कारपोरेट की मौज है इन दिनों । मोदी भय के नाम पर दनादन प्रोजेक्ट क्लियर हो रहे हैं । तो मोदी पर्यावरण से जुड़ी तमाम आपत्तियों को रिश्वत से जोड़ कर संदिग्ध कर रहे हैं । पर्यावरण के सवाल तो उनके लिए बेमानी हैं । राहुल गांधी भी कारपोरेट के सामने नियम और झंझटों की खिल्लियां उड़ाते हैं जैसे किसी मूर्ख ने बनाये हों । दरअसल ये मोदी का मनमोहन पर या मनमोहन का मोदी पर हमला नहीं है । दोनों कारपोरेट के लिए आम सहमतियां बना रहे हैं । कौन कहता है मोदी प्रधानमंत्री नहीं हैं ! बधाई । रहा सवाल पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का तो उसे स्कूल के कोर्स में शामिल करने से कौन रोक सकता है । सरकार किसी की हो चलती कारपोरेट की है । चलनी भी चाहिए क्योंकि कारपोरेट ग्रोथ पैदा करता है और नेता ग्रोथ रेट बेचता है ।
कांग्रेस बीजेपी की विचारधारा क्या है ? पर्यावरण के सवाल से दोनों की शासित सरकारें टकराती होंगी । क्या किसी ने पूछा ? फ़ाइलों को क्लियर करने में देरी हो रही है । एक नज़र में यह सरकार की अक्षमता पर सवाल तो लगता है मगर क्या यह पैंतरा नहीं है कि इसके बहाने आप उन कंपनियों की पैरवी भी कर रहे हैं । एक तीर से दो निशाने । अरुण जेटली ने अपने लेखन में क्या यह बताया कि पर्यावरण को लेकर जिन आपत्तियों के नाम पर फ़ैसलों नहीं हो रहे थे उन पर जेटली या पार्टी का क्या सोचना है । उन पर राहुल गांधी का क्या सोचना है । फिर इन सवालों पर ये दोनों दल इतने दिनों चुप क्यों रहे । तभी ख़ारिज करते । कहते खुलकर कि ग्रोथ रेट चाहिए तो जंगल कटेंगे । फिर इन लोगों ने भूमि अधिग्रहण बिल पास करते वक्त किसानोन्मुख होने का ढोंग क्यों किया । जैसे मार्च लूट के वक्त सारी सरकारी फ़ाइलें भागने लगती हैं उसी तरह सरकार जाते जाते विपक्षी हमले और चुनाव जीतने के नाम पर फ़ाइलें क्लियर करने लगी हैं । मोइली मोदी मनमोहन । कोई भी आए होगा काम उनका ही जिनके हम सब नौकर हैं । कंपनियाँ किसे नहीं चाहिए । ज़रूरी भी हैं । लेकिन दिल्ली के ये दो बड़े दल अपनी नीति क्यों नहीं साफ़ करते । वो देरी या जयंती टैक्स का बहाना लेकर पर्यावरण के सवालों से बचते क्यों हैं । खुलकर सपोर्ट क्यों नहीं करते । कांग्रेस बीजेपी यू ही हेड टेल नहीं हैं ।
यह पेंतरा ज्यादा देर नहीं टिकता सर , गोआ और कर्नाटक के माइंस को ले लीजिये वहा मन मर्जी मीनिंग की - ग्रोथ रेट १०-१५ बताया राज्यो ने अब हालत है है की कोल् और आयरनओर दोनों ही इम्पोर्ट करना पद रहा है ( कोर्ट के आर्डर के चलते ) मोदी शाहेब यह भूलजाते है की उनके ही नेता औ के चलते कोर्ट ने मीनिंग पे ब्रेक लगाई हुयी है ,
ReplyDeleteऐसे ही जेसे बिना सोचे समजे पोस्को को मजूरी दे दी , पेपर पर करोड़ो रुपए का इन्वेस्टमेंट बताया २ साल चला फिर कोरिया के प्रेसिडेंट को आना पड़ा क्लीयरेंस के लिए पर तब भी कोर्ट्स के आर्डर के चलते कुछ नहीं हो पाया ऐसे ही
यह लोग ग्रोथ रेट में २० तक पहुत जाते है ,फिट कोर्ट और केग २ पर ले आते है
ye head aur tail nahi hai ye modi effect hai, inviornmental question 50 sal purane hai. inka durupyog hum dekh chuke hai. Ab agar koi sahi system banana chah raha hai to uska welcome hona chahiye na ki aalochana.......
