बनरी लगती बोर है ,
बनरवा भाविभोर है,
ईद मुबारक केतना बोले,
ख़बर नहीं फिर भी बकते,
एंकरिया बोली ब्रेकिंग ब्रेकिंग,
एंकरवा बोला आयं आयं ,
केन्ने चल गया धायं धा़यं,
नूझ रूम में मची भगदड़,
एंकरिया बोली ऐज एन वेन कमिंग इन,
वी आर अपडेटिंग एवरीथिंग,
एंकरवा घुड़का चल बसंती ब्रेकिंग ब्रेकिंग,
बानर बनरी झूमे रे,
बकलोलवन दर्शक देखे रे,
का हो गया गान्ही के नेशन में ,
भगदड़ मच गई स्टेशन में,
टीभी पर चढ़ गया एंकर ,
लइका खानी बोला भयंकर,
आवे दे रेस्पोसिंबिल को,
गाड़ेंगे हम सबमर्सिबिल को,
सूखी गंगा हम नहीं सूखे,
सेव द नेशन टीभी स्टेशन,
बनरी बोली बुआ को,
ऐ काकी देखो हमको,
एंकरिया बन बन नाचूं मैं,
कान खुजाऊं लात लगाऊं,
ख़बरों की तो भात बनाऊ,
एंकरवा बन गिया एडिटर,
एंकरिया का बिगड़ा जूपिटर,
नो जस्टिस है नूझ रूम में ,
बाबू जस्टिस है कोर्ट रूम में,
एंकरवा गाया पार्टी राग,
दाँत चियारा मुँह बिगाड़ा,
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा,
करते हैं ये चेंज प्रोफेशन,
भाड़ में जाए अपना नेशन,
यू आर वाचिंग टीभी नूझ,
वी आर टोकिंग नथिंग नूझ।
आ गए देखो मदारी मामा,
बजा के डमरू लजा के लबरू,
वही बाढ़ है वही खाज है,
मानवता पर बड़ी लाज है,
प्रजेंट इनडिफनिट में एंकरिया बोली,
पास्ट परफेक्ट में एंकरवा,
कहत कबीर सुनो भाई दर्शकू,
साधु मरिहन जोगी मरिहन,
मरिहन संत कबीर,
बेलमुंड ज्योतिष कहलन,
कबीरा मर गिया बाज़ार में,
बनके टीभी मरीज़।
मरिहन संत कबीर, ( हिन्दी पत्रकारिता का बानर काव्य भोलुम थ्री- मौलिक कवि रवीश एंकर टीभी वाले )
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ReplyDeleteआप सदा एक चुभते एंकरिंग जमात से अलग दिखे और लिखे. हिंदी पत्रकरिता में सच में कविवर रवीश जैसे अत्यंत संतुलित लोगों कि जरुरत है, बहुत ज्यादा जरुरत है. more power to your Pen..err.. Pen,Brain and Voice.
ReplyDeletecarrying forward the legacy of the previous post.. pretty good continuation.
ReplyDeleteहाहहहाहहा
ReplyDeleteक्या कहने, बहुत बढिया
wow !! it can't get any better ravish ji...well done .
ReplyDeletewow !! it can't get any better ravish ji...well done .
ReplyDeleteगलती कि क्षमा चाहता हूँ,मान्यवर. पता नहीं था कि आप लिखते भी हैं और ह्रदय से कवि भी हैं. ट्विटर पर फोलो करता था, इसलिए, कि मुझे आपकी एंकरिंग बहुत अच्छी लगती है. बहुधा न्यूज़ जगत में मैं बहुत कम लोगों को सम्मान कि दृष्टि से देखता हूँ(इसकी माफ़ी चाहता हूँ, पर संत नहीं हूँ) कुछ लोगों को तो बिलकुल सुनना नहीं चाहता. परंतु आपकी भाषा शैली में बड़ा अपनापन दीखता है, एक शालीनता भरा अक्खडपन भी, और आपके विचार भी अत्यंत संतुलित होते हें. आशा है आप नई कविता शैली के अलावा कभी पारंपरिक कविता का भी आनंद दिलाएंगे....गलती हुई, एक बार आपका ट्विटर प्रोफाइल देखना चाहिए था. (जो ह्रदय में था लिख दिया).
ReplyDeleteआप लिखते तो बहुत ही अच्छा है इसमे कोई दो राय नहीं है . जिस क्षेत्र में आदमी काम करता है उस क्षेत्र पर व्यंग कर के अपने आप को उससे अलग करना आजकल का फैसन ही गया है . अगर आज आप नेता होते तो आपको दर्शक को " बकलोल " कहने के लिए हो सकता है कि त्यागपत्र देना पडता !!!
ReplyDeleteअहा, आनन्दभरा..
