मैं ब्लागर मन की व्यथा समझ सकता हूँ । उत्तेजित मन कुछ लिखना चाहता है । सो आपने लिखा । पद से हल्का होने के बाद मन से हल्का होने का सर्वोत्तम माध्यम है ब्लाग । आप उस बीजेपी के प्राथमिक सदस्य है जिसके सभी शीर्ष पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है । अच्छा किया है । मैं आपके इस्तीफे का स्वागत करता हूँ ।
ये लोग जो आपको मनाने आ रहे हैं इनकी कोई बात मत मानियेगा । मोदी से आप हार गए हैं । हमलोग भी छोटी मोटी रोज़ाना की पोलिटिक्स में हार जाते हैं । बड़ी बात नहीं है । बुज़ुर्ग घर की ज़िम्मेदारी भी होते हैं वही समझ कर ये निभाने आ रहे हैं । इनदिनों आप गीता और महाभारत पढ़ रहे हैं तो जल्दी ही उस चैप्टर पर पहुँच जायेंगे जहाँ ये लिखा होगा कि तुम क्या लेकर आये थे जो तुम लेकर जाओगे । बुद्ध ने कहा था आसक्ति ही दुख का कारण है ।
लेकिन आप महाभारत क्यों पढ़ रहे हैं । रामायण का क्या हुआ । रामायण एक असफल कहानी है । जीत के बाद भी राम को सीता का वियोग झेलना पड़ा । सीता राम की जीत से अभिभूत होतीं तो छोड़ कर न जाती । जंगल से महल लौटकर सुख भोगतीं । सीता के मार्ग पर चलिये । छोड़ दीजिये बीजेपी का महल । राम राम कैसी कैसी बातें कर रहें हैं सब सूत्रों के हवाले से । पूरी अयोध्या धोबियों ( समुदाय पर टिप्पणी नहीं है। संदर्भ में लिख रहा हूँ ) से भर गई है । जो लीक की जाती है वो पहुँचाने के लिए की जाती है । राम ने तभी लीक करने वालों को साधा होता तो आज उनके नाम के रथ पर सवार आपको कोई कुछ नहीं कहता । आपको टेंशन नहीं होता इस लक्ष्मण से । खुद तो राम से चिपका रहा और आपसे भी चिपक गया । तुनक मिज़ाजी और भाई प्रेम के अलावा इसकी क्या क्वालिटी है । बताइये आप राम के लिए निकले और कौन कौन आकर राम बन गए । आप लक्ष्मण ही रह गए । पता नहीं रामायण कंफ्यूज़ींग लगता है । सबक़ ये हैं कि लक्ष्मण बनो न बनाओ ।
जो सत्ता खड़ाऊँ और आजकल रिमोट से चल सकती है उसके लिए क्या मारा मारी । टच स्क्रीन का ज़माना है । आयफोन तो होगा ही । भूल जाइये रिमोट को । टच कीजिये चलते बनिये । इस्तीफ़ा नामंज़ूर है । आपको ये लोग एक रूका हुआ फ़ैसला की तरह लटका देंगे । आपके साथी सम्मान तो करते हैं आपका । नेता ही तो नहीं मानते न तो क्या बात हो गई । ये क्या कम है । आप सबके आदरणीय हैं । फ़ील इट शट इट एंड फोरगेट इट । क्योंकि मोदी की होंडा लाँग ड्राइव पर निकल चुकी है ।
हाँ तो भीष्म पितामह कोई किरदार नहीं हैं । उनकी प्रतीज्ञा किसी काम नहीं आई । आज भीष्म ब्रांड नहीं हैं । विद्या क़सम, माँ क़सम , अपने सर की क़सम से बड़ी कोई प्रतीज्ञा नहीं । महाभारत में 'आलरेडी' बहुत सारे कैरेक्टर हैं । अर्जुन से प्रेरणा पाने वाले ज़्यादा से ज़्यादा अर्जुना अवार्डी बन पाते हैं । भीष्म का कहीं कोई टूटा या छूटा टैंपल भी नहीं जिसे बनवाने के लिए आप हिन्दू मन को भावुक कर सकें । मुकेश खन्ना भी आपकी पार्टी में कहीं न कहीं होंगे । ज़्यादा भीष्म बनेंगे तो नरेंद्र मोदी आर्मी के कमांडर मुकेश खन्ना को भीष्म बनाकर ले आयेंगे । तो रहने दीजिये ।
