विदित हो कि मैं इनदिनों बड़े लोगों को ख़त लिखता हूँ । आज आपको लिखने का ख़्याल आया । आप इस वक्त मीरका ( मुनिरका नहीं) में हैं इसलिए मेरा कत्तई यह इरादा नहीं है कि मैं आपके पद की गरिमा कम कर दूँ । ख़ैर ये ख़त ही है । पढ़ के फाड़ दीजियेगा ।
हज़ारों जवाबों से अच्छी मेरी ख़ामोशी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख के ।
इस शेर को पढ़ने के लिए अगस्त 2012 में आप काठ की तरह सख़्त चलते आ रहे थे । संसद भवन से निकलते हुए कैमरे की तरफ़ । झाँसी के किसी दिवंगत शायर ने लिखा था । यही वो कोयला घोटाला था जिस पर बीजेपी आपसे इस्तीफ़ा मांग रही थी । आपने देश से कहा छिपाने को कुछ नहीं है । एक साल बाद पता लगा कि फ़ाइलें ही ग़ायब हो गई है और आप फिर से राज्य सभा के भीतर एक बयान दे रहे हैं ।
" किसी देश में ऐसा सुना है जहाँ एमपी सदन के व्हेल में जाकर चिल्लाये और नारा लगाते हों कि प्रधानमंत्री चोर है । कुछ सदस्य कुछ भी कहें मंत्री परिषद में कुछ तो इज़्ज़त रखता हूँ "
हिन्दी अनुवाद है मगर मोटा मोटी आपने यही कहा था । मैं दुनिया में ऐसे किसी देश को जानता हूँ तो वो भारत ही हैं जहाँ आपकी इज़्ज़त पर हर दूसरा तीसरा कुछ भी कह जाता है । आप जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से बीजेपी ने कितनी अनादरणीय बातें कहीं हैं आप गूगल कर लीजियेगा । पद, पद की गरिमा और कमज़ोर प्रधानमंत्री का नारा । न्यूक्लिअर डील में संसद के भीतर नोट रख देने का काला इतिहास । आडवाणी तो वास्तुकार रहे हैं कमज़ोर प्रधानमंत्री के मुद्दे का जिसे अब नरेन्द्र मोदी ने हथिया लिया है ।
आपने दो मौक़ों पर आडवाणी को सुनाया भी । मार्च 2011 में सदन में कहा कि " श्री आडवाणी जी समझते हैं प्रधानमंत्री होना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है इसलिए मुझे कभी माफ़ नहीं किया । इस पद को लिए अभी और साढ़े तीन साल इंतज़ार करना पड़ेगा "
आपको भी तब अंदाज़ा नहीं था कि आडवाणी की हालत बीजेपी में आपके जैसी हो जाएगी । आपसे लड़ते लड़ते आडवाणी जी राजनीतिक रूप से भस्म हो गए और अब मोदी आ गए हैं । एक शेर गया तो दूसरा शेर आया है । हर बार मेमने की क़िस्मत अच्छी नहीं होती सर । ये भी तो आपका ही बयान है लोकसभा में मार्च 2013 का ।
" २००९ में बीजेपी ने मुझे मेमने के ख़िलाफ़ लौह पुरुष आडवाणी को उतारा था सबको पता है नतीजा क्या हुआ । बीजेपी फिर अहंकार के कारण हारेगी "
आप पर जब आरोप नहीं थे तब भी बीजेपी ने आपका सम्मान नहीं किया । बीजेपी आपको कमज़ोर बताने के सवाल पर २००९ हारी तो कहा गया कि आपकी ईमानदार छवि के कारण उनका अहंकार ध्वस्त हो गया । लेकिन बीजेपी को दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने आपको तब भी नहीं छोड़ा । धीरे धीरे आपकी सरकार से भ्रष्टाचार के कंकाल बाहर आने लगे और बीजेपी सही साबित होने लगी । आपके मंत्री जेल गए । बीजेपी को मौक़ा मिलता गया । बात आपकी ईमानदारी पर आ गई । किस बात की ईमानदारी जब आपके मंत्री घोटाला कर रहे हैं । कोयला घोटाले की फ़ाइल का ग़ायब होना और पीएमओ के किसी अधिकारी का वो फ़ाइल देखना जिसे अदालत में पेश किया जाना था । आप घिर गए ।
इस दलदल से आप निकल जाते अगर आप लोकपाल बनवा देते मगर तब आप बीजेपी के झाँसे में आ गए । भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ खड़े आंदोलन को कुचलने लगे । अगर तब आप कोई स्टैंड लेते कि इसे एक व्यक्ति की ईमानदारी नहीं रोक सकती है इसलिए लोकपाल होना चाहिए तो जनता भावनात्मक रूप से ज़रूर आपके साथ होती । मगर आप और बीजेपी एक हो गए और लोकपाल को कमज़ोर कर दिया ।