ReplyDeleteAbhi abhi JNU ke 1 professor ne AAP join kia hai , unki vichardhara dekhiye unke Twitter account par ,
ReplyDeleteAb koi paimaana nahi hai ,sirf Bade bade log bharo ,aur dikhaao hum kitni badi party hain ,isse logon ko lubhaao , aur bewkoof banao !
Padiye : https://twitter.com/kamalchenoy
Ye sab ek tareeke se bharti ki jaa rahi hai , Bhusan ne jo kaha wo galat tha , to ye bhi galat aadmi hai , tweet padiye !
Head Tail :P umdaa
ReplyDeletenot a single project pending with environment ministry has been cleared after Mrs. Jayanti Natrajan resigned.
ReplyDeleteIt's a different matter together that no Political Party has a vision on Employment,Growth or Agriculture.
Blaming corporate is easiest way out.
Some public sectors of GOI and Gujarat state has liquid cash in thousands of crores but clearence from Ministry both at Centre and at Gujarat level is not forthcoming.
Can't you as a esteemed Journalist take up issues of CIL sitting with lakhs of Crores in coffers with no project,NALCO with 12000 crores in bank accounts with no project in offing.
Will wrie another day on Agriculture ...
दो लब्ज़ों का ही हैं ये सारा फ़साना
एक कि माफ़ी ,दूजे का बरगलाना.... INC and BJP,
AAP (matlab Ravish nahi) ka sher baki rahan
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteFACEBOOK ka Comment B
ReplyDeletey Ashutosh Chaturvedi
आज कल चल रही बहस से एक बात तो पक्की है कांग्रेस अपने मनसूबो मे कामयाब हो गयी है. मीडीया मे आप बनाम भाजपा करवा के वो दोनो को आपस मे लड़वा रही है| बाटों और राज करो| आज आप वाले और भाजपा वाले आपस मे भीड़ गये है| कोई कांग्रेस को एक श्ब्द भी नही कह रहा| दोनो पार्टीयां ऐसे लड रही है जैसे कांग्रेस तो पूरी तरह खत्म हो गयी है और सिंघसन खाली पड़ा है| माफ करना दोस्तो ऐसा बिल्कुल नही है वो आज भी सत्ता मे है और सबसे बड़ी पार्टी है| कांग्रेस चुप्पी साध कर अपनी नेगेटीव पब्लीसीटी को रोक रही है| और आपस मे अपने वीरोधीयो को लडवा रही है| मीडीया भी बढ छड कर इसमे उसका साथ दे रहा है| आप वाले बूरा ना माने अरविन्द ईमानदार है, पर उनके पास अभी अनुभव नही है| दिल्ली की सरकार और देश की सरकार मे अंतर होता है| जल्दीबाज़ी ना करे दिल्ली के लोगो को आपसे बहूत ऊमीदें है| पेहले वहां पर सुशाषन चलाईये जब अनुबव आ जायेऔर संघटन मजबूत हो जाये तो आगे की सोचीयेगा| अगर आप की वजह से कांग्रेस फीर आ गयी तो लोग आपको कभी माफ नही करेंगे|
आम यानी आम आदमी पार्टी मे शामिल होने वाले खास टीवी पत्रकार आशुतोष अमेठी की रैली में कुमार विश्वास के डेप्यूटी के तौर पर कोई बड़ी छाप नहीं छोड़ पाये। राजनीतिक पार्टी में शामिल होने होने के बाद किसी भी दूसरे पेशे के प्रोफेशनल को सार्वजनिक मंच पर आने से पहले कूलिंग ऑफ पीरियड रखना चाहिये।
ReplyDeleteराजनीतिक पार्टी ही क्यों, किसी भी पेशे के वरिष्ठ जब अपना धंधा बदलते हैं तो खुद को न्यूट्रलाईज़ करने के लिये थोड़ा वक्त लेते हैं। टीवी वाले भी जानते हैं कि एक विज़ुअल से दूसरे में जाने के बीच में एक ट्रांजिशन होता है। भारत सरकार के भी सचिव स्तर और बड़े अधिकारी रिटायर होने के तुरंत बाद कोई दूसरी नौकरी नहीं कर सकते। चैनलों में भी वरिष्ठता के हिसाब से नोटिस पीरियड होता है। इसकी सिर्फ एक ही वजह है कि पेशे में आपसे कोई सरोकारी असंतुलन न हो जाय।
