शायद २००५ का साल था । बिहार में चुनाव हो रहे थे । अपने ही गाँव से रिपोर्ट कर दिया । मेरे गाँव में बिजली कब आएगी । पर कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि देश के लाखों गाँव में बिजली नहीं है । उस रिपोर्ट के उत्साह में सुशील मोदी जीत के दिन पटना दफ़्तर आए थे । खुद से कह दिया कि आपके गाँव में भी बिजली आएगी । भूलने की शिकायत नहीं है । नीतीश श्रेय लें या मोदी लेकिन सच यही है कि बिहार के कई गाँवों में बिजली तो आई ही । मेरे गाँव के आस पास के गाँवों में भी बिजली आ गई है । वहाँ का जीवन काफी बदला है । बिजली की उपलब्धता में भी लगातार सुधार है । ज़िला मुख्यालयों में भी लोग बता रहे हैं िबदली रहने लगी है । वर्ना तो उसकी बात आने जाने के संदर्भ में ही होती थी । कब आती है कब जाती पता नहीं चलता । अब लोग कहते हैं कि बिजली रहती है । इस सुख को गुजरात पंजाब वाले नहीं समझेंगे ! उन्हें तो बिजली काफी समय से मिल रही है । अगर नीतीश कुमार और उनके बिजली मंत्री ने गाँव गाँव बिजली दे दी तो यह उनकी तरफ़ से बड़ा योगदान हो जायेगा । बाक़ी तो जो है सो हइये है ।
कुछ जानकारियाँ मिली हैं कि बिहार सरकार ने पिछले नवंबर को केंद्र के पास एक एक टोला और मोहल्ला में बिजली पहुँचाने के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजा था । इस रिपोर्ट को तैयार करने को लिए जीपीएस का इस्तमाल किया गया है । एक महीने के भीतर केंद्र ने मंज़ूरी दे दी है । शायद नौ हज़ार करोड़ रुपया बिहार को मिलेगा । बिहार सरकार का बिजली मंत्रालय दिन रात इस बात में लगा है कि फ़रवरी तक काम के आदेश जारी कर दिये जायें ताकि एक साल के भीतर बिहार के हर गाँव और टोले में बिजली चली जाए ।
मेरे पिताजी तो बिना बिजली का स्वागत किये ही दुनिया से चले गए । पंद्रह सोलह साल पहले घर में वायरिंग करा दिया था कि बिजली तो बस आने वाला है । हर महीने साल बिजली के आने की बात करते थे । तरह तरह की योजनाएँ बनाते थे । फिर पुराना टीवी सेट ले गए और मेज़ पर सज़ा कर दिखा कि बिजली आएगी । बाद में टीवी बैटरी से चलने लगा और जनरेटर से । पाँच साल पहले जब नीतीश कुमार से मुलाक़ात हुई थी तब कहा था कि सर क्या मेरे गाँव में बिजली आ सकती है । उन्होंने कहा कि जब सबके यहाँ आएगी तो आपके यहाँ भी आ जाएगी । बीच बीच में कुछ अफ़सरों से ज़रूर कहा । अन्य लोगों ने भी अर्ज़ी पर्ची लगाई । सबके प्रयास से बिजली आने की संभावना निकट है । धीरज रखना पड़ता है । बिजली को लेकर हम इतने सामान्य होते जा रहे हैं कि इस उत्सुकता को कोई दर्ज ही नहीं कर रहा । कोई अख़बार भी नहीं लिख रहा है कि किसी गाँव में पहली बार बिजली पहुँची तो वहाँ क्या हुआ । दिल्ली में माता जी ख़बर सुनकर ही खिल जाती हैं । वहाँ फिर से रहने की योजना बना रही हैं । बिहार सरकार का शुक्रिया । आस पास के टोलों में भी पहुँच जाए तो क्या बात । इस खुशी में वहाँ काम कर रहे बिजली विभाग के अफ़सरों का भी शुक्रिया । अगली बार गाँव गया तो सबके पास गुलाब का फूल लेकर जाऊंगा । थैक्यूं कहने । सरकारी अधिकारी भी हमारे अपने ही हैं ।
