"एक बार आप माउंट एवरेस्ट पर पहुँच जाते हैं तो उसके बाद उतरने का ही रास्ता रह जाता है " । यूपी में 2012 के विधान सभा चुनावों से पहले बसपा पर नज़र रखने वाले उस मित्र की बात याद आ रही है । नतीजों के बाद बसपा एवरेस्ट से उतर गई और सपा चढ़ गई । पर ये कहाँ लिखा है कि कोई एवरेस्ट पर दोबारा नहीं चढ़ सकता । यूपी के भीतर बसपा की लड़ाई पर नज़र डालने का वक्त है । क्या बसपा भाजपा को रोक देगी । रोकने वाली ताक़त भी बसपा ही है । भाजपा अपने उछाल के लिए बसपा ही माँगती है ! ये दिल माँगे मोर ।
बसपा इसबार 'चुपचाप' चुनाव लड़ रही है । आख़िर इस रणनीति का बसपा ने क्यों प्रचार किया । टाइम्स आफ इंडिया में बड़ा सा 'चुपचाप रणनीति' पर विश्वेषण छपता है ।'चुपचाप' चुनाव लड़ने का क्या मतलब होता है । क्या बसपा ने 2007 और 2012 का विधान सभा चुनाव भी चुपचाप लड़ा था । याद कीजिये टीवी पर माया सरकार का आठ दस मिनट का लंबा लंबा विज्ञापन । क्या सही में बसपा 'चुपचाप' चुनाव लड़ रही है । यह सही है कि मीडिया बसपा को कम या नगण्य दिखाता है लेकिन इस साल पंद्रह जनवरी को खुद ही मायावती ने कह दिया था कि बसपा के लोग मीडिया और सोशल मीडिया के चक्कर में न पड़ें । मायावती ने मीडिया को इंटरव्यू न देने की बात का एलान भी लखनऊ की रैली में ही कर दिया । पहले तो वो इंटरव्यू देती थीं । जबकि बसपा का अदना सा कार्यकर्ता भी मीडिया में न होने को कमी मान रहा है । कह रहा है कि समय बदल रहा है । टीवी के कारण लोगों को मोदी मुलायम का पक्ष तो मालूम है पर हमारा नहीं । मायावती ने ऐसा निर्णय क्यों लिया ? किसी से बात न करने का निर्णय क्या कुछ सवालों से बचने के लिए था ।
ऐसा भी नहीं कि वे अपने भाषणों में नरेंद्र मोदी से कोई रियायत बरतती हैं । जमकर हमले करती हैं पर यही हमला अन्य माध्यमों से प्रचारित हो जाए तो क्या हर्ज । रोज़ एक प्रेस रीलीज़ तो इनबाक्स में आती ही है जिसमें वो नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना करती हैं । फिर वो सामने से क्यों नहीं लड़ रही हैं । मैं भी नहीं मानता कि चुनाव में मीडिया का इतना असर होता है बशर्ते लड़ने वाला लड़ता रहे । अगर वह लड़ रहा है तो मीडिया का असर नहीं होता । जैसे बिहार में लालू कई जगहों पर मोदी को चुनौती देने की स्थिति में पहुँच गए हैं जबकि मीडिया ने उन्हें ठीक से कवर तक नहीं किया । विशेषकर टीवी मीडिया ने । मायावती के साथ मीडिया की नाइंसाफ़ी को छोड़ दीजिये तो क्या मायावती इस बार मोदी को रोकने के लिए लड़ रही हैं । ना कहने का कोई प्रमाण नहीं है मगर इसबार बसपा को देखकर हाँ भी ठीक से नहीं निकलता ।