बहरहाल -आप- जल्दबाज़ी में है, और इसमें शामिल होने वाले आदमी समय से पहले लक्ष्य को पाने की फिराक में। ऐसे में कहीं लोकसभा चुनावों से पहले आप का आभामंडल न खो जाय, ये डर आम आदमी को सताने लगा है। केजरीवाल को ये देखना होगा कि आम आदमी की जो बयार चली है, उसे लोग दूषित न कर सकें, भले ही उन्होंने पार्टी की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से मदद की हो।
कई बड़े जाने-माने खास लोग -आप- में शामिल हो रहे हैं, लेकिन किसको क्या, कब और कौन सी जगह मिले पार्टी इसे ज़रूर परखे, वरना भारत ही नहीं दुनिया मे कोई भी ऐसा राजनीतिक दल नहीं रहा है, जिसमें टूट न हुई हो।
हर्ष रंजन (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
aaj tak desh ko ye Pvt Ltd Party chalati aayi hai, ab log ye samajhne lage hai ki ye Party nahi Pvt Ltd company hai, Jisko 5 saal ka theka janta deti hai. wo aapne hisab se kaam karti hai.
ReplyDeleteEk Mukhyamantri kho gaye hain. 3 mahina pehle oo desh ke PM ban rahe the. Oo bhi Somwar ko janta darbar lagate hain. Bijli ka meter thik karate hain. Janta ke bich bhi jate hain. Kaha to kuch din pehle kshetriya party (Delhi se bahar ke) ke ho ke apna karyakarta baithak me bhi Delhi ke channel par Live aate the. Ab wahi sab Channel wala keh raha hai ki 5 se jyada seat na jitenge. Haa Hindi ke sabse bada Anchor patrkar unka par 4 line likh diye hain kahe ki unkhara gaanv me Bijli ke khambha baithave ka sugbugahat hai.
ReplyDeleteBaki Mata Rani ki Jai (Secular wali communal wali nahi)
upa government me jitne bhi scams hue un sab me corporate sector ka direct or indirect tour pe hath tha aur hum sab jante hai ki modi ko yaha pe endorse karne wala aur unke liye marketing branding karne wala aur unko itna upar lane wala corporate sector hai so kya unke pm ban ne ke baad ye unse apna labour cost aur investment jo unke upar hua hai wo wapas nhi mangega aur jis hissab se paisa expend ho raha hai us hissab se to wo sirf 2 no se return kama sakte hai.. JISKE KHUD KE CABINET ME 2 CABINET MINISTER LOWER COURT SE VERDICT HO WO LADEGA ISSE, JO KHUD RTI ME NA AANA CHAHTA HO JO CRIMINALS KO TICKET DETA HO JO YADDURAPPA, NISHANK, KUSHWAHA, GADKARI BANGARU LAXMAN KE PAIR CHHUTA HO WO ES SE LADEGA...WAHT A BLOODY JOKE
ReplyDeletepara from my blog on AAP & their attitude towards private sector - AAP is right now not ready for National level politics. There are some of the decision in Delhi government suggest that they will bring back the Pre 1991 India to us. Do we need pre 1991 India? We have to apply for phone line & we’ll get the connection in 10 years. Do we need that? AAP is behaving like a political party, which is against the idea of Privatization. Every economist theory & economics will say that growth of country will be more when Private sectors got ample opportunity to work & expand so we can’t bring back Babu Raaj to demoralize the private sector and the growth of India.