इस खुशी को आप नहीं समझेंगे । बिजली आ रही है भाई । अंजोर ! अन्हार भाग जाईं । गाँव में वक़ील साहब रात को मुक़दमे की फ़ाइल पढ़ सकेंगे । मोबाइल चार्ज हो जाएगा । टीवी चलेगा । टार्च और डिजिटल लाइट को रेस्ट मिलेगा । बच्चे होमवर्क करेंगे । टीवी के चक्कर में लोग देर रात जागेंगे । अगर गाँव की लँगड़ी मार राजनीति का बुरा अनुभव रहा तब तो सलाम नमस्ते वर्ना अब दूसरी प्राथमिकता गाँव का स्कूल है । प्रस्ताव बना रहा हूँ । टीचर अच्छे ही होंगे । उन्हें प्रोत्साहन और सुविधायें दी जायें तो क्या नहीं कर सकते हैं । छात्र कितनी इज़्ज़त करते हैं उनकी । एक टीचर ह्रदय कुमार के साथ घूम रहा था । खेत खलिहान से गुज़रने वाला हर बच्चा परनाम माट साब कहता है । तो दोस्तों दुआ कीजिये कि बिजली का आगमन हो जाए । दायें बायें करने की स्थानीय राजनीति से भी निपट लिया जाएगा । पहले बिजली आ तो जाय । अब तो कोई नहीं कहेगा न कि क्या तुम्हारे गाँव में बिजली नहीं है !
मुबारक हो रवीश भाई ! बरसो पहले हमारे गाँव मे भी बिजली आयी तो इसी तरह का ही माहौल था ये बात अलग है कि आज भी कुछ ही घंटे आती है।
ReplyDeleteAapko bahot bahot badhai.Sarkari kam hai der ho jati hai.Aur SIR aapne mare sawal ka jawab nahi diya jo maine aapse pucha tha.Please mujhe journalisum karane vale institution ka name bataiye.Ummeed hai is bar aap jawab denge.Sayad aap hamara comment padte honge.
ReplyDeleteAur ek baat kal ki debate parso se jayda acchi thi.
ReplyDeleteऐसे नीतीश बाबू बोल रहे है कि अगर घर-घर बिजली नहीं पहुँचाया तो अगली बार वोट मागने नहीं आयंगे। स्कूल और शिक्षक वाली बात सही है गाँव मैं शिक्षक लोगो कि जितनी इज़ज़त होती है उतनी शायद ही कही होती होगी। और ये मास्टर साब कहने मे जो आदर दीखता है वो सर मे नहीं है !
ReplyDeleteaap bina bijli waale ye din bhi jeevan bhar yaad karenge
ReplyDeleteBahut achha lekh. Mere gaanv ki bhi haalat lagbhag yahi hai. sasaram se 17 KM door. wahaan bhi bijli aane waali hai.. suna hai maine bhi.
ReplyDeleteEk aur baat. Aapki ye line "बाक़ी तो जो है सो हइये है" chura lene ka man karta hai. :)
चुरा लीजिये । ये मेरा नहीं है । मेरा कुछ नहीं है
ReplyDeleteतेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ।। ;)
Deleteसावधान रहिएगा । कुछ साल पहले मेरे गाव में भी बिजली आने कि गरमाहट थी । बहुत सारे खंभे लगाये गए और तार भी । मगर बिजली आजतक नहीं पहुँची । शायद बीच में रास्ता भटक गयी । खम्बे तो अभी भी लगे है पर तारो पर अब लोगो के कपडे सूखते है ।
ReplyDeletekharche ka ghar hai Ravish Bhai..
ReplyDelete12 ghante se jyada ko bijli to rahti nahin hain..
Invertors,batteries aur na jane kya,kya lagvana padega.
nitiya kis sarkar ki kharab hoti hai? kiryavanan kahan se layenge..
khair suna hain Champaran mein ke ek Pandey Ji .gaon mein chote aur self sufficient power generation par kam kar rahen hain,,kareeb 40 gaon pe ye prayog safal rahan hain
PS-- Ravish Bhai, IIT se paas kiye huen aur US mein koi MNC naukri ko tyagkar woh Pandey ji West Champaran mein power Generation par kam kar rahen hai,,,Babanomics aur AAP ka Shraap se unpar ek report to banata hain
ReplyDeleteBahut bahut badhayi Raveeshji.