लखनऊ में हुई पंद्रह जनवरी की रैली के बाद मायावती चुप हो जाती हैं । दो तीन महीने के बाद जब प्रेस में चर्चा होने लगती है तो प्रेस कांफ्रेंस कर सफ़ाई देती हैं कि वे राष्ट्रव्यापी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं । खैर मायावती सभी ज़िलों में रैली तो कर रही हैं और उनकी रैलियों में भीड़ भी आती है । पर भीड़ के आगे क्या । जिन लोगों को मोदी को रोकने को लिए बसपा से उम्मीदें हैं उन्हें बसपा के चुनाव को क़रीब से देखना चाहिए । ज़मीन पर दलित पिछड़ा भाईचारा बनाने में बसपा सक्रिय है क्या । अगर मीडिया की चमक से बचकर बसपा का वोटर नहीं छिटका तो नतीजा कमाल का आएगा ।
बसपा ने इस बार 21 ब्राह्मणों को टिकट दिये हैं जबकि भाजपा ने 19 को । एक दो सीट से ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता । सब जानते हैं कि यूपी के ब्राह्मणों का बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ है । फिर भी बसपा ने पिछड़ों से ज़्यादा ब्राह्मणों पर भरोसा किया । 2007 में बसपा ने भाईचारा कमेटी बनाकर ब्राह्मणों को उसका अध्यक्ष बनाया था । ब्राह्मणों का पूरा वोट तो नहीं मिला मगर मिला । फूलपुर के एक ब्राह्मण बहुल गाँव में कई पंडितों ने कहा कि सपा को हराने के लिए बसपा को दिया था । वैचारिक तालमेल नहीं था । इस बार भाजपा को देंगे । 2012 के विधानसभा चुनावों में ब्राह्मण बसपा से दूर जा चुका था । बसपा चुनाव हार गई । क्या इस बार ब्राह्मण उम्मीदवार अपनी जाति का वोट ले आएगा जिसे जाटव और मुसलमान मिलाकर जीता देंगे । ऐसा होता दिख नहीं रहा है । ब्राह्मण मतदाताओं में सजातीय उम्मीदवारों के कारण बसपा के प्रति ख़ास उत्साह नहीं दिखता । तो इन इक्कीस ब्राह्मण उम्मीदवारों में से कितने जीतेंगे यह आपको ज़मीन पर दिख जाता है ।
इस बार यूपी की लड़ाई में पिछड़ी जातियों का बड़ा रोल रहेगा । बसपा ने पंद्रह या सत्रह ओबीसी को टिकट दिये हैं जबकि भाजपा ने 28 को । भाजपा के ओबीसी उम्मीदवारों में ग़ैर यादव ओबीसी जातियाँ ज़्यादा हैं । भाजपा ने लोध जाति के नेता कल्याण सिंह और पटेलों की नेता अनुप्रिया पटेल को मिलाकर अपनी ज़मीन मज़बूत की है । कुर्मी पटेल और कुशवाहा मतदाताओं का बड़ा हिस्सा भाजपा की तरफ़ जा रहा है । ये जातियाँ बसपा और सपा में हुआ करती थीं । इनसे पहले भाजपा के साथ रह चुकी हैं । इनका कहना है कि बसपा सपा दोनों अपनी प्रमुख जातियों को ही आगे बढ़ाती रही हैं इसलिए ग़ैर यादव पिछड़ी जातियों का विश्वास बैकवर्ड सोशलिस्ट राजनीति से कम हो गया है । इसमें आर एस एस के प्रयासों को अनदेखा नहीं किया जा सकता । मुलायम सत्रह ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में डलवाना चाहते हैं और मायावती इसका विरोध करती हैं । उसी तरह से मुलायम मुसलमानों के आरक्षण की बात करते हैं तो संघ या भाजपा ओबीसी को समझाते हैं कि उनके हिस्से से मुसलमानों को जायेगा । जो आरक्षण हिंदुत्व को कमज़ोर करने का हथियार बना था वही मज़बूत करने का औज़ार बन रहा है । मायावती या मुलायम दोनों इस आधार को खिसकने से बचाने के लिए वैचारिक संघर्ष करते नहीं दिख रहे हैं । सिर्फ टिकट देने की औपचारिकता काफी नहीं है ।
