कल इनकी राजनीति बीएसपी एस पी या बीजेपी या कांग्रेस की तरह समझौतावादी या सत्तावादी हो ही जाएगी इस अनिवार्य सत्य और तथ्य के सहारे राजनीति का मूल्याँकन नहीं हो सकता । जो खुद को व्यावहारिक कहते हैं वे भी आदर्श की बात करते ही हैं । लेकिन आप को लेकर आशंकायें सही होते हुए भी दुर्भावनाओं से ग्रस्त लगती हैं । कई बार तो ऐसा लगता है कि जल्दी इनके बीच से कोई चोर निकल आए ताकि राहत की साँस ली जा सके । ये आम आदमी पार्टी को देखना होगा । आप ने ज़रूरत से ज़्यादा ऊँची दीवार खड़ी कर दी है । मुझे उस विधायक की बात याद आ रही है कि इतनी ईमानदारी चलती नहीं । अरविंद अपनी ऊँची ईमानदारी से बाक़ियों की बेइज़्ज़ती कर रहे हैं । उनकी आशंका ग़लत साबित हुई ।
लेकिन दिल्ली ने आम आदमी पार्टी के ज़रिये जो दिखाया है कि वो सबको देना होगा । यही कि लाख दो लाख ख़र्च कर सादगी से लोगों के बीच जाएं तो दिल्ली की पढ़ी लिखी और वर्ग विलास के अहं में लिप्त रहने वाली जनता किसी को भी अपना प्रतिनिधि चुन सकती हैं । अमीर होते हुए भी वो किसी ग़रीब, बिना फिटिंग के पतलून पहनने वालों को वोट दे सकती है । सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में बिना आय वाले भी जीते हैं तो ग़रीबों और सबकी राजनीति करने वालों की जगह ख़त्म नहीं हुई है । दिल्ली के तमाम कुलीन इलाक़ों में आप को वोट पड़े हैं तब जब आप ने कांग्रेस बीजेपी की तरह अवैध कालोनियों को नियमित करने और विकसित करने का वादा किया । तमाम वर्गों के लोग आप के साथ आए । इस प्रक्रिया को गहराई से देखा जाना चाहिए तब भी जब यह अस्थायी भी हो ।
आम आदमी पार्टी की विदेश नीति क्या है और अन्य सामाजिक मुद्दों पर क्या राय है जिन पर वोटों का ध्रुवीकरण होता है इस पर जवाब देना होगा । दिल्ली की तीस प्रतिशत जनता ने बिना ये सवाल पूछे वोट दे दिया तो उम्मीद करनी चाहिए कि बाकी देश में ऐसा नहीं होगा । फ़िलहाल दिल्ली में आप के टिकट से जीतने वाली मुज़फ़्फ़रपुर की कोई लड़की अपने ज़िले में चमत्कार की कथा में बदल चुकी है । वहाँ लोग हैरान हैं कि इतने कम पैसे में बिना गोली बंदूक और भोज भात कराए उनकी बेटी विधायक बन गई है । बहुत अच्छा है कि आप से सख़्त सवाल हो रहे हैं । आख़िर अतीत की नई पार्टियोें से लोगों का दिल टूटा है तो लोग उन अनुभवों से क्यों न सवाल करेंगे । करना भी चाहिए ।
अब आते हैं उस सवाल पर कि दिल्ली में क्या होगा । मेरी राय में अब होगा दिलचस्प मुक़ाबला । फिर चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधा मुक़ाबला होगा । पहले चुनाव में दोनों के निशाने पर शीला थीं मगर अगले चुनाव में मोदी और केजरीवाल आमने सामने होंगे । बीच में होगा वो वोटर जो कथित रूप से आप को भी चाहता है और मोदी को भी । दोनों के बीच अब खुलकर आरोप प्रत्यारोप होंगे । हाई वोल्तेज युद्ध होगा । तब पता चलेगा कि दिल्ली का मध्यम वर्ग, कुलीन और आम जन किसे चाहते हैं । मोदी को, जो उस राजनीतिक दल से आते हैं जिसकी राजनीति के ख़िलाफ़ आप संघर्ष करती है या केजरीवाल को, जो जीत कर मोदी का चांस बिगाड़ सकते हैं । बीजेपी के नेता अभी से परेशान हैं कि मीडिया स्पेस में मोदी को टक्कर देने वाला कोई आ गया है । इसलिए वे बोलने लगे हैं कि जीत बीजेपी की शानदार हुई है मगर चर्चा अरविंद की हो रही है । अगर एक साल का टीवी फ़ुटेज निकाल कर अध्ययन किया जाए तो पता चलेगा कि मीडिया में किसे स्पेस मिला । अरविंद केजरीवाल के कारण बीजेपी की मीडिया रणनीति बदलने वाली है । ये मेरा गेस है ।