ReplyDeleteBas yahi dua hai upar wale se k har gaon, har kasbe me, har sukh suvidha uplabdh ho jaye, desh ki pragati me chaar chand lag jayenge...
Mubarak ho.. sir.
ReplyDeleteMuze Kejariwal ka sapath vidhi ka coverage ka vidio dekhana hai jo aap ne cover kika tha.. please how can I ger ?
aaj log bijli k bina life ki kalpna nahi kr pate.......wahi kayi gaon aise hain jahan bijli pahunchi hi nahi.............yahi sach hai, baki sb dikhawa lagta hai.......
ReplyDeletebahut badhiya likha........
agli bar gaon jayiyega to likhiyega kitna kuchh badla..
आजकल नयी सरकार के राज में दिल्ली के हमारे इलाके में लाइट ज़रा ज़्यादा जाने लगी है। इस बार माँ आयी तो कहने लगी, "इससे अच्छा तो सीतामढ़ी हो गया है, चौबीस घंटे बिजली रहती है।" :)
ReplyDeletemubarak ...ho sir,
ReplyDeletehamare v gao me bijali aa rahi hai....aisa suna hi
Nitish babu ko ab akele vote magne jana hai na......
ReplyDeleteRenu sahib ke kahanee "Panch Light" ke yaad aa gayee. Is such ke liye sabd nahi hote. Mai to Amethi wala hoon. Bijli 1984 me aa gayee thee. Hajipur me pichle ek saal se rahte yeh kah sakta hoon ki Bijli ke kshetra me kafee kaam ho raha hai.iske liye Nitish Govt Badhai kee patra hai.
ReplyDeleteहमारे गाँव में तो वर्षो से बिजली और उसका एक खम्भा है ,परन्तु वो कम्बख्त आती कम और जाती ज्यादा है इसलिए अब भी अन्जानी सी ही है...... फिर भी बधाई हो आपको .......
ReplyDeleteआनन्द मनाइये, विकास आपके द्वारे आया है।
ReplyDeleteबड़ी देर कर दी महरबां आते आते
ReplyDeleteबधाई हो सर खम्बे लग गये है तो बिजली भी आ ही जाएगी।
आज नहीं तो कल नहीं तो परसों......................
नहीं तो बरसो
मुझे भी बड़ी बेचैनी है की बिजली मेरे जोगीया टोला में भी आ जाती ।।
ReplyDeleteपिछले 3-4 दिनों से अपने गाँव में लग रहे बिजली के खम्भों को और बिजली के तार को देखकर मैं तो बस यही गाना गुनगुना रहा हु:
# मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू.....
बेहद शुक्रगुजार होता नितीश बाबु, बिजली बाबु और बाकी सब बाबु लोगो का अगर मेरे जोगिया टोला में भी एही लगले बिजली की तार आ जाती।।
पोलवा लागले 27 बरस ही तो हुआ है अभी।
और कितना इंतज़ार करवाएगी ये बिजली. :-(
बधाई हो.. चलिए इसी बात पर एक दावत तो बनती है..!! ;)
ReplyDeleteक्या कहा जाय...इसका मतलब लगता है कि नीतीश जी अगले विधानसभा चुनाव में गांव-गांव वोट मांगने जाएंगे...
ReplyDeleteपिछले कुछ वर्षो में बिहार के बहुत से गांवो में बिजली आयी है।पिछले कुछ वर्षो में बिहार के बहुत से गांवो में बिजली आयी है।
ReplyDeleteपर समस्या ये है कि कुछ गांवो में केवल बी.प.एल परिवार के लिए ही कनेक्शन दिया गया है।
ये हालत ज्यादातर गांवो कि है जहा कनेक्शन केवल बी.पी.एल परिवार (बी.पी.एल कार्डधारी)को ही दिया गया है।
ट्रांसफार्मर भी उसी क्षमता के लगाये गए है ।
पर बाकि लोग कहा पीछे रहने वाले है।
पुरे गॉव ने कटिया फंसा रखा है ।नतीज़ा ये कि ट्रांसफार्मर फूंक गया।
सिवान(बिहार)के ज्यादातर गांवो कि येही हालत है।
"बाक़ी तो जो है सो हइये है"।
Thoda dukh jarur hua, ki bijuri abhi tak pahuchi nahi.