" भाई साहब आज भी बहन जी आक्रामक हो जायें तो हम बीजेपी को रोक देंगे" उस कार्यकर्ता को ऐसा क्यों लगा कि चुपचाप की रणनीति पर चल रही बसपा को लाभ नहीं हो रहा है । इतना भी क्या चुपचाप कि किसी को पदचाप तक सुनाई न दे । मतदाता भी न सुन पाये । हर पार्टी अपना अस्तित्व बचाकर रखना चाहेगी । लगातार मत प्रतिशतों में गिरावट का सामना कर रही बसपा के लिए यह चुनाव काफी अहम है । अगर इस चुनाव में बसपा एवरेस्ट पर दोबारा न चढ़ पाई तो तीन साल बाद के विधान सभा चुनाव में भी नहीं चढ़ पाएगी । दिल्ली में बैठे मोदी को 2019 में यूपी की ज़रूरत फिर पड़ेगी । जिस यूपी को इतनी मेहनत से हासिल करेंगे उसे इतनी आसानी से छोड़ देंगे । क्या वे पिछड़ी जातियाँ बसपा की तरफ़ लौट आयेंगी । क्या ब्राह्मण भाजपा को इतनी जल्दी छोड़ देंगे । तब बीजेपी का नारा होगा कि यूपी का विकास तभी होगा जब दोनों सरकार भाजपा की होगी । क्या तब भी बसपा चुपचाप चुनाव लड़ेगी ।
बनारस गए अविनाश दास ने फ़ेसबुक पर बसपा उम्मीदवार के पर्चा भरने की कहानी लिखी है । उम्मीदवार देरी से आता है, बिना किसी दमख़म के आता है । अविनाश लिखते हैं कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं । बिना कांसपिरेसी थ्योरी के कोई चुनावी विश्लेषण पूरा नहीं हो सकता । यह थ्योरी क्या हो सकती है गेस कीजिये । क्या पता बसपा सबको ग़लत साबित कर तीस सीटें ले आये या क्या पता बसपा के कारण किसी को पचास सीटें आ जाये । बसपा ने कमाल कर दिया तो धमाल हो जाएगा और बसपा के कारण कमल खिल गया तो बवाल हो जाएगा । क्या पता किस वजह से किसका क्या हो जाए ।
mujhe pata nahi ravish jee basapa ye chupchap ki rajneeti kaise kar rahi hai phir bhi mujhe ye marketing based rajneeti(lahar) se jyada impress kar rahi hai. kyunki ye dono hi(chpchap aur lahar) ek extreem hain. aur mujhe khusi hogi agar ye chpchap ki rajneeti U.P. me jyada asasrdar hui to. mai nahi manta ki basapa sabse achhi parti hai lekin kam se kam vo aisa kar ke ye proove to kar degi ki election marketing ke dam pe nahi lada jana chahiye.
ReplyDeleteHarek election de pahle psephologists BSP ko kaam hi ankte rahen hai.
ReplyDeleteKya BSP ke samrathak tak inki pahuch na hoti hai ? ya phir BSP samarthak camera dekh idhar -udhar hi bargalate hai?
Kuch to hai BSP ki ran neeti , jo nazar nahi aa rahi hain.
Means lallu ji phir se acchi khaasi seat jeet jayenge loksabha me..
