there is no iota of accountability at all as far as UPSC is concerned. Its really very unfortunate that Institution which is entrused with selecting backbone of governance works in such opaque and furtive manners. There is strong student movement going on in Delhi where students are demanding fresh attempts and age relaxation as was granted by UPSC in 1979,1990 and 1992 when they have changed syllabus,but this time there are not willing to grant this relaxation despite practically restructuring the whole exam. Since you belong to rural Bihar I hope that you will take up this issue with sense of urgency and morever I do believe that every Indian must work tirelessly to make important Institutions like UPSC trasparent and accountable. Thanx
Agar kisi aur neta ne apne bachche ki kasam kha kar 10 din baad palti khayi hoti, agar kisi neta ne poora election dushman ko gariyane ke baad usse hath mila liya hota to shayad is blog ke bol kuch aur hote. Jaise ek neta vishes ko itihas sikhaya jaata hai, in mahoday ko rajnaitik shuchita aur ideology pe tikne ka gyaan kaun karayega?
ReplyDeleteWaqt waqt ki baat hai
Blog par padhe hue comments dekh ke lagta hai jaise Congress BJP se aaj tak kabhi kisi se koi sawal hi nahi kiye! Pahli baar ho rsaha hai ki AAP se sawal kiye ja rahe hain.
ReplyDeleteBadhugano ko yaad rakhna chahiye ki jab Arvind bhi andolan kar rahe the to unki apeksha thi ki parivartan ek din mein twarit ho, to aise mein unke khud ke saata mein aane ke baad ye ummeed rakhna ki swatahfoort aur twarit parivartan aayega kaha tak anuchit hai?
Kuchh bhi ho ab maza aane wala h.
ReplyDeleteKejriwal Ji bahut ummide hai. Aur hum sab yehi maante hai ki wo aur unki team inn ummido par jaroor khara utrengi
ReplyDeleteरविश जी, नौजवानों(मर्द)में मोदी या उनकी राजनीति का क्रेज क्यूँ है.वही क्रेज क्या लड़किओं में है.अरविन्द और उनकी राजनीति को लड़कों से ज्यादा लडकियां पसंद करती हैं? हो सकता है वो लड़कों की तरह मुखर न हो.यह सवाल मेरे सामने है और मैं इसको यहीं छोड़ता हूँ?
ReplyDeleteकल रात प्राइम टाइम में दोनों बड़ी पार्टियो की बोखलाहट देख कर मज़ा आ गया वरना क्या इन दोनों पार्टियो की कोई ज़िम्मेवारी नहीं थी दिल्ली को सरकार देने की आप ने बना ली तो इनको अपना अपना राएता फैलता नज़र आ रहा है
ReplyDeleteRavish bhai,
ReplyDeleteSunder post. Budhiman or Josh me rahne wale doston ne ache comments diye hain. Kuch dost is tarah ki bhasa ka prayog karte hain, jase we kisi adult film ki script likh rahe hon. Yeh unki swasth mansikta ka praman hai.
Arvind ne bache ki kasam khayi ki pitaji ki, is bat ko lekar kuch dost khub uchal kud macha rahe hain. Lekin abhi tak desh ki bari partiyon ke vidhayak, sansad, santri or mantri Jo desh ki ya desh ke sanvidhan ki shapath kha kar desh ko dimk ki tarah kha rahe hain, is par sawal kyo nahi pucha jata.yeh important hai. Ek bar desh k nrtaon se yeh bhi to puch kar dekho.
Abhi aap party ka janm hua hai, jara viksit to hone do. Kya ghar me janme kisi navjat shishu ka gala sirf isliye daba doge ki wah bara hoker criminal hi banega. Jivan me sakaratmak such rakhni chahiye. Jo nakaratmak soch rakhta hai, uski jindgi bhi nark ban jati hai. Bharat ka it Itihas Iska gavah hai.
Kal Jo bhi hoga wah acha hi hoga isi soch me sath ravish bhai ko bahut bahut dhanywad.