ReplyDeletePar ab nazar na lagao is bijuri ko aise post likh kar, aisa na ho bas khambhe khade rah jaye.
Phir bhi badhai ho.
पिछले करीब सत्रह साल से गाँव नहीं गयी थी, जबकि बचपन में अक्सर गाँव जाना होता था ,तब वहाँ बिजली नहीं थी.पर बिजली के खम्भे लग चुके थे और हमेशा बात होती बस अगले साल तक बिजली आ जायेगी. शाम होते ही आँगन में ढेरों लालटेन जलाए जाते और फिर बारी बारी से हर कमरे में पहुंचाए जाते . इस बीच गाँव में बिजली आ गयी और तुरंत मुझे सूचना नहीं मिली. एक बार जब बातों के दौरान पता चला तो मैं जैसे फोन पर ही ख़ुशी से चिल्ला रही थी,और बार बार दुहरा रही थी....." बिजली आ गयी..सचमुच बिजली आ गयी "
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ReplyDeleteSir please I want your views on the new policy of AAP for 90% quota for delhites beacause according to me it is very unfair for students from other states...please sir give your views and todays debate on this topic was superhittt...!! We felt a support from you and nandita ma'am ...m very thankful for you that ypu spoke on the beahalf of other state students !!
ReplyDeleteSir, 2005 me aapne report ki thi aur aaj jake aap ko pta chala hai ki bijli wa kai aane wali hai... Kahi ye AAP ka to effect nahi hai...
ReplyDeleteKhair jo bhi ho, bijli aa rahi hai yahi bhot badi bat hai...
आप गांव में कभी-कभार ही जा पाते होंगे, तब भी इतने खुश हैं। वे कितने खुश होंगे, जो हमेशा गांव में ही रहते हैं। इस खुशी का सही-सही अंदाजा कोई गांववाला ही लगा सकता है। जिसके पांव फटे बिवाई, वो ही जाने पीर पराई :)
ReplyDeleteमैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आपके गांव में ठेकेदार नहीं हैं। बिहार-झारखंड के जिस गांव में ठेकेदार नहीं होते, उस गांव का जल्दी विकास नहीं होता। वे ठेकेदार ही होते हैं, जो अपने मुनाफे के लिए ही सही लेकिन विकास की योजनाएं झटक लाते हैं। यदि आपके गांव में ठेकेदार होते तो बिजली कब का आ चुकी होती और स्कूल भी कब का बन चुका होता :)
बहरहाल, इस जगमग उपलब्धि के लिए आप को और आप के गांववालों को बधाई।
रविश जी बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteYe khabar sun kar mujhe apni naani ke gaanv "Jamuniya" ki yaad aa gai....jahan lo ye bataya karte the ki wahan 4 ghante bijali rehti hai...aamtaur par log kitni der bijali nahi rehati batya karte hain...
ख़ुशी हुआ जानकर कि आप भी हमारी बराबरी में आ गए. इसी दिवाली में हम भी पटना से एक टीवी और डीटीएच लेते गए थे गाँव जब पता चला कि १२-15 घंटा बिजली आ रही है. लगता है गाँव भी धीरे-धीरे शहर हो जायेंगे. सब सुविधाएँ आ जाएँ, बस शहरी संस्कार ना आएँ. बाकी त जो है.....
ReplyDeleteभ्रष्टाचार पर किया वादा नीतीश भले पूरा ना कर पाए हों पर बिजली में जी जान से लगी है सरकार. भाजपा पटना में बैठी नमो-नमो करती रह जायेगी और गाँव में चुनाव आते-आते नीतीश ही नीतीश होंगे. वैसे भी लोकसभा से ज्यादा नीतीश 2015 की तैयारी में हैं.