ReplyDeleteचुपचाप लाली छाप :)
ReplyDeleteरवीश जी , सादर अभिवादन । कल p.t. में आपने आजमगढ को समय दिया । इसके लिये आपका बहुत - बहुत आभार । मेरा गृहजनपद आजमगढ़ है । मैं उ० प्र० राज्य सरकार की सेवा में हूँ और अन्य जनपद में कार्यरत हूँ । आपके गृहराज्य से भी हमारे कई मित्र यहाँ सेवा में हैं । कई दिनों से इनतज़ार था कि आप आजमगढ कब आयेंगे ? आयेंगे भी या नहीं । आप आये । आजमगढ़ के इतिहास एवं गौरव से स्वयं परिचित हुए एवं सबको परिचित कराया । इसके लिये बारम्बार आपका धन्यवाद । हमारा जनपद जाति एवं सम्प्रदाय के खाचो में बटा हुआ है ।आगे भी ऐसी ही स्तिथि बने रहने की पूरी समभावना है ।यह यहाँ का दुरभाग्य है । इसीलिए यह जनपद काफी पिछड़ा है । आप अपने कार्यक्रम द्वारा ऐसे ही लोगों को झकझोरते रहिए ।कुछ न कुछ बदलाव तो आयेगा , जैसा आपने FM की RJ राहत से कहा कि दीवार में कहीं तो दरारें पडेगी ।एक बार पुनः आपका आभार ।
ReplyDeleteरवीश जी , सादर अभिवादन । कल p.t. में आपने आजमगढ को समय दिया । इसके लिये आपका बहुत - बहुत आभार । मेरा गृहजनपद आजमगढ़ है । मैं उ० प्र० राज्य सरकार की सेवा में हूँ और अन्य जनपद में कार्यरत हूँ । आपके गृहराज्य से भी हमारे कई मित्र यहाँ सेवा में हैं । कई दिनों से इनतज़ार था कि आप आजमगढ कब आयेंगे ? आयेंगे भी या नहीं । आप आये । आजमगढ़ के इतिहास एवं गौरव से स्वयं परिचित हुए एवं सबको परिचित कराया । इसके लिये बारम्बार आपका धन्यवाद । हमारा जनपद जाति एवं सम्प्रदाय के खाचो में बटा हुआ है ।आगे भी ऐसी ही स्तिथि बने रहने की पूरी समभावना है ।यह यहाँ का दुरभाग्य है । इसीलिए यह जनपद काफी पिछड़ा है । आप अपने कार्यक्रम द्वारा ऐसे ही लोगों को झकझोरते रहिए ।कुछ न कुछ बदलाव तो आयेगा , जैसा आपने FM की RJ राहत से कहा कि दीवार में कहीं तो दरारें पडेगी ।एक बार पुनः आपका आभार ।
ReplyDeletesab kar lena par bhool kar b MODI ki tareef mat kar dena kisi din...
ReplyDeleteNatija jo bhi aayega chokane wala hi hoga.
ReplyDeleteतथ्यपरक विश्लेषण!
ReplyDeleteतथ्यपरक विश्लेषण!
ReplyDeleteMera to manna hai ki BJP aur BSP ka match Fix hai. Yeh fix kaise aur kisne karvaya hoga ise batane kee jaroorat nahi.Bahanji ka asar UP me kam ee ho raha hai. Corporate to MODI nahi to Rajnath, inke bhi na banne kee shakl me ADVANI ya SUSHMA ko PM to baneyga. Govt to yen ken prakaren BJP ke hee banege, akhir jo money invest raha hai voh kaise vasoolega.
ReplyDeleteBihar me Lalloji Gathbandhan tootne ka fayda ko kitna cash par payenge yeh to 16 ko hee maloom chalega lekin voh nischit taur par JDU ko seats kam kar rahe hai. RJD aur JDU ka jod 22+-2 ke beech me hee hona chahiye.
ReplyDeleteRavish ji, aapke p.t. me mahilao ko jagha mil rahi hai, ye dekhna sukhad hai. kal aajamgarha ki 'rahat' ko sunkar achha laga. girls har bar ye sabit karti hai ki avsar milne par ve bhi aage ja sakti hai. badhiya prastuti.
ReplyDeletePata nahi BJP ke jeet jaane ke sambhavana se vampanthi,laal kubuddhi type anchors ko pet main dard kyon hone lagta hai.Ravish bhai studio main baith kar modi ko nahi rok paaye toh abhi UP main jaativaad ka zehar faila rahe ho..Pet dard ke goli kaa dabba le lo 17th May ko kaam aayega
ReplyDeleteSIR JI appearances are usually deceptive ,who knows BSP kya plan kar rahi ho.
ReplyDeleteSIR JI kabhi-kabhi bahut bura lagta hai.
Ek shikayat hamesha rahti hai society se ,that is ,if one can not appreciate one's good work than one should neither depreciate it.
BJP ka UP me 50+ ka target including BSP ho. Kya aisa nahi ho sakta.
ReplyDeleteरवीश जी, माया की महिमा कोई न जाने.