लेकिन मुझे लगता है कि यह भी मिथक बन चला है कि आप के समर्थक मोदी को भी चाहते हैं । ऐसे समर्थक ज़रूर होंगे मगर यह आप का बुनियादी आधार नहीं हो सकता है । आप का मतदाता अगर सिर्फ कांग्रेस विरोधी है तो बीजेपी को दे देता । उसने बीजेपी को नहीं दिया । आप को बड़ी संख्या में दलितों के वोट मिले हैं । मुस्लिम सीटों के आँकड़े देखिये । हर जगह आप के उम्मीदवार को पंद्रह हज़ार और उन्नीस हज़ार तक मत मिले हैं । जबकि आप के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता है । आप के मतदाताओं ने दो साल तक अरविंद को देखा है परखा है । अरविंद पर हुए हमले को देखा है । रोहिणी और अंबेडकरनगर में जहाँ मोदी की कामयाब सभा हुई वहाँ बीजेपी नहीं जीती । लेकिन जब अरविंद नरेंद्र मोदी का नाम लेकर सामने से हमले करेंगे तो बीजेपी भी आक्रामक होगी । बीजेपी अपने संगठन की ताक़त और सोशल मीडिया की सेना से जो जंग छेड़ेगी दिलचस्प होगा । क्या मोदी केजरीवाल का नाम लेकर हमले करेंगे । खुद से नहीं कभी मोदी जी से पूछियेगा । मोदी जी प्रेस से ज़्यादा बात भी करते हैं, राहुल से भी ज़्यादा तो शायद पूछने का मौक़ा भी मिल जाये ! वर्ना एक ही शहरी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले मोदी और केजरीवाल के बीच की टक्कर का इंतज़ार कौन नहीं करना चाहेगा । अगर शहरी आकांक्षाएँ इस हद तक समानार्थी हैं तब । राजनीति और प्यार में मोहब्बत एक से ही की जा सकती है । अगर वोटर के दिल में मोदी और अरविंद हैं तो इस दोहरे इश्क़ का भी अंजाम देख लिया जाए । एक और इम्तहान हो जाने दिया जाए !
lagta tau essa hi hai
ReplyDeleteजो आशंकाएं एवं उम्मीद आप ने जताया है ठीक यही बात मैंने योगेन्द्र जी को ३ दिन पहले लिखा है.अगली लड़ाई सीधे मोदी से होगी. उसके लिए नए मुहावरे, कार्यक्रम एवं सूत्र बनाने होंगे.अगला बहुत शातिर एवं पाखंडी है.उसके पास अकूत संसाधन है. एक सबसे जरूरी चीज है वालंटियर्स को वैचारिक रूप से प्रशिक्षित करना. अधिकांस वालंटियर्स प्रशिक्षित एवं वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध नहीं हैं. उनमे मोदी को लेकर एक तरह का रहस्यवाद बना हुआ है.AAP को एक बहुत सारे मुद्दों पे अपनी नीतियाँ स्पस्ट करने जरूरत है.जहाँ उत्तर भारत में एक अपार संभावना है वहीँ इसके अपने जटिल अन्तर्विरोध को भी देखना होगा,खासकर दिल्ली से बहार.
ReplyDeleteSir ji Vivek ji ko Prime Time me mat bulaya kao, vo BSP k alava kuch nahi soch kattey, Puniya shahab phirbhi tek hai...baki aap ka AAP ke bare mai Observation correct hai...ab modi ka jhuta samne aana chahiye kab tak lachey daar speech se kam chalayege, ab thos baat karne ka vakt hai.
ReplyDeleteएक बार पात्र सुपात्र की चर्चा भी कर ली जाती तो बढ़िया था.... मोदी को देश विधान सभा में देख चूका है और केजरीवाल विधानसभा से मुंह चुरा रहे हैं.... लगता है दो तिहाई बहुमत में चुन कर आये 'पपुओं' के साथ पूरी डिक्टेटरशिप चाहते हैं.
ReplyDeleteबाकिया, इम्तिहान की चेलेंजिंग लाइन आपकी है या फिर केजरीवाल साहेब की.
रवीशजी, जब से मैंने आप पार्टी के विचारों की वकालत शुरू की है तबसे मोदीवालों ने मुझे घूरना शुरू कर दिया है. लगता है कहीं पिट ना जाऊं। मैंने कहा मैं कांग्रेस, BJP सबको चंदा दूंगा गर वो हिसाब दें.कोई मानने को तैयार नहीं। सबने मोदीनाम का टीकाकरण करा लिया हैं. बहरहाल इस खूबसूरत आलेख के लिए साधुवाद. @akhilesh1
ReplyDeleteRespected Sir,
ReplyDeleteMujhe lagta hai ki AAP party responsibility se Bhag rahi hai ,
Jab NAYAK film me Anil Kapoor 1 din ke CM ke liye Amrish puri ka saath le sakta hai to Congress se Bahar se samarthan lene me Kya Dikkat ? ?
ye to Responsibility se bhagna hi hua. Satta me bathe Aur proof kare aur apne AAP ko Aur Manifesto ko convert kare Action me....
