दो आंखों की दुनिया







19 comments:

  1. रवीश सर, बहुत सुन्दर तस्वीरे लगी............ अंतिम तस्वीर कहाँ की है ? आज मुझे आपकी रिपोर्ट का इन्तजार है. जरुर देखूंगा......

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  2. आपसे निवेदन है शुक्रवार को रवीश की रिपोर्ट में क्या आने वाला है इसकी जानकारी आप अपने ब्लॉग में पहले डाल दिया करे तो बेहतर रहेगा .. इससे प्रोग्राम के बारे में उत्सुकता बनी रहती है.....और हम बेसब्री शुक्रवार का इन्तजार करते है

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  3. सरधना की तस्वीरें अपने आप में एक रिपोर्ट हैं ।
    बेहतरीन ।

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  4. शुरुआती कुछ तसवीरें देख कर याद आया 'ठेले पर हिमालय'

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  5. रविश जी मैं तो आपका ब्लॉग सिर्फ तस्वीरों के लिए ही देखता हूँ. आपके कैमरे की नज़र बिलकुल वास्तविक होती है जो मुझे बहुत पसंद है. जो भी ये तस्वीरें लेता है मेरी नज़र में वो रघु राय से बेहतर है.

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  6. शायद हमें जिसे देख आनंद मिलता है उसे संभव हो तो थोड़े से शब्दों अथवा चित्रों के माध्यम से, (और यदि, ब्लॉग आदि में जैसे संभव होता है तो दोनों के माध्यम से), हम कुछेक अन्य 'जाने-पहचाने' व्यक्तियों और 'अनजाने व्यक्तियों' से (सब के किसी 'अनजाने व्यक्ति विशेष' का ही प्रतिबिम्ब होने से उस तक पहुंचाने के लिए?) साझा करना चाहते हैं, आनंद बाँट परमानन्द को बनाये रखने के लिए?

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  7. सच है, शब्द से अधिक बोलती तस्वीरें।

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  8. छोटे से पेट के लिए कितना भार ढोना पड़ता है?

    'दो आँखों की दुनिया' बहुत कुछ कह जाती हैं।
    - सवजी चौधरी

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  9. Lajwab,vichitra kintu satya ko pakadne ki aisi paini darshti sachmuch adbhut ise har kimat par banaye rakhe. Hamare jaise pensinyafta vardhon ke liye yeh kisi sanjeevani se kam nahi-vishvambhar

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  10. aapki najar sachmuch adbhut hai........

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  11. रवीश जी ये सिर्फ तस्वीरें ही नहीं........... ये बेजुबान होते हुए भी सब कुछ कह जा रही है..........

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  12. sir..ab to tasviro se bhi pyaj gayab hone lage..

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  13. ये 'साप्ताहिक अपराध सुधारक टाइम्स' भी छपता है दिल्ली से पता नहीं था... खुद ही पढते हैं क्या छाप के? ;)

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