लक्स मार्का मर्द

" असली मर्द गिराते नहीं बचाते हैं " । टीवी पर आज लक्स कोज़ी के विज्ञापन में एक असली मर्द दिखा । ये असली मर्द लफ़ंगों के कारण स्वींमिंग पुल में गिरा दी गई लड़की को तौलिये से ढंक देता है । फिर धीरे धीरे नंगे बदन ऐसे चलता है जैसे हर्निया का आपरेशन हुआ हो । कैमरा उसकी इस चाल चलन के राज़ पर फ़ोकस करता है । लक्स कोज़ी लिखा है । यानी असली मर्द की गुप्त पहचान । ये मर्द छेड़खानी करने वाले लड़कों को धक्का देकर बचा लेता है । इससे पहले के पर्दे के मर्द लड़की पर अपनी शर्ट डाल छेड़ने वाले का कचूमर निकाल दिया करते थे ।  लक्स कोज़ी बिल्कुल कोज़ी है । ये असली मर्द समझौता कर लेता है और मुड़कर अपने अंडरवियर पर इतराता लौट आता है । 

ये कौन से असली मर्द हैं । लगते नक़ली से हैं । इनकी मर्दानगी अंडरवियर समानुपाती है । जैसा अंडरवियर होगा वैसी मर्दानगी होगी । जैसे अंडरवियर न हुआ सबलोक क्लिनिक हो गया । इस तरह के मर्द गढ़े जा रहे हैं रोज़ाना । पता नहीं असली औरत क्या होती होगी । स्वाभाविक है जब असली  मर्द होते होंगे तो असली औरत भी धरती पर कहीं न कही होगी । उसके आने का इंतज़ार कर रहा हूँ । 


विज्ञापनों के इस अंडरवियर काल पर पहले भी कई बार टिप्पणी कर चुका हूँ । ख़बर पढ़ते समय या देखते समय अचानक बीच में बनियान में वोट करते और अंडरवियर में फ़्लोट करते दिख जाते हैं तो खुद के सूट बूट में लदे ढँके होने पर घबराहट होने लगती है । असली मर्द तो बिना कपड़े के चला जा रहा है । जो पूरे पहने हैं वो क्या हैं फिर । एक सवाल और वो ये कि अंडरवियर और बनियान वाले मर्द ज़्यादातर स्वींमिंग पुल, समंदर किनारे या गली में गुंडों से ही भिड़ते क्यों दिखते हैं । ये किसी लैब में किसी दफ्तर में भी तो यूँ आते जाते दिख सकते हैं । 

मर्दानगी को फटीचर कर दिया है इन होज़ियरी वालों ने । मर्दानगी चिरकुट अवधरणा है भी । एक बात और ये सब ब्रांड अंग्रेज़ी के दर्शक नहीं पहनते क्या । क्या आपने अंग्रेज़ी चैनलों पर अंडरवियर बनियान के विज्ञापन देखे हैं ? मुझे ध्यान नहीं आता । क्या अंडरवियर सिर्फ हिन्दी भाषी दर्शकों की राष्ट्रीय चाहत है ? अंग्रेज़ी वाले क्या बिना असली मर्द हुए ही ? राम राम । मैं भी क्या क्या लिखता रहता हूँ । गिली गिली थू थू । एक ही डर है । इन विज्ञापनों से प्रभावित होकर लोग पतलून क़मीज़ पहनने का आइडिया ही न छोड़ दें । 

चलते चलते: जैसे ही टीवी पर चैनल बदला प्रधानमंत्री नक्सल समस्या पर भाषण दे रहे थे । उनकी तस्वीर के नीचे डाॅलर बनियान का स्लोगन फ़्लैश कर रहा था । फ़िट है बाॅस । बस अब मुझे गेस नहीं करना है । 

14 comments:

  1. Ravish ji aapne apne likhe hue poems ko kyun delete kar diya. Kaafi badhiya tha baar-baar padhne ko jee chahta hai.

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  2. Ravish bhai, Darasal aajkal jo jitna ughra or nanga hai wah utna hi solid mard or ijjatdat ho gaya hai. yeh vigyapan bhi isi se idea lekar banaya gaya hai.Iska kai taja udaharan aapke samne hai. political partiyon se lekar or kai prakar srini aajkal isi prakar koji type ke vigyapan hain. Jo ughre or nange to to hain fir bhi mard hain. Is bat se ghabrane ki jarurat nahi hai ki aap sut but me dhake chipe hain. kal ka aapka RTI par prime time acha tha. CIC ne to political party ko aag laga di hai. Par bharosa nahi ki political partiyan eisa hone dengi. hairani ki bat hai ki any muddon par ek dusre ko galiyona se nawajne wali partiyan in muddon par ek ho jati hain. Kyon na ho aakhir sabhi ek ghat kato pani pite hain. hai na???????

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  3. koi dhyan deta hai to accha lagta hai varna vigyapno me to admi bhi kaccha lagta hai......

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  4. सबने मर्दागनी की अपनी अपनी परिभाषा गढ़ ली है।

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  5. बढ़िया पकड़ा है, भगवन!

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  8. लगता है आपने पर्फ्यूम, बॉडी स्प्रे और चॉकलटेस की ads नही देखी ! कभी-कबार तो ads के अंत तक पता नही चलता, बेच क्या रहे है ?

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  9. हा हा हा !!!ye andar ki baat hai !!!

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  10. sir, appke soch aur khili udhane ka jawab nahi

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  11. sir, appke soch aur khili udhane ka jawab nahi

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  12. aapko jab pehli baar ndtv par dekha tha koi 5 6 saal pehle ,to apne ghar walon se kaha tha ki ye ladka aage niklega(kshma kijiye ga gharon per tv dekh kar aise hi bolte hain) lekin sach batau to nahi janta tha ke ek din aisa ayega ki apke har vichar mujhe apne vichar lagne lagenge, jo kuch bhi ho mere ghar wale meri bhavishya wani se stabdha hain . . . aur agli bhavisyawani ka intzaar kar rahe hain . . .

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  13. Ha ha ha...last mai aapny pm sahab ka jo chitran kiya hai...adbhut hai...kya koi itna accha likh or soch sakta hai...

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