RAVISH JI NDTV per prof Vivek kumar or unke jaise logo ko nhi bulaya karo. ye log poorbagrah se grasit hai.
ReplyDeleteएक बात तो दीपक बाबाजी के लिए जिन्होने सीधे सीधे चुन कर आए प्रतिनिधियों को (मैंने जनप्रतिनिधि नहीं कहा क्योंकि मुझे नहीं लगता की 30% मत पाने वाला व्यक्ति 100% लोगों का प्रतिनिधि हो सकता है इस मामले में सिर्फ केजरीवाल ही जनप्रतिनिधि कहे जा सकते हैं :P) पप्पू कह दिया, बीजेपी से चुने गए लोगों के बारे में आपका क्या ख्याल है बताइएगा जरूर, और हाँ अपनी अपनी रणनीति होती है व्यवस्था में सफल होने के लिए जो ज़ाहिर है कि AAP के अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम की भी होगी जिसकी वजह से वह बिपक्ष में बैठकर काम सीखना चाह रहे होंगे अगर जनता उन्हे पूर्ण बहुमत देती और तब वह सरकार बनाने में आनाकानी करते तब आप कह सकते थे कि वह ज़िम्मेदारी से भाग रहे हैं ..... इस परिप्रेक्ष्य में BJP के बारे में आप क्या कहेंगे, जो सबसे बड़ी पार्टी बन कर आई है इस नाते सरकार बनाना उसका दायित्व बनता है, ज़ाहिर सी बात है बीजेपी वाले भी ऐसा किसी रणनीति के तहत ही कर रहे होंगे, लेकिन आप क्यों उनके लिए बोलेंगे साहब नाराज़ हो गए तो आपकी सैलरी रुक जाएगी न !
ReplyDeleteऐसा क्या भारत के संविधान में लिखा हुआ है कि काँग्रेस और बीजेपी विरोधी पार्टियां हैं और वह मिलकर सरकार नहीं बना सकतीं?
क्यों नहीं बीजेपी और काँग्रेस मिल कर सरकार बना लेतीं, देखना बहुत ही दिलचस्प रहेगा जब ये दो पार्टियां मिल कर सरकार बनाएँगी।
सत्ता में सिद्धांतों के साथ साथ अगर सफलता की रणनीति बनाई जाये तो मेरे ख्याल से यह सर्वोत्तम रहेगा और जब AAP ऐसा करने के बारे में सोच रही है तब उस पर ऐसे आक्षेप करना संकीर्ण राजनीति ही है जो अब BJP के दलाल (मुझे इस शब्द से नफरत है और जब भी मैं ये शब्द इस्तेमाल करता हूँ मुझे घिन आती है लेकिन बीजेपी के चेलों द्वारा ईज़ाद किए गए इस शब्द को लिख कर मैं उन्हे एहसास करवाना चाहूँगा कि कैसा लगता है खुद के बारे मीन ऐसे शब्द सुन कर) कर रहे हैं।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि अरविंद को जनता के पैसे की चिंता नहीं है जो दोबारा इलैक्शन करवाने से खर्च होगा उन देशभक्तों से कहना चाहूँगा कि यही बात वो अपने "साहब" को क्यों नहीं बोलते, दिल्ली में काँग्रेस से मिलकर सरकार बना लें और जनता का पैसा बचाएं ये उनका हक़ भी है और कर्तव्य भी ...
मोदी से सीधे मुक़ाबले में में हो सकता है व्यावहारिक वजहों से अरविंद की हार हो जाये लेकिन सिद्धांतों से हटकर सरकार बना लेने से, (भले ही बीजेपी या काँग्रेस के सहयोग से) यह जनता की मनोभावना की हार होगी उन लोगों को शायद निराशा हो जिन्होने AAP को बीजेपी और काँग्रेस का सही विकल्प समझकर इस पार्टी को चुना है।
वैसे भी अगर विपक्ष में ही बैठना है तो चाहे अभी बैठ लो या 6 महीने बाद बात एक ही है।
Bahut khoob...
DeleteRajeev Sharma and RAMGOPAL SHARMA क्यों भाई अब NDTV को भी पाने एजेंडे से चलाना चाह रहे हैं? BSP या दलितों की बात करना पूर्वाग्रह है और बीजेपी, मोदी सवर्णों की बात करना अग्रगामी??
ReplyDeleteउनको भी सुनिए और सिर्फ सुनिए ही नहीं समझिए भी अगर थोड़ी बहुत समझ हो तो वो भी बिना किसी पूर्वाग्रह के!
बाकी किसको बुलाना है और किसको नहीं ये NDTV टीम को तय करने दीजिये न ...
