भाषा में भक्रमण





बिहार में व वर्ण पर भ वर्ण का दबंग किस्म का अतिक्रमण होता रहा है। जनबोली में भ ने हमेशा व को विस्थापित किया है। कई ऐसे शब्द हैं जो उत्पन्न हुए व के साथ लेकिन प्रचलन में रहे भ के साथ। भागलपुर में भेरायटी चौक है। इस पर नज़र पड़ते ही भक्रमण (भ के अतिक्रमण से बनाया गया नया शब्द) के मारे तमाम शब्दों को होर्डिंग पर खोजने लगा। भेलकनाइज,भेल्भेट,भेजीटेबल,इनभौलमेंट,भेलेएबुल,भौलीबौल,कभर। किसी शब्दशास्त्री को भक्रमण पर अलग से पर्चा लिखना चाहिए। भोजपुरी में भोकार पार कर रोना एक अद्भुत क्रिया है। वैल्यू भी भैल्यू हो जाता है। एक दिन हम बिहार को भी भिहार कहने लगे हैं। शायद इसलिए बच गया है कि बिहार व से नहीं ब से शुरू होता है। सरसरी शोध से लगा कि भ की दुश्मनी सिर्फ व से है ब से नहीं। भाषा में भदेसपन कहीं है तो यहीं है, यहीं है। इस भक्रमण ने हिन्दी की बोलियों को बैले डांस का ट्रिक दे दिया है। व्याकरण के अनुशासन का राज चलता तो भाषाएं कैंटोनमेंट की तरह नीरस लगतीं।

14 comments:

  1. भेरी गुड़! आपने सुन्दर भिजुभलों से भाषा के भक्रमण को भेरीफाय करवा दिया। बिहार का भिकास हो रहा है, अंग्रेजी के भर्ड लाईफ के हर एरिया में यूज़ हो रहे हैं जो कि एक प्रोग्रेसिभ सोसाईटी कि पहचान है!! :)

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  2. बधाई हो रभीश जी...

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  3. हा हा, रभीस बोलिए। भाषा का यह भकोस दोष है। भेरी गुड को भी भूल गया था। जब हम एनडीटीवी में नौकरी करने आए तो कुछ सहयोगी वीओ वीटी को भीओभीटी बोलते थे। वीओवीटी एक तकनीकी शब्द है। जब सिर्फ स्टोरी की भिजुअल चलती है और उसके ऊपर एंकर बोलता है तो उस लघु पैकेज को वीओवीटी कहते हैं। तो दिल्ली या सही बोलने वाले प्रोडक्शन के लोगों को भीओभीटी समझने में काफी परेशानी होती है। अच्छा है भक्रमण के सताये कुछ और शब्द इसी तरह मिल जायेंगे।

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  4. शुरू शुरू जब बिहार आया तो ऐसा ही अचरज मुझे भी हुआ था लगा हिंदी के साथ ये क्या हो रहा है इस हिंदी भाषी राज्य में. सप्रयास अपनी भाषा की शुद्धता को बरकार रखने की असफल कोशिश भी करता रहा मगर अब जब लौट के उत्तर प्रदेश जाता हूँ तो लोग मेरी भाषा सुन कर कहते है की बिलकुल बिहारी हो गया हूँ :) भक्रमण तो नहीं हुआ मगर कुछ अन्य प्रभाव काफी स्पष्ट दीखते हैं

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  5. रभीस, भासा को उसके भदेस तरीके से बोलने का पक्षधर हूं। हिंदी का बिस्तार भी इसी तरह से होगा। सुद्धियों को लेकर संबेदनसील न हों, तो हिंदी बढेगा(गी)। बांगला वाले अपने तरीके से और तमिल भाई अपने तरीके से बोलें..मुझे कोई आपत्ति नही है। इसीतरह बिहार वालों की हिंदी पर भी कोई उज्र नहीं होना चाहिए। हिंदी का मानकीकरण अगर हो तो वह बेहद सरल होना चाहिए। ...सरकारी एतद् द्वारा से शुरु होना वाली हिंदी, लिखने वाले की समझ में भी मुश्किल से आती होगी।

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  6. bhokar par kar hasne ka man kar raha hai

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  7. हाँ, यह तो बहुत देखा है. हमारे दफ्तर की एक बिहार प्रदेश की महिला कर्मचारी भैन से ऑफिस आती हैं, बाकी सब वैन से आते हैं.
    एक बात और, मेरे ज्यादातर बिहारी मित्र स्पष्ट को 'अस्पष्ट' बोलते हैं और अस्पष्ट को 'अ-अस्पष्ट'.
    लेकिन हमें कोई समस्या या शिकायत नहीं है (डिस्क्लेमर देना ज़रूरी था जी).

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  8. क्या रगड़ा है अंग्रेजों को, बहुत हैपिया गया दिल।

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  9. भौत बढि़या जी.

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  10. आदरणीय रविश सर,
    भाषा में कोई भी क्रमण हो, अपनी बोली बहुत मीठी लगती है। कुछ नया जानने को मिला उसका अनूठा आनंद है। आपकी तसवीरों का कोई जवाब नहीं।
    सवजी चौधरी, अहमदाबाद, ९९९८० ४३२३८.

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  11. शरद जोशी जी ने तभी तो मजाक में एक जगह लिखा था कि वह बिहार जाकर नरभसा गये थे....( नर्वसा गये थे) :)

    रेणु जी ने भी इस ओर मैला आंचल में थोड़ा सा इशारा किया है जिसमें वह कहते हैं पुराना तोता पोस नहीं मानता.....पढ़ाया जाता है क ख ग तो वह पढ़ता है ग घ ...

    पूरा याद नहीं है मैला आंचल का वह अंश लेकिन है बहुत रोचक।

    शुरूआती पन्नों में ही कहीं मिलेगा लिखा हुआ।

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  12. रभीस जी ने ही कहा था कभी कि जहां व्याकरण की सीमा खत्म होती है, वहीं से भाषा सुंदर होना शुरू होती है......कहा था ना...

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  13. "व" पर आक्रमण सिर्फ "भ" का ही नहीं है "ब" भी एक खूंखार आक्रमणकारी है. जैसे- बिकास (विकास) , बक्र (वक्र) आदि

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  14. Adbhud tha ye Pandey jee...

    Bhokaar paar ke rona.. hahahahaha..

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