भेरायटीफुल भागलपुर
हिन्दुस्तान में सामाजिक बदलावों का अध्ययन करना हो तो पैसे और अंग्रेज़ी की बदौलत आए बदलावों में झांक लेना चाहिए। एक तुरंत-फुरंत दस्तावेज़ तैयार हो जाता है। बहुत दिनों से चाह थी कि किसी जगह जाकर दुकानों के नामों की तस्वीरें लूं और उनका अध्ययन करूं। भागलपुर में मौका मिल गया। भेरायटी चौक की कपड़ा दुकानों के नाम देखकर लगा कि ग्लोबल आंधी से भागलपुर अभी बचा हुआ है। यहां की दुकानों के नाम अभी भी संस्कृतनिष्ठ और सामाजिक हैं। बहुरानी और बहनजी स्टोर से लेकर फैन्सी और वस्त्रालय जैसे नाम। इन नामों पर अंग्रेज़ी का असर कम दिखा। भले ही यहां की साड़ियां दिल्ली मुंबई की बहनजीयों को बेब में ट्रांसफॉर्म कर देती हों लेकिन इनके नाम अभी भी अ-बेब टाइप हैं। हेप नहीं हुए हैं।
कुछ साल पहले की बात है। पिताजी बीमार थे। राजेंद्र नगर से एक्ज़ीबीसन रोड की तरफ रिक्शा से चला आ रहा था। मन को शांत करने के लिए दुकानों के नाम लिखने लगा। कनक ज्वेलर्स, लेडी स्टोर्स,श्रीराम वस्त्रालय,बिहार रेडियो,मोहर बनता है,घी घर, अपना जेन्ट्स पार्लर, पटना डेन्टल हॉस्पीटल,श्री एन्टरप्राइजेज,फैशन प्वाइंट, जांच घर, गेटवेल हॉस्पीटल,वस्त्र निकेतन, केवल पुरुषों के लिए, बोनी-एम जेन्स पार्लर,सैलून घर, रौशन ब्रदर्स,फैन्सी स्टोर, मगध पेपर, राजा भाई टाई वाले, बेल्वटवाले,शामियाना घर-शादी आप कीजिए,इंतज़ाम हम करेंगे, वस्त्रलोक, मैचिंग कार्नर, प्रेम भूषणालय, सुहाग ज्वेलर्स,गहना ज्वेलर्स,पायल भंडार, स्वर्णालय, चुनमुन गार्मेंट्स।
हालांकि यहां तस्वीरें भागलपुर की लगी हैं। मगर दुकानों के नामकरण का अपना एक सामाजिक संदर्भ होता है। कई बार हम इन्हें अनदेखा कर देते हैं। ब्लॉग हमें इसकी सुविधा देता है कि हममें से जो भी पत्रकार हैं, वो अपने आस-पास की घटनाओं को दर्ज करें। मगर शायद हिन्दी में इसकी परंपरा नहीं है। होनी चाहिए। दिल्ली की दुकानों के नाम अब पारंपरिक नामों के झंझट से मुक्त हो चुके हैं। मेरे एक मित्र ने कहा कि वे साल के आखिरी दिन पेबल्स स्ट्रीट गए थे। तीन बार पूछना पड़ा कि कहां गए थे। ये एक पब का नाम है। अगर हम कपड़ा,ज्वेलर्स,पब इत्यादि दुकानों के नामों का अध्ययन करें तो एक अलग किस्म का पैटर्न मिल सकता है। कैसे आज कल हर दुकान साईं स्टोर हो रहे हैं। साईं ने कई दुकानों के नाम बदल दिये हैं। कैसे पूरे हिन्दी पट्टी में दवाईयां ग़लत लिखी जाती है। छोटी इ की जगह बड़ी ई लगाते हैं।
daad dete hain prabhu aapke jajbaat ka.
ReplyDeleteआपका कैमरा और कलम India और भारत के अंतर को हर रोज दिखाते हैं।
ReplyDeleteनव वर्ष की भोत सारी ग्रीटिंग्स!
और पटना के पादुकालय के बारे में क्या राय है।
ReplyDeleteअंगिका तो सचमुच सब में श्रेष्ठ है. केश कर्तनालय और मुख-शुद्धि केन्द्र, मिष्ठान्न भंडार, क्षीरसागर जैसे नाम भी मेरे देखने में एकाधिेक बार आए हैं.
ReplyDeleteरवीश जी
ReplyDeleteभागलपुर मे व के भ बोलते और लिखते है
तो शहर का सही नाम कहीं वागलपुर तो नहीं है
और लोगो ने इसे भागलपुर कर दिया
बताइये तो जरा
happy new year sir.........
ReplyDeleteaap bhagalpur aaye aur hamein pata bhi nahi chala ,,,,,,,,,
main yahan ke hi ek chote se gaon ka hun.........
badi hasrat thi aapse milne ki...
agli baar aayein to zara mauka dein hamein milne ka........
article hamesha ki tarah a typical ravish touch liye hue
mujhe lagta hai hndi sahitya ke etihaas mein ise ek alag adhyaya ke rup mein pada jaana chahiye......
der se padha hoon ravish bhai per achaa yeh lagata hai ki in sab baton ke le bhi coporate patrakar ka dil kuch sochata hai. dhanyawad.
ReplyDeleteभागलपुर गये और सिल्क के कारीगरों से न मिले .और मिले हों तो उनका ज़रा हाल भी लिखिए ..कुछ चादर तो आप खरीद लेते
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