Dear Ravish ji..I am posting something ot of context but serious issue.Sir of late the sudden and drastic changes brought by UPSC has left million of students hailing from vernacular,rural and humanities background in lurch. The introduction of CSAT has literally eliminated regional medium students. In 2010 more than 5000 out of total 12000 candidates wrote civil services mains exam in hindi. This figure has come down to around 1500. I dont know how UPSC is labelled fair,impartial body when nothing is transparent about it. How papers are evaluated,how they are scaled. Every other institute in India is accoutable to some one. Election Commission is also autonomous like UPSC, but representative of each party is allowed to monitor election and its counting and recounting is ordered if victory margin is thin. Parliament is subjected to constitutional scrutiny by Judiciary and morally scrutinised by media. But there is no iota of accountability at all as far as UPSC is concerned. Its really very unfortunate that Institution which is entrused with selecting backbone of governance works in such opaque and furtive manners. There is strong student movement going on in Delhi where students are demanding fresh attempts and age relaxation as was granted by UPSC in 1979,1990 and 1992 when they have changed syllabus,but this time there are not willing to grant this relaxation despite practically restructuring the whole exam. Since you belong to rural Bihar I hope that you will take up this issue with sense of urgency and morever I do believe that every Indian must work tirelessly to make important Institutions like UPSC trasparent and accountable.
ReplyDeleteRobert Fulton invented the steamboat. On the banks of the Hudson River he was
ReplyDeletedisplaying his new invention. The pessimists and the skeptics were gathered around to
observe. They commented that it would never start. Lo and behold, it did. As it made its
way down the river, the pessimists who said it would never go, started shouting that it
would never stop. What an attitude!
sahi kaha sir apne.aur kuch rajnitigya to aise kejriwal ko gariya rahen hain jaise we khud bolte hi saare waade poore kar diya karte the.
ReplyDeletewaade krna rajnitigya ka pesha ho sakta hai par kejriwal ne waade nahi jaruraton ke baare me kaha
Is baat me koi shak nahi ki arvind kam se kam congress/bjp se acha hi vikas karenge
ndtv me journalism ke naam per 2 lakhs rupees thade jaate hai.. agar ndtv ko journalist ki itni hi jaroorta hai to wo seedha jornalism degree holder ka intrest le kar job de na.. 2 lakh ke naam per soshan kiyon karta hai , aur uske baad bhi job ki koi gurantee kiyon nahi deta.. dalal media hai ye.. kiya kisi aam admi ke pass is risk ke naam per aur dalal media ke liye 2 lakhs rupees hai.. yahi karan hai ki aaj yuva cream mba jaise course me jaa rahi hai na ki is dalla media me aarhi hai
ReplyDeleteखुद को देश के लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहने बाले इस महाबेशर्म इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नियम-कायदे उस समय बदल जाते है जब यह खुद गलती करता है. अगर देश का कोई भी मंत्री भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो ये चीख-चीख कर उसके इस्तीफे की मांग करता है लेकिन जब किसी इलेक्ट्रोनिक मीडिया का कोई पत्रकार भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो ना तो वह अपनी न्यूज़ एंकरिंग से इस्तीफा देता है और बड़ी बेशर्मी से खुद न्यूज़ रिपोर्टिंग में दूसरो के लिए नैतिकता की दुहाई देता रहता है. कमाल की बात तो यह है की जब कोई देश का पत्रकार भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाया जाता है तो उस न्यूज़ की रिपोर्टिंग भी बहुत कम मीडिया संगठन ही अपनी न्यूज़ में दिखाते है, क्या ये न्यूज़ की पारदर्शिता से अन्याय नहीं? हाल में ही जिंदल कम्पनी से १०० करोड़ की घूसखोरी कांड में दिल्ली पुलिस ने जी मीडिया