मोड़ माड़ के छतरी बन जायेंगी अटैची

मोहल्ले में एक शौक़ीन चायवाले हैं । मिट्टी के ख़ूबसूरत ग्लास में चाय पिलाते हैं । चाय भी बेहद लगाव से बनाते हैं । मिट्टी के बने लाल ग्लास बेहद ख़ूबसूरत लगते हैं । आज उन्होंने बताया कि बिल्कुल नई छतरी लाया हूँ बैठने के लिए । आप उद्घाटन कर दीजिये । 


दाम तो नहीं बता सके लेकिन कहा कि इस छतरी को आप समेट कर अटैची में बदल सकते हैं । फिर होल्डर पकड़ कर उठा लीजिये और घर ले जाइये । चारों सीटें छोटी हैं मगर फ़ोल्ड हो जाती हैं । 

मैं इस ब्लाग पर वैशाली का प्रोफ़ाइल करते रहता हूँ । कभी सेक्टर चार आयें तो इनकी दुकान पर चाय पीते जाइयेगा । यह भी देखिये कि कोई कैसे आवश्यकताओं को समझ रहा है । पटरीवालों के पास जगह नहीं होती । ये फोल्डिंग छतरी बहुत काम आएगी । 

11 comments:

  1. near mahagun mall or ramprasth\mannat farms?

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  2. Ravish ji ye Kulhad hi hai na? Ya miiti ka bana koi reusable glass hai?

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  3. पांच से छह: हज़ार रुपये तक मिलती है ये वाली अटैची, सर। पिछले साल सूरजकुंड मेले में देखी थी.. समंदर के किनारे अगर कहीं घर होता, तो ज़रूर खरीद लेती। :)

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  4. वाह ! गजब आईडिया है। दिमाग लगाया है। ग्लास तो बहुत ही सुंदर है। मीठी की गिलास में चाय का मज़ा ही अलग आता है। सोंधी सी खुश्बू। हाय ! कोई नोस्टैल्जिआ का आरोप न लगाए, तो कुल्हड़ में ज़रा सी चाय पिला दो। प्लीज।

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  5. इस तरह की छतरी मैं पहिले देख चुका हूँ। देहरादून से मसूरी जाते वक़्त कुछ जवान लड़कों को सड़क किनारे ऐसी ही छतरी लगा कर मदिरापान करते देखा था।

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  6. गाज़ियाबाद में लालकुँआ से थोडा आगे बढ़ने पर भाटिया मोड़ पड़ता है। उस से भी थोड़ा आगे बढ़िये तो एक तिराहा पड़ता है जहाँ से एक सड़क दाईं ओर अम्बेडकर मार्केट के लिए जाती। उसी तिराहे पर एक चाय वाला है जो देसी कुल्हड़ में चाय देता है। जब हम गाज़ियाबाद में पढ़ते थे तो सुबह 4 बजे वहीँ चाय पीने जाते थे। चच्चा दुकान भी 4 बजे ही खोल देते थे।

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  7. वाह, नश्वर जगत में समेटने पर ज़ोर।

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  8. जबरदस्त है यह आईडिया । थोडा शाइनिंग लुक भी दे रहा है । अपग्रेड हो गयी उनकी दुकान । वाह !

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  9. खूबसूरत है पर शायद उतनी ड्यूरेबल (टिकाऊ) नही है कि दिन भर चाय पीने वाले ग्राहकों का बोझ झेल सके ।

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  10. रवीश जी आपकी दृष्टि गजब की है। आपने बात पकड़ ली। बेशक छत्री देख कर समझ आता है की कोई जरूरत को समझ रहा है। लेकिन कौन। यह इन्नोवेशन भारत में क्यूँ नहीं। कह नहीं सकता पर लगता है चीनी आयात ही होगा। खिलौनों से लेकर पिचकारियों तक नए नए तरीके। हमारे जमाने में पिचकरियाँ बस एक ही तरह की थीं। किसी भारतीय ने नहीं सोचा होगा कि कुछ नया करें।

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  11. मेरे पास है यह फोल्डिंग कुर्सी टेबुल. इसके साथ लगी छतरी का प्रयोग करें न करें. लेकिन बच्चों के लिए अच्ा वर्कस्टेशन है ये, इसमें कोई शक नहीं.

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