हाँ हिटलर और मुसोलिनी के बारे में प्रचार करने का टाइम है । इतिहास के हस दौर में यह बताया जाना ज़रूरी है कि इसके जैसा कोई न हो । आप ज़रा खुल कर बताते कि हिटलर का ख्याल क्यों आया तो मैं सही में कुछ अच्छी किताबें बताता । मुझे पूरा यक़ीन है कि आप मोदी को इस फ़्रेम में नहीं देख रहे । वे तो गुजरात में तीन बार चुनाव जीते हैं । जनता में सबसे लोकप्रिय है । गुजरात के माडल का पूरी दुनिया में नाम है । यही सब तो आप कहते थे । कितनी बार कहते थे । हिटलर तो पूरी दुनिया में बदनाम है । मोदी तो आपके लक्ष्मण हैं और अब राम बनने चले हैं । ओ तभी आप महाभारत में शिफ़्ट हो गए । आय सी ।
मोदी ने एक सिस्टम अच्छा किया है । बाहर से माहौल बनाने का सिस्टम । प्रणब मुखर्जी भी तो इसी रूट से राष्ट्रपति भवन पहुँच गए । वहाँ भी आपका चांस नहीं है । २०१४ में बीजेपी की सरकार बन भी गई तो आपका नंबर तीन चार साल बाद आयेगा । और तब आप प्लीज़ ये चुनाव मत लड़ियेगा वर्ना कैप्टन लक्ष्मी सहगल वाली हालत हो जाएगी ।
इतिहास आपको उस सफल सीईओ के रूप में याद करेगा जो दफ्तर की पोलिटिक्स के कारण अपना बोनस नहीं ले सका । उसकी कंपनी नंबर वन हो गई तब भी । एक और बात । जो लोग संगठन की पोलिटिक्स में दिन रात लगाते हैं उनके लिए भी सबक़ है । उनकी कुर्सी वहीं की वहीं रह जाती है । लोग नेता ढूँढते हैं आयोजक नहीं ।
आपका
बीजेपी को कम जानने वाला ग़ैर ल्युटियन पत्रकार
रवीश कुमार
कमाल की बात यह है कि पूरे समय भाजपा वाले प्रधानमंत्री का त्यागपत्र मांगते रहे । उन्होंने तो दिया नही..इन्होंने दे दिया ।
ReplyDeleteहम तो अपनी कविता के माध्यम से सदा ही भीष्म को निर्णय लेने के लिये उकसाते रहे हैं।
ReplyDeleteestife ke pahle likhte to acha tha.
ReplyDeleteअखबार में पढ़ा ....
ReplyDeleteजिया और आडवाणी में समानताएँ....
एक ने जीवन को अलविदा कहा तो दूसरे ने राजनीतिक जीवन को ।
एक को प्रेमी ने दगा दिया तो दूसरे को संगठन से ।
एक की फिल्में नही चली तो दूसरे की राजनीति ।
दोनों को ही अपनों ने ढगा और दोनों ने चिट्ठी लिखकर दुख जताया ।
अब दोनों घरों में लोग संवेदनाएं जताने जा रहे हैं ।
चाहे कुछ भी हो, लेकिन है दोनों आत्महत्याएं ही ।
(पंकज क्षीरसागर से साभार)
Just thinking now what happens to all the supporters of Advaniji who called in sick on friday....
ReplyDeletekya baat hai.... sabse laast wali line sbse badiya thi ..
ReplyDeletekya baat hai.... sabse laast wali line sbse badiya thi ..
ReplyDeleteHaaye ye rajneeti....
ReplyDeleteSri Ravish ji, sabse pahle to aapko sadhwad ki pichle 18-20 ghanton me aapne kuch kafi behtarin baten padhne ko din. Asal me yahi man dhundhta hai.
ReplyDeleteGhar, office ki aapadhapi me ham apne andar sirf or sirf kachra hi ikatha karte rahte hain. aapke blogs ko padhne ke bad safai ho jati hai.
Kuch likhte rahna chahta hu. par office ke kcuh niyam kaydon bandha hu, bahar nahi likh sakta. Eise samay me aapko padhna or fir aapko likhna kafi sakun de jata hai. Halanki yeh one way traffic hai fi bhi...