के मालिक सहित इस संगठन के सम्पादक सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा ३८४, १२०बी, ५११, ४२०, २०१ के तहत कोर्ट में कानूनी कार्रवाई का आग्रह किया है. इतना ही नहीं इन बेशर्म दोषी संपादको ने तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटने के बाद सबूतों को मिटाने का भी भरपूर प्रयास किया है. गौरतलब है की कोर्ट किसी भी मुजरिम को दोष सिद्ध हो जाने तक उसको जीवनयापिका से नहीं रोकता है लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है की जो पैमाना हमारे मुजरिम राजनेताओं पर लागू होता है तो क्या वो पैमाना इन मुजरिम संपादकों पर लागू नहीं होता? क्या मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं है ? क्या किसी मीडिया संगठन के सम्पादक की समाज के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? अगर कोई संपादक खुद शक के दायरे में है तो वो एंकरिंग करके खुले आम नैतिकता की न्यूज़ समाज को कैसे पेश कर सकता है? आज इसी घूसखोरी का परिणाम है कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया का एक-एक संपादक करोड़ो में सैलरी पाता है. आखिर कोई मीडिया संगठन कैसे एक सम्पादक को कैसे करोड़ो में सैलरी दे देता है ? जब कोई मीडिया संगठन किसी एक सम्पादक को करोड़ो की सैलरी देता होगा तो सोचिये वो संगठन अपने पूरे स्टाफ को कितना रुपया बाँटता होगा? इतना पैसा किसी इलेक्ट्रोनिक मीडिया संगठन के पास सिर्फ विज्ञापन की कमाई से तो नहीं आता होगा यह बात तो पक्की है.. तो फिर कहाँ से आता है इतना पैसा इन इलेक्ट्रोनिक मीडिया संगठनो के पास? आज कल एक नई बात और निकल कर सामने आ रही है कि कुछ मीडिया संगठन युवा महिलाओं को नौकरी देने के नाम पर उनका यौन शोषण कर रहे है. अगर इन मीडिया संगठनों की एस.आई.टी. जाँच या सी.बी.आई. जाँच हो जाये तो सुब दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा.. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आज जो गोरखधंधा चल रहा है उसको सामने लाने का मेरा एक छोटा सा प्रयास था. मैं आशा करता हूँ कि मेरे इस लेख को पड़ने के बाद स्वयंसेवी संगठन, एनजीओ और बुद्धिजीवी लोग मेरी बात को आगे बढ़ाएंगे और महाबेशर्म इलेट्रोनिक मीडिया को आहिंसात्मक तरीकों से सुधार कर एक विशुद्ध राष्ट्र बनाने में योगदान देंगे ताकि हमारा इलेक्ट्रोनिक मीडिया विश्व के लिए एक उदहारण बन सके क्यों की अब तक हमारी सरकार इस बेशर्म मीडिया को सुधारने में नाकामयाब रही है. इसके साथ ही देश में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के खिलाफ किसी भी जांच के लिए न्यूज़ ब्राडकास्टिंग संगठन मौजूद है लेकिन आज तक इस संगठन ने ऐसा कोई निर्णय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के खिलाफ नहीं लिया जो देश में न्यूज़ की सुर्खियाँ बनता. इस संगठन की कार्यशैली से तो यही मालूम पड़ता है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तमाम घपलों के बाद भी ये संगठन जानभूझ कर चुप्पी रखना चाहता है.
ReplyDeleteधन्यवाद.
राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता),
एम. ए. जनसंचार
एवम
भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत
Dear Ravish ji...
ReplyDeleteI don't miss my prime time in NDTV; today i got an opportunity to read your blog too. I read thoroughly your blog as well as the comments too. Your article is judiciously craved, and formulated with facts. I definitely justify what AAP has did. I was just going through the comments some people are mourning as if AK has done a blunder by accepting the opinion of people to make the govt. We common-man have the big problem, still we want to live in the iron-age... A man leaving a bright career striving for a constructive change we need to grow with time. Same way if AK has denied to accept the alliance he might have been portrayed as 'Egoistic', 'Selfish' don't bother for a galloping re-election. AK has taken the stand against all odds. Don't we think he is biting the bullet now... BEST WISHES TO AK JI.
with no substantial intimation UPSC is changing the pattern every year from 2011 which will strike away the previous exam experience of Civil service aspirants.we are requesting, urging,protesting but no one is hearing.we want justice.