Ravish bhai,
ReplyDeletePost bahut khub laga. Aap ka samarthak sirf aap ka hai, or wah bhi apni pehchan k sath ki wah bhrtiya hai or IMA Dari she bharat ka ek voter bhi. Aap ke samarthakon she bat karen to wah Hindu, muslim, agri jati, pichri jati jasi identity nahi batata khud ko ek AAM Aadmi batata hai. Jab ki Aaaj ki dusri partiyan apne fayde ke liye samaj ko jati, dharm k nam par nirantar torti ja rahi.pata nahi aage kya hoga.
Aaj beiman itne hain ki har imandar vyakti par prasn to uthenge hi.aap par hi nahi aap ( ravishji ) par bhi ? Mark lagenge, defend karne ka arop lagega. Lekin such kahne she gurej nahi karni chahiye. Ache samaj or sajiv, sundar or khushal desh ke liye nirbhikta she sach ko
Sach or jhuth ko jhuth kahna hi hoga. Desh k liye khtarnak or beimano ke buland hosle ko past karna hi hoga. Aap ko sadar dhanywad hai is post k liye.
Paragraph badla nahi. Muaf kijiyega.
Ek patrkar hone ke nate mai apko samj sakta hu. Kin halto se sacche our imandar ptrkar ko gujarna padta hai !! Aap unhi patrkaronse hai jo jameen se talukh rakhate hai ; samaj ko jante hai, samajte hai.koi kya bhi kahe hum tumhare sath hai.
ReplyDeletehello ravush ji jab bhi aapka show dekhti hu lagta he 4th pillars of democracy still alive..and its help lot bcz me civil service k lia prepartion kar rahi hu...agar aaj aap k primetime ka topic delhi election se related he to bjp k netao se jarur puchhna kyun kbhi BABA RAMDEV,KBHI ANUPAM KHER ko le aate he aur kehlvate he ki arvind apni jimmedariyo se bhag rhe he jab k majority unhe mili he to why they nt....??aese statment deke delhi ki janta ko gumrah kr rhe he kya woh arvindji se itne dar gaye?lagta he dar gye he khin arvindji ko delhi me hi ulza de so loksabha k bare me soch na paye warna modi ki khursi bhi khin arvind.......AASHA HE YEH SAWAL AAP JAB BHI YEH TOPIC AAYE AGAR AAPKO SAHI LAGE TO JARUR PUCHHE..thanks
ReplyDeleteकेजरीवाल कांग्रेस की बी टीम साबित हो सकते हैं ,
ReplyDeleteइसको इस बात से देख सकते हैं की जो काम कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व नहीं कर सका , वो केरिवल के जरिये हो सकता है,मोदी की लहर नहीं है ,ये कहना है भारत की media का ,और ये बात कोई नै नहीं है क्यंकि मोदी को media ने हमेशा कम आँका है , मोदी चाहे कुछ कर लें media की दिलचस्पी होती है,मोदी की धुलाई में !
केजरीवाल कुछ जादा ही सोच रहे हैं ,अगर दिल्ली का चुनाव लोक सभा चुनाव के साथ हुआ कहीं ये न हो जाए की आप हार जाए , उल्टा भी हो सकता है !
कांग्रेस को AAP से हमदर्दी बढ़ेगी और media की भी क्यूंकि कोई भी मोदी को PM नहीं देखना चाहता | लेकिन अगर मोदी जीते तो ये कांग्रेस के चमचो की , और media की सबसे बड़ी हार होगी,क्युकी मोदी हमेशा से ही उनके निशाने पर रहे हे!
यहाँ तक की मोदी के PM बनने की आशंका से बहुत से media घरानों के मालिक डर गए हैं !
समय बताएगा की सच्चा कौन है ,
एक बार AAP की राजनैतिक विषयों पर उनका रुख साफ़ होगा तो लोग का वोट भी साफ़ हो जाएगा , BJP और AAP एक ही नेता के बन गए हैं मोदी और केजरीवाल |
समाये बताएगा की केजरीवाल किस पार्टी की बी-टीम हैं , आशा करता हूँ की वे बी टीम नहीं बल्कि A टीम साबित होंगे जनता की |
कांग्रेस को पता है की इस बार उसने हारना ही है,वो सोचते हैं की राहुल हार गए तो उनका करियर ख़त्म नहीं होगा,पर मोदी हार जाएँ तो राहुल हार कर भी जीत जायेंगे !
मुझे नजी तोर पर लगता है केजरीवाल कांग्रेस की परेशानी की बिना शक दावा हैं !
