चूँकि पहले ख़त का जवाब नहीं आया इसलिए ये वाला थोड़ा छोटा लिख रहा हूँ । इसे फाड़ना मना है । क्योंकि ये अध्यादेश नहीं ख़त है ।
लड़कपने में हम लट्टू खेलते थे । लट्टू के एक गेम का नाम था बेल्ला फाड़ । इसमें जो हारता था उसके लट्टू को विजेता अपने लट्टू की गूँज (कील) से फाड़ता था । एक गूँज मारता था तो पहले लट्टू का चइला ( छिल्का) दरकता था । ख़ूबसूरत लट्टू की दुर्गति देखी नहीं जाती थी । आप कहीं लट्टू तो नहीं खेल रहे । कल जो प्रेस कांफ्रेंस में किया वो बेल्ला फाड़ था क्या ?
आपने स्टैंड लिया अच्छी बात है । लोकपाल के दौरान जनदबाव नहीं महसूस कर पाए कोई बात नही । इस बार महसूस किया तो अच्छा ही है लेकिन जो तेवर थे वो बंधु ट्वीटर वाले थे । ऐसा लगा कि आपने ग़ुस्सा कर अध्यादेश को रीट्विट किया और फिर रिएक्शन देख ब्लाक । ये भी नार्मल है ।
लेकिन जो देह भाषा थी उसे देखकर मैं दंग रह गया । प्रेस कांफ्रेंस के बीच में आ गए । पहले योजना बनाई । फिर आकर बोल गए । अध्यादेश बकवास है । फाड़ कर कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए । बास क्या तेवर है आपके । पिछली बार समाजवादी का घोषणापत्र फाड़ने के बाद अभी तक ग़ुस्सा शांत नहीं हुआ है । क्या क्या फाड़ेंगे आप । आपने तो मनमोहन सिंह की गरिमा ही फाड़ डाली । फंडू हो या फाड़ू सर ।
पर आपकी विवशता समझ सकता हूँ । आपने यूथ कांग्रेस में कुछ चुनाव वुनाव करवा कर बदलाव लाने का प्रयास किया । फ़ेल हो गया । पदयात्रा की वो फ़ेल । यूपी में दम लगाया वो फ़ेल । जयपुर में सत्ता का ज़हर पीना पड़ा । न चाहते हुए भी सुसाइड । वो भी फ़ेल । अंदर रहकर बाहर वालों के लिए और बाहर रहकर अंदर वालों के लिए लड़ने की इमेज । जैकी और अनिल की फ़ेल फ़िल्म अंदर बाहर खूब देखी है क्या सर । अब इतनी बार जो फ़ेल होगा वो एक बार एक काग़ज़ तो फाड़ ही सकता है न ।
आप अलबर्ट पिंटो वाला तेवर छोड़ दो । इतना ग़ुस्सा क्यों आता है । लोकपाल के समय से ही पब्लिक आपकी अटेंडेंस लगा रही है । आप हैं कि खिड़की से कूद कर प्रेस क्लब आ जाते हैं । कमाल है सर । लगता है चेन्नई एक्सप्रेस देखकर सीधे वहीं आ गए और बकवास की जगह बाकवास बोल दिया । आपकी पार्टी और आपकी सरकार । बेसिक कोच्चन है कि आपको मालूम था कि नहीं । मालूम था तो आप रोक रहे था या नज़रें फेर रहे थे । अगर अध्यादेश कोर कमेटी की मीटिंग की भावना के ख़िलाफ़ है तब तो यह और भी ख़तरनाक है । ये कौन लोग हैं जो सत्ता का अपना अपना गेम खेल रहे हैं । दूसरा कोच्चन यह है कि ऐसी तैसी मुद्रा में क्यों रहते हैं । लोकपाल के टाइम भी तो पब्लिक प्रेसर था तब तो आप इसे पास कराने के हक़ में बेचैन नहीं दिखे । टप्प से आए और सदन में भाषण देकर चल दिये । लोकपाल संवैधानिक होना चाहिए । फिर उसके बाद आप नज़र नहीं आए । लोकपाल गया तेल लेने । अब आए तो सीधा मनमोहन सिंह से भीड़ गए । तब जब वो खुद आपके अंडर काम करने के लिए तैयार हैं ।
