रामधन पगडंडी पर दौड़े चले आ रहे थे। मूलधन ने रोक लिया तो टोके जाने पर गरमा गये। काहें रे काहें टोक दिया हमको बीच रास्ते में। मूलधन भी गरम हो गया। अबहूं अपशकुन का भय सतावत है भइया। राजनीति तो हम गरीबों के लिए साजनीति है। सही से साज देती है। सीधा कर देती है। अरे काहें ऐसे बोलता है मूलधनवा। तुमको ब्याज नहीं मिला क्या अबकी चुनाव में। पौवा पर टैक्स बढ़ गया है। आधे बोतल दिया है। तीन रोज़ का खुराक। तो मस्त रह ओतने में। नहीं भइया। सुनत रहीं कि बाबू टिकटार्थी हमरे इंसाफ खातिर लखनऊ गएल रहलन। साले इंसाफ के गंजी अंडरवियर बनाके पहिरबे का रे। ज़मीन का मुकदमा है उ तो सगरो चुनाव में रहेगा। चुनाव बिला जाएगा मगर मुकदमा बिलाया है कभी। मूलधन गरम हो गया। एमबीसी हैं रामधन। हम एमबीसी हैं। हमरे जात के हैं सैम पित्रोदा। विश्वकर्मा की संतान। रामधन और गरम हो गया। बोला विश्वकर्मा की संतान है तो लोहा का समान काहे नहीं बनाइस। प्लास्टिक आ कचकाड़ा के कंप्यूटर बना दिया। आज तकला विश्वकर्मा दिवस को राष्ट्रीय अवकाश में बदलने का बात किया ऊ।
ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का....लाउडस्पीकर से आती आवाज़। मगर एक और आवाज़ तेजी से बढ़ती चली आ रही थी। यूपी बदनाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए, अमिया से आम हुई डार्लिंग तेरे लिए, ओ वोटर रे ओ वोटर रे, तूं कहां छुप गया चीटर रे...नैनो कार पर अवधेश बाबू का प्रचार चल रहा था। कार छोटी है मगर सरकार हमारी होगी। मोस्ट बैकवर्ड की अब फ्रंटफुट पर खेलने की बारी होगी। अति पिछड़ा जागेगा और अति अगड़ा दौड़ा चला आवेगा। राहुल बाबा भी हमीं को खोज रहे हैं। हम सब अब तक चुनाव में लुकाइल बिलाइल थे,अब ताकत हैं। बीजेपी भी खोज रही है। नीतीश जी को नहीं लाना चाहती,कुर्मी नेता को तो कुशवाहा को ले आई। लोकल नेता चाहिए भोट खातिर। हमको भोट दीजिए। नेता हम नया ज़रूर हैं और अभी तक अपनी पार्टी के ही हुज़ूर हैं।
मूलधन चकरा गया। लगा खेत से गाजर उखाड़ने। आज शाम को उसे कुम्हार के यहां से घड़ा भी लाना था। सोचा तालाब से सिंघाड़ा लेते चले। तभी साइकिल से अखिलेश भैय्या की पार्टी वाले आ गए। कम्युनिस्ट क्रांति से उधार लेकर लाल लाल टोपी पहने उम्मीद की साइकिल चलाते हुए। रथ पर रथ। यात्रा पर यात्रा। ये छोटे सरकार हैं, यूपी के दावेदार हैं। नारे लग रहे थे। रथ प्राइवेट जिम की तरह है जिसकी छत पर सिंबल साइकिल खड़़ी है। मूलधन कहने लगा कि हम अति पिछड़ा हैं भैय्या। अखिलेश बोलने लगे तो काहें घबराता है। हम बनायेंगे न पिछड़ा में अगड़ा। दिल दिया है जान भी देंगे ए पिछड़ा तेरे लिए...कर्मा के गाने पर अखिलेश के रथ से आवाज़ आती है।
तभी कमल छाप हाथों में कीचड़ लिये चले आ रहे हैं। देखो यही है वो कीचड़ जिसमें कमल खिलता है और यही है वो फटीचर जिससे कीचड़ बनता है। बस तनाव फैल गया। पिछड़ों को इंसाफ दिलाने निकले कुशवाहा को कैसे कह दिया कि कीचड़ हैं। कटियार बोले कीचड़ नहीं इ तो विभिषण है। रावण को हराने का आभूषण हैं। ऊं स्वाहा स्वाहा कुशवाहा। आदतन भाजपा वाले बिना हवन के काम शुरू नहीं करते। उमा जी चुप। एमबीसी नेता की तलाश में,लुट गई बीजेपी बाज़ार में। ये नारा लगने लगा। कांग्रेसी मजा लेने लगे।