आगे आगे देखिये ओता है क्या ,
कौन कैसा है ,ये तो वक़्त ही बताएगा !
lets c ...what would be next :) .. waise ek kaam to AAP ne sahi kia ki na support denge n na hi lenge
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ReplyDeleteRavish Ji mujhe nahi lagta ki yah Modi aur Kejriwal ki seedi takkar hai kyoki Delhi ki janta janti hai ki agar BJP jitti hai to Modi Delhi ke CM nahi banenge wo to BJP ke PM candidate hai.
ReplyDeleteAur rahi baat BJP ki No1 party hone ki kyoki koi nahi jaanta tha ki AAP 28 seats jeet jayegi.
Agar dobara election hue to AAP ki jeet pakki hai. Modi ko chane wale bhi AAP ko vote karenge kyoki unhe Modi Center me chahiye Delhi me nahi.
Ek mukabla aur hona hi chahiye
ReplyDeleteआज जंतर-मंतर पर AAP की भाषा शैली सुनने लायक थी ! " माइ का लाल " , "हिम्मत हो तो मेरे सामने चुनाव लड़े " => अब मैं इसे आत्मविश्वास कहु या घमंड ! अरविंद ने तो ऐसा कुछ नही कहा पर बाकी मेंबर्ज़ ने ज़रूर कहा !
ReplyDeleteAAP के इरादे तो अच्छे लगते है, पर उनकी काबिल्लियत पर सख होता है ! उनका मॅनिफेस्टो ही देख लीजिए, कोई मज़ाक से कम नही है ! बस सुनने मैं अछा लगता है ! सब कुछ ७ दिन में या १ महीने में कर देंगे ! भाई तो बाकी महीने क्या करेंगे ! कोई लॉजिक ही नही बनता ! क्या सची मैं यह सब काम इतने आसान है ? की इतने कम समय में पूरे किए जा सकते है !
http://daily.bhaskar.com/article-hl/GUJ-AHD-revealed-arvind-kejriwal-to-challenge-narendra-modi-on-his-home-turf-in-2014-lok-4459186-NOR.html
अगर इस खबर को सही माने तो यहॉ कह सकता हू , ज़रा फूँक फूँक के खाओ ! मोदी ४० साल से काम कर रहे है, ुआर कुछ रिज़ल्ट्स भी दिए है ! आप भी रिज़ल्ट्स दीजिए फिर आगे बढ़िए !
I am seeing so much hope about AAP but What will keep them clean? I was in university during JP movement.There was so much hope to change political situation. But some of the biggest crooks were product of JP movement which had a honest leader.And that was a time when values meant something. In today's world,I am keeping my fingers crossed that AAP will remain idealistic and corruption free and take country in a new direction. But,I feel it is a tall order.
ReplyDeleteLog kahte h ki AAP wale bhi baad me bharst ho sakte h magat atleast inhe chance to milna chahiye... ...agar sahi kaam nhu kiya to janta sabak sikgana janti h...
ReplyDeleteHello ravish ji !!
ReplyDeleteArvind ji ko modi ke samne khada karna ya compare karna . Abhi jaldbazi lagti hai. Abhi hamne arvind ji ke bus vade sune hai kaam nahi dekha aur vade bhi aise jo pura hone se pehle hi adhure lagte hai. Modi ji ka vision hai arvind ji ka mission hai sab ko chor kehna. Agar tumhe chance mil raha hai CM bankar kaam karne ka toh karo na , akhir janta ne chun kar bheja hai apni jimmedariyon se kyon bhag rahe ho. Hamein bhi toh dikhayo good governance kaise karte hai.abhi toh ralab ke kinare khade ho ke machli pakad rahe hai kejriwal ji, talab mein utro toh sahi.Kejriwal ji ki aakansha badti jaa rahi hai unki nazar CM par nahi kahi aur hai.
Dear Mr Kumar,
ReplyDeleteYour NDTV show on section 377 of the IPC was quite simply superb.
Congratulations.