आपने मनमोहन सरकार का चइला उखाड़ दिया । अपनी सरकार है तो क्या हुआ । इसको कहते हैं बेल्ला फाड़ । एनडीए सरकार, पार्टी और संघ के बीच का तनाव ज़रा गूगल कर लीजिये । जब वाजपेयी सरकार आतंकी संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन से बात कर रही थी तब वीएचपी के अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री जार्ज फ़र्नांडिस को आई एस आई का जासूस कह दिया था । ये सब चलता है पर आपने जिस तरीके से किया न सिंघम स्टाइल में वो फ़िल्मों में चलता है पोलिटिक्स में नहीं । आप नैतिकता को लेकर हाईपर क्यों हो जाते हो । वो भी चुनिंदा तरीके से । फाड़ना था तो पहले खेमका के ख़िलाफ़ चार्जशीट ही फाड़ देते । कुछ तो ग़ुस्सा कम हो जाता । सिनेमा कम देखिये ।
आप सीखिए बीजेपी से । मोदी का एक मंत्री अदालत से आरोपी साबित हुआ, मोदी ने निकाला ? नहीं न । आपने खुद ये सवाल उठाया, नहीं न । जब भी ऐसे मौक़े आए आप स्टैंड ही नहीं ले पाये । दरअसल आप मुश्किल में हैं । मुश्किल से पहले बिखरे बिखरे लगते हैं । मोदी से साधु यादव मिल आते हैं और वो फोटू खींचाते हैं कि कोई बड़ा भारी कांग्रेसी तोड़ लाए हो । इसी साधु यादव को आप लाए थे न पहले । तो आप कैसे बोलते । आप ही लाये थे न साधु को । आप नीतीश के लिए नैतिक न बनो । उन्होंने किसी बाहुबली को साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बना दिया है । आपमें और बीजेपी में जो अंतर है वो बस समय और स्मृति का है । काश कि आप अब भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ होने का एलान कर देते । आरोपियों को टिकट नहीं दे । तब लगेगा कि कोई वाटेंड आ गया है । एक बार कमिटमेंट कर दी तो खुद की भी नहीं सुनता । तब तक चुलबुली पांडे की तरह राजनीति की नैतिकता पर हँसा कीजिये उससे लड़ा कीजिये ।
आप भाषा और देहभाषा पर कंट्रोल रखिये । स्टैंड लेना है तो पब्लिक में आइये । बात कीजिये । कहीं मनमोहन ने इस्तीफ़ा दिया न तो गेम हो जाएगा । देखिये शीला ने किस तरह बात रखी है आपकी बात पर । सीखने में टाइम लगता है । ज़रूरी नहीं कि आप आज ही मैदान में आ जाये । राजनीति में ऐसी नादानियाँ सबने की है । लेकिन आपने जो कहा न वो राजनीतिक था न लोकतांत्रिक । आप राजनीति में ज़बरन ठेले हुए मत लगो । घाघ बनो घाघ । देखिये बीजेपी कैसे प्रधानमंत्री के पद की गरिमा की रक्षक हो गई है । और हो सके तो आर टी आई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रोकने के लिए बीजेपी से हाथ मत मिलाओ । अपना स्टैंड क्लियर करो ।
हाँ हो सके तो इस बार अपनी पार्टी का घोषणापत्र लैमिनेटे करवा लीजियेगा । वर्ना ग़ुस्सा आया तो आप फाड़ ही डालेंगे । ज़िम्मेदारी लीजिये । सिपाही मत बनिये । जनरल बनिये जनरल । वैसे घर में बताया था क्या कि आप प्रेस क्लब जा रहे हैं !
भवदीय ,
रवीश कुमार ' एंकर '
बुलबुला है .......
