ये उनकी ख्वाहिश का हिस्सा है
कि बेलगाम रफ्तारों वाली कारें
कभी न रूकें,भागती ही रहें
और
वो फंसे रहे बीच सड़क में
देखते हुए इधर-उधर
पकड़े हुए एक दूसरे का हाथ
कंधे को सटाये हुए
चंद कदम दूर सड़क पार है
मंज़िल से बेख़बर वो अपनी
सांसों की ख़बर ले रहे हैं
उसकी गर्मी में ऐसे चिपके कि
जहां थे वहीं खड़े हो गए हैं
किसी का हाथ पकडे रहना और
बीच सड़क में फंस जाना
प्रेम की उस मंज़िल पर पहुंच जाना है
जहां ठहरे रहना इश्क की नीयत है
स्पर्श की ऐसी मंज़िल कहां मिलेगी
जहां सहमना एक ऐसी ज़रूरत है
जब प्रेमी जोड़ा आंखों को बंद किये
सड़क पार करने से पहले
खुद के भीतर की अहसासों के
आर-पार हो जाना चाहते हैं
उंगलियों को उलझा कर थोड़ी देर
खुद को सुलझा लेना चाहते हैं
थिरकते कदमों से पार करने का बहाना
दरअसल फंसे रहने की चाहत है
कारों को भागते रहने देकर
छू जाने और छू लेने का ऐसा रास्ता
फिर कहां और कब मिलेगा
इसीलिए
जहां खड़े हैं वहीं थोड़ी देर
और डरे रहना चाहते हैं
बीच सड़क में भी
प्रेम करना चाहते हैं
थिरकते कदमों से पार करने का बहाना
ReplyDeleteदरअसल फंसे रहने की चाहत है
कारों को भागते रहने देकर
छू जाने और छू लेने का ऐसा रास्ता
फिर कहां और कब मिलेगा
इसीलिए
जहां खड़े हैं वहीं थोड़ी देर
और डरे रहना चाहते हैं
बीच सड़क में भी
प्रेम करना चाहते हैं
.
wah
सच है,
ReplyDeleteअजीब दास्तां है ये।
उत्कॄष्ट रचना । नव वर्ष की हार्दिक बधाईयां।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteबधाई
बहुत खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteबधाई
उंगलियों को उलझा कर थोड़ी देर
ReplyDeleteखुद को सुलझा लेना चाहते हैं
sundar!
ये उनकी ख्वाहिश का हिस्सा है...
ReplyDeletesundar chitr hai.
ReplyDeletebahut sundar ravish sir. mai hamesha aapka blog dekhta hoon. comments kabhi nahi kiya, magar is poem ne majboor kiya comments karne ke liye...aapse milne ki khwasish hai.. pata nahi wo waqt kab aayega.. thoda-thoda sa mai bhi likhta hoon. kabhi aayie mere blog par. aapka margdarshan milega to khshi hogi...
ReplyDeleteHi Ravish, very happy to find you on the cyberspace. Your 'Raveesh Ki Report' is very popular in our family and I appreciate your way of writing (here) and presentation of reports on TV.
ReplyDeleteKeep up the good work..it serves the community by linking them bak with the reality. Bahut umda vratant laga is kavita mein.
ravish sir namaskaar... prem ko kitney ghrey andaz me pesh kiaa aaapne.... gazab sir....
ReplyDeleteravish sir gazab...
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