ReplyDeleteलेकिन दलित + मुस्लिम + गैर (यादव, जाट, कुर्मी, लोध) पिछड़ा जिसमे कोइरी (कुशवाहा, मौर्या, सैनी), भेड़िहार जैसी जातिया + कुछ हद तक ब्राह्मण मिल के सपा और कांग्रेस का काम तमाम कर देंगे.
यह गठजोड़ जमीन पे कारगर है.
इसके लिए चैनल पे हवाबाज़ी की जरूरत नहीं है.
रवीश जी ये एक सवाल है जो मन ही मन परेशान कर रहा है कि क्या NDTV INDIA भी बाइयोस रिपोर्टिंग कर रहा ह???
ReplyDeleteNot Sure what kind of good work Ravish ji is doing for which Andhbhakat are praising him.Samaj ko jati k naam par todne ka kaam kab se accha ho gaya???Is this called journalism ???
ReplyDeleteKripya Andhbhakta logical jawab de
Ravishji mahilaon ko jagah dene ki liye dhanyawad.Gaon ki mahilaon ko thoda ur bolne ke liye encourage kar sakiye to aacha.Mushkil kam hi par aap kar sakiyega.
ReplyDeleteUP ke chotte jagaho ke Inter Colleges ur Degree colleges ko bhi cover kar sakte hi.
Ladkiyon ko bagawat ke liye uksate rahiyeeeeeeee
बसपा का वोटर कभी भी मीडिया के सामने बोलने वाला नही रहा है. सर्वे वाले जब उनके पास जाते भी हैं तो दलित उनसे बोलने में डरता है. मायावती की बहुत आलोचनाएँ हो सकती हैं लेकिन उनकी सोसल इंजी. गजब की है. रही बात यूपी की तो आप भूल रहे हैं कि कल्याण सिंह की जाति लोध भी सपा और कांग्रेस को वोट करती रही हैं. ठीक इसी तरह कुर्मी वोटों में अनुप्रिया पटेल एक क्षेत्र तक सीमित हैं. आप यह क्यों भूल रहे हैं कि शहरों, कस्बों या गावों के पढ़े-लिखे वोटर, जो कांग्रेस से नाराज थे उनका कुछ प्रतिशत आम आदमी पार्टी को भी गया है.
ReplyDeleteरविश जी , कुछ कमेन्टबाज़ जातिबाद का ज़हर घोलने का आरोप आप पर लगा रहे हैं.ये उसी जातितोड़क मंडल के सदस्य लग रहे हैं जिन्होंने १९३० के दशक में आंबेडकर को भाषण के लिए आमंत्रित किया था. लेकिन भाषण का कन्टेंट देखकर उनका आना रद्द कर दिया था जिसका बाद में Annihilation of Caste के रूप में प्रकाशित हुआ. इन जातितोड़कों की सच्चाई तब खुलती है जब सुई थोड़ा अन्दर घुसाइए. खैर,यू पी की चुनावी विश्लेषण के लिए बधाई. अच्छा है. सटीक है. आज-कल बहुत सारे लोग मोदी की गोदी में बैठने को तत्पर हैं. इसमें एक नया या बहुत पुराना नाम किरण बेदी की है. दिल्ली की नयी मुख्य मंत्री. अघोषित रूप से कांग्रेस से भी सहमती बन गई है.एक-एक करके सारे अरविन्द विरोधी अन्नाई नेता मोदी की गोदी में बैठ चुके हैं. वैसे तो अन्ना अप्रासंगिक हो चुके है. लेकिन ये लोग पता नहीं किसको धोखा दिए. अरविन्द ने कम से कम,एक बहुत छोटा ही सही,इस भ्रष्ट व्यवस्था के विरोध की आवाज़ तो बने. किसी की गोद में बैठना बहुत आसान होता है.