ReplyDeletebichara navsikhiya hai sikhne mein time lagega
ReplyDeleteaapki baat sahi hai lagta hai chennai exp. dekhkar hi aye the
bichara navsikhiya hai sikhne mein time lagega
ReplyDeleteaapki baat sahi hai lagta hai chennai exp. dekhkar hi aye the
bichara navsikhiya hai sikhne mein time lagega
ReplyDeleteaapki baat sahi hai lagta hai chennai exp. dekhkar hi aye the
श्रीमान जी आप किस आदमी की बात कर रहे हैं, राजनीति कोई नौटंकी नही हैं. जिस आदमी की सरकार हैं, जिस की मा अघोषित प्रधान मंत्री हैं. वह अब तक क्या कर रहा था. जनता सब जानती हैं. यह केवल बासी कढ़ी मे उबाल है ओर कुछ नही...
ReplyDeleteRahul ji ne sahi kiya hai. Robinhood ban na chahte hai. Is gulam mansikta ke janta ko vo hi to chati hai.Pata nahi congress me pahle kise ko kyu nahi idea aaya. Aaj ke newspaper/ TV dekh lijeye." Rahul Finally assert" jaise comment aa rahe hai. Jaise ke ye adhyadesh aane se sab sudhar jayega.
ReplyDeleteTV ke ankar/akhbar ke editor to aur bhi gajab hai. Adyadesh ke merit/ demerit ke koi charcha sune hai aap ne?
Kya kabhi kise ne check kiya ki dagi log bar bar election kyu jeet jate hai?
Neta ko gali do/ system ko kos lo bas ho gaye deshbhakti puri. TRP high!
Kabhi 1947 se ab tak ke robinhood par prime time kijeye ga. Sab aise he sapne laye the, me sab sudhar dunga.
Kuch ke naam lijeye
1970 ke Indiar
1974-77 ke JP
1984-85 ke Rajeev
1988 ke VP Singh
aur bhi hai
Kya Hua unka? Kya kiya unhone ?
Sab use daldal me gir gaye
Chodiye sab aur naye robinhood ke sawagat kijeye
narendra ji ya rahul ji- Kaun jayda acche sapne bachta hai.
rajesh gupta
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ReplyDeleteI am not against rahul ji but still he did not do a single thing which takes us one step closer to him, instead seems political stunts only.i totally agree with ravish that you should take clear stand on issues so that as a common man i could connect with you not because of gandhi family instead because of your thoughts and honesty in politics. Here request to forward my message to your congress led goverment that " itna mat looto mere desh ko ki bharat mata ke kapde fat jaye aur uski izzat tar tar ho jaye." Hope that you will bring change in politics with new and innovative ideas and become role model for us.
ReplyDeletebejor likha aapne.pichli chithi me aap ne hi rahul ji ka utsah badha diya tha ki kuchh to boliye.aap hi is ke liye kasoor bar hai;;;;;;;;
ReplyDeletewo kaun log hai jo rahul ko guide karte hai...lagta hai hum to dubenge sanam tumko bhi le dubenge ke tarz pe kaam kar rahe hai..
ReplyDeleteलेमिनेशन वाला मशवरा भी एक दम सटीक है ...
ReplyDeleteआप मीडिया वाले भी बहुत अजीब होते हो, जब कोई कुछ न बोले तोह कहते हो की "कुछ बोलता नहीं", और जब कोई कुछ बोलता है तोह कहते हो की "तब क्यों नई बोला".
ReplyDeleteएक काम कीजियेगा सर, अपने अगले पत्र में सिर्फ यही लिखियेगा की किसको कब क्या बोलना है ! आप बॉलीवुड बहुत देखते हो जनाब, तभी असल-नक़ल में फरक करना भूल गये हो !
बिलकुल सही सलाह है जी।
ReplyDeleteravish sir pranam sir ese kocchan roz pu6te rahiye kisi na kisi se padh kr acha lgta h app ka bahvdiya ankur kate 'FAN" hahahhaha app bahut acha likthe h aur bolte h mai to ketha hoon ki is bar app bhi election lad hi lijiye
ReplyDeleteराहुल को जो लगा वो बोल दिया... यही भाषा होनी चाहिए जब पानी सिर से उपर जाए तो..और हम आम लोग को यही बात समझ मे आती है.. नही तो नेता लोग गोल गोल बोलते रहेगे और जवान लोग चुपचाप देश का दूर्रदशा देखते रहेगे .. और आप उम्मीद करेगे हम बस हर बात पर ताली बजाए ,, बोले कुछ नही.... लोग जब supreme court जैसे सम्मानीय संस्था का मखौल उड़त्ते है तो आप लोग तो लिखते नही चिट्ठी ... प्राइम मिन्निस्टर को. आप कुछ भी बोलो लोग खूश है यही मिज़ाज चाहिए, ना की हर बात मे हा मे हा...
