गायत्री परिवार और हमारी सोसायटी
लोग धर्मविमुख हो रहे हैं। ऐसा तो नहीं है लेकिन धर्म की शाखायें अपना स्टॉल लगा रही हैं। हमारी सोसायटी में आज हरिद्वार के गायत्री परिवार का स्टॉल लगा हुआ था। पंद्रह नवंबर को गायत्री महायज्ञ होगा। लगता है ये हाउसिंग सोसायटी में नया चलन है। किसकी अनुमति से यज्ञ हो रहा है पता नहीं लेकिन स्टॉल देखकर चौंक गया। लगा कि अब संस्था के लोग इन सोसायटियों को गंभीरता से लेने लगे हैं। भीतर आने के लिए सोसायटी के प्रेसिडेंट से बातचीत भी चलती होगी। मैं इसे सिर्फ एक बदलाव के रूप में देख रहा हूं। गायत्री परिवार की अपनी भूमिका रही है। लेकिन बदलते ज़माने के साथ धर्म कितनी तेजी से बदल रहा है। पंडित श्रीराम शर्मा की मोटी मोटी किताबें अब लघुतम पुस्तिकाओं में आने लगी हैं। मुफ्ता बांटी जा रही थीं। उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में सोसायटी में आशाराम बापू से लेकर कृपालु महाराज तक अपने स्टॉल लगायेंगे। धार्मिक संस्कारों को सोसायटीन्मुखी बनायेंगे। वाह रे स्टॉलमयी आध्यात्म।
एअरटेल,पोलियो,एक्वागार्ड,गायत्री...क्या फ़र्क़ है..
ReplyDeleteये तो बिल्कुल वैसे ही है जैसे आजकल कई कम्पनियां सड़क किनारे व मोहल्लों सोसायटियों में अपनी स्टाल लगाकर अपने उत्पाद का प्रदर्शन कर प्रचार करते है अब यही तरीका इन्होने अपना लिया आशाराम व अन्य लोगों की भी ऐसी दुकाने देखि जा सकती है अभी वे वेन में अपनी पुस्तके व चूर्ण आदि बेचते है |
ReplyDelete८० और ९० के दशक के '२१ वी सदी उज्जवल भविष्य और युग निर्माण कैसे होगा व्यक्ति के निर्माण से|" जैसे नारे २१ वी सदी आते आते झूटे लगने लगे थे| परिवार के केंद्र बिंदु शांति कुञ्ज में हर रोज़ के रीति रिवाजों का एक शोकेस बन चुका था और दुनिया भर से टूरिस्ट जुटाने का काम शुरू कर दिया गया था| घरमें नौकरी की तलाश में भटकने वाले युवा को परिवार के बाहर की २१ सदी में अपना उज्वल भविष्य दिखने लगा था| आखिरकार एक ऐसा ग्लोबल गायत्री परिवार खडा हुआ जिसमे भविष्य के सपनों से ज्यादा बुढापा और बेबसी दिकती है और जिसके कर्र्ता धर्र्ता गायत्री मार्केटिंग मन्त्र को गायत्री मन्त्र साबित करना चाहते हैं|
ReplyDeleteगोरखधंधा है सब...
ReplyDeleteSo wat exactly do u want? u dont like goin to their places. u dont like if they cum to your doorstep. So how can u ever think of "Vishva Shanti" (which we talk abt so often) without being the change urself? U have to change ur innerself to luk at the world in a different way. & all these organisations r helping u to make u a better human being. U wont say a bit if coke or kurkure installs a stall in ur society & play games with ur kids. U will happily participate in that. But u have objection if any spiritual sanstha does that. What a shame. R u truly an Indian? By Heart.
ReplyDelete& lemme mention that I am not saying that all of them are true saints & have not made it a profession. But again all of them r not the same. Kripya apne vivek ka istemaal karien aur har cheez ko critique ki nazar se dekhna band karien. M sorry for being rude but it feels dat all of us has just started thinkin negatively. Everythin is bad. Right?
It is said that you see what you are inside. So if one is negative, he will only see negative in this world. Even in positives! And if you pick up any of those books they all talk about this point only : How to have a positive outlook to lead a happy and successful life.
ReplyDeleteIf you dont get such negative thoughts after seeing liquor shops in your locality then why critise such a noble effort!! Just think about this...
कु्छ-कुछ लेख पसंद नही आया.. इस किसी धार्मिक प्रचार प्रसार पर टिका- टिप्पणी नही किया जाता है। गायत्री परिवार गलत नही हो सकता बल्कि प्रस्तुत करने वाला इंसान गलत हो सकता है.. कई लेख को पढ़ने से स्पष्ट बताता है कि गायत्री परिवार के बारे कितना जानते हों... नही मालूम है तो इस तरह का टिका-टिप्पणी भ्रम फौलाता है भ्रम फैलाने के लिए फ्रान्ड ब्लाँग लिखने लगे है.... सीधी सी बात यह है कि गायत्री परिवार की छवि को बिगाड़ने में लगे हुए..
ReplyDeleteकु्छ-कुछ लेख पसंद नही आया.. इस किसी धार्मिक प्रचार प्रसार पर टिका- टिप्पणी नही किया जाता है। गायत्री परिवार गलत नही हो सकता बल्कि प्रस्तुत करने वाला इंसान गलत हो सकता है.. कई लेख को पढ़ने से स्पष्ट बताता है कि गायत्री परिवार के बारे कितना जानते हों... नही मालूम है तो इस तरह का टिका-टिप्पणी भ्रम फौलाता है भ्रम फैलाने के लिए फ्रान्ड ब्लाँग लिखने लगे है.... सीधी सी बात यह है कि गायत्री परिवार की छवि को बिगाड़ने में लगे हुए..
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