तभी फुर्सतगंज की रैली में राहुल बाबा आ गए। मुझे बहुत गुस्सा आता है। आपको नहीं आता? रैली में लोग चिल्लाने लगे कि आता है आता है हमें भी गुस्सा आता है। पर क्या करें किसी और पे नहीं, तुम पे भी जो आता है। राहुल बाबा बोलने लगे, क्रेंद्र सरकार ने ये दिया, वो दिया मगर आपने वोट नहीं दिया। इस बार देना। यूपी की ताकत लौटेगी। विधानसभा चुनाव ही प्रधानमंत्री बनवा देगा केंद्र में। आपका विकास नहीं है। बाइस साल में नहीं हुआ। हम नया मेथड लाए हैं। पांच साल में यूपी विकासशील भारत का विकसित राज्य बन जाएगा। कहते कहते राहुल बाबा चलने लगते हैं। चलते चलते कहने लगते हैं। एमबीसी और मुस्लिम खोजने लगते हैं। कुछ तो आ जाओ। कुछ तो टूटो। कुछ तो जुटो। तभी प्रचार गाड़ी गाने लगती है। तू छुपी है कहां, मैं तड़पता यहां...तेरे बिन सूना सूना है यूपी का जहां। तू छुपी है कहां। ये कौन एमबीसी भड़का, ये कौन मुस्लिम छटका, महफिल में ऐसी भगदड़ मची तो दिल है मेरा धड़का। नवरंग के गाने पर नौजवानों के गीत।
दे दे भोट दे भोट दे भोट दे रे..देदे भोट दे...मूलधन कपार पीट लिहिस। मुझे इंसाफ चाहिए। तो रामधन बोला फ्री में आता है क्या इंसाफ। दे अपना भोट इनको। पर सबने हमें ठगा है रामधन भैय्या। अरे मूलधन,मुकदमा लड़ने वक्त वकील की फीस का ध्यान नहीं रखते। भोट इनकी फीस है तुम्हारे इंसाफ की। दे दो।
Wahh kya Likha hai aap ne. Maja Aaa Gaya padhne ke baad. Ye Aapka aab tak ka sabse Badiya Article hai.
ReplyDeletesir jee
ReplyDelete5 january ko aap ne prime time ka anchoring nahi karke nirash kar diya...shayad aap isi blog ko likhane me vyast the....
jee bhai main kal bhi leave par hun...tweet kiya tha maine.@ravishndtv par
ReplyDeletejee bhai main kal bhi leave par hun...tweet kiya tha maine.@ravishndtv par
ReplyDeleteSIR,
ReplyDeleteAAPNE HAMARE CONCERN KO RESPOND KARNE KE LIYE SAMAY DIYA..ISKE LIYE BAHUT BAHUT DHANYBAD....AAPKE HI JUMALE KO DUHRA RAHA HU...WAHI COMMENT ACCHI HOTI HAI JO PURI NA HO...
GOOD NIGHT....
जनाब मै राहुल जी पर की गयी ज्यादती से सहमत नहीं हू मुझे लगता है वो विकास को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने का खामियाजा भोग चुके है तो ये नया पैतरा भी आजमा लेने दे युवा ह्रदय सम्राट को ???
ReplyDeletegood one mr rk
ReplyDeleteरामधन की मुलाक़ात मूलधन से करवा के आपने अतिउत्तम कार्य संपन्न कर दिया,विश्वकर्मा जाति का सम्मान भी उचित लगा बस थोडा था कहीं इस समाज को बुरा न लग जाये,अक्सर लिखा करे राउर लेखनी पढके हिया के बड़ा निम्मन लगे ला,राहुल बाबा वाला कटाक्ष भी रौनक ला देहलस,बाबा रे बाबा गाना फिर तो सोने पे सुहागा,हमनी के यूपी वालन के किस्मत अब ता लगत बा रामे जी के हाथ में बा." कमल कीचड़ में डूब गया,पंजा गया है टूट,साइकिल पंचर हो गयी,हाथी रहा है लूट".जय हो ऊँची छोटी वाली मैया की,well brother u always been a motivating person for me,keep writing,like ur tweets ur blogs are precious,god bless
ReplyDeleteravish rahul gandhi up ke vikas ke liye ji jaan se lage huye hai. congres or rahul g kyo nahi apne aap ko up ka c.m. candidate ghosit kar dete hai. pahle up me prasashan ki nursary ya pre board pass kar le phir desh ki kaman samale.......
