चैनल देखना छोड़ दिया था । बल्कि गंभीरता से लोगों से कहता हूँ कि वे इन्हें न देखें । बहुत कुछ अच्छाइयों और संभावनाओं के बाद भी चैनलों को तमाशाई में बदलता देख मेरे पास कुछ करने का यही रास्ता बचा था कि देखूँ ही ना । जब कुछ कर नहीं सकता तो क्यों देखें । मैंने देख है न्यूज़ चैनल लाखों रुपये बेमतलब के कार्यक्रमों में बर्बाद कर देते हैं मगर अच्छे प्रतिभाशाली लोगों को मौक़ा नहीं देस। और न ही अच्छा कार्यक्रम बनाने के लिए वक्त देते हैं । इसीलिए ये भी नहीं कहता कि आप मेरा शो भी देखिये ।
आप मेरी इस हताशा को नहीं समझेंगे । आपकी प्रतिक्रिया में भी वही घिसापिटी प्रतिक्रिया है । मेरी हताशा इसी बहाने एक और बार निकली है और कई बार निकलेगी । हमने एक बेहद प्रभावशाली माध्यम को निरर्थक बना दिया । मुझे तो देखने वालों की बुद्धि पर भी तरस आता है जो इनदिनों टीवी की बेतुकी बहसों में ख़ुद को उलझा पाते हैं । कई बार सोचता हूँ कि इनमें ऐसा क्या है । क्यों देखते हैं । खैर दर्शक को कैसे दोषी ठहरा सकता हूँ । ख़ुद को क्यों नहीं । स्पीड न्यूज़ देखते वक्त एक दर्शक अपना टीवी क्यों नहीं तोड़ देता । मैं क्यों हताश हूँ । मुझे तो मौक़े भी मिले हैं लेकिन मैं अपने लिए हताश नहीं हूँ । वैसे ख़ुद के लिए भी हूँ ।
राज्य सभा टीवी को संविधान के लिए बधाई । देखने लगा । देखते देखते गला भर आया और आँखें भींग गईं । उसमें रूलाने जैसा कुछ नहीं था फिर भी मैं रोने जैसा रो रहा था । श्याम बेनेगल ने अच्छी शुरूआत की है । संविधान की कथा को एक किस्से में बदला है । उनके पात्रों को देखते सुनते लगा कि इनके सामने कोई देश नहीं था मगर इन सबके दिलो दिमाग़ में एक देश है । आज की सियासत किस निर्लज्जता से किस्से ढूँढ ढ़ूंढ कर हिन्दू मुस्लिम करती है। हर किस्से को झूठ में बदलकर राजनीति करती है । तब तो जिन्ना एक था आज कई जिन्ना खुलेआम घूम रहे हैं । उस जिन्ना का नाम लेकर मुस्लिम जिन्ना पैदा हो रहे हैं और हिन्दू जिन्ना भी । आशा है संविधान की इस कथा में आज का दर्शक उस विमर्श को समग्रता में देखेगा और हिन्दुस्तान के बनने के भाव को आत्मसात करेगा जो हमारे सामने एक किताब के रूप में है । स्वरा ने एंकर का काम एंकरों से भी अच्छा किया है ।
स्टार पर सत्यमेव जयते की शुरूआत में बने मेंटांज के लिए आमिर प्रोडक्शन ने ख़ूब मेहनत की है । देश को जोड़ा है । पूर्वोत्तर के भी शाट्स हैं और लद्दाख के भी । आमिर अपनी हैसियत का लाभ उठाकर उन मुद्दों को अपना कान देकर आवाज़ दे रहे हैं जिन्हें चैनल भी दिखाने की गंभीरता और औपचारिकता दोनों निभाकर छोड़ देते हैं । आमिर इन्हें अपने तरीके से दर्शकों के दिलों दिमाग़ में उतरते हैं । पहले एपिसोड में झकझोरने जैसी बात तो नहीं है मगर किसी जानी हुई बात को फिर से सुनें जाने की ज़िद और गंभीरता दोनों हैं ।
एक दर्शक के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है । रविवार को दो घंटे न्यूज़ चैनलों की सड़ांघ से दूर रहने का मौक़ा मिलेगा । अपने बच्चों को ये दोनों ज़रूर देखने के लिए कहिये । बच्चों से ज़्यादा ज़रूरी है आप ख़ुद देखिये । हमारे देश में दहेज़ लेकर शादी और नौकरी के बाद कई लोग पढ़ना छोड़
देते हैं । देखना भी बंद कर देते हैं । सिर्फ सुनते हैं । सुनकर कुछ भी धारणा बना लेते हैं । अच्छा टीवी देखेंगे तो आपको फायदा होगा । न्यूज़ चैनल तो कब भी नहीं बदलने वाले ।
dard e fankar puchiye us takhliq se
ReplyDeletetalkh e kdardan zarf ho naseeb jise
about those programs which are even better than the two mentioned but watched by few.