ReplyDeletesir is desh me 1947 se sirf ek hi vichardhaara chal rahi hai vo hai congresi vichardhara .. usi me kamobesh bhajpa apna vyapar chala rahi hai .. ais nahi hai ke isse uttam koi dusra rasta nahi hai lekin dusre raste pe aisi aaram wali rajniti nahi hai ... arvind kejriwal se ummeed hai dekhte hain kahan tak vo is vyvastha se ladne ke liye logo ko sath le pate hain... modi modi chillane wale royenge 5 saal baad jab desh me kuch nahi bachega...
ReplyDeletebabuji aaye hai hum log me...bahut badhiya tha...Alok Nath ko as an actor sab pasand karte hai, show ke baad as a person bhi achche lage...thx for jara hatkar show...
ReplyDeletesir.. ab aap sachmuch AAP ke ho gaye hain...
ReplyDeleteRequest you to either join AAP or be as you are..
you have changed... Dil chahtha kee aap pehle wale Ravish he rahein...
रवीशजी. आज (14-01-14) का प्राइम टाइम अच्छा रहा। राहुल गांधी का aikido hobby का लिंक भेज रहा हूँ
ReplyDeletesavji.chaudhary@yahoo.com(ahmedabad)
http://www.in.emb-japan.go.jp/2012celebrations/event_info_martial_arts_demonstration.html
http://in.news.yahoo.com/video/rahul-gandhi-seen-enjoying-japanese-061500027.html
achha lga padhkar ki aap en ghambhir muddo par bhi likhte hain.
ReplyDeleteKuch log privatisation ko support karte hain ,sayad unko pta nhi hai ki esi privatisation ki wajah se europe aur america me Das Pratha ka chalan huwa tha.
Waise bhi privatisation ko support karne wale log samantwadi mansikta se grasit hain.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरविश जी , सरल भाषा में एक बहुत ही जटिल संरचना को रखने के धन्यवाद. विकास, विकासपुरुष,India First और ना जाने क्या क्या .... कुछ मूर्खों या पाखंडियों को तो आलंबन चाहिए.पिछले दस वर्षो में इस देश की प्राकृतिक संसाधनों का जिस प्रकार लूट-खसोट हुआ है उसमे भाजपा,कांग्रेस या अधिकांश क्षेत्रीय दलों में कोई मतभेद रहा है.देशभर में कोल आवंटन हो या गुजरात में भूमिगत गैस का आवंटन - क्या इन पार्टियों में कोई मौलिक मतभेद रहा है.हिन्दुस्तान के अधिकाँश जंगलो में आज पूरा जनजातिय समाज अपने सम्पूर्ण रूप में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.लेकिन उनसे निपटने के तरीके में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में कोई मतभेद या अंतर्विरोध है. आपको नहीं लगता की अमेरिकी रेड इंडियन की कहानी भारत में दुहराई जा रही है. मै थोडा confused हूँ कि ये कारपोरेट के दलाल हैं कि कारपोरेट इनके दलाल. आपकी मिडिया भी वेदान्ता के माध्यम से लड़कियों को शिक्षित कर रही है. ये अंधराष्ट्रभक्त क्या नहीं जानते कि राष्ट्रवाद के नाम पर इतिहास में सबसे अधिक लोगों की जान गयी है. एक terminolgy आजकल खूब प्रचालन में है-Inclusive ग्रोथ - अब तो मोदी ने भी इसे शामिल कर लिया है. एक और बात मुझे कोई समझाने की कोशिश कर सकता है कि ये भाजपा वाले AAP को नसीहत बहुत देते हैं.हाँ यह अलग बात है की नक़ल करने में न तो श्रम करते हैं और ना ही देरी. आश्चर्य है कि इतनी बड़ी पार्टी तुरंत निर्णय लेने लगी है. मुझे शंका है कि भाजपा इस काम को किसी विदेशी एजेंसी को outsource कर चुकि है.