Best wishes,
Deepak
अभी तो बयारें हैं ,हिल गए दरख़्त ,
जर्रूर आयेगा तूफाँ , दे ज़रा वक़त।
सही में आगे जो भी होगा, बहुत हद तक लगता है, रोचक ही रहेगा। जैसा आपने कहा कि इस चुनाव में जीते हुए उमीदवारों को यहाँ से वहाँ करने के लिए कोई प्रयास न करना, ऐसा बहुत दिनों बाद होते दिखा है। (पहली बार इसलिए नहीं कह रहा, क्योंकि कोई वाजपईजी कि १३ दिन वाली सरकार कि बात याद दिल रहा था, जब १ वोट से हारे थे)। इसका श्रेय आप को बिलकुल जाना चाहिए। क्योंकि किसी अन्य पार्टी ने,हाल फिलहाल में, ऐसी किसी नैतिकता का परिचय नहीं दिया है।
ReplyDeleteऔर भी दिलचस्प है उन लोगों की प्रक्रिया जो पहले आप को एनजीओ बताकर मज़ाक बनाते थे कि पहले चुनाव लड़कर देखो। अब नया राग शुरू हुआ है। "सरकार बनाकर तो देखो".. "इनकी हिम्मत नहीं हो रही".…"ज़िम्मेदारी से भाग रहे है", अदि अदि। सच में लगता है कुछ लोग डरे हुए हैं कि इस परसेप्शन पर की "नेता बेईमान ही होगा/ऐसा ही होता है" … कहीं लोग पुनः विचार न करने लगने लगे। वैसे भी जब भी कोई स्टेटस को को चुनौती देता है, खलबली तो मचती ही है। मचनी भी चाहिए।
अरविन्द, मोदी को चुनौती दें इसका सबको इंतज़ार है। कम से कम मुझको तो है ही। आशा यह है कि अरविन्द और आप राजनैतिक बहस को "शहज़ादा , इटली, पप्पू, आदि कि जुमलेबाज़ी से आगे ले जाने पर मजबूर करेंगे। और हाँ, मैं ये मान कर चल रहा हूँ कि जो लोग आप पार्टी से गली के शौचालय की समस्या से लेकर कश्मीर तक पर राय मांगते हैं, उन्होंने ज़रूर अपने अपने नेताजी से एक-एक प्रश्न को ठोक पीट के पूछा ही होगा। (नहीं पूछा है तो पूछना चाहिए। कितने ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर मोदी/राहुल की राय हमें नहीं पता, फिर चाहे वो मुद्दे आर्थिक हों या सामाजिक)
"अब क्या होगा" के प्रश्न पर एक बात दिलचस्प लगी। कोई आप को सरकार बनाने का प्रयास करने का सुझाव देते हुए, सी.पी.एम. का "हिस्टोरिक मोमेंट" की याद दिला रहा था कि कैसे ज्योति बाबू पीएम बनते बनते रह गए.। और फिर उसके नज़दीक कभी नहीं पहुँच सके। एक और बात कही जा रही है कि राजनीती या जमहूरियत में बीच का रास्ता निकालकर ही काम किया जा सकता है। शायद इशारा किसी क.म.प की तरफ है। दोनों बातों में कुछ दम है। पर शायद ये भी पूरी तस्वीर नहीं।
क.म.प. ? Pls मुझ अबुध को ज्ञान दें
Deleteयह देखना दिलचस्प होगा कि जब केजरीवाल मोदी पर सीधे हमले करेंगे तो शोशल मीडिया और लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी...अभी तक केजरीवाल ने बीजेपी काँग्रेस का नाम एक ही सुर में लिया है...जब केजरीवाल कहेंगे"ऐ बीजेपी तुम" तब क्या होता है ।
ReplyDeleteमोदी का समर्थन तो दिखता है लेकिन उसके लिए मोदी ने देशभर में रैलियां भी की हैं...केजरीवाल को उन्हें ललकारने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, अभी तक उन्होंने सिर्फ दिल्ली ही देखा है बांकी जगह उनके सन्देश टीवी से ही पहुंचे हैं...दूसरे राज्यों के अख़बार तक उन्हें नहीं छाप रहे...रास्ता कठिन है लेकिन लोगों का मोरल सपोर्ट उन्हें मिला हुआ है, अब उसे भुनाना उनका काम है ।
मोदी से उनकी टक्कर दिलचस्प होगी..कई परतों पर चलेगी ।
मेरा मानना है कि कभी राहुल और मोदी कि बराबरी नहीं होनी चाहिए , क्य़ोंकि राहुल ने आपने जीवन में कुछ नहीं साबित किया कि वो किया कर सकते है , किसको पता हो तो बताना भाई ???
ReplyDeleteमज़ा अब आएगा जब मोदी और केजरीवाल का मुकाबला होगा , टक्कर कुछ हदतक मुकाबले कि होगी।
दो साल पहले तक में मोदी समर्थक था , क्य़ोंकि तब तक मोदी ही बेस्ट था (अंधों में काना रजा ).
सुनने में अच्छा लगता है कि कोई चाए वाला प्रधानमंत्री बनसकता है , पर मुझे लगता है कोई माँ , कोई दोस्त ,भाई और रिस्तेदार किसी अपने को चायवाला बनाना चाहता है , सब का सपना होता है उसका कोई अपना
महनत से पढ़े , अछी नोकरी में जाये और अपनों का सम्मान करे, ये सारी चीजे अरविंद में है अभीतक।
देश के लिए भी अच्छा होगा कि मुकाबला मोदी और अरविन्द में हो। शायद मोदी को मजबूरन आपने कुछ गलतियों को सुधारना पड़े जैसे - गुजरात के विकास का अहंकार हो या हिन्दू रास्ट्रवादी बनना। सिर्फ़ मार्केटिंग के बाल पर कोइ अब पी ऍम नहीं बनसकता , अब मुकाबला कड़ा होगा।
@Rajeev sharma : Being Hindu nationalist is not a mistake.