ReplyDelete1930 se bahar niklo Kejri k commentbaaz..nation needs stable governement
ReplyDeleteएके४९ के असली चेहरे की बात करिए, यह भ्रस्ताचार, यह कम्युनलिज्म, सब तरीके हैं असली उद्देश्य को प्राप्त करने के - देश में एक स्थिर और मजबूत सरकार न बनने देना
ReplyDeleteशाजिया भौजी का सेक्युलर वीडियो देखा। अब ये जानने की उत्सुकता है कि आपिये इसके बचाव में क्या कहते हैं
ReplyDeleteBSP KO Hamesha Understimet Kiya Jata Raha Hai. Media ne Khud Ko Self Regulate Kam Se Kam B S P K Mamle Me Jarur Kr Rakha H. Media K Lye B S P Matlb MAYA K Mala Or Park Hain
ReplyDeleteआज आजमगढ़ का एपिसोड देख कर एक बात दिमाग में आई की आप जो सड़कों की खाक छान ते हो उसका कोई फ़ायदा नहीं होता दीखता !
ReplyDeleteहम दर्शकों की आँखों में ज़रूर पानी दे जाते हो लेकिन नेता लोगों बदजुबानी पे अब भी जारी है !
Nitin ji stable chahiye to Manmohan le aaiye ..10 saal aur chal jaayegi..aur jati to aapne khud hi tod rakhi hai ..mirchi kyu lag jaati hai fir dekh ke ..sach ..dekha nahi camera pe sab kaise garv se btate hai poora hisab ..kaun kiske sath kiske nahi ..itni himmat bhi nahi ki koi vote mangne bhi chala jaaye ek baar kehne ko hi sahi ..ache din aane wale hai ..ab to hum pakistani kehlane wale hai ..aage aage dekho...!!
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ReplyDeleteI am learning a lot about indian politics after watching your show followed by these blogs. I never paid so much attention.
ReplyDeleteI am learning a lot about indian politics after watching your show followed by these blogs. I never paid so much attention.
ReplyDeleteAvinash Ji
ReplyDeleteModi k aage badhne se aapko julab kyon lag jaate hai??Aapke ppas kya vikalap hai??Jaati se pet bhar jaata hai kya?Kabhi samaj ko jodne ke koshis kyon nahi kee katre aapje bhagwan Ravish Kumar???
Dont tell problem provide solutions..
Kuch logo ka kuch bhi nahi ho sakta hai.
ReplyDeleteLot of sympathy towards these people
,may GOD help them and shower his blessings on them.I would request the almighty to guide them.
AMEN.....
MUJHE TO SHAQ HO RAHA HAI KI KAHI 50 SEAT KE LIYE BHAI LOGO NE MAYA KO KHAREED LIYA HO YA PAISE KE SAATH CBI SE PROTECTION KA WADA KIYA GYA HO KYUKI AGAR KISI PARTY KO UP ME 50 SEAT CHAHIYE TO USE MAYA KE SAATH SAMJHAUTA KARNA PADEGA YA USE MANAGE KARNA PADEGA KYUKI UP KI JANTA SP SE DUKHI HAI TO AUTOMATIC MAYA WAHA POWERFUL HO GYI HONGI AUR AGAR MAYA KHUL KE KARE TO DUSRO KE LIYE WAHA 50 SEAT EK SAPNA HO JAYEGA. KUCH TO HAI JO DAAL ME KALA HAI YA SHAYAD POORI DAL HI KAALI HAI....BAKI TO JO HAI SO HAIYE HAI
ReplyDeletevikalap nahi hai to kya sar pe baitha le Modi ko..neta logo ke waise hi dimag kharab rehte hai..solution yahi hai ki inhe bhagwan na banaye..mauka to de hi diya hai ..issbar..par iss leher ka hi nateeja hai ki rang badalne lage hai ..din pe din..inhe daba ke rakhne mai hi bhalayi hai ..!!
ReplyDeleteyeh BSP he nahee kisi ke liye bhi sach hai- agar ap zamane ki raftar se nahee chal rahe hai to pichhad he jayenge. Kintu jo log naye raste per chalte hain we kitna bhi dheema chale , pichhadte kabhi nahee. Ab BSP ke pass do hee vikalp hai- naya rasta ya dhwast hona.
ReplyDeleteAvinash Ji
ReplyDeleteSamarthan karna sir par chadhana nahi hota..Waisey yah aap nahi aapki chidh/Kuntha bol rahi hai..Modi ke sarkar aap jaisey vampanthi/jativadiyon ke kripa se nahi balki desh ke janta dwara loktantrik chunav kar k aayegi..so be cool..