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteAaj apka apne gaon se laut kar wala blog bhi pada. To guru ek "panchlet" to likh hi do, banti hai. Ab hum Hindi padne walon par ye ek ehsan to kar hi do. Ab Aur koi us kahani ko wo izzat ni De payega
ReplyDeleteआमीन ! पढ़कर ही कितना रोमांच आ रहा है।
ReplyDeleteबिजली आने कि बात सुनी तो अतीत के एक कमरे का बल्ब ऑन हो गया। गाँव से तुलना नहीं कर रहा। वो अलग मसला है। पर महानगर और गाँव के बीच झूलते क़स्बे/"स्माल टाउन" के भी अपने किस्से हैं। हम लोग दिगविजयी काल के म.प्र. में रहे हैं। हर देवी देवता का दिन होता है - जैसे सोमवार भोलेनाथ का, अदि अदि। बस बिजली माता का ही न तो कोई दिन निश्चित था और न ही कोई समय तय होता था। मंदिर में छिड़के जा रहे गंगाजल के जैसे किसी पर भी, कितना भी छिड़क जाया करती थी। कृपानुसार। बिजली न होने पर शहरी/कस्बाई जीवन के अपने कुछ फ़ायदे भी थे। घर के सूरजमुखीय बल्ब, जो सूरज के बुझ जाने पर खुद भी बुझ जाया करते थे, तब शाम होने पर चोरों और लफंगों के सिवा, सब लोग बिना काम-धाम के खूब गपियास्टिक हो जाते थे।
फिर कुछ दिनों बाद बिजली माता ने सब घरों में आंशिक अवतार लिया - इन्वर्टर के रूप में। उसकी अलग लम्बी कहानी है। फिर कभी।
गाँव में बहुत पहले से जीवन बिना बिजली के अनुरूप ढला हुआ है। (ये गाँवों में बिजली न देने का बहाना/कारन हरकीज़ नहीं हो सकता )। पर इन छोटे शहरों का ढाँचा बना होता था बिजली की भरपूर उपलब्धता के पूर्वानुमान पर । इसलिए बिजली न होने पर उसके परिणाम, कष्ठ, मज़े थोड़े भिन्न थे। आँगन के छतरीनुमा बल्ब के डंडे पर लटकी लालटेन आज भी याद है। आजतक समझ नहीं आया दोनों में से कौन दूसरों में रौशनी भरता था।
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ReplyDeleteMera Delhi University ke 12 college ke reservation ke baare me kada question hai, jis par apne panelist ka jawab nahi suna, maaf kijiyega.
ReplyDeleteYe fund jo delhi ke revenue me se jata hai, is par delhi ke logon ka pura haq hai. Abhi wo apne fund se dusre rajyon ke logon ko pada rahe hai. Yeh ya to unke bachon ke liye kharch ho. Ya delhi ki sarkar dusre vikas karyon par kharch kare. Aur rahi chetriyta ki baat, to ye un local logo ke saath nainsafi hai, jo apna haq ka paisa dekar dusro ko padate hai.Chetriyta isse bhi panapti hai jab aap dusro ka haq chinte hai. Kashmir par rajniti sab karte hai, uska hal koi nahin dekhna chahta, aur kashmir ke log piste rahte hai, kashmir hamara hai sab bolte hai, par kya kashmir ke logon ko apnaya. Rahi maharashtra ki baat waha aap kisi se reservation nahi maang rahe. Is baat par aap delhi sarkar ko reservation se nahi rok sakte, ki kitne kam student waha bahar ke hai.Aap college ki quality girne ke naam par us college ko apni mehnat ki kamayi se paise dene walon se dhoka nahi kar sakte. Teachers ke liye ye bade gaurav ki baat hai ki unke yahan har jagah se bache padne aate hai. Par apne matlab ke liye aap unhi logon se dhoka nahi kar sakte, jo apni kamayi se aapki salary bhar rahe hai. Agar wo 90% karna chae to kar sakte hai. Ye delhi ke logon ka paisa hai, unke saath nainsafi na kare. Rahi kaun Delhi ka hai, to jo jaha se 12vi pass karta hai, waha ka domicile use milta hai, ye har rajya ka kanoon hai, aur aise hi 1-2 aur hai, apke parents ke naukri ke hisab se bhi domicile milta hai. Agar aap domicile rule badalna chate hai, to wo alag mudda hai, aur us rule ke hisab se jo dilli wala ho use reservation mile.
Na to me Delhi se hu, na maharashtra, na kashmir se, NDTV par comment karne ka jariya nahi mila, isliye yaha kar raha hu. Kaafi kuch kaha dusre cheezon se bhi comapre kiya, par is me kuch sachai bhi hai.