ReplyDelete''... शाबाश अरविंद । यह शाबाशी परमानेंट नहीं है । अभी तक किए गए प्रयासों के लिए है । ''(Haar kee jeet)
ReplyDeleteBahut 'khatarnak' Line hai . Sahitiyik line !
Aaj chijein itani teji se badal rahi hain ki परमानेंट शाबाशी sambhav nahi hai ! Arvind
ko 'Imandaree' aur 'bhrashtrachar' ko aarthiki se aage le jana hoga .
Juban kee fislan par dhyan dena hoga .
ham hee sirf imandar hain se bhi bachana hoga ! Modi aur Arvind kaa mukabala sirf imandaree aur stardom ke aadhar par nahi ho skata . Chay bechane wale ladake kee hunar aur lokpriyata koi Fuss chij nahi hai .
Arvind se pahale bhi 'krantikaree ' netritva ko dekha jaa chuka hai .
Mayawati , Lalu , Nitish ...aur modi ki prishthbhoomi ko dekhiye ..haan koi nasht hota hai to apne karanoan se !
Arvind ne dhara badali hai . manak tay kiya hai . unhe apni politics abhi tay karani hai .
BJP ke netvir internet par AAP ke khilaf pehle hi hallabol chuke hain.social media sites pat chuke hain AAp pe sawal uthate comments se.
ReplyDeleteNaye Vicharo ki jo Rajniti Arvind Ji ne sabke samne rakhi hai, Bohot sarahniye hai, jis tarha k vichar veh apne har interview main rakh rahe hai waisa agar veh bina vivado mai pade kar lete hai, to Nishchit tor pe bharat ki RAJNITI or DASHA Badal Jayegi
ReplyDeletehellow ravishji-hope ur health is ok now-if i will say hope u r fine means you will b वक्र्द्रष्टि like in yesterday's show :) :-p these type of consequences will increase with us:)
ReplyDeleteanyways let me come to blog
ravishji हमारे college के geology के lab मैं एक मोहन काका थे-lab swipper + peon हम लोगों को कोई चीज न आये और prof न हो तो हम उनसे पूछते थे और prof की जगह उनका सिखाया ज्ञान परीक्षा मैं ज्यादा काम आता था :) उनका कहना था prof बदल जाते है और उनको machines का क्या पता?तो मैं जब फ्री हूँ तभी पूछा करो otherwise उनको disturb मत करो:)
ravishji अगर राजनीती मैं सिद्धांतों की बात होती है तो व्यव्हारुकता की जगह नहीं है prof की तरह
लेकिन
अगर व्यव्हारु लोग चाहिए तो सिद्धांतों से बाँध-छोड़ नकारी नहीं जा सकती-मोहन काका की तरह
जो भी निर्णय हो एक बात तो तय है--प्रयोग थमने नहीं चाहिए geo lab की तरह :) भले ही मैं मोदी fan हूँ लेकिन मेरा स्पष्ट रूप से मानना है की अगर आज सिद्धांतों की जरुरत एवं परीक्षा लेकर खड़े हुए अरविन्द केजरीवाल को खड़ा रहने की जगह अगर हमारी राजनीति बना पाती है तो कल कोई दूसरा केजरीवाल "सत्य" की "जरुरत" को कह पायेगा उसकी परीक्षा के साथ ।
संजोगानुसार कांग्रेस ने लोगों का साथ दिया,सेवा और रक्षा भी की-जी हा कांग्रेस को नाकाम कहना सही न होगा बल्कि उसकी नीतियाँ या शाशक नाकाम जरुर रहे तो बीजेपी बदलाव बनकर आई-मुझे याद है जब bjp का शाशन आया तब कांगेसी कह रहे थे ये तो प्रजा का mood change है :) कल हमही को लायेंगे क्यूंकि bjp एक अच्छा विपक्ष बन्ने के काबिल है न की शाशन के :) आज कांग्रेस विपक्ष बन्ने के काबिल भी नहीं रही ।
समय की खरोंच अभी AAP की गाडी को नहीं न लगी तो नयी कहने में किसीका क्या जाएगा?
lets hope the best !
अब बात केजरीवाल सुर मोदी के मुकाबले की--यह कहना सही होगा क्या?यह dr harshvardhan और AK का मुकाबला कहा जा सकता है but anyways न्यूनतम मत से सर्कार तो चल ही सकती है! Ak गिराएंगे तो उनको भी तो सत्तावांछु कहना पड़ेगा न ?की जो तोहमत वे + media मोदी पर मढ़ते है?:)
वैसे सही कहा राजनीति और प्यार मैं से मोहब्बत तो एक से ही हो सकती है :) नज़ारा तो देखने लायक होगा । होता ही आया है जब दिल और दिमाग की टक्कर हो तो दिल हार कर भी जीतता है और दिमाग जित कर भी हार जो जाता है!:)
take care of your throat n voice :)
Hello sir,
ReplyDeleteMae sirf aap sae eak sawal puchna chata hu ki aap kaise kah sakte hae ki modi samarthk aap ka adhar nhi ho sakte, aap ka adhar wo smarthk hae jo desh mae badlaw ki asha krta h,usey desh kae badlaw sae mtlab h naaa ki aap or bjp sae
Or jaruri nhi ki modi ka samrthn ko bjp ka smarthn smjha jye..
ab voters ko biwi aur girlfriend dono mein se kisi ek ko chunana hoga.