ReplyDeleteas sufferers of the changes in UPSC we want 3year age and 3 additional attempts
ReplyDeleteभाजपा और कांग्रेस ये मानने के लिए तैयार नहीं है की आम आदमी पार्टी हमलोगों से अलग तरह की पार्टी है। … शायद जल्दी ही समझ जायेंगे !!
ReplyDelete…पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ रहा हूँ.… अच्चा लगा !!
AAP seems to be learning the tricks fast. In rustic dark waters , people will tell that Indian system runs of THEL(put the ball in other’s court),TEL(sycophancy), KHEL(melodrama),MEL or BEMEL( unwillingful or forced alliance).
ReplyDeleteLet us realize that we have placed many hopes in a single basket. Cynicism led by both Congress and BJP has started. The old guard is sharpening their knives. Traps are being set. “Inability to Fulfill Manifesto, going back from pre poll stand of nothing given, nothing taken” are reasons being cited for shrieking responsibility.
Arvind , Yogendra Yadav and party have been smart. AAP has pre empted many moves and stifled many others.
However the problem lies within, of the inner demons. Consider the new found intoxicant’s effect on the cadres. “Power certainly degrades thinking, vision.”People like Biwa’s, Ilmi, and Kolli have reestablished the fact.
People are wise enough to realize that AAP cannot reduce electric bills, bring Lokpal at hat drop. They have taken much worse acts on Manifestos. Judgments from” Batakhs” will be based only on the manner of accessibility, transparency and ability to carry us along after EUPHORIA
बयाँ क्या करुँ अपनी नज़्म का , दुआ, न लगे नासूर ज़ख्म सा।
Sirji, Font bohot chhotta ho gaya is baar. Font on previous blogs was readable.
ReplyDeleteThank you
Your avid reader
Avi Singhal
aap bevak hai mai is samay apko mr. sahgal se bat karte dekh rahi hoon
ReplyDeleteWhy Can't UPSC make sectional cutoff in each paper GS and CSAT in Preliminary So,it can be justice with non-English back ground aspirant.
ReplyDeleteNeither the knowledge nor aptitude matters in current pattern of pre. Here all matters is high reading and comprehension capability in English.
It would be great if you raise your voice in support of this.
Lgta 28th December ka din atihasik hone wala. Har bhartiy aam-aadmi ke man me ek tees si hai ki kuchh bdlav hona chaahiye.
ReplyDeleteऐसा है रवीश जी...हमारे देश का दस्तूर है...कोई अच्छा काम करे तो कोई मदद तो नहीं करता...टांग अडाने सब चले आते हैं...खैर..ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना...सौ बात की एक बात ये है की राजनीति में बदलाव हुआ है..और दोनों प्रमुख पार्टियां ये परिवर्तन देख कर परेशान हो गयी हैं...अगर आप का एक्सपेरिमेंट सफल हो जाता है तो इन दो पार्टियों को भी वही स्तर मेन्टेन करना पड़ेगा..
ReplyDeletesir ji, aaj ka PRIME TIME bhahut mjedar raha. jab adhikari bhag rahe hai to AAP ke asar ka anuman lagaya ja sakata hai . birodhi kewal "thetharlogy" kar rahe hai , aam janata unaki logic samajh nahi pa rahi hai..
ReplyDeleteअंबानी बहुत बड़ी हस्ती है. मीडिया उसकी गुलाम, पुलिस उसकी दरबान, सरकार उसकी फरमाबदार. वह एक नहीं दर्जनों देश खरीद सकता है . लेकिन बदनसीबी से बस एक चीज नहीं खरीद सकता - सोशल मीडिया . टूट पड़िए कि सचाई दफ़न न होने पाए....
ReplyDeleteमुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अखबार हर तरफ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता। अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।" बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।
raveesh aap mugal ke raja ki tarah behave kar le .. log aapse comment kar que puchte hai lekin aap ek bhi reply kis ko nahi dete .. ap realy loktantrik hai na aam taur per tana shah log reply nahi karte hai .. bote daalne to jaate hi honge aap ..?
ReplyDeleteदरअसल अरविंद ने कोई कमाल नही किया......... बस इतना बताया है कि जो चीजें हम नामुमकिन समझते है वो सब संभव है. लोकपाल संसद से पास हो गया इसमे अण्णा जी का बेहद अहम् योगदान है पर दोनों पार्टियों को मजबूर किया है वो अरविंद. दिल्ली के नतीजों ने दोनों पार्टियों को हिला के रख दिया है. भाजपा को झटका दिया है कि सुधार जाओ और कांग्रेस को कोमा में पहुँचा दिया. कांग्रेस हर झगह अपना आधार खो चुकी है और राहुल इनके ताबूत कि आखरी कील है. राहुल ने कहा था वो अरविंद से सीखेंगे अजी घंटा सीखेंगे जो अपने खानदान से नही सीखा वो अरविंद से क्या सीखेगा. कांग्रेस ने तो अपना सब कुछ खत्म कर लिया अपना जनाधार, कार्यकर्ता, सबसे ऊपर अपनी साख. हालत ये है कि राजस्थान में भी कोंग्रेस को किरोड़ी जैसे क्षेत्रीय नेता के साथ गठबंधन करना पड़ रहा है. भाजपा के लिए अच्छी बात है कि मोदी बदल रहे है और बदलना भी चाहिए क्योकि जब सामने अरविंद जैसा व्यक्ति, जिसके लिए लगता है सब कुछ संभव है तो सब कुछ सही करना पड़ेगा. लगता है इस लोकसभा में नही तो अगले लोकसभा चुनाव में मुक़ाबला भाजपा और अरविंद के बीच होगा.
ReplyDeleteभारत का लोकतंत्र सही दिशा में है.
और आख़िर में काश राहुल, अरविंद का कुछ प्रतिशत मात्र भी होते.
kal tak anna ki team ko cinema wale preview ke liye mana kar rahe the (prakash jha).. aaj inke naam pe apni dukan chamka rahe hai..log bade samajhdar hain Ravish bhai.. inhe bas niyat saf dikh jaye to ye wait kar lenge.. Aap dekho ab to congress aur bjp ke top leader bhi aap se sikhne ki bat kar rahe hain.. wo kahte hain ne ki basic sahi hai to sara kam sahi hota hai.. BJP ki problem ye hai ki basic hi sahi nahi hai.. unke jo log kam kar rahe honge wo modi ke hone nahi hone se pareshan nahi honge.. lekin jinhone sirf bakthethari kari hai.. ek dusre ko sirf nicha dikhaya hai unhe to lahar pe hi bhadosa hai.. unke pasine chhutne lage hain.. \
ReplyDeleteSir Arvind Sir Adarsh hain. Unhone kaha ki wo 5 saalo me 500 naye school kholenge. Matlab Saal me 100 or Hafte me 2. Koi Feku ya Pappu ya Niku aisa soch bhi nahi sakta wo bhi Delhi me. 1400 sqarekm me har hafte 2 school. Bharat ki tarakki ab dur nahi. Kejriwal for PM hona chahiye. 1400 sq km par 500 school matlab 32 lakh sq km par 11 lakh school matlab ek jhatke me 50 lakh logo ko rozgar. Sari berozgari khatam. Sath hi 11 lakh school banane me cement saliya balu Int har industry me revolution aa jayega. Arvindji Kejriwal Jindabad
ReplyDeleteright sir
ReplyDeleteओ डार्लिंग तू धुआँधार है दिल मेरा दिल्ली तू kejriwal h
ReplyDeleteओ डार्लिंग तू धुआँधार है दिल मेरा दिल्ली तू kejriwal h
ReplyDeletewell written sir..... completely agree with you.........
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