ReplyDeleteगज्ज़ब मौलिकता झड-बरस रही है -
ReplyDeleteकहत कबीर सुनो भाई दर्शकू,
साधु मरिहन जोगी मरिहन,
मरिहन संत कबीर,
Bada manbhavan,
ReplyDeleteE bhai ram khelawan,
Ravish bhaiya kuch sunawat hai,
Nujh room ke jhoom jhoom ke,
Kahani sahi sunawat hai,
Kbhi dikhe ghadiyali aanso,
Kbhi dikhe girgit ka rang,
Aisi waisi jaisi taisi khbre dekh,
Mijaj ho gaya apanag...
स्वामी रवीशानंद जी महाराज की जय हो...
ReplyDeletebahute badiya laga raha ka baat hai
ReplyDeletejhanda gad diya ravish babu...
ReplyDeletejhanda gad diya ravish babu...
ReplyDeleteComic timing hai, bhaiji. Bahut umda.
ReplyDeleteaapke isi saili ke hum kayal hai ravish ji. Bahut khoob.
ReplyDeleteगरदा कबिता हय भायजी...
ReplyDeleteगरदा कबिता हय भायजी.....
ReplyDeleteamazing, luvd it.. Aapka jo kataksh hai wo sidha dil pe lagta hai.. Doing great job. U r unbiased and i never miss ur prime time show..
ReplyDeleteWah wah Ravish ji jitni bhadiya aap ki patra karita hai utna hi bhadiya aap likhte bhi hai.
ReplyDeletekumar vishwas ke equal mai ek aur yodha mil gaya...nice kavya sir.. carry on
ReplyDeletelyk it sir g, kuch naya tha thora hatke vaise aapka ye saili aapke anchoring me v dikh raha hai kuch dino se
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletekahen to .. Majaaa aagyaaa iss kavita ko padh kar ....keep it up sir.
ReplyDeleteNice ravish jee...maza aa gaya..
ReplyDeleteIs is about dedication/integrity/ 'wish'? Ravishji?yap your wish! :-/
ReplyDeleteIs is about dedication/integrity/ 'wish'? Ravishji?yap your wish! :-/
ReplyDeletebholum do kaha gaya
ReplyDeleteबेखुदी बेसबब तो नहीं रवीश कुछ तो है जिसकी परदादारी है.
ReplyDeleteasli kavi ban gye ho ab
ReplyDeletemubarak ho:)
आपको पढ़ने में अलग ही मजा आता है, आज तो बात ही कुछ और थी :-)
ReplyDeleteJasise aap waisi aap ki rachna. Fir bhi ek prasna, kyun bane hain bandar wo bhi madari ka gulam bandar.
ReplyDeleteSir i like very much your speaking style,vinod sir style and manish sir on ndtv channel.and ur deep talking style on news.ur write very beautiful sir.i want to meet u AND TALKING TO U VERY MUCH.
ReplyDeleteKa jee tu to kabarle hahun
ReplyDeleteRavish Babu Kahin aarchin-Charchin-Parchin,Bhujh aa Batawa..
ReplyDeleteएहे भैया काहे एंकरवा को बकलोल कह रहे हो? साला सारा गुमान ढीला कर दिये हो एंकरवा का। ऊ सोचत हैं कि ओ के देखे खाति लोग टीभी आन किए हैं और तुम हो के ओ के ही बकलोल और बनरिया साबित कर दिये हो। अबी देखना के कहीं तोहरी मॉरबिड पायेट्री से कहीं कौनो लइकी एकंरवा टावरवा से कूद के जान न दे दे। फेर फंस जाओगे आतमहत्या के खाति उकसाने के फेरे में हां।
ReplyDeletekya mast kavita hai :-)
ReplyDeletekya mast kavita hai :-)
ReplyDeletekabhi kabhi lagata hi ki ha koi to hi jo apni alochna khud kar ske kuch samjhdarlogo ki man ki awaz apne likha hi
ReplyDeleteRavish ji apki kavita to bilkul deshi rang me bahut saral baat kah deti hai ..maza aya can't stop laughing! bahut badiya
ReplyDeleteRavish ji apki kavita to bilkul deshi rang me bahut saral baat kah deti hai ..maza aya can't stop laughing! bahut badiya
ReplyDeleteExcellent write-up…
ReplyDeletekeralaflowerplaza.com
यही तो रवीशत्व है।
ReplyDeleteडाक्टर के लगे एगो मरीज आईल अउर कहलस- हमरा के दिशा-मैदान गइले कई दिन हो गइल बा. जातानी बाकिर उतरत नाही बाटे। कवनो अइसन दवाई देईं जवना से हमार पेट साफ हो जाये.
ReplyDeleteडाक्टर बाबू दवाई दे के ओकरा के घर भेज दिहलें.
दूसरे दिन ऊ आदमी फिर डाक्टर के लगे आईल.- डाक्टर साहब, दवाई से कउनो फायदा नाही भइल.
डाक्टर बाबू दवाई बदल के दूसर दवाई देके भेज दिहलें.