ReplyDeleteशिकायत का अधिकार!
ReplyDeleteहो सकता है कि आपको शीर्षक थोडा अटपटा लगे । शिकायत करने का अधिकार? ये अधिकार तो व्यवस्था ने, हमारे संविधान ने हमें दिया ही हुआ है ना!
कौन होगा इस देश में जिसने आज तक कभी शिकायत न की हो! पुलिस के अत्याचारों और मनमानी के खिलाफ, दफ़तर में रिश्वत की बाट जोह रहे 'बाबू' के फ़ाइल आगे बढ़ाने में आनाकानी के खिलाफ, टूटी सड़कों, घर के बाजू में लगे कूड़े के ढेर और बहती नालियों के खिलाफ, अधिकारियों के बात न सुनने के खिलाफ, ठेकेदारों के सरकार द्वारा तय दरों से ज्यादा वसूलने के खिलाफ; हम सब शिकायत करते ही तो रहते हैं यार! फिर इसमें नया क्या है?
बात तो आप भी सही ही बोल रहे हो । पर मेरे अगले सवाल से आप के मन में चल रहे विचारों की बयार का रुख बदलना चाहिए । हमारी की गयी शिकायतों का कितने प्रतिशत अपने अंजाम तक पहुँचता है? कुछ बुद्धिजीवी वर्त्तमान व्यवस्था में आस्था प्रकट करते हुए रिश्वत का 'शॉर्टकट' अपनाकर अपना काम निकाल ले जाते होंगे, कुछ ऊंची पहुँच का फायदा उठाते हुए 'ऊपर' से फ़ोन करवा देते हैं । और बाकी? सहमत हैं क्या?
यहाँ बात 'छोटे' स्तर पर फैली अव्यवस्था और भृष्टाचार की है । आम आदमी तो सार्वजनिक दफ्तरों के काम-काज के तौर तरीकों और बात बात पर उनकी जेब टटोले जाने से ही सबसे ज्यादा बेहाल है । बड़े भृष्टाचार की बड़ी बड़ी बातें बड़े बड़े लोग जाने, बड़ी बड़ी सरकारें जाने!
दरअसल रिश्वत को आत्मसात कर चुके जमाने ने अगर अपनी आँखें बंद करके दिल पर भारी पत्थर रख लिया है तो इसकी एकमात्र वजह यही जर्जर हो चुकी व्यवस्था है जिसमें एक छोटे बाबू से लेकर लाल नीली बत्तियों में चलने वाले साहब जनाबों तक को सिर्फ 'ऊपर' जवाब देना पड़ता है; नीचे नहीं! और इस 'सांप सीढ़ी' रुपी व्यवस्था में सबसे नीचे वाले खाने में रखा है 'आम आदमी'! उसकी कौन सुनेगा? ऊपर तक पहुंचे कैसे? इतने सांप जो रास्ते में खड़े हैं ।
(बहुत रात हो चुकी है । गली में लगी सरकारी ट्यूबलाईट तीन महीने से टूटी पडी है । उसकी िशकायत िलखनी बाकी हैै अभी (तीसरी बार) ।
वैसे समस्या का शर्तिया ईलाज भी ढूंढ कर रख छोडा है । 'अापका' आशीर्वाद रहा तो जल्द ही लिखूंगा
mudde to bahut peeche chhot gaye ab..sb logon ne apna apna neta chun hi liya h. ab to janta bs chunav k mausam ka anand utha rahi h. Jo congress ko vote dega usko BJP me burai dikh rhi h chahe koi neta achha b kyu na ho..aur jo BJP k supporters h unki harkatein to sarvvidit h. ab to last k ovr bache h..kaun bowler h aur kaun batsman ye important nhi h..chauke chhakkon ka anand uthaiye aur inhi k beech kuch bde wickets k girne ka anand/malal b dekhne layak hoga.