Aap jisko lekar itne pareshan hai news walo se wo to sab jante hai aaj..but ek sawal jo hamesha mughe sochne par majboor karta hai ki aap blog mai kuch aur prime time mai kuch aur najar aate hai .."yogdan virodhi" rhiye ka kuch bhi..confuse ho jaata hu iss difference ko dekh ke..ke blog mai kya aap clear kar sakte hai ..ki prime time sirf aapka apna show hai..ya isme bhi ek bani hui line pe hi chalna hai..!!
ReplyDeleteहम भी देखेंगे, छूटे हुये को यूट्यूब पर।
ReplyDelete"....मुझे तो देखने वालों की बुद्धि पर भी तरस आता है जो इनदिनों टीवी की बेतुकी बहसों में ख़ुद को उलझा पाते हैं । कई बार सोचता हूँ कि इनमें ऐसा क्या है । क्यों देखते हैं । खैर दर्शक को कैसे दोषी ठहरा सकता हूँ । ख़ुद को क्यों नहीं । स्पीड न्यूज़ देखते वक्त एक दर्शक अपना टीवी क्यों नहीं तोड़ देता ।..."
ReplyDeleteअपनी टीवी बचाने के लिए यह मैं बहुत पहले कर चुका हूँ :)
अब समाचार टीवी पर देखने नहीं, अपने कंप्यूटर और मोबाइल पर बिंग/गूगल/जाइट जैसे ऐप्प के जरिए पढ़ने का काम हो गया है. अखबार भी अब लोकल पैम्प्लेट हो गए हैं जिसमें स्थानीय बाजार के विज्ञापन भरे पड़े रहते हैं. :(
सत्यमेव जयते …। संविधान की जय -जय।
ReplyDeleteटीवी और सिनेमा ----प्रभावशाली और परिवर्तनकामी जन माध्यम है / हो सकता है।
श्याम बेनेगल , प्रकाश झा … और आमिर खान। यथार्थ का जिस तरह से वर्णन करते हैं वह थरथरा देने वाला होता है। हमारी संवेदनाओं को सचेत कर जाता है। झकझोरा जाते हैं हम।
जी, अच्छी पत्रकारिता , अच्छा सिनेमा भी टीआरपी बटोर सकता है। मुनाफा बटोर सकता है। सरोकारी सिनेमा , प्रोग्राम भी करोड़ों का मुनाफा कमा सकता है। दर्शकों को विकल्प तो दिया जाय। यह एक भ्रम फैला दिया गया है जन रूचियों की आड़ में कि हम वही दिखाते हैं जो जनता देखना चाहती है। टीवी और सिनेमा जैसे ताकतवर माध्यम को सिर्फ मनोरंजन के बहाने जनविरोधी कंटेंट के हवाले नहीं किया जा सकता !