ReplyDeletebhasha ke lihajn se thoda kam samaj aaya per ye ek vyang tha up ke chunav per so jahir he aap bahut karib se in sabko dekh bhi rahe he..pata nahi ye desh kab tak chunavi rajniti me ulja rahegaa...
ReplyDeleteएकदम सटीक, मारू बिलकुल 'जिउ जिउ करेजाऊ' टाईप | राजनीति के गंध मारते माहौल में इस तरह के व्यंग्य एक आवश्यक आवश्यकता हैं| भाषा को थोड़ी ढील देकर आपने लेख की उडान को काफी ऊंचाई प्रदान की है | उसमे दिए गए सांकेतिक नाम भले ही उसे फ़िलहाल वर्तमान मात्र से जोड़ रहे हैं लेकिन समूचा कंटेंट और उसका प्रहार देर तक कायम रह सकने की सामर्थ्य लिए हुए है|
ReplyDeletehii..
ReplyDeleteNice Post Great job.
Thanks for sharing.
Jagte RahOooooooo aur Vyang marte raho....shayad kabhi nishana lag jaye...aur..aur aam aadmi ko ismei chupa tikha dard samajh mei aa jaye...Phir se...Jagte raho raho-Vyang marte raho!!!
ReplyDeleteरवीश, पिछले प्राइम टाइम में ' बीजेपी बाल सुधार गृह ' के जुमले की गुदगुदी अभी थमी भी नहीं थी कि रामधन के बहाने तो आपने छक्का ही उड़ा दिया . चुनावी हड़बोंग का क्या खाका खींचा है .सच है कि अपनी भोजपुरिया में जो expression आता है उसका मज़ा और कहाँ !
ReplyDeleteपेट फट गया हंसते-हंसते। रवीशनामचा काहे नहीं लिखते हैं रेगुलर? और हां उ ला ला उ ला ला वाली रिमिक्सिंग अभी बाकी है।.राष्ट्रीय धरोहर बप्पी दा की हांक-डाक..
ReplyDeletebadhiyan tevar ravish babu.....
ReplyDeletepranam.
आपके वाचन और लेखन की यही व्यंगयात्मक शैली आपको विशिष्ट बनाती है
ReplyDeletebahutaii neek ba paetawaa pakad pakd ke hansaat hansat ...piraae laag ..bahut hi uttam rachana hai ...pahali baar aapke blog par aay ...vyang aur saath hi saath samjhdaari ki baat ye vishistha hai aap ki shailee main ...Shubhkaamnaayen !!!!
ReplyDeleteयह कमाल तो योग का है... कोई UP को कहता है, उल्टा प्रदेश (शीर्ष-आसन करते बाबाओं का?); कोइ कहता है 'You Pee' (दिवार पर लिखे "देखो गधा पिशाब कर रहा है"?), अथवा, 'तू पी'; अथवा वैष्णवों के माथे पर 'U' , सीधा होने में कठिन,मुडा हुआ 'I', यानी अहम् अर्थात अहंकार, और 'P', यानी 'पद्म' अर्थात कीचड से उत्पन्न होने वाला फूल, कमल, 'B' से ब्रह्मा की कुर्सी, जो विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुई और जिस पर बैठ ब्रह्मा जी विष्णु जी के कान से उत्पन्न राक्षसों को बढ़ते देख देख भयभीत हो 'माया' को पूजते रहे - विष्णु को उनकी योग-निद्रा से जगाने की प्रार्थना करते - और चैन की सांस तभी ले पाए जब विष्णु जी ने दोनों राक्षसों को अपने हाथन में धर लिया, किन्तु तभी जब सही समय आगया महाकाल की कृपा से..:)
ReplyDelete"हरी अनंत / हरी कथा अनंता"! ...