ReplyDeleteबेहतेरिन लेखन के लिए साधुवाद। आप सीधी बात करते है।
ReplyDeleteबस ऐसे ही लीखते रहिये।
बेहतेरिन लेखन के लिए साधुवाद। आप सीधी बात करते है।
ReplyDeleteबस ऐसे ही लीखते रहिये।
sir, dont u think time has come in India, where politicians should sincerely consider that "we the people are not blind to their repetitive foolish and outrageous behavoiur"
ReplyDeleteBy virtue of his position in ruling party, why not Mr. Gandhi expresses his "personal opninion" on all grave issues lying ahead of us ?
Is he so oblivious of public opinion ??
anyways, a great article !!
lamination.... Hehehe.. bahot khub sir..
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सटीक टिप्पणी की है.राहुल गांधी को अभी भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.बिना घाघ बने राजनीति मे गुजारा नहीं है.
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सटीक टिप्पणी की है.राहुल गांधी को अभी भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.बिना घाघ बने राजनीति मे गुजारा नहीं है.
ReplyDeleteरविश जी आर्टिकल अच्छा है। लगता है चुलबुल G सिंघ्ग्हम बाने चले थे और घर पैर मम्मा से पुछा ही नहीं क्या करने जा रहे है। और बयान बजी करके सोने चले गए। वैसे चुलबुल G कहाँ थे जब आर्डिनेंस पार्लियामेंट में डिबेट होरहा था। सारा मीडिया जोर जोर से 9 pm डिबेट कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रहा था। तब क्या चुलबुल G सो रहे थे हमेशा की तरह।
ReplyDeleteजवाब नहीं मिला राहुलजी-पहला पत्र:)
ReplyDeleteयाद है रविशजी UP RS इलेक्शन टाइम पर भी आप ऐसे ही कहते थे-तब भी कागज़ फाड़ा था इन्हों लेकिन तब खोई हुई मत पेटी आप का target थी आज आ गए लपेटे मैं-अब की चिठ्ठी सुश्माजी को लिखेंगे या लालूजी को?:)
वैसे इतने सारे काम को एक साथ करेंगे आप?अगली किताब लिखना + फिल्म बनाना :) MPRH :-p
(ravishji क्या स्थाई नहीं होती?:) :) u know i was drinking tea while reading that twt of u-chaay ka fountain bante bante rah gaya ghar main)
वाह!ये हुआ ना लेख रवीश जी का.... तारीफ़ में शब्द नहीं । आपकी कलम में बहुत जान है.. बेहतरीन!!
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ReplyDeleteवेलडन राहुल ,एक्सीलेंट एक ही टेक मे सीन ओके
ReplyDeleteमम्मी ने कुछ ऐसा ही कहा होगा
भाजपा पीएम का अपमान पिछले 9 साल से करती आ रही हैँ, कभी उनकी मौनी बाबा, रोबोट, गुलाम बताती हैँ, तो कभी क्या। आज ना जाने क्यो अचानक भाजपा को पीएम की प्रतिष्ठा की चिँता होने लगी हैँ। राहुल अध्यादेश से असहमत हैँ तो इसमेँ पीएम का अपमान कहाँ हो गया?
ReplyDeleteभाजपा के बिना बात बहुत बोलने वाले प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री तो इस राष्ट्रहित के मुद्दे पर अब तक नही बोले हैँ। वैसे वो कुछ बोल सकते भी नही, एक सजायाफ्ता को मिनिस्टर बना रखा हैँ उन्होने तो और बात करते हैँ राजनीति मेँ शुचिता की।
wah sir maja aa gya pappu ke drame ka chhithi karan padh ke.....sahab ko gussa to bahut aat ahia lekin ek kahawat hai ki "bakri agar pagal hi ho jaaye to kitno ko ghayal karegi....?"