आप आर टी आई के ख़िलाफ़ स्टैंड ले सकते थे । मगर आप और बीजेपी एक हो गए । आपको लगा कि भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं है और इस पर बीजेपी आपके साथ है । आपने फिर एक मौक़ा गँवाया । आप कमज़ोर हैं मगर मोदी जी तो नहीं है न । क्या उन्होंने आर टी आई पर कोई स्टैंड लिया ? सीबीआई पर बोलते हैं मगर आर टी आई पर नहीं । सज़ायाफ्ता सांसदों के मामले में आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रोकने के लिए बीजेपी के झाँसे में आ गए और बिल बनाने लगे । तब किसी ने नहीं कहा कि लालू को बचाया जा रहा है । आप भी पार्टी के दबाव में थे । आप स्टैंड ले सकते थे कि अध्यादेश सही नहीं है । मगर आप आगे बढ़ते गए । भ्रष्टाचार के सवाल पर व्यक्तिगत पूँजी जनता के बीच गँवाते चले जा रहे थे । आप हमारी तरह रोज़गार के बुनियादी सवाल से नहीं जूझ रहे । आपको विश्व बैंक से लेकर सांसद तक का पेंशन मिलेगा जिससे ख़र्चा तो चल ही जाएगा । आपने पब्लिक की नज़र में ईमानदारों को कमज़ोर कर दिया । आपने बीजेपी को नैतिक होने का मौक़ा दे दिया । प्रधानमंत्री विदेश में हो तो विपक्ष उनकी विदेश नीति तय करे, अध्यादेश के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति से मिलने जाए वो ठीक लेकिन राहुल अध्यादेश फाड़ दें उससे अपमान ! हद है । कह दीजिये कि आप अपमान प्रूफ़ हैं । होता ही नहीं है ।
देखिये अध्यादेश को वापस कराने राष्ट्रपति भवन गए अरुण जेटली जी ने क्या कहा है-" देश देखना चाहता है कि प्र म़ में आत्म सम्मान कितना बचा है । क्या वे अपने कैबिनेट के फ़ैसले को बकवास कहना स्वीकार करेंगे या अपनी सरकार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए कुछ करेंगे " । सर सब भेंड़ा लड़ा रहे हैं । आप चिन्ता मत करो । देश यह जानना चाहता है कि अपराधियों को रोकने वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर बीजेपी कांग्रेस की क्या राय है । दोनों चुप हैं । जेटली जी अध्यादेश का समर्थन कर रहे हैं क्या ?
आप चुनाव से पहले हार गए हैं सर । लगता है आपके ख़िलाफ़ बीजेपी के अभियान का असर कांग्रेस पर भी हो गया है । राहुल गांधी किसी और तरीके से राजनीतिक रूप से अध्यादेश वापस ले सकते थे । आख़िर बीजेपी ने भी तो इस मसले पर रातों रात ्पनी लाइन बदली तो कांग्रेस क्यों नहीं बदल सकती । प्रेस क़्लब में जो देहभाषा थी उससे आपको ज़रूर लगा होगा कि ये राहुल है या आडवाणी या अब तो मोदी । जो बचा था फाड़ फूड़ के बराबर कर दिया भाई ने । अब सब कह रहे हैं कि आप इस्तीफ़ा दे दीजिये । लोगों को झूठी सहानुभूति हो रही है । पता नहीं आप राहुल के नेतृत्व में काम करते हुए उनसे नज़रें कैसे मिलायेंगे । आज पता चल रहा है कि आपने कितना कुछ बोला हुआ है सर ।
शेखर गुप्ता जी ने आज के इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि जो आपकी ईमानदारी के क़ायल हैं ( वैसे कौन कौन हैं ?) उनका दिल टूट जाएगा अगर आपने इस्तीफ़ा न दिया तो । सवाल आपकी क्षमता का नहीं है सर, शेखर जी भूल रहे हैं कि सवाल आपकी राजनीतिक उपयोगिता का है । जब वो नहीं रहा तो ले देकर क्या सँभल जाएगा ।