ReplyDelete@nptHeer: It is common minimum program. Sorry, I should have been more clear.
ReplyDeleteदिल्ली मे सरकार बनने को ले कर आम आदमी पार्टी की जो दुविधा है वो जायज है! जनता ने तो पूर्ण बहुमत तो दिया नहीं, सरकार तो बिना कोंग्रेस और भाजपा के समर्थन के बनेगी नहीं! अब जिस पार्टी को दिल खोल के गरियाते थे अब बिना उनके सहयोग के सरकार ना बना सकते है ना चला सकते है! उपर से अन्ना से अनबन है वो खुले आम सामने आ चुकी है! शुक्र है अरविंद केजरीवाल के साथ योगेंद्र यादव जैसे राजनीतिक विषय के योग्य गयनी प्रमर्श हेतु मौजूद है जिन्होने भरतीय राजनीती के ना जाने कितने उतार चढाओ को ना सिर्फ देखा है बल्की उसपर शोध भी किया है! अब देखना है के कोंग्रेस के बिना शर्त समर्थन क्या आप की राजनीती के लिये प्राणवायु शिद्ध होते है आतमघाती शिद्ध होते है! उत्तर तो भविषय मे कही छिपा हुआ है! हम तो रमानाद सागर के महाभरत के समय के भांती बस मुकदर्शक बन के इंतज़ार कर सकते है!
ReplyDeleteप्रन्तु भरष्टाचार के काल मे आप से युवापीडी को बहुत उम्मीद है! हमे निराश मत करना अरविंद! नहीं तो कल को कोई किसी पे विस्वास नहीं करेगा चाहे कोई महात्मा ही क्यू ना! और इतिहास भी तुम्हे माफ़ नहीं करेगा!
You and Yogendra Yadav are media stars who don't lose temper and always talk in measured tones. It could be because of your shapr understanding of real politics, clarity in thought and focus on the subject.
ReplyDeleteI live in Hong Kong but make it a point to watch your programmes.
You and Yogendra Yadav are media stars who don't lose temper and always talk in measured tones. It could be because of your shapr understanding of real politics, clarity in thought and focus on the subject.
ReplyDeleteI live in Hong Kong but make it a point to watch your programmes.
रजनिश की बात खरी और बे-खोटी है..हम अपनी पूर्वाग्रह छोड़ नही पा रहे है.. हम सबके लिए एक अच्छा बात होगा की हम सब धर्म , जाती, और दलो की एजेंट-गिरी करना बंद कर नया सोच बनाए.. ना की संस्कृति और धरोहर के नाम पर कचरा ढोते रहे .. मोदी का जीत इसी कचरे की सोच का प्रोत्साहन होगा ..
ReplyDeleteJo Channel or Patrakar Congress or Gandhi family ke aage ya piche kuch soch tak na pate the wo bhi Arvind Sir ki jeet par khush ho rahe hain. Ye Modi ka Dar hai. Unhe lagta hai ki Rahul na sahi Arvind Sir hi Modi ko harayen. Par ek baat wo bhool rahe hain ki Arvind Sir bhi jite to Bharat Congress mukt hi hoga. Delhi me unhone sabit kiya hai ki wo Lohia ke Gair Congresswadiyo ki tarah Congress ki charan chumban nahi karenge or naa hi Panja Chhap Vaam Panthiyon ki tarah samarpan. Or hume to bas Congress mukt Bharat Chahiye thik waise jaise aap sabko BJP/RSS/Modi nahi chahiye.
ReplyDeletesabse bada sawal ye hai ki agar bjp sarkaar banane se mana kar rahi hai to phir AAP sarkar kyon nahi bana rahi.kya ye janta ke saath dhoka nahi hai.AAP bolti hai ki agar hamne sarkar bana li to congress kabhi bhi use gira sakti hai.....pehle AAP sarkar to bana len agar congress kisi karan se sarkar gira deti hai to badnami congress ki hi hogi,AAP ki nahi.
ReplyDeletepehle arvind kejriwal ko apne aap ko saabit karna chahiye aur main ye dawe ke saath keh sakta hun ki jis din unhone apne aap ko saabit kar diya, janta ke bich kaam karke.....tab phir kya modi aur kya rahul....sab jejriwal ka hi naam lenge.