अन्ना हजारे के जनवादी -गांधीवादी आंदोलन को जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने शानदार कवरेज़ दिया था , वह कोई मीडिया की 'उदारवादी' नीति , एहसान या सरोकारों के प्रति एकाएक 'फिसलन ' या 'दायित्वबोध' के कारण नहीं सम्भव हुआ बल्कि टीआरपी के मानक पर भी अन्ना आंदोलन फिट और हिट था।
मीडिया का एक काम जन रुचियों का परिष्कार करना भी है। आमिर का काम इस मायने में सराहनीय और अनुकरणीय है कि चकाचोंध , ग्लैमर का खूब चर्चित चेहरा युवाओं , आम और खास लोगों को सरोकारों से जोड़ रहा है।
क्रिकेट , क्राइम , सिनेमा और अगड़म -बगड़म , फूहड़ कॉमेडी के टीवी युग में आमिर ने सामाजिकता के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है।
(अन्यथा न लेंगे …) रवीश की रपट , कमाल के राम, बुंदेलखंड (कमाल खान ) , आंदोलन (आज तक ) , पहल (जी न्यूज़ , आर पी सिंह ) जैसे कार्यक्रम भी बाजार के 'चलन' के दबाव के बीच शानदार एक पहल है। thaa. सरोकार को प्रमुखता देने की पहल।
मॉल , बाजार , फार्मूला वन , 20 -20 पर इतराने -इठलाने के बावजूद भूख , गरीबी , बेकारी , रेप , राजनीति की फिसलन , भ्रष्टाचार , अपराध , जाति -धर्म के अहंकार को हम अगर जारी रखे हुए हैं तो यह शोक का समय है न कि ब्रेकिंग , एक्सक्लूसिव का ! यदि जनता की रुचियों की आड़ में समाज , संस्कृति , सरोकार को हाशिए पर रखा जाता रहेगा तो समाज भी एक एक दिन इन्हें नकार देगा। सत्यमेव जयते !
rajyasabhatv, loksabhatv और DD Bharti मेरा पसंदीदा चैंनल है, जब भी मैं किसी दोस्त को ये बताता हूँ तो वो मेरा मज़ाक उड़ाते है, "ये सरकारी चैंनल भी कोई देखता हैं" !!
ReplyDeleteसत्यमेव जयते का इंतजार लम्बे वक़्त से था .....लोकसभा और राज्यसभा टीवी देखकर भी अच्छा लगता है .....
ReplyDeleteआपकी हताशा आपको पढ़कर और प्राइम टाइम में देखकर भी साफ समझ आती है..तभी शायद आप धडाधड पोस्ट किये जा रहे हैं| हम सभी हताश हैं ...तभी तो आपको पढ़कर लगता है ..खुद को पढ़ा हो जैसे|
इंतजार रहेगा जब PT के बहस से बाहर निकलकर आपके जरिये कुछ और देख पाएंगे.....
Aamir Khan sach me Bharat Ratna hi.
ReplyDeleteAl jazera ne ek Bangal ki National level Boxer pe ek bahot khub documentary bnai hai.
ReplyDeleteHamare news channels or BBC or Al Jazeera jaise channels se kuch seekhna chahie.
Aap har bar dil ko choote hai....... Pata nahi kaise...?
ReplyDeleteThose who do not have access to Rajya Sabha TV channel can watch the series on http://www.youtube.com/user/rajyasabhatv
ReplyDeleteAlso, there is a wonderful interview with Shyam Benegal on the series.
Aap har bar dil ko choote hai....... Pata nahi kaise...?
ReplyDeleteKya chahte hain ?? Apko bhi chhod dein ??? Ek do hafte pehle mujhe bhi bahas me uljhne ka saubhagya prapt hua ... ab dhire dhire ubar raha hun ..aap bhi kuchh aur madhyam babayiye to beshak tv chhod dein ..... ... kal beti wala lekh marmspashi tha...