Nitin bhai jin logon ko samjhane Ka aap prayatna kr rhe ho WO kuntha v avsaad se grasit vightankaari vichaaron wale hain.in PR apna samay aur shakti vyarth na hi karein to behtar.aap Maane na maane PR yahan is blog PR lagbhhag sabhi aaptards hi hain.Maine bhi ye blog mere ek aaptard mitra k kehne PR hi padhna shuru kiya h Ki dekhiye kitne krantikaari vichaar hain.lekin kuch hi post padhne PR samajh me aaaya Ki kuch ni h bas modi virodh Ka ek aur jariya bhar h.khair chodiye inhe aur yadi energy Ka sahi istemaal krne k liye apne kshetra k logon ko samjhaiye behtar vikalp k baare mein aur ye bhi Ki kyun WO behtar h.shubhkamnayein
Deleteविनय जी
ReplyDeleteजो लोग सदियों तक जात पात के नाम पे सबसे ज्यादा सताए गए
आजादी के बाद जात पात को सबसे ज्यादा उन्ही ने बढ़ावा दिया
जव रवीश जैसे रिपोर्टर भी जातीय समीकरण आपने प्रोग्राम में समझा रहा है की इतने वोट यादव के इतने ठाकुर के इतने जाटव के.
तो ये भी इक प्रकार का जातिवाद है
भैया जी जो आप कह रहे है उससे शायद ही ही द्विज जातिवादी लोगो को दिक्केट हो
लेकिन हम जैसे बड़ी jaat में पैदा लोग जो जात पात में bharosa नहीं रखते उनका क्या होगा?
भाई , आशीष,
ReplyDeleteकिसी भी चीज़ को सन्दर्भ में देखना चाहिए. मैं भी उसी नाव में सवार हूँ जिसमे आप हैं. जाति भारतीय समाज की सच्चाई है . यह एक ग्रेडेड व्यवस्था है जहाँ प्रत्येक जाति के पास कुछ न कुछ होने जैसा होता है (शायद दलित या आदिवासी अपवाद हो सकते हैं)जहाँ वो अपने से निचले पायदान पे रहने वाली जाति से ऊपर होता है. यही कारन है की जाति व्यवस्था नहीं टूटती और राजनीति में भी इसी पहचान के साथ इनका लोकतंत्रीकरण हुआ है.
Ravish Bhaiya Pranam,
ReplyDeleteBSP ka chupchaap rahna ranneeti hi ho sakti hai kyunki western UP jahan 2012 mein bhi BSP sabse aage thi wahan bhi prachaar kaisa hua ye sab dekh paa rahe hain. Iska kai arth ho sakte hain lekin sabse sateek jo aaklan lagta hai wo ye ki Bahanji SP ke virodh mein BJP ko support kar rahi hain chupchaap, kyunki Khulkar support karne se Muslim voter toot sakte hain. To bahanji nahin chahti ki dhruvikaran ki jo koshish BJP kar rahi hai usme bantwara ho. Iske badle mein 2017 mein support, CBI, package politics etc. sabhi ya kuchh factor ho sakte hain. baaki BSP ka iraada sandeh to jagaata hi hai. Baki to jo hai so haiye hai.