Maaf kijiyega bura laga to, par jo baat hai wo to haiye hai. Ye Delhi ka paisa hai delhi par hi kharch hona chaiye
रविश जी जबतक (१० वीं तक) गाँव/कस्बा में था हममे होड़ थी कि मेरे पास अच्छा वाला लालटेन (लमटेन) रहे.शाम होते ही उसकी सफाई करना दिनचर्या में शामिल था.पटना विश्वविद्यालय के हॉस्टल में आने के बाद भी उस लालटेन की याद बनी रही. आज भी वह लालटेन मेरे घर के archive में सुरक्षित है.हालाँकि लालू जी ने उसका महत्व कुछ घटा दिया. बिहार के ग्रामीण इलाकों में बिजली का रहना एक सुखद आश्चर्य है. हाल ही में गाँव से लौटा हूँ. वास्तव में बिजली में आश्चर्यजनक सुधार है. बिहार में बिजली परियोजनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है की नितीश कुमार अगले विधान सभा चुना में वोट मांग सकते हैं.
ReplyDeleteSir Isi baat pe mithai khilaiye...
ReplyDeleteaaj ka prime time bahut hi achha lga...
ReplyDeletesafai wale mudde pe jitne akhilesh jimewar hai..utne hi bollywood celebrety v..baki jo hai so to haiye hai..
NAMSKAR..
Ravish, this blog is an eye opener for people leaving in cities. But I feel you have thanked the govt and its officials a little too soon. Hope this is not an election promise and electricity really comes to your village!
ReplyDeleteWaise iss baat se pata chalta hai ki Sarkar ke ghar der hai Andher nahi...
ReplyDeletePadh kar aisa laga jaise apne bachpan ke dino mai chala gaya hoon.
ReplyDeleteJab Light aate hi poore chawk per shore hota tha aur log apne pane TV set on kar lete to two-in-one per gane bajne lagte. Baat sahi hai Mere gaon Mahiyama(Dist-Bhagalpur) main jab mai pichle dino gaya to pata chal ki aab light rahti hai. Halat badle hai.
Lekin aapke is Prasang ne mamrmik kar diya.
Bijli aa bhi gayee to rahegi kitne ghante. Mera nanihal sherghati hai.wahan humesha se bijli thi.
ReplyDeleteLekin 2000 mein wahan gaye to pata chala bijli raat ko 12 se 4 am tak aati thi. aur din mein 11 se 12 ,kabhi kabhi 1 ghante jyada.
petromax,genrator & battery ke tv se kaam chalta tha.Koi khas change abhi bhi nahi aaya hai.
Pichle saal Rohua gaye the waha bhi 24 ghane mein 8 ghante se jyada bijli nahin aati hai.
Hamara gaon madhubani zilla m h ravish g..........bijli ni aati abi b ....hamara b muddda uthaiye.....
ReplyDeleteख़ुशी हुई जानकर :)
ReplyDeleteचलो अब गुजरात से मेहमान आ भी जाएंगें तो बिना जनरेटर के या ट्रैक्टर के टीवी देखेंगे :) :-p :-p
हाँ उनको जासूस है या नहीं इस बात की सफाई देनी पड़ेगी :)
Mere ek vidyarthi ka gaon Siwaan district hai. Wahan ab tak bijali nahi pahuch paayi hai. Aapko bijali aane ki anek shubhkamnaaye.
ReplyDeleteravish jee
ReplyDeletekhair apke yanha to bijali aa gaya lekin yese bahut se gaon hai jaha bijali ek sapana kee trah hi hai
Humre gaon mei aaj tak nhi aayi
ReplyDeletehumre gaon mei aaj tak nhi aayi ravish sir. aap hi kuch kijiye.
ReplyDeleteमेरे गांव कि कहानी तो और भी दिलचस्प है, मेरे गांव में आज से पांच साल पहले सिर्फ एक दिन (उद्घाटन वाले दिन) बिजली का बल्ब जला और महज दो घंटे बाद लोगों की उम्मिदों के साथ बूझ गया और फिर 6 सालों से आज भी बूझा है।
ReplyDeleteHumare ganv me nahi aayi abhi tak.. shayad sambhawana hai ki si lok sabha chunav ke pahle aa jay. padosi hai aapke hum goplaanj se.
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