ReplyDeleteनिःसंदेह सत्यमेव जयते एक सराहनीय प्रयास है। इससे हमारे तंत्र में क्या बदलाव होगा, नहीं कह सकता पर अगर हमारे मस्तिष्क पर ही कुछ असर कर जाये तो सार्थक है।
ReplyDeleteसतयमेव जयते हमारे समाज और सामाजिक व्यवस्था को जगाने की एक सराहनीय कोशिश कर रहा है। हम सबको इसमें शामिल होना चाहिए।
ReplyDeleteरविश जी कल फेसबुक पर एक यंग लड़के ने एक मेसेज पोस्ट किया . संभवतः उसका अपना नहीं था. शायद उस प्रचार तंत्र का था जिसका नेतृत्वा मोदी कर रहे हैं. पोस्ट: भारत की दो तस्वीरें - इलाज के लिए रु 250 नहीं होने के कारन बच्चा मर जाता है और येही बताने के लिए आमिर खान 3 करोड़ लेता है -इससे अर्जित राशी कई मदरशों एवं इस्लामिक कट्टरपंथियो को जाता है- असत्यमेव जायेते . यह इस देश का युवा है. facebookiya.
ReplyDeleteaapne sahi kaha . ye bachho ke sath dekhana jaruri hai. kam se kam kuch to tv par sarthak dekhne ko mila.
ReplyDeleteराज्यसभा टीवी पर संविधान मिस कर गया । रिपीट आयेगा क्या ?
ReplyDeleteसबसे बढिया येह है
ReplyDeletesir,agar news channels vale acche program nhi banate hai...to aap koi accha program banaiye na,aap ka show ravish ki report bht pasand kya tha logo ne fir aap ne vaisa kuch banana kyu band kr dya..
ReplyDeletesir,agar news channels vale acche program nhi banate hai...to aap koi accha program banaiye na,aap ka show ravish ki report bht pasand kya tha logo ne fir aap ne vaisa kuch banana kyu band kr dya..
ReplyDeleteरविश जी आपका शी इसीलिए देखता हूँ कि रिलेट करता हूँ आपसे और आपकी भावनाओं से। यह जो आपने कहा ना कि आँखें भर आयीं। मेरी भी भर आयीं थीं। क्यूँ ? समझा नहीं सकता और अगर कोशिश करूंगा तो मतलब शायद कुछ और निकलेगा लेकिन समझ सकता हूँ। दोस्तोयवस्की का ईडियट ही समझ सकता है ऐसी भावुकत।
ReplyDeleteसंविधान तो नहीं देखा पर सत्यमेव जयते देखा और मैं उसमे भावुक हो गया पर मेरा भावुक होना उस समय सार्थक लगा जब खबर आई की सरकार ने मेडिकल वाला वो पॉइंट सुधार दिया है , जो काम नेव्ज़ चैनलों को करना चाहिए था वो काम सत्यमेव जयते बखूबी कर गया ...
ReplyDeletesatyamave jayte achcha program hai. Main bhi rumaal lekar baithta hoon. Is baar bhi jab aansoo ponchch raha tha to chhoti bitiya poochch rahi thi papa ro kyon rahe ho. Ab use kya samjhaayen. Samvidhaan nahin dekh paaya per ab miss nahin karoonga. Per haan aapka prime time sach kahoon to aap jaise patrakaaron ki pratibha ke saath nyaay nahin karta. per band mat kariye aapse milne ka yahi saadhan hai. Abhi pichchle dino aap nahin aaye to tension hone lagi bhaiya kahan gaye.
ReplyDeleteSir aak ka Sunday to mera bhi sarthak ho gaya, ek ek kar ke aapke pore mahine ke post pad liye, maja aa gaya.
ReplyDeleteSir aak ka Sunday to mera bhi sarthak ho gaya, ek ek kar ke aapke pore mahine ke post pad liye, maja aa gaya.
ReplyDeleteउमदा
ReplyDelete