ReplyDelete2014 me public bhi Rahul Gandhi ka bella padne ko taiyaar hai.... Corruption ki intehan ho gay aur babu sahab ke much se ek sabd nahi nikla........ Sansad hai par sansad me much se aawaj hi nahi niklta hai aud sansad me jaane ka kast nahi karte... In short sirf Kagaj se ser hai aur bolbachan ....
ReplyDeletewah sir maja aa gya pappu ke drame ka chhithi karan padh ke.....sahab ko gussa to bahut aat ahia lekin ek kahawat hai ki "bakri agar pagal hi ho jaaye to kitno ko ghayal karegi....?"
ReplyDeleteफिल्म रांझणा के एक सीन में कुंदन से किसी ने पूछा,"क्या हुआ भाई?"
ReplyDeleteकुंदन ने गुस्से में कहा "फट रही है...सियोगे !!"
(पोस्ट में फिल्म की बात है, इसलिए कमेंट भी फिल्मे से इंस्पायर होके लिख दिए) :)
"वैसे घर में बताया था क्या कि आप प्रेस क्लब जा रहे हैं !" Aur Ghosna patra ke lamination kee salah kabile tarif hai.
ReplyDeleteबाबा बच्चे है अभी
ReplyDeleteज़्यादा पढ़े लिखे लोगो का यही प्रोबलम है, एकदम बाल का खाल निकाल देते है, और हर कुछ मे इतना स्ंदेह करते हे और इतने संभावनाए लगाएँगे जैसे शेर्लोंक होम्स ही है. conspiracy theorists... मेरे हिसाब से ये बहुत अच्छी बात है क़ी अब politicians ग़लत और सही बात पर स्टॅंड ले रहे है और इसमे उनका फ़ायदा हे की नही ये छोडिये, देखीए की इससे लोगो को और देश को कितना फ़ायदा होगा ... वैसे भी लोग politics से इतना निराश है , उसमे कुछ ठीक होता है, आम इंसान हू , मुझे तो खूषी होती है...घाघ होने का preaching मत कीजिए, यही घाघ कभी घाव दे जाएँगे .. हम honesty और simplicity को ज़्यादा promote करे तो अच्छा...
ReplyDeleteआप तो गल्लफेंड टाइप से डांट-दबार रहे हैं.:)
ReplyDeleteकांग्रेस की मम्मी क्या करे राहुल बेटा को प्रमोट भी करना था उनकी इमेज को लोगों में सही बनाना था इसलिए मनमोहन जी के अमेरीका जाने के बाद उनके इज्ज़त पर छुरा चलवा दिया। वैसे भी मनमोहन तो अपने इज्ज़त को लेकर लैमिनेटेड हो गए कोई कितना भी पानी कीचड़ उछाल दे उनपर, वो चुप ही रहेंगे। पी एम का लैमिनेटेड इज्ज़त तो मैडम ही दिलवाई हैं तो उनके बेटे उस पर पानी डाल कर उसका लेमीनेशन चेक तो कर हीं सकते हैं। ऐसा थोड़े है की मम्मी का पास किया हुआ अध्यादेश बेटा को नहीं मालूम होगा और राष्ट्रपति के पास भेजने के बाद तक और एक सप्ताह तक राहुल अपना गुस्सा दबा कर रखेंगे और अचानक आ कर मिडिया में बम मार देंगे।
ReplyDeletebahut dino baad bella faad aur chaila ukhadne ki baat suni bahut jor ka thahaka lagaya maza aa gaya padh ke
ReplyDelete"Bhaad mein jaaye congress aur Bhaad mein jaaye BJP", aisa bolna to mera thik nai hoga lekin keh raha hoon..
ReplyDeleteAapka khat padh k mazza aa gaya..
Bellafad khelte hue dekhe hain bohot apne gaanv mein..
sirji hum to apke kayal the hi lekin ek baat khatak rahi ki ye sab parpanch jo apne likha hai iske liye apko dar nahi lagta ......nahi to hamne suna hai ajkal Twitter ya Facebook me bhi soch samaj kar comment karna padta hai ...
ReplyDeletesirji hum to apke kayal the hi lekin ek baat khatak rahi ki ye sab parpanch jo apne likha hai iske liye apko dar nahi lagta ......nahi to hamne suna hai ajkal Twitter ya Facebook me bhi soch samaj kar comment karna padta hai ...
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