ReplyDeleteAb naa primetime dekhne ka mann karta hai naa aapke blogs padhne kaa.AAP bhi aap type ho gaye hain artificial imandar dusro ki achhi baato ko bhi space dijiye sare imandar aaphi log hain kya.badhiya naikhe lagat ravish babu tohar baat aab AAP me jaa ke motihari se chunav lad laa
ReplyDeleteAAP se (ravish Bhai se) irshya hoti hain.. Qasba par gud ki tarah makhiya bhinbhinati hain ,maana mein patrakar ya professional blogger nahi hun par thoda hi uncha neecha likhta hoon.. atulavach.blogspot.in par, do,cahr comments to bante hi hain
ReplyDeleteUtdi Khabar-- laloo ji ne twitter account khol liya hain,, tweet par dhoor burbak ka reply bhi kar diya hain..
AAP kehna chodkar "you' par utar jana hi behtar hain
रवीश भाई, आप Quora(maximum vote) पे भी छाये हुए हो।
ReplyDeletehttp://www.quora.com/News/Who-is-the-best-news-presenter-in-India-and-why
इस कमेंट का इस पोस्ट से कोई लेना-देना तो नहीं है, पर आपसे संपर्क और कोई जरिया भी तो नहीं है।
Sahi kaha ravish bhai.Aap ki byakhaya hamesha satik hoti hai
ReplyDeleteSame lefty NGO type bakwas. Bhaiya let people have jobs, basic amenities and some dignity. Developed countries also balance having roads, electricity and jobs with clean air, water, forests. we can too. Anti development hona fashionable hai amongst lefty types buddhijeevis.
ReplyDeleteधक्का मुक्की राजनीति की,
ReplyDeleteजो बाहर है, मौज कर रहा।
पूंजीवाद को आश्रय दिया है तो परिणाम तो भुगतने होंगे
ReplyDeleteसर चीन के आजकल के हालात देखकर चिंता होती है... यह लेख तो लिख दिए इस पर एक बहस भी रखिये... पब्लिक को कुछ पता तो चले कैसे विकास के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी करी जाती है... क्यों विकास का रास्ता इतना आसान नहीं रहा है.. कुछ लोगो की चल जाये तो वो तो देश को कॉर्पोरेट को बेक दें कतई... !!
ReplyDeleteकांग्रेस बीजेपी यू ही हेड टेल नहीं हैं । हा हा हा... बेहतरीन लेख..
hindustan ke log kitne dhongi aur kiya sabd istemal karun samjh nahi aaraha....ha dogle....kitne dogle hain. sunita wiliam ya kalpna chawla ka naam lekar kitne khus hote hain.....ye kahaite hue ki ya bhartiye mool ke hain....bhart ka naam roshan kiya hain..agar ye dono hindustan mein hote to ye sayad bus mein bhi nahi chad pate ....jab tak Dr. hargovind khurana ji india mein rahe ....unhen kabhi kaam nahi karne diya ....aur wo desh chhod kar chale gaye.....ham ye kahai kar khush ho lete hain ki dekho ye indian hain....is desh mein achchhe log chahkar bhi achchh kaam desh ke liye nahi kar pate .....ya to unhen mardiya jata hai ya fir desh chhodne ke liye majboor kar diya jata hai....yahan bas bhrast rajnetaon ka raj rahai gaya hai........yahi aaj arvind kejriwal ke sath ho raha hai...wo khuch karn chahata hai.....to rajneta to rajnet sawarthi janta bhi use kaam nahi karne de rahi hai.......sayad wo bhi ye soch rahi hai....isse pahaile ise kuchh ho apne apne kaam kara lo.......warna aur to koyi karega nahi........taras khao bichare par....insaan hai wo bhagwan nahi.....kiya ravish ji is visai par koyi program karne ki himmat karenge...Om Anand
ReplyDelete5 saalon se aapka blog dekhta or daily prime time dekhta hu...sochta tha comment karu...or aaj kar hi diya..mai b khud se kai sawal karta hu..or on sabi se jo aapke prime time me aatey hain...ho sakta hai mai galat hu...magar mera apna sochney or duniya ko dekhne ka apna tarika hai..kya har wo insaan jo sawal karta hai wo doodh ka dhoola hai..log apni aalochna se itna baukhla kyun jatey hain..chahey wo koi b ho..shayad ye bheed oon sabi ko apni or khichna ya dusri or dhakelna chahti hai jo akeley khadey hain apni alag soch ke sath...pata nahi mai kya bakwash kiye ja raha hu...lekin aap achha kam kar rahey hain..kartey rahiye..aasmaan me udtey patang(Tilangi/Guddi)ko kat kar girte sabi dekhna or oosey loot kar apna karna chahte hai...gar kabhi girey b to koi taar me latak jayiega ....sab mooh taktey reh jayengey...or sabko jawab mil jayega....samay sab ka illaaz hai..
ReplyDeleteRavish sir,
ReplyDeleteThanks for showing interest to Dr. JP's speech.
Firstly, I am not yet an official member of Loksatta. But I was very inspired by the speech and hence had tweeted.
Right now, some volunteers from People For Loksatta have translated the speech to english: https://t.co/4zcTsMvd7P
(PFL has taken this up now. Still modifications are going on. )
My own feeling, any translation does not do any justice to original. Less so when done by bunch of amateurs.
Sir, may be national media should have a cell of professional translators, and also air live such events from all across the nation.
In terms of emotion & effect, Dr JP's speech was nothing short of Arvind's speech in Delhi Assembly. In terms of context & content, it was much superior, as it proposes a solution for delicate issue of Telangana. Dr JP's was the only sane voice speaking amongst chaos all around. I am political novice, but I would compare the speech to that of Dr Ambedkar's speech in parliament on HCB.
You would have to watch the videos. Especially, please watch
Part 9: http://www.youtube.com/watch?v=TvtliitQorM
Last four minutes from 3.50, Dr JP quotes J.G. Holland.
Thank you once again. I don't trust any other anchor to do much justice to this other than you :)
Sir,
ReplyDeleteKya aapko nahi lagta ye kejriwal ko Congress aur BJP media ke sath milkar fansa rahe hain
Are Bhai itna sannata kyu hai ? Monday ko primetime pe nahi aaye. Hope so aap thik ho....Duwaye ! Tc
ReplyDeletehello ravish sir
ReplyDeleteaapse communicate karne ka koi or madhyam nahi hai isiliye yahan par likh rahi hoon or ye bhi maloom hai ki aap apne blog ke comments padte bhi hein tabhi kuch comment delete hote hein..
sabse pehle jo humlog me "Subodh ka Sansar" aapne itni khoobsurati ke saath dikhaya "Salute to u" and mind blowing..
or doosra 21 january ka prime time was too good to be commented,,,i just clapped automatically when the program ends.
Jab Kejriwal ki nautanki chalti hai kisi bhi mamle me aap ki lekhni ko kya ho jata hai.... aap gayab hi ho jate hain us samay. Aapne bhi unki tarah apna dhairya to kho hi diya hai, ab sayad aap bhi yahi sochne lage hain ki jo aap bole wo sahi, baki sab galat
ReplyDeletesir kal ka prime time real me bahut hi fresh aur positive tha mai tv pe bore ho gya tha ek tarfa sun sunke proxy logo ko....sach kal bahut sare aise moment aaye jab tali baja dala aur hasi aa jaati thi hothon pe..really it was a great time with you on tv.....ye cong bjp to aise hi rahegi aur jab koi unke mutabik na kare to usko kisi ke liye baised batayegi lekin wo jo kahe hum samajhte hai ki aap apne job ke prati dedicate aur honest ho..baaki to jo hai so haiye hai
ReplyDeleteKaha chutti leke baithe ho, likhte kyu ni bhai
ReplyDelete