अइसन कई दिने भईल त एक दिन डाक्टर बाबू पूछलें-
डाक्टर- का हो, कवन काम करेल?
मरीज- जी, हम मीडिया में बानी.
डाक्टर- कवने में?
मरीज- अखबार में.
डाक्टर- कउन से अख़बार में?
मरीज- %^७%५$%^७५६८* नामक हिंदी दैनिक में.
डाक्टर- अरे मरदवा इहे बतिया पहिले बतावल चाहत रहल ह न। ल ई सौ गो रूपया। जा, पहिले भर पेट खाना खा। सबेरे एकदम खुल के आई।
डाक्टर के लगे एगो मरीज आईल अउर कहलस- हमरा के दिशा-मैदान गइले कई दिन हो गइल बा. जातानी बाकिर उतरत नाही बाटे। कवनो अइसन दवाई देईं जवना से हमार पेट साफ हो जाये.
ReplyDeleteडाक्टर बाबू दवाई दे के ओकरा के घर भेज दिहलें.
दूसरे दिन ऊ आदमी फिर डाक्टर के लगे आईल.- डाक्टर साहब, दवाई से कउनो फायदा नाही भइल.
डाक्टर बाबू दवाई बदल के दूसर दवाई देके भेज दिहलें.
अइसन कई दिने भईल त एक दिन डाक्टर बाबू पूछलें-
डाक्टर- का हो, कवन काम करेल?
मरीज- जी, हम मीडिया में बानी.
डाक्टर- कवने में?
मरीज- अखबार में.
डाक्टर- कउन से अख़बार में?
मरीज- %^७%५$%^७५६८* नामक हिंदी दैनिक में.
डाक्टर- अरे मरदवा इहे बतिया पहिले बतावल चाहत रहल ह न। ल ई सौ गो रूपया। जा, पहिले भर पेट खाना खा। सबेरे एकदम खुल के आई।
Ravish bhai, apse ek gujarish hai.
ReplyDeleteSayad aapko dhyan hoga ki kareeb ek mahine pahle, ek dardnak hadsa railways mein ghata tha. Jis din ye hadsa hua tha, us din pure din news, tv vale coverage dete rahe. Railways minister ne 15 din mein report tayar hone ka dawa kiya tha.
Kya app sirf 2 minute ka follow up kar sakte hain ki kya hua, report aayi yaa nahi. Kya pata chala aur kaise is tarah ki ghatnao ko roka ja sakta hai?
News of the day pe beshak pura ghanta lagayein but sirf 2 minute...purani khabaron pe jahan media ke follow up se kafi asar hoga.
nice poetry in our dialect
ReplyDeleteपत्रकारिय वानर या वानरिय पत्रकारिता ......आह
ReplyDeleteक्या बात ! क्या बात ! क्या बात !
ReplyDelete5 awards jeetne ke liye bahut bahut badhayee sir!!
ReplyDeleteHahahah a...... Nice one .... Kumar saheb Mann to aapke kavitao ko copy kar Facebook par daalne ka tha...par fir pata chala... Rights dene ke pehle hi aapne le liye hai ...chaliye koi nahin hum hi padg ke khush ho lete hai ......
ReplyDeleteअंग्रेजी पढ़कर हिन्दी पत्रकारिता में घुस आए पत्रकारों की रासलीला से वाकिफ हूं। बची-खुची कसर आपके इस बानर-लीला ने पूरी कर दी। कमेण्ट पढ़कर आपके जमातदारों के बारे में जानने का मौका भी मिला। वैसे आपके इस ब्लाॅग में काफी कुछ है जिसे मैं पढ़ने के साथ-साथ सहेज भी सकता हूं। असंगत माहौल से मुठभेड़ करते आप जैसे पत्रकार से काफी उम्मीदें हैं। आपको साधुवाद!
ReplyDeletereally this post sir describes the present scenario of our news channels...only NDTV India is the news channels which takes the pain to broadcast the realism of news.....huge fan of your journalism....it is actually realism and less journalism which you present.....hats off
ReplyDeleteसर, ये मेरी पहली टिप्पनी है | ज्यादा नहीं बोलूँगा |आप मेरे हीरो हैं |सादर प्रणाम
ReplyDeleteHats off to you Ravish Kumar.
ReplyDeleteKuch kam hi log reh gaye hain hindustaan mein jo apni hindustaniyat pe ghabraate aur sharmaate nahi hain.
Aur in logon ki jammat mein se bhi boht kam hain jo khud ka UP ya Bihar se jude hone par lajaate nahi hain. Asli hindi ka ras bara pada hai apni mitti mein. Leep diya hai bhole bihari/UP-hari ko is paschimi sabyata ki adh kachari tehjeeb ne.
न भूख होता न ये फसाद होता" न बंदरिया नाचती न बनरवा गाता " सर जी ऐसे ही जीवन में समझौते करने पड़ते है !इस कविता ने वह कह दिया जो आप टीवी पर नही कह सकते !
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