regards
ravishji aapki sabhi post mese kuchh to naya aur achchha milhi jata hai aaj dopaharko mene ndtv shru kai to praymtime me ek viklang vyakti se ap bat kar rahethe me bhi blind hu hamare gujarat me sab kahete hai ki vikasto bahut hai par juth ki buniyadpar mere jaise viklang sarkar ko shayad kam hi nazar padte hai meto primary teacher hu par ab mere jase blind logo ko sarkar job denise mana karti hai plz agar vakht mile to kabhi bharat ke viklango ki samasya ko bhi apne karyakrm me sthan dijiye ga chunav ke bad hi sahi thanks
ReplyDeleteहम भेष बदल कर फकीरो का , देखेंगे खेल बनारस का। कहते है बनारस भारतवर्ष में ब्राह्मणो और कर्म काण्ड की भूमि रही है. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिस कांग्रेस की स्थापना की ओ ब्राह्मणो और मुस्लिम समीकरण पे आधारित था। जब तक सत्ता ब्राह्मणो के हाथ रही तब तक, हिन्दू मुस्लिम एकता जिंदाबाद , जातिवाद और सम्प्रदायवाद को पिछड़ी सोच की तरह देखा जाने लगा, एक बुद्धिजीवी विचार सा बन गया हिन्दू मुस्लिम एकता। हमने भी बचपन पे यही पढ़ा, जाना , और समझा है।
ReplyDeleteजब कांग्रेस के हाथ से ब्राह्मणो की सत्ता छूटी, छेत्रीय पार्टीयो कस उदय हुआ, मुस्लिमो का भी कांग्रेस से मोह भांग हुआ, तो सत्ता पे अपनी पकड़ के लिए ओहि बुद्धिजीवी समाज आरएसएस का थिंक टैंक बन गया और यही से इनका प्रोपोगेंडा (पुश्तैनी काम ) शुरू हुआ। आज आलम ये है, गांधी जी को गली देना, अल्प संख्योको को डरना, नाथूराम जैसे लोगो का महिमा मंडन करना इनका प्रमुख्य सामाजिक एजेंडा है। ये ओ बुद्धिजीवी है जो अपने समाज के (अनुशुचित जाती, अनुशुचित जनजाति ) लोगो तो तो आज तक अपना नहीं सके लेकिन विश्व गुरु बनाने का दम भरते है।
बनारस में सबसे ज्यादा जन ब्राह्मणो की है और ऐसे जगह से मोदी हार जाये, ये तो ब्राह्मणो की कुटिलता, तथाकथित श्रेष्ठता, और राजनीति पे प्रश्नचिंह खड़ा करना हुआ। इस लिए रविश जी मान लीजिये अभी स्टाइल में रहना है , बुद्धिजीवी कहलाना है तो, मुस्लिम विरोध किया कीजिये जो राष्ट्रवाद का पर्यायवाची शब्द है इनके डिक्शनरी में।
आप को समझा सकु मुझमे ये दम नहीं
इस लिए
हम भेष बदल कर फकीरो का , देखेंगे खेल बनारस का।
sir i love to read your blogs
ReplyDeleteये दबदबा, ये हकूमत, ये नशा-ए-दौलत;
ReplyDeleteसब किराये के मकान हैं, किराएदार बदलते रहते है।
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ReplyDeleteBehenji ne jab khud na ladne ka faisla kar diya tha tabhi se lag raha tha kuch daal mei kala hai. Lagta hai BJP ab jaake Congress se politics ke tricks seekh chuki hai. 40-50 toh certain lag rahi hai BJP ki usse zyada bhi jaa sakti hai
ReplyDeleteSadar abhivadan,
ReplyDeleteIs baar ki chunav mein ek hi ratna nikla tho woh hai aapke coverage. Bahut Khoob. Jis din aap bi raj neethi mein uthroge, us di desh ka bhala hoga ...
Hum Mumbai ke hain aur hamari Hindi ki kamjori maaf ki jiye..
Shukr Gujaar
Sadar abhivadan,
ReplyDeleteIs baar ki chunav mein ek hi ratna nikla tho woh hai aapke coverage. Bahut Khoob. Jis din aap bi raj neethi mein uthroge, us di desh ka bhala hoga ...
Hum Mumbai ke hain aur hamari Hindi ki kamjori maaf ki jiye..
Shukr Gujaar
Manoj Bhai
ReplyDeletePoori tarah sahmat hoon..Hamare yahan election ho gaye hain and we did ground work and ensured 74 % voting in our booth.
Here some are andhbhakta,some are fool and some are laal salam vale.I am trying to explain first 2 sections.Thoda maje bhee le leta hoon.
thanks for the supprt.
bilkul sahi kaha Ravish ji apne agar is baar BSP kuch nahi kar payee to UP me to iska kaam kahtam hai...
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