दैनिक सच कहूं







दोनों ही तस्वीरें नोएडा के सेक्टर-१२ की हैं। कैविनेट मंत्री वाली तस्वीर डेयरी की दुकान से ली गई है और दैनिक सच कहूं एक अखबार के कार्यालय से।

6 comments:

  1. सच कहूं, एक बाबा जी का अखबार है, जो कि पूर्व में कुछ महिलों भक्तों के योन शोषण के आरोप को झेल रहे है, हां वैसे अब बाबा जी लोग भी मीडिया की कमान सम्भालेगें, जब सभी चैनलों पर बाबा प्रसाद फ्री में मिलता है तो कोई अचरज नहीं कि वो अखबार, पत्रिकाएं या फिर चैनलों की शुरूआत करलें।

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  2. डेरी का फोटो देख कुछ याद आ रहा है।

    दरअसल हमारे गांव में एक किसान आदमी को लोग विधायक कहकर बुलाते थे। उसको विधायक बुलाये जाने का एक कारण यह था कि कहीं से वह समाजवादी पार्टी का बैनर पा गया था और उसे मोहडेदार चड्ढी की तरह सिलवा कर उसे ही पहन हल जोतता था। बैनर के मुलायम और अमर सिंह अपनी अपनी जगह पर तो थे ही पर बैनरवाली साईकिल एकदम मोहडे पर थी :)
    सो पड गया नाम विधायक।

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  3. ये तो यूपी का टशन है। गली-गली में ये परंपरा मिल जायेगी छोटे-बड़े रूप में। गाज़ियाबाद में वैशाली में रहने वाले एक बदनाम किस्म के प्रॉपर्टी डीलर को मैं जानता हूं जो आजकल अपने आपको बहुजन समाज पार्टी का नेता बताता है और दिन भर घर में ही रहने वाली अपनी पत्नी को हाथरस के किसी ब्लॉक की बीएसपी प्रमुख। तीन साल पहले वो अपनी गाड़ी पर समाजवादी पार्टी का झंडा लगाकर घूमता था और जब राजनाथ सिंह ने गाज़ियाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा तो उसने अपनी दुकान पर बीजेपी का झंडा लगा लिया। जब नेतागीरी से काम नहीं चलता तो उत्तर प्रदेश पुलिस का पूर्व अफसर बन जाता है। रवीश जी, यूपी में तो बस अपनी दुकान चलनी चाहिये कैसे भी चले।

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  4. लेकिन गाजियाबाद से लौटते हुए वैशाली के नुक्कड़ पर मैंने जिस अखबार का बोर्ड देखा वह भी कम आश्चर्यजनक नहीं था. नाम था- राष्ट्रीय समस्या. अब यह तय करना मुश्किल कि यह अखबार राष्ट्रीय समस्या का समाधान करेगा या फिर यह अखबार भी एक राष्ट्रीय समस्या है?

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  5. संजय जी,
    सही कहा आपने। हंसी आ रही है राष्ट्रीय समस्या पर।
    सारी समस्याएं राष्ट्रीय स्तर की ही होती होंगी। इतना तो स्पष्ट है न?

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