Kuch chijen parayi hokar bhi kitni achi lagne lagti hain. kitna apnapan ho jata hai sir. jis tarah baris ki bundon ko dekh kar mayur nach uthta hai, wase hi aapke blogs par kuch naya or different padh kar man prasann ho jata hai.
Kal prime time par advani par charcha ke doran aapne kaha ki " Main bhi blogger hun, main bhi niji baten share karta hun Lekin is se vipaksh satark ho jata hai" yeh aapne kis sandarbh me kaha pata nahi par ravish bhai aapke or rajnitigyon ke bloggs me bahut fark hai.
Rajnitigyon ke blogs me to sirf hangama hai. main hai or dher sara drama hai, khij hai, gussa hai, banawati dosti or dhero dushmani hai. kya hai unke blogs me. kabhi unki likhi ibarton ko gor se padhiye ko padhiye to jhuthe aswasan or chal kapat ke alawa aapko or kuch nahi milega.
Wahin aapke blogs men khusbu hai, mithas hai, apnapan hai, shanti hai, sukun hai, or sabse bari bat bhawna or santosh hai. Shabd besak wahi hain par likhne ke andaj me ek ehsas hai. ek sachai hai.
Isliye sir nivedan hai ki apne ablogs ki tulna eise logon ke blog se na kariye. Likhte rahiye...isi tarah BINDASS... kal mile baba ki tarah main aapko ashirvad to nahi de sakta par dheron shubhkamnayen jaroor hain... KYONKI IS KASBE HAM SABHI SATH SATH HAIN...
आडवाणी जी को मनाने के लिए चिट्ठी लिखते तो बीजेपी वालों को थोड़ा सहारा मिलता. ये कलयुगिया भीष्म हैं ऐसे वैसे थोड़े हैं.
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ReplyDeleteरवीश जी मैं आपकी बहुत इज्ज़त करता हूँ और अपेछा करता हूँ की एक स्वस्थ्य पत्रकारिता मिले.आप उन लोगों में से है जब न्यूज़ चैनल्स की शुरुवात हुई थी पर अब जब भी NDTV न्यूज़ देखता हूँ तो कांग्रेस्सिपन की बू आती है जो की संविधान के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता के लिए बहुत बड़ा खतरा है, अगर आप कांग्रेस के साथ है तो आप भ्रस्टाचार के साथ है.मैं बीजेपी समर्थक नहीं हूँ किंतु भ्रस्टाचार विरोधी हूँ,अगर आप लोग ही कांग्रेस की गलत नीतिओं का साथ देंगे तो आम जनता को कौन समझेगा |
ReplyDeleteयदि भारत की ये दुर्दशा है तो इसके लिए वो पार्टी जिम्मेदार है जिसने ५५ साल राज्य किया,
सादर
रवीश जी मैं आपकी बहुत इज्ज़त करता हूँ और अपेछा करता हूँ की एक स्वस्थ्य पत्रकारिता मिले.आप उन लोगों में से है जब न्यूज़ चैनल्स की शुरुवात हुई थी पर अब जब भी NDTV न्यूज़ देखता हूँ तो कांग्रेस्सिपन की बू आती है जो की संविधान के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता के लिए बहुत बड़ा खतरा है, अगर आप कांग्रेस के साथ है तो आप भ्रस्टाचार के साथ है.मैं बीजेपी समर्थक नहीं हूँ किंतु भ्रस्टाचार विरोधी हूँ,अगर आप लोग ही कांग्रेस की गलत नीतिओं का साथ देंगे तो आम जनता को कौन समझेगा |
ReplyDeleteयदि भारत की ये दुर्दशा है तो इसके लिए वो पार्टी जिम्मेदार है जिसने ५५ साल राज्य किया,
सादर
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ReplyDeleteब्लॉग हार गया ट्विटर से
ReplyDeleteI am feeling good after reading your blogs
ReplyDeleteटच कीजिये चलते बनिये :D
ReplyDeleteGood analysis.
ReplyDeleteGood Analysis.
ReplyDeleteBachchpan mein ik kahani padha tha ki ik Jagugar ki jaan Tote(parrot) mein htis. Yahi haal Aadvaani ji ka hai, Inki jaan PM ki kursi mein hai jo jabtak milegi nahi yeh marenge nahi...
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