अधूरी उदास नज़्में- सस्ती शायरी

कुछ रंग मेरे लिए बचाकर रखना होली में
सादा कुर्ता सिलने में दर्ज़ी ने देर कर दी है

सियासत का मौसम है बदल न जाना होली में
तुम्हारे रंग का जोड़ा ढूंढने में देर हो रही है

रास्ता देखते रहना तुम मेरा भी होली में
बच के बचा कर आने में देर हो रही है

14 comments:

  1. जिस नज़्म में फिट हो लगा लेना।

    रास्ता देखते रहना तुम मेरा भी होली में
    ब्रेकिंग न्यूज़ आ गई है,थोड़ी देर हो रही है।

    होली हो या गोली, रोज़ खबर बेचते हैं
    TRP के चक्कर में ज़िंदगी ढेर हो रही है।

    न्यूज़ के धंधे में कलर ब्लाइंड हो गये हैं
    लाल के अलावा भी रंग है होली बताती है।

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  2. सियासत का मौसम है बदल न जाना होली में
    तुम्हारे रंग का जोड़ा ढूंढने में देर हो रही है ..

    बहुत खुब..

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  3. देहाती जी ने दिल छू लिया,,,,
    रवीश जी नई विधा में आपकी रचना पसंद आई।
    रंगों की बात छिड़ी है तो कुछ पंक्तियां मेरी तरफ से भी:

    सपने बेरंग हैं, मृत है हर एक उमंग
    सारी दुनिया भाग रही सुनहरी रेत के संग,
    दिन गुज़रे इनका माया के पीछे
    और कटे रातें कामेच्छा के नीचे,
    भूल से गए हैं सब कि क्या होते हैं रंग...

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  4. हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें।
    रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचना प्रेषित कर सहयोग करें।
    रायटोक्रेट कुमारेन्द्र

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  5. थोडा सब्र करो, नेताजी आयेंगे आपके कस्बे भी
    वादों की लिस्ट बनाने में देर हो रही है |

    कम्पीटीशन है, कि कहाँ फटे ज्यादा बम
    लिस्ट में टॉप आने के लिए ठेलमठेल हो रही है |

    करोडों डकारने वालों को मिल रही है जमानत
    बकरी चुराने वाले को जेल हो रही है |

    ८ करोड़ मिले गांधी की टूटी चप्पल पे
    गांधी की उपदेश-नीतियां ढेर हो रही हैं |

    और, कुछ टिप्पणियाँ बचा के रखना भैया
    मेरी कविता रवीश जी पे सवा सेर हो रही है.

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  6. लो कुछ और लो, पसंद आये तो दाद देना। आदर्श राठौर भाई आप भी।


    होली के लिये नया कुर्ता सिला रहे हो
    यार, तुम तो उल्टी गंगा बहा रहे हो।

    दर्जी समझदार है जो वक्त पर ना दे पायेगा
    संभालकर कर रख लेना अगली साल काम आयेगा।

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  7. और लो...

    सियासत का मौसम है बदल न जाना होली में
    5 साल गायब रहे, अब आ रहे हैं टोली में।

    एक दिन के राजा, चला लेना अपना राज
    कहीं बिक ना जायें गांव एक-एक गोली में।

    फिर भी दम बाकी है जम्हूरियत में ऐ दोस्त
    वोट समझकर देना, देना ना हंसी ठिठोली में।

    किसी एक को तो चुनना ही होगा मेरे यार
    बदमाश भी बिकता है लोकतंत्र की बोली में।

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  8. बहुत ही अच्छा लिखा है ...वाह

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  9. Aaj se aapko follow kar raha hoon.
    aapka fan hoon. aapki reporting aur aapki writing ka bhi.
    Jaari rakhiye.

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  11. ये लो रविश भाई पूरी वाली फुल पिनक में::

    कुछ रंग बचा कर पास रख लो होली में,
    सफेद कुर्ता सिलवाने में देर हो रही है

    सियासी मौसम से दिल को बचा लो होली में
    तुम्हारे रंग का जोड़ा लाने में देर हो रही है

    जरा कुछ देर हमारी राह तक लो होली में
    बचते बचाते गली से आने में देर हो रही है.

    तिलक लगा के काम चला लो होली में,
    नलके से पानी आने में देर हो रही है.

    गुझिया नमकीन ही बना लो होली में,
    शक्कर राशन से लाने में देर हो रही है.

    खर्च मंहगे तुम घटा लो होली में,
    किश्त बैंक की चुकाने में देर हो रही है.

    पोस्ट रुक रुक कर ही डालो होली में
    पिनक में टिपियाने में देर हो रही है.

    --होली की मुबारकबाद और शुभकामनाऐं.

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  12. एक से बढ़ कर एक। पढ़ कर मज़ा आ रहा है। होली

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  13. लकड़ियों का कलेक्शन और 2-2 रुपये का चंदा
    गांव से आकर होलिका की याद सताती है।

    बच के रहना स्किन खराब हो जायेगी,
    बच्चों के बैग में स्कूल से चिट्ठी आती है

    रंग वाले दिन भी सूखे निकल जाओ
    शहर का बेगानापन, ये दिल्ली बताती

    न्यूज़ के धंधे में कलर ब्लाइंड हो गये हैं
    लाल के अलावा भी रंग है अब तो होली बताती है।

    कुछ साल बाद तुझे भूल जाएंगे होली
    दोस्त होगी ब्रेकिंग न्यूज़ है जो रोज़-रोज़ आती है।

    और कोई काम नहीं है क्या यार। बहुत हो गया, अब श्रेष्ठ नगमानिगार चुन लिया जाये।

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  14. श्रेष्ठ नगमानिगार का खिताब तो भई देहाती जी को ही मिलना चाहिए.
    वैसे देहाती के साथ martin का कॉम्बिनेशन समझ नहीं आया
    लग रहा है जैसे "बूढी घोडी लाल लगाम"

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