शेखर जी ने किसी विदेश सचिव ए पी वेंकटेश्वरन का उदाहरण दिया है जब राहुल के पिता राजीव गांधी ने पाकिस्तानी पत्रकार के जवाब में कह दिया था कि जल्दी ही नया विदेश सचिव मिल जायेगा । उसी दोपहर वेंकटेश्वरन ने इस्तीफ़ा दे दिया । पिता भी पब्लिक में ऐसा काम कर चुके हैं ! जेनेटिक्स । तो शेखर जी चाहते हैं या उनके लेख की मंशा ये है कि आप भी कह दें कि नया प्रधानमंत्री खोज लीजिये । आपको जब कांग्रेस का पता ही है तो लास्ट मिनट में आडवाणी मत बनिये । क्या आडवाणी को नहीं पता था कि बीजेपी में संघ की चलती है । आडवाणी के रास्ते कांग्रेस में मत चलिये सर ।मेरी राय में शेखर जी जिस चाटुकारिता संस्कृति की आलोचना कर रहे हैं उसी के कारण तो आपका नंबर आया । आपका कोई योगदान नहीं था यह कैसे मान लें ।
नहीं सर बिल्कुल ये मत कीजियेगा । आपने एतना अपमान सहा है कि तय करना मुश्किल होगा कि कौन वाला अपमान इस्तीफ़ा देने लायक था और कौन वाला नहीं । इसी ज़ालिम गूगल से रेडिफ डाँट काम पर जी सी सोमाया की किताब 'दि आनेस्ट स्टैंड अलोन' का पता चला है । जिसमें सोमाया लिखते हैं कि जब राजीव गांधी ने योजना आयोग के सदस्यों को बंच आफ़ जोकर ( हिन्दी में जोकर गुच्छ) कहा था तो आप इस्तीफ़ा देने पर उतारू हो गए थे । तब सोमाया ने समझाया था िक राजीव अनुभवहीन और युवा है नज़रअंदाज़ कर दीजिये । आप मान गए । मुझे पूरा यक़ीन है कि पिता को माफ़ करने वाले मनमोहन जी पुत्र को भी माफ़ करेंगे । अध्यादेश था ही बकवास तो राहुल और क्या कहते । बाकवास !
सर अब इस्तीफ़ा देकर आपको कुछ नहीं मिलेगा । शांति से अपना टर्म पूरा कीजिये । इज़्ज़त तब भी नहीं मिली और अब भी नहीं मिलेगी । इस झाँसे में मत आइयेगा कि इस बार इस्तीफ़ा देने से सबकुछ बदल जाएगा । ऐसा किया तो आप फिर बीजेपी और शेखर जी के झाँसे में फँसेंगे । याद है न आपने लोकसभा में सुष्मा जी को क्या कहा था -
माना तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं,
तू मेरा शौक़ तो देख मेरा इंतज़ार तो देख ।
ये हुई न बात । दस साल का शौक़ और इंतज़ार पूरा करके जाइयेगा सर । पद से हटने के बाद हो सके तो राज्य सभा से इस्तीफ़ा दे दीजियेगा । प्रधानमंत्री की इज़्ज़त भले न हो, भूत पूर्व प्रधानमंत्री की तो होती है । और हाँ अपने बारे में गूगल मत कीजियेगा । क्या क्या तो निकल आता है । आपके साथ इतिहास ही न्याय करेगा, बीजेपी, गूगल और ट्वीटर नहीं । आपके साथ ही नहीं आडवाणी के साथ भी !
' स्पाइनलेस स्टैंड अलोन' सर ये मेरी अगली किताब का नाम है । तब तक आप एक और अध्यादेश ले आइये । यही कि अब से सारे अध्यादेश लैमिनेटेड होंगे ।
आपके भारत का एक नागरिक,
रवीश कुमार 'एंकर'
Provocative for any, but not for one!!
ReplyDeleteसर,,आपने अच्छा िलखा, कृपया जारी रखे
ReplyDeleteदिल ने तो खुशी माँगी थी मगर, जो तूने दिया अच्छा ही दिया.
ReplyDeleteसर,,आपने अच्छा िलखा, कृपया जारी रखे
ReplyDeleteशायद इसी को कहते हैं --- भिगो भिगो कर मारना ----
ReplyDeleteसौ साल लगेंगे मुझे आप जैसी भाषा में लिखने तो क्या सोचने में भी !
आपका बस कायल हूँ !
हरीश कुमार (twitter @indyannn )
सर आप बेशक बहुत ही अच्छा लिखते है, किन्तु आप अपनी लेखनी के साथ न्याय नहीं कर पाते।पक्षपात का भूत आपका पीछा नही छोड़ता।क्योंकि निष्पक्षता ही लेखक के लेख की प्रामाणिकता होती है।----क्षमा चाहूँगा ।
ReplyDeleteपानी से ही धो देते रविश जी। सर्फ़ एक्सल लगाने की क्या ज़रूरत थी..:-)
ReplyDeleteMajaa aaaaa gayaaa dhobi ghaaaat rakhna chahiye is post ka naaam
ReplyDeleteYou have written a lot in a very impressive Hindi. We are proud to have an anchor like you in the today's HINDI MEDIA. Thank you.
ReplyDeleteYour blog very critically conveys to a reader like me that there is a great respect you have for Dr Manmohan Sigh indeed!!
I also.
टी.वी. से ले कर ट्विटर तक हम तो आपकी हर अदा पर फ़िदा हो गए जनाब !!
ReplyDeleteरवीशजी,आपने अच्छा लिखा है लेकिन कही-कही आप का कांग्रेस के प्रति पुराना प्रेम उजागर हो जाता है,चलिए यह मानव स्वभाव है पाठक इसे नजर अंदाज कर इस लेख का लुफ्त उठा सकते है!मौन मोहन को तो भिगो-भिगोकर मार ही डाला आपने पर कांग्रेस को संजीवनी देने का आपका प्रयास काबिले तारीफ है
ReplyDeleteKya likha hain ravish ji!! Missed you on 27'th Sept 9pm when rahul baba on a high brought our pm so low!!
ReplyDeleteआपने बात कही भी, साथ में चोट न पहुँचें, ये भी ध्यान रखा... प्रधानमंत्री के लिए इतना आदर ज़रूरी भी है ।
ReplyDeleteRavishji main aapka fan ban gaya hun. Vayktigat roop se main BJP samrthak hun par fir bhi main chahta ki aap har dal ki kamjoriyon par jarur likhe (that includes BJP as well).
ReplyDeleteWaise main koun hota hun ki aap kya likhe ya kya na likhe
blog pe chitthi vyang.... acha tha...
ReplyDeleteek line badi jachi..."Etna apman hone k bad kaun vala apman istifa dene layak h"
likhte waqt b sajag rate h k koi kisi party ka dalal na bata de..rachna me iska
pratyaksh praman dikha...
yug badal gaya h..lekhak b sachet ho gaye h...acha h..
"इज्जत का जनाजा है ,बेशर्म आसुं बहा बहा रहे है "
ReplyDeleteSach sach bataiye ravish ji pradhanmantri jii chor h yaa nhi...
ReplyDeleteSach sach bataiye ravish ji pradhanmantri jii chor h yaa nhi...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteOh my my. Kya khub vyang hai. Fir bhi congress k prati prem aur narendra modi se nafrat dikhti hai. Aap ki nafrat bhi kabil e tarif hai. Aap khat kisi ko bhi likhe narendra modiji ka jhikra karna nahi bhulte.
ReplyDeleteOh my my. Kya khub vyang hai. Fir bhi congress k prati prem aur narendra modi se nafrat dikhti hai. Aap ki nafrat bhi kabil e tarif hai. Aap khat kisi ko bhi likhe narendra modiji ka jhikra karna nahi bhulte.
ReplyDeleteवीर तुम बने रहो ....
ReplyDeleteजख्मों पर ऊँगली करने पर भी शेर गुर्राया नही ...
और क्या चाहते हैं आप :-)
"एक चुप,
ReplyDelete100 सुख "
लगता है आपके ख़िलाफ़ बीजेपी के अभियान का असर कांग्रेस पर भी हो गया है ...this is real& happening
ReplyDeleteराहुल राजा हैं राजा राजा ही होता है नौकर नौकर ही होता है। नौकर की क्या औकात होती है।
ReplyDeleteआपके कोयले कारनामो असहनीय धैर्य और मौन ने मोहन जी हमे देवगौडा और स्व.गुजराल पार्टटाइमर पीएम
ReplyDeleteके लिए भी सम्मान का भाव जगा दिया है
satya vachan sir ...
ReplyDeleteOrdnance kee script kuch samajh main nahi aa rahi hee. PM to bagair 10 Janpath se puche Chinkte bhi nahi hai. Kya Lutiyan zone main PM office, Akbar Road aur 10 Janpath kee duriyan badh gayee hain. Ordnance phadne kee script main Shekhar Gupta bhi shamil hai kya. Iske pahle unhone kitnee bar MM se istifa maanga. Sarkar aur 10 Janpath se unkee najdeekee sabse jyada hai.Defence ministry kee saree report unko hee milte hai pjir unko Mussalam banake chapna, kya batlata hai. Report bhi baad main " Gaye the hari bhajan otan lage kapas" jaisee ho jatee hai.
ReplyDeleteUPA Sarkar main two so called Imandar mantra hai. EK PM doosre DM.PM ke Khate main to kuch bacha nahin. DM ko Ex Army chief VKS ne kafe parashanee main dala. Ho sakta hai UPA ke vidai ke baad defence ministry ke karname bhi samne ayen.
हा हा। अच्छे से ले ली आपने सर जी
ReplyDeletesir, press freedom index me india ka stan neche se 30 he.ease vale press ka kese vishwas kare .jawab jarur dijgya kai bhe
ReplyDeleteSir aapki lekhni aur vicharo dono ki meri maa bahut badi prashansak hain prime time dekhti hain thursday tak.. Friday sat., sun nahi dekhti kyunki aap nahi aate.. ab aapke blog ke baare me bataungi unko bahot khush hongi is madhyam se aapko padh kar..
ReplyDeletekya बात है सर आपकी शैली